20-06-2022, 12:05 PM
अब दीदी के सहने की सीमा पार हो गयी थी, वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं- पापा, प्लीज धीरे करो. जलन हो रही है … चूत में ऐसे लग रहा है कि नीचे से आग निकल रही हो .. पापा दर्द हो रहा है, प्लीज धीरे धीरे करो आह.
पापा का पूरा वजन उन पर था और वो अपने दोनों हाथों से दीदी की कमर को पकड़े हुए थे, जिसके कारण वो जोर नहीं लगा पा रही थीं.
दीदी पापा को गालियां देने लगीं- मादरचोद … भड़वे … साले … मैं रंडी नहीं हूं भोसड़ी के … मां चोद रहे हो अपनी भोसड़ी के … धीरे धीरे कर लो … समझ ही नहीं रहा है कुत्ता … तुमको तो अपनी बहन चुदवानी है भोसड़ी के … जो तेज़ पेल रहा है कमीने … रुक जा हरामी … अभी मेरी बुर बहुत छोटी है … आराम से चोद … आंह.
पापा पर कुछ असर नहीं हो रहा था. उन्होंने गोली ली हुई थी. ये उसी का कमाल था कि वो सांड की तरह अपने बेटी को चोद रहे थे.
दीदी तो इतनी देर में तीन बार झड़ चुकी थीं लेकिन पापा अभी लगे हुए थे.
कुछ देर बाद उन्होंने दीदी को पलट कर सीधा किया, तकिया हटाया और चूत पर लंड रख कर झटके से घुसा दिया.
फिर अपने पुराने अवतार में चुदाई शुरू कर दी.
दीदी चिल्ला रही थीं- साले धीरे चोद मादरचोद … मेरी चूत का भुर्ता बना देगा क्या आज … आंह आई उइ उइ मम्मी रे मर गई. आंह मम्मी कैसे झेलती हो इस सांड को … आंह.
करीब 15 मिनट पापा ने दीदी को और चोदा और उनकी चुत में ही डिस्चार्ज हो गए.
पापा झड़ कर लेट गए और सो गए.
इस तरह से बाप बेटी चुदाई हुई.
सुबह जब मैं उठा तो दीदी उठ चुकी थीं और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गयी थीं.
लेकिन बाथरूम में कुंडी नहीं थी जिसके कारण पापा भी अन्दर घुस गए और चोदम चोदी हुई.
दीदी की कुछ आवाज नहीं आ रही थी और कुछ दिखायी भी नहीं दे रहा था.
सिर्फ ये पता है कि चुदाई हुई.
उसके बाद पापा दीदी के साथ नहा कर निकले और तैयार होकर कहीं चले गए.
जाते समय बोले- शाम को जब आएंगे … तब घर चलेंगे.
दीदी सही से नहीं चल पा रही थीं, वो लंगड़ा कर चल रही थीं.
मैंने पूछा- लंगड़ा क्यों रही हो?
दीदी बोलीं- रात में बाथरूम में गिर गयी थी.
मैं बोला- और जो चुदाई हुई रात में, जिसमें आप इतनी जोर जोर से चिल्ला रही थीं, वो क्या था?
दीदी का चेहरे पर मुस्कान आ गई.
वो बोलीं- तू तो सब जानता है. तुझे मेरी चुदाई का सब पता है, तुझसे क्या छुपाना. चल तू भी आ जा.
ये बोल कर दीदी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.
दीदी की चूत एकदम गोरी और लाल थी और फुलके की तरह फूल कर सूज गयी थी.
एकदम पाव रोटी सी लग रही थी.
मैंने भी दीदी की चुत में मुँह लगा दिया और थोड़ी देर चूस कर मजा लिया.
उसके बाद दीदी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड पर चूत रगड़ने लगीं.
मेरे लंड ने दीदी की चुत में घुस कर मुआयना किया.
थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और दीदी का भी.
उसके बाद हमने खाना मंगवाया और बातें करने लगे.
दीदी बोलीं- मम्मी को मत बताना.
मैंने कहा- आज तक कभी बताया है … अगर तुम्हारी चुदाई की कहानी मम्मी को बताऊं, तो पूरी एक किताब छप जाएगी.
