20-06-2022, 12:09 PM
मेरे परिवार में 6 लोग हैं- मेरी अम्मी, अब्बू, हम दो भाई और दो बहन. मेरी दोनों बहनें हम दोनों भाइयों से बड़ी हैं. मेरी सबसे बड़ी बहन का नाम आफरीन है. यहां पर मैं नाम बदल कर लिख रहा हूं.
यह बात उस वक्त की है जब मेरी बाजी कॉलेज में थी. गांव से 40 किलोमीटर दूर हम एक छोटे से शहर में रह रहे थे. वहीं पर चारों की शिक्षा चल रही थी.
उन दिनों मामूजान के लड़के की सगाई की बात हो रही थी. उनकी सगाई फिक्स हो चुकी थी और मामूजान के घर में उसी की तैयारियां चल रही थीं. हम सब लोग मामूजान के घर जाने की तैयारी कर रहे थे.
मगर बड़ी बाजी के इम्तिहान आने वाले थे. उसने जाने से मना कर दिया. इधर अब्बू को भी अचानक कारोबार के काम से बाहर जाना पड़ रहा था.
मेरी अम्मी ने मुझसे कहा- नियाज, तू भी अपनी बाजी के पास यहीं रुक जा. तेरे अब्बू तो घर में रहेंगे नहीं, इसलिए बाजी अकेली रह जायेगी.
अम्मी की बात मान कर मैं रुक गया और बाकी लोग मामूजान के घर चले गये.
पहले दिन तो हम भाई-बहन ने काफी सारी मस्ती की. खूब मजा किया. सब कुछ आराम से हो रहा था.
अगले दिन मैं और बाजी पढ़ने के लिए चले गये. फिर हम घर लौटे और दोपहर बाद का खाना खाकर सो गये. शाम को जब मैं उठा तो देखा कि बाजी कुछ काम करने में लगी हुई थी. मैं फिर खेलने के लिए चला गया.
फिर वहां से आने के बाद मैं टीवी देखने लगा. बाजी ने खाना बना दिया था. हम दोनों ने साथ में मिल कर रात का खाना खाया और फिर हमने कुछ देर साथ में टीवी देखा. उसके बाद हम दोनों सो गये.
रात के करीब 12 बजे बेल बजी. मेरी आंख खुल गई और मैंने बाजी को भी जगा दिया. हम दोनों घर में अकेले थे इसलिए थोड़ा डर भी लग रहा था. दरवाजे के पास आकर हमने पूछा कि बाहर कौन है?
बाहर से अब्बू की आवाज आई. फिर बाजी ने दरवाजा खोल दिया.
अब्बू अंदर आ गये और बाजी उनके लिये खाना गर्म करने लगी तो अब्बू ने मना कर दिया, वो बोले कि वो क्लाइंट के साथ ही बाहर खाकर आये हैं.
फिर अब्बू ने बाजी से कहा कि उनके रात के कपड़े निकाल दे.
अब्बू नहाने के लिए वॉशरूम में चले गये. मैंने देखा कि अब्बू की चाल कुछ बदली हुई सी लग रही थी. उनसे ठीक से चला नहीं जा रहा था. मुझे लगा कि शायद अब्बू पैग लगा कर आये थे. बाजी उनके कपड़े लेकर बाथरूम के पास चली गई और पूछने लगी कि कपड़े कहां रखने हैं.
तभी अब्बू तौलिया लपेट कर बाहर आ गये. उन्होंने बाजी के हाथ से कपड़े लिये और तौलिया लपेटे हुए अपनी लोअर को डालने लगे. वो बेड के पास खड़े होकर कपड़े पहन रहे थे.
जैसे ही अब्बू ने एक टांग उठाई तो गीला होने की वजह से उनका पैर फर्श पर फिसल गया और वो नीचे गिर गये.
यह बात उस वक्त की है जब मेरी बाजी कॉलेज में थी. गांव से 40 किलोमीटर दूर हम एक छोटे से शहर में रह रहे थे. वहीं पर चारों की शिक्षा चल रही थी.
उन दिनों मामूजान के लड़के की सगाई की बात हो रही थी. उनकी सगाई फिक्स हो चुकी थी और मामूजान के घर में उसी की तैयारियां चल रही थीं. हम सब लोग मामूजान के घर जाने की तैयारी कर रहे थे.
मगर बड़ी बाजी के इम्तिहान आने वाले थे. उसने जाने से मना कर दिया. इधर अब्बू को भी अचानक कारोबार के काम से बाहर जाना पड़ रहा था.
मेरी अम्मी ने मुझसे कहा- नियाज, तू भी अपनी बाजी के पास यहीं रुक जा. तेरे अब्बू तो घर में रहेंगे नहीं, इसलिए बाजी अकेली रह जायेगी.
अम्मी की बात मान कर मैं रुक गया और बाकी लोग मामूजान के घर चले गये.
पहले दिन तो हम भाई-बहन ने काफी सारी मस्ती की. खूब मजा किया. सब कुछ आराम से हो रहा था.
अगले दिन मैं और बाजी पढ़ने के लिए चले गये. फिर हम घर लौटे और दोपहर बाद का खाना खाकर सो गये. शाम को जब मैं उठा तो देखा कि बाजी कुछ काम करने में लगी हुई थी. मैं फिर खेलने के लिए चला गया.
फिर वहां से आने के बाद मैं टीवी देखने लगा. बाजी ने खाना बना दिया था. हम दोनों ने साथ में मिल कर रात का खाना खाया और फिर हमने कुछ देर साथ में टीवी देखा. उसके बाद हम दोनों सो गये.
रात के करीब 12 बजे बेल बजी. मेरी आंख खुल गई और मैंने बाजी को भी जगा दिया. हम दोनों घर में अकेले थे इसलिए थोड़ा डर भी लग रहा था. दरवाजे के पास आकर हमने पूछा कि बाहर कौन है?
बाहर से अब्बू की आवाज आई. फिर बाजी ने दरवाजा खोल दिया.
अब्बू अंदर आ गये और बाजी उनके लिये खाना गर्म करने लगी तो अब्बू ने मना कर दिया, वो बोले कि वो क्लाइंट के साथ ही बाहर खाकर आये हैं.
फिर अब्बू ने बाजी से कहा कि उनके रात के कपड़े निकाल दे.
अब्बू नहाने के लिए वॉशरूम में चले गये. मैंने देखा कि अब्बू की चाल कुछ बदली हुई सी लग रही थी. उनसे ठीक से चला नहीं जा रहा था. मुझे लगा कि शायद अब्बू पैग लगा कर आये थे. बाजी उनके कपड़े लेकर बाथरूम के पास चली गई और पूछने लगी कि कपड़े कहां रखने हैं.
तभी अब्बू तौलिया लपेट कर बाहर आ गये. उन्होंने बाजी के हाथ से कपड़े लिये और तौलिया लपेटे हुए अपनी लोअर को डालने लगे. वो बेड के पास खड़े होकर कपड़े पहन रहे थे.
जैसे ही अब्बू ने एक टांग उठाई तो गीला होने की वजह से उनका पैर फर्श पर फिसल गया और वो नीचे गिर गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.