20-06-2022, 05:50 PM
मेरी चूत का फैलना और सिकुड़ना मेरे शरीर को अत्यधिक आनन्द दे रहा था.
जब जब वो अपने मजबूत चूतड़ों के दबाव से मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, तो मेरी बच्चेदानी सहम कर रह जाती थी.
मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे जेठ का लंड इतना मोटा और कड़क होगा.
कुछ ही पलों बाद मेरी टांगें हवा में उठ गईं और बहू सेक्स के लिए उन्हें अपने अन्दर आने के लिए खुद से कोशिश करने लगी.
अब मेरी चूत और उनके लंड के मिलन की फक फक फक की आवाजें आ रही थीं. मेरी चूत ने झाग उगलना शुरू कर दिया था. मेरी जांघें ऊपर उठ गयी थीं.
जेठ जी मस्ती में आकर मेरी हवा में उठी हुई मेरी टांगों के तलुवे चाटने लगे.
मेरे पति ने आज तक कभी भी मेरे तलुवे कभी नहीं चाटे थे क्योंकि वो दस बारह धक्के पेल कर झड़ जाते थे.
पर इधर तो जेठ जी ने मेरी हवा निकाल कर रख दी थी.
मैंने अपनी जांघ के नीचे से दायां हाथ निकाल कर उनका लंड पकड़ने की कोशिश की, पर वो मेरी मुट्ठी में नहीं आ सका.
तब उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- बहू, इसकी मोटाई नाप कर क्या करेगी, बस मजे लेती रह!
मैं शर्म के मारे पानी पानी हो गयी.
पर कमरे में घोर अंधेरा था तो मेरी हिम्मत बनी रही.
मेरी नन्ही सी चूत में जेठ जी का मोटा गुल्ला लगातार मार कर रहा था.
दस बारह मिनट से मेरी जम कर चुदाई हो रही थी. ऐसा मजा शादी के बाद मैंने पहली बार लिया था.
कमरे में मेरे पैरों की पायल की झनझनाहट गूंज रही थी, बस शुक्र यही था कि मेरी सास सो रही थीं. मेरा नीचे का सारा हिस्सा जेठ जी ने हिला कर रख दिया था.
तभी उनके चूतड़ों की रफ़्तार अचानक काफी बढ़ गयी.
मेरे हलक से मजे और मीठे दर्द के कारण हिचकियां निकलने लगीं और कुछ ही सेकंड बाद जेठ जी के गले से सांड की तरह आवाज निकलने लगी.
मेरी चूत में उनके लंड की गर्म गर्म धारें पड़ने लगीं.
आनन्द के मारे मेरा बुरा हाल था. मेरी बच्चेदानी में मुँह पर जेठ जी के लंड ने करीब 9-10 बार रह रह कर धारें मारीं और वो मेरी छाती के ऊपर फैलते चले गए.
दो तीन मिनट तक हम दोनों जेठ बहू ऐसे ही पड़े रहे.
अब मेरे कानों में टीन पर बारिश के गिरते पानी की आवाजें आने लगी थीं.
मैं जैसे ही सचेत हुई, मैंने उन्हें कहा- जेठ जी जल्दी उठो न … मां जी कभी भी आ सकती हैं.
उन्होंने तभी बेडस्विच दबा दिया और नाईट बल्ब जल उठा. फिर जैसे ही उन्होंने अपना मोटा, पर मुरझाया लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, उनकी मर्दानगी देख कर मैं मस्त हो गयी. क्योंकि लंड भी उन्होंने लगभग खींच कर ही निकाला था.
वाह क्या गजब की मोटाई थी, करीब सवा दो इंच मोटा लंड मेरी चूत की सैर करके बाहर आ गया था.
अभी मुरझाई हालत में भी उनका लंड लगभग साढ़े छह इंच का था.
इसका मतलब जेठ जी का लंड करीब सात साढ़े सात इंच लम्बा था.
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- बहू, तू तो बहुत मस्त है री … तेरी चूत ने तो मेरे जैसे पहलवान का भी पानी सोख लिया.
जेठ जी ने कहा- बहू. आज पूर्णिमा की रात है … और तू जवान है. मैंने इससे पहले कभी किसी परायी स्त्री की तरफ नजर उठा कर नहीं देखा. अब तू समझ कि नौ महीने बाद सवा शर्तिया मां बन जाएगी. आगे मिलने की तेरी इच्छा पर है. तेरा पति अभिषेक शायद लायक नहीं है.
मैं चुप रही, वो शायद मेरे मन की बात समझ चुके थे.
मुझे दुबारा चुदने के लिए भी उन्होंने मेरे ऊपर ही छोड़ दिया था.
मैंने शर्म के मारे अपनी कुहनी से आंखें ढक ली.
पर उन्होंने कहा- तू शरमा क्यों रही है, हम दोनों तो इस बिस्तर पर आज की रात के साथी हैं.
