20-06-2022, 02:45 PM
एक दिन मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे चोदते चोदते कहा- बहुत दिन हो गये यार तेरी चूत के अलावा कोई दूसरी चूत के मजे नहीं लिए.
मैंने कहा- यार अभी एक महीना पहले ही तो तुमने मेरी मम्मी को चोदा था.
तो उन्होंने कहा- इस बात को एक महीना हो गया यार.
बातों बातों में उन्होंने कहा- यार, अपनी सास की चूत ही दिला दे.
तो मैंने कहा- उनके साथ तुम्हें मजा नहीं आएगा. वो 55 साल बुड्ढी हो गयी हैं.
उन्होंने कहा- तो क्या … बस चूत नयी चाहिए.
तो मैंने भी फटाक से कह दिया- तुम्हारी बेटी भी चुदने लायक हो गयी है और सील पैक चूत है, उसे चोदो … मजा आएगा.
उन्होंने कहा- पागल हो गयी क्या तू? वो बेटी है.
मैंने कहा- बस चूत से मतलब रखो. और घर की बात घर में रह जाएगी.
फिर वो कहने लगे- तू ठीक ही कह रही है … मैं नहीं चोदुंगा उसे तो अपने यार बना कर उससे चुदवायेगी. लेकिन शुरू कैसे करूँ? वो मानेगी नहीं.
मैंने कहा- मुझ पर छोड़ दो, मैं उसे मना लूंगी.
फिर वो दिन आ गया … मैंने उस दिन आशी को अपने घर पर बुलाया.
शाम को 7 बजे के करीब वो आ गयी.
थोड़ी देर बात करने के बाद उसने कहा- आंटी, मुझे आपका लेपटोप यूज़ करना है.
मैंने कहा- जाओ, मेरे कमरे में है.
मैंने पहले से ही लेपटोप पर ब्लू फिल्म चला रखी थी. वो देखते ही चौंक गयी. उस समय फिल्म में वो आदमी चूत चाट रहा था.
आशी थोड़ी देर तक देखने के बाद बोली- आंटी के साथ ये सर क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- ये जीवन का सबसे बड़ा आनन्द ले रहे हैं … जो सभी लेते हैं.
आशी ने कहा- मैंने तो नहीं लिया ऐसा आनंद?
फिर मैंने उससे कहा- मैं तुझे ऐसा आनंद दे सकती हूँ और जीवन भर याद रखेगी.
मैं भी लड़की और वो भी लड़की … इसी वजह से उसे शर्म कम लगी. मगर फिर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी.
तो फिर मैं उसके करीब गयी और एक हाथ से उसकी एक चूची और दूसरे साथ से उसकी कमर सहलाने लगी. और उसके बाद उसके ओंठों से अपने ओंठ मिलाकर रस पान करने लगी.
आशी कुछ नहीं बोली और मेरा साथ देने लगी.
मैं कुछ देर तक ऐसा ही करती रही. उस दिन उसने गुलाबी स्कर्ट और सफ़ेद टॉप पहन रखी थी और मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
मैंने कहा- यार अभी एक महीना पहले ही तो तुमने मेरी मम्मी को चोदा था.
तो उन्होंने कहा- इस बात को एक महीना हो गया यार.
बातों बातों में उन्होंने कहा- यार, अपनी सास की चूत ही दिला दे.
तो मैंने कहा- उनके साथ तुम्हें मजा नहीं आएगा. वो 55 साल बुड्ढी हो गयी हैं.
उन्होंने कहा- तो क्या … बस चूत नयी चाहिए.
तो मैंने भी फटाक से कह दिया- तुम्हारी बेटी भी चुदने लायक हो गयी है और सील पैक चूत है, उसे चोदो … मजा आएगा.
उन्होंने कहा- पागल हो गयी क्या तू? वो बेटी है.
मैंने कहा- बस चूत से मतलब रखो. और घर की बात घर में रह जाएगी.
फिर वो कहने लगे- तू ठीक ही कह रही है … मैं नहीं चोदुंगा उसे तो अपने यार बना कर उससे चुदवायेगी. लेकिन शुरू कैसे करूँ? वो मानेगी नहीं.
मैंने कहा- मुझ पर छोड़ दो, मैं उसे मना लूंगी.
फिर वो दिन आ गया … मैंने उस दिन आशी को अपने घर पर बुलाया.
शाम को 7 बजे के करीब वो आ गयी.
थोड़ी देर बात करने के बाद उसने कहा- आंटी, मुझे आपका लेपटोप यूज़ करना है.
मैंने कहा- जाओ, मेरे कमरे में है.
मैंने पहले से ही लेपटोप पर ब्लू फिल्म चला रखी थी. वो देखते ही चौंक गयी. उस समय फिल्म में वो आदमी चूत चाट रहा था.
आशी थोड़ी देर तक देखने के बाद बोली- आंटी के साथ ये सर क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- ये जीवन का सबसे बड़ा आनन्द ले रहे हैं … जो सभी लेते हैं.
आशी ने कहा- मैंने तो नहीं लिया ऐसा आनंद?
फिर मैंने उससे कहा- मैं तुझे ऐसा आनंद दे सकती हूँ और जीवन भर याद रखेगी.
मैं भी लड़की और वो भी लड़की … इसी वजह से उसे शर्म कम लगी. मगर फिर भी कुछ नहीं बोल पा रही थी.
तो फिर मैं उसके करीब गयी और एक हाथ से उसकी एक चूची और दूसरे साथ से उसकी कमर सहलाने लगी. और उसके बाद उसके ओंठों से अपने ओंठ मिलाकर रस पान करने लगी.
आशी कुछ नहीं बोली और मेरा साथ देने लगी.
मैं कुछ देर तक ऐसा ही करती रही. उस दिन उसने गुलाबी स्कर्ट और सफ़ेद टॉप पहन रखी थी और मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.