दीदी हंसने लगीं और मुझे अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेट गईं.
मैं फिर से अपनी दीदी की चुत चुदाई में लग गया.
पापा का पूरा वजन उन पर था और वो अपने दोनों हाथों से दीदी की कमर को पकड़े हुए थे, जिसके कारण वो जोर नहीं लगा पा रही थीं.
दीदी पापा को गालियां देने लगीं- मादरचोद … भड़वे … साले … मैं रंडी नहीं हूं भोसड़ी के … मां चोद रहे हो अपनी भोसड़ी के … धीरे धीरे कर लो … समझ ही नहीं रहा है कुत्ता … तुमको तो अपनी बहन चुदवानी है भोसड़ी के … जो तेज़ पेल रहा है कमीने … रुक जा हरामी … अभी मेरी बुर बहुत छोटी है … आराम से चोद … आंह.
पापा पर कुछ असर नहीं हो रहा था. उन्होंने गोली ली हुई थी. ये उसी का कमाल था कि वो सांड की तरह अपने बेटी को चोद रहे थे.
दीदी तो इतनी देर में तीन बार झड़ चुकी थीं लेकिन पापा अभी लगे हुए थे.
कुछ देर बाद उन्होंने दीदी को पलट कर सीधा किया, तकिया हटाया और चूत पर लंड रख कर झटके से घुसा दिया.
फिर अपने पुराने अवतार में चुदाई शुरू कर दी.
दीदी चिल्ला रही थीं- साले धीरे चोद मादरचोद … मेरी चूत का भुर्ता बना देगा क्या आज … आंह आई उइ उइ मम्मी रे मर गई. आंह मम्मी कैसे झेलती हो इस सांड को … आंह.
करीब 15 मिनट पापा ने दीदी को और चोदा और उनकी चुत में ही डिस्चार्ज हो गए.
पापा झड़ कर लेट गए और सो गए.
इस तरह से बाप बेटी चुदाई हुई.
सुबह जब मैं उठा तो दीदी उठ चुकी थीं और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गयी थीं.
लेकिन बाथरूम में कुंडी नहीं थी जिसके कारण पापा भी अन्दर घुस गए और चोदम चोदी हुई.
दीदी की कुछ आवाज नहीं आ रही थी और कुछ दिखायी भी नहीं दे रहा था.
सिर्फ ये पता है कि चुदाई हुई.
उसके बाद पापा दीदी के साथ नहा कर निकले और तैयार होकर कहीं चले गए.
जाते समय बोले- शाम को जब आएंगे … तब घर चलेंगे.
दीदी सही से नहीं चल पा रही थीं, वो लंगड़ा कर चल रही थीं.
मैंने पूछा- लंगड़ा क्यों रही हो?
दीदी बोलीं- रात में बाथरूम में गिर गयी थी.
मैं बोला- और जो चुदाई हुई रात में, जिसमें आप इतनी जोर जोर से चिल्ला रही थीं, वो क्या था?
दीदी का चेहरे पर मुस्कान आ गई.
वो बोलीं- तू तो सब जानता है. तुझे मेरी चुदाई का सब पता है, तुझसे क्या छुपाना. चल तू भी आ जा.
ये बोल कर दीदी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.
दीदी की चूत एकदम गोरी और लाल थी और फुलके की तरह फूल कर सूज गयी थी.
एकदम पाव रोटी सी लग रही थी.
मैंने भी दीदी की चुत में मुँह लगा दिया और थोड़ी देर चूस कर मजा लिया.
उसके बाद दीदी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड पर चूत रगड़ने लगीं.
मेरे लंड ने दीदी की चुत में घुस कर मुआयना किया.
थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और दीदी का भी.
उसके बाद हमने खाना मंगवाया और बातें करने लगे.
दीदी बोलीं- मम्मी को मत बताना.
मैंने कहा- आज तक कभी बताया है … अगर तुम्हारी चुदाई की कहानी मम्मी को बताऊं, तो पूरी एक किताब छप जाएगी.
दीदी हंसने लगीं और मुझे अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेट गईं.