जब जब वो अपने मजबूत चूतड़ों के दबाव से मेरी चूत में धक्के मार रहे थे, तो मेरी बच्चेदानी सहम कर रह जाती थी.
मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरे जेठ का लंड इतना मोटा और कड़क होगा.
कुछ ही पलों बाद मेरी टांगें हवा में उठ गईं और बहू सेक्स के लिए उन्हें अपने अन्दर आने के लिए खुद से कोशिश करने लगी.
अब मेरी चूत और उनके लंड के मिलन की फक फक फक की आवाजें आ रही थीं. मेरी चूत ने झाग उगलना शुरू कर दिया था. मेरी जांघें ऊपर उठ गयी थीं.
जेठ जी मस्ती में आकर मेरी हवा में उठी हुई मेरी टांगों के तलुवे चाटने लगे.
मेरे पति ने आज तक कभी भी मेरे तलुवे कभी नहीं चाटे थे क्योंकि वो दस बारह धक्के पेल कर झड़ जाते थे.
पर इधर तो जेठ जी ने मेरी हवा निकाल कर रख दी थी.
मैंने अपनी जांघ के नीचे से दायां हाथ निकाल कर उनका लंड पकड़ने की कोशिश की, पर वो मेरी मुट्ठी में नहीं आ सका.
तब उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- बहू, इसकी मोटाई नाप कर क्या करेगी, बस मजे लेती रह!
मैं शर्म के मारे पानी पानी हो गयी.
पर कमरे में घोर अंधेरा था तो मेरी हिम्मत बनी रही.
मेरी नन्ही सी चूत में जेठ जी का मोटा गुल्ला लगातार मार कर रहा था.
दस बारह मिनट से मेरी जम कर चुदाई हो रही थी. ऐसा मजा शादी के बाद मैंने पहली बार लिया था.
कमरे में मेरे पैरों की पायल की झनझनाहट गूंज रही थी, बस शुक्र यही था कि मेरी सास सो रही थीं. मेरा नीचे का सारा हिस्सा जेठ जी ने हिला कर रख दिया था.
तभी उनके चूतड़ों की रफ़्तार अचानक काफी बढ़ गयी.
मेरे हलक से मजे और मीठे दर्द के कारण हिचकियां निकलने लगीं और कुछ ही सेकंड बाद जेठ जी के गले से सांड की तरह आवाज निकलने लगी.
मेरी चूत में उनके लंड की गर्म गर्म धारें पड़ने लगीं.
आनन्द के मारे मेरा बुरा हाल था. मेरी बच्चेदानी में मुँह पर जेठ जी के लंड ने करीब 9-10 बार रह रह कर धारें मारीं और वो मेरी छाती के ऊपर फैलते चले गए.
दो तीन मिनट तक हम दोनों जेठ बहू ऐसे ही पड़े रहे.
अब मेरे कानों में टीन पर बारिश के गिरते पानी की आवाजें आने लगी थीं.
मैं जैसे ही सचेत हुई, मैंने उन्हें कहा- जेठ जी जल्दी उठो न … मां जी कभी भी आ सकती हैं.
उन्होंने तभी बेडस्विच दबा दिया और नाईट बल्ब जल उठा. फिर जैसे ही उन्होंने अपना मोटा, पर मुरझाया लंड मेरी चूत से बाहर निकाला, उनकी मर्दानगी देख कर मैं मस्त हो गयी. क्योंकि लंड भी उन्होंने लगभग खींच कर ही निकाला था.
वाह क्या गजब की मोटाई थी, करीब सवा दो इंच मोटा लंड मेरी चूत की सैर करके बाहर आ गया था.
अभी मुरझाई हालत में भी उनका लंड लगभग साढ़े छह इंच का था.
इसका मतलब जेठ जी का लंड करीब सात साढ़े सात इंच लम्बा था.
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- बहू, तू तो बहुत मस्त है री … तेरी चूत ने तो मेरे जैसे पहलवान का भी पानी सोख लिया.
जेठ जी ने कहा- बहू. आज पूर्णिमा की रात है … और तू जवान है. मैंने इससे पहले कभी किसी परायी स्त्री की तरफ नजर उठा कर नहीं देखा. अब तू समझ कि नौ महीने बाद सवा शर्तिया मां बन जाएगी. आगे मिलने की तेरी इच्छा पर है. तेरा पति अभिषेक शायद लायक नहीं है.
मैं चुप रही, वो शायद मेरे मन की बात समझ चुके थे.
मुझे दुबारा चुदने के लिए भी उन्होंने मेरे ऊपर ही छोड़ दिया था.
मैंने शर्म के मारे अपनी कुहनी से आंखें ढक ली.
पर उन्होंने कहा- तू शरमा क्यों रही है, हम दोनों तो इस बिस्तर पर आज की रात के साथी हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.