22-06-2022, 05:57 PM
मंजू ने तौलिए से अपने बूब्स और चुत अच्छी तरह से ढकने की कोशिश की लेकिन वो उसमे कामयाब नहीं हो पा रही थी। उसके बड़े बड़े बूब्स बाहर की ओर उभर कर सामने आ रहे थे और नीचे बस किसी तरह कमर को ढक रहे थे। मंजू ने जैसे ही दरवाजा खोला, मंजू को इस हालात में देखकर डिलीवरी बॉय चौंक गया और हकलाते हुए कहाँ - मैम आपका पार्सल। मेरे कहे अनुसार मंजू ने डिलीवरी बॉय को पिज़्जा टेबल पर रखने को कहा। मै चुपचाप पर्दे के पीछे खड़े होकर डिलीवरी बॉय को पसीने से तर बतर देख रहा था। वो पिज़्जा टेबल पर रख कर मंजू की ओर देखकर थैंक यू बोला और भागता हुआ चला गया।
उसके जाते ही मैंने मंजू के तौलिए को खोल दिया और हम दोनों फिर से पूरी तरह नंगे थे। मैंने पिज़्जा के साथ आए सॉस को अपने लंड पर लगाया और मंजू को चाटने को कहाँ। मंजू ने अपने जीभ से सॉस का स्वाद लेते हुए पूरे लंड को साफ किया। फिर हम दोनों बाथरूम में साथ नहाए और नंगे ही पिज़्जा खाया। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर उठने लगा और मंजू मेरे साइड ही लेटी थी। मैंने अपना लंड मंजू के मुँह में डाल दिया और मंजू स्वाद ले कर मेरे लंड को चाट रही थी। मंजू द्वारा मेरे लंड को उत्तेजक तरीके से चाटने के कारण मेरा लंड काफी बड़ा हो रहा था और मैं अपने पूरे लंड को उसके मुँह में घुसाए जा रहा था।
इसके बाद मैंने मंजू के बूब्स को रगड़ना शुरू किया। मंजू के बूब्स काफी बड़े थे और उन्हें मसलने में काफी मजा रहा था। काफी देर तक मसलने से बूब्स काफी बड़े लग रहे थे तब मैंने मंजू को अपने दोनों बूब्स हाथों से पकड़ने को कहाँ और उसके दोनों बूब्स के बीच अपने लंड को घुसेड़ने लगा। बूब्स फुल साइज के होने की वजह से पूरा लंड मानो अंदर बाहर हो रहा था और इस तरह अंदर बाहर करते करते मेरे लंड ने पानी छोरा जो की पूरा का पूरा मंजू के चेहरे पर फैल गया। फिर मंजू ने उसको साफ किया और मेरा लंड अब अपने अगले लक्ष्य यानी मंजू की चुत की ओर जाने को बेताब था। तभी मंजू को मैंने ऊपर की ओर खींचा और उसके बूब्स को अपने जीभ से चाटने लगा। फिर मैंने अपने जीभ से उसके बूब्स के निप्पल्स को रगड़ा और निप्पल बिल्कुल मटर के दाने के जैसा खड़ा हो गया। उसके बाद उसके पूरे पेट को चूमता हुआ मैंने उसके चुत के ऊपरी हिस्से पर जीभ फेरा और वो सिसक उठी। मै वहाँ जीभ से चाटता रहा और इससे मंजू का पानी छूट गया।
फिर मैंने अपने लंड को उसके चुत में घुसा दिया और उसी पोजीशन में मंजू को गोद में उठा कर पूरे घर में घूमने लगा। तब तक शाम के 4 बज गए और रमेश का फोन आ गया की वो मुरादाबाद से लौटने के लिए बस में बैठ गया है और एक घंटे में पहुंचने वाला है। फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और मै घर से बाहर की ओर निकल गया। इधर मंजू ने घर को साफ किया ताकि कोई सबूत ना रहे।
मै आज काफी खुश था। अब मुझे दोनों माँ बेटी मंजू और शिल्पी का चुत मिल चुका था और ये सोच रहा की इन दोनों को कैसे आगे मुट्ठी में रखना है। ये सोचते सोचते मै शाम को लगभग 6 बजे घर लौट आया। जैसे ही मैंने घर का दरवाजा खोला मैंने देखा मंजू बाहर ही ड्राइंग रूम में बैठी है और उसने मुझे देख कर स्माइल किया। रमेश अपने दुकान में था।
ऊपर आकर मै फ्रेश हुआ और मंजू को मैसेज किया की आज डिनर ऊपर ही करेंगे। लगभग आठ बजे मंजू मेरे लिए डिनर लेकर छत पर फ्लैट में आई। हम दोनों सोफे पर बैठ थे और मै बरमुडे में था। मैंने उसको नीचे बैठने को कहाँ और अपने बरमुडे से लंड निकालकर उसको चूसने के लिए दें दिया। उसने चुपचाप मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उसने अपने मुँह से लंड निकला और बाथरूम से हाथ धो के आई। मैंने उससे खाना खिलाने को कहाँ और वो अपने हाथों से मुझे खाना खिलाने लगी। मै खाना खाते वक्त बीच बीच में उसका बूब्स दबाता रहा। इस तरह खाना खत्म हुआ फिर मैंने अपने होंठो को उसके होंठो से सटा दिया और एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे। उसके बाद मंजू नीचे चली गई।
उसके जाते ही मैंने मंजू के तौलिए को खोल दिया और हम दोनों फिर से पूरी तरह नंगे थे। मैंने पिज़्जा के साथ आए सॉस को अपने लंड पर लगाया और मंजू को चाटने को कहाँ। मंजू ने अपने जीभ से सॉस का स्वाद लेते हुए पूरे लंड को साफ किया। फिर हम दोनों बाथरूम में साथ नहाए और नंगे ही पिज़्जा खाया। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर उठने लगा और मंजू मेरे साइड ही लेटी थी। मैंने अपना लंड मंजू के मुँह में डाल दिया और मंजू स्वाद ले कर मेरे लंड को चाट रही थी। मंजू द्वारा मेरे लंड को उत्तेजक तरीके से चाटने के कारण मेरा लंड काफी बड़ा हो रहा था और मैं अपने पूरे लंड को उसके मुँह में घुसाए जा रहा था।
इसके बाद मैंने मंजू के बूब्स को रगड़ना शुरू किया। मंजू के बूब्स काफी बड़े थे और उन्हें मसलने में काफी मजा रहा था। काफी देर तक मसलने से बूब्स काफी बड़े लग रहे थे तब मैंने मंजू को अपने दोनों बूब्स हाथों से पकड़ने को कहाँ और उसके दोनों बूब्स के बीच अपने लंड को घुसेड़ने लगा। बूब्स फुल साइज के होने की वजह से पूरा लंड मानो अंदर बाहर हो रहा था और इस तरह अंदर बाहर करते करते मेरे लंड ने पानी छोरा जो की पूरा का पूरा मंजू के चेहरे पर फैल गया। फिर मंजू ने उसको साफ किया और मेरा लंड अब अपने अगले लक्ष्य यानी मंजू की चुत की ओर जाने को बेताब था। तभी मंजू को मैंने ऊपर की ओर खींचा और उसके बूब्स को अपने जीभ से चाटने लगा। फिर मैंने अपने जीभ से उसके बूब्स के निप्पल्स को रगड़ा और निप्पल बिल्कुल मटर के दाने के जैसा खड़ा हो गया। उसके बाद उसके पूरे पेट को चूमता हुआ मैंने उसके चुत के ऊपरी हिस्से पर जीभ फेरा और वो सिसक उठी। मै वहाँ जीभ से चाटता रहा और इससे मंजू का पानी छूट गया।
फिर मैंने अपने लंड को उसके चुत में घुसा दिया और उसी पोजीशन में मंजू को गोद में उठा कर पूरे घर में घूमने लगा। तब तक शाम के 4 बज गए और रमेश का फोन आ गया की वो मुरादाबाद से लौटने के लिए बस में बैठ गया है और एक घंटे में पहुंचने वाला है। फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और मै घर से बाहर की ओर निकल गया। इधर मंजू ने घर को साफ किया ताकि कोई सबूत ना रहे।
मै आज काफी खुश था। अब मुझे दोनों माँ बेटी मंजू और शिल्पी का चुत मिल चुका था और ये सोच रहा की इन दोनों को कैसे आगे मुट्ठी में रखना है। ये सोचते सोचते मै शाम को लगभग 6 बजे घर लौट आया। जैसे ही मैंने घर का दरवाजा खोला मैंने देखा मंजू बाहर ही ड्राइंग रूम में बैठी है और उसने मुझे देख कर स्माइल किया। रमेश अपने दुकान में था।
ऊपर आकर मै फ्रेश हुआ और मंजू को मैसेज किया की आज डिनर ऊपर ही करेंगे। लगभग आठ बजे मंजू मेरे लिए डिनर लेकर छत पर फ्लैट में आई। हम दोनों सोफे पर बैठ थे और मै बरमुडे में था। मैंने उसको नीचे बैठने को कहाँ और अपने बरमुडे से लंड निकालकर उसको चूसने के लिए दें दिया। उसने चुपचाप मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उसने अपने मुँह से लंड निकला और बाथरूम से हाथ धो के आई। मैंने उससे खाना खिलाने को कहाँ और वो अपने हाथों से मुझे खाना खिलाने लगी। मै खाना खाते वक्त बीच बीच में उसका बूब्स दबाता रहा। इस तरह खाना खत्म हुआ फिर मैंने अपने होंठो को उसके होंठो से सटा दिया और एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे। उसके बाद मंजू नीचे चली गई।