20-06-2022, 02:46 PM
ने धीरे धीरे आशी की टॉप ऊपर सरका दी. अब उसका पेट नंगा हो गया था.
वाह … क्या गजब की नाभि थी उसकी!
मैंने उसकी नाभि पर चुम्बन किया और साथ ही साथ उसका टॉप पूरा उतार दिया. उसने अंदर से कुछ नहीं पहना था, उसकी छोटी छोटी और गोल गोल चूची बहुत आकर्षक और सेक्सी थी.
अब मैं आशी की कसी हुई चूची चूस रही थी जिसकी वजह से आशी कामुकता से भरी आहें भरने लग गयी थी.
आशी ऊपर से नंगी थी. फिर मैं आशी की स्कर्ट ऐसे ही ऊपर उठा कर उसकी पेंटी साइड में सरका कर उसकी अनछुई बुर सहलाने लग गयी. अब मैंने आशी को बिस्तर पर लिटा कर उसकी स्कर्ट का हुक खोल कर उसे पूरा उतार दिया.
फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी. अब आशी बिल्कुल नंगी थी.
क्या गजब का जिस्म था उसका … हुस्न की रानी … कसा हुआ जिस्म और टाइट कुंवारी बुर!
अब मैं थोड़ा बॉडी लोशन लगा कर आशी की अनचुदी बुर में उंगली अंदर बाहर कर रही थी. अब आशी भी बहुत मजे ले रही थी. उसकी वासना उफान लेने लगी थी.
मैं उसकी कुंवारी बुर में उंगली किये जा रही थी और उसके मक्खन जैसे रसीले ओंठ चूस रही थी.
अब वो पूरी तरह से गर्म हो गयी और कहने लगी- आंटी मेरी बुर में जैसे आग लगी हुई है. इसको कुछ चाहिए.
मैंने उससे कहा- गर्म बुर की आग तो लंड इसमें घुस कर बुझती है.
“तो आंटी … इसमें लंड घुसो ना!”
मैं बोली- अभी लंड कहाँ से लाऊं मैं?
तो आशी कहने लगी- आंटी, जो मर्जी करो पर लंड डलवाओ मेरी बुर में … आपने ही इसमें आग लगायी है, आप ही इसे शांत करोगी.
वाह … क्या गजब की नाभि थी उसकी!
मैंने उसकी नाभि पर चुम्बन किया और साथ ही साथ उसका टॉप पूरा उतार दिया. उसने अंदर से कुछ नहीं पहना था, उसकी छोटी छोटी और गोल गोल चूची बहुत आकर्षक और सेक्सी थी.
अब मैं आशी की कसी हुई चूची चूस रही थी जिसकी वजह से आशी कामुकता से भरी आहें भरने लग गयी थी.
आशी ऊपर से नंगी थी. फिर मैं आशी की स्कर्ट ऐसे ही ऊपर उठा कर उसकी पेंटी साइड में सरका कर उसकी अनछुई बुर सहलाने लग गयी. अब मैंने आशी को बिस्तर पर लिटा कर उसकी स्कर्ट का हुक खोल कर उसे पूरा उतार दिया.
फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी. अब आशी बिल्कुल नंगी थी.
क्या गजब का जिस्म था उसका … हुस्न की रानी … कसा हुआ जिस्म और टाइट कुंवारी बुर!
अब मैं थोड़ा बॉडी लोशन लगा कर आशी की अनचुदी बुर में उंगली अंदर बाहर कर रही थी. अब आशी भी बहुत मजे ले रही थी. उसकी वासना उफान लेने लगी थी.
मैं उसकी कुंवारी बुर में उंगली किये जा रही थी और उसके मक्खन जैसे रसीले ओंठ चूस रही थी.
अब वो पूरी तरह से गर्म हो गयी और कहने लगी- आंटी मेरी बुर में जैसे आग लगी हुई है. इसको कुछ चाहिए.
मैंने उससे कहा- गर्म बुर की आग तो लंड इसमें घुस कर बुझती है.
“तो आंटी … इसमें लंड घुसो ना!”
मैं बोली- अभी लंड कहाँ से लाऊं मैं?
तो आशी कहने लगी- आंटी, जो मर्जी करो पर लंड डलवाओ मेरी बुर में … आपने ही इसमें आग लगायी है, आप ही इसे शांत करोगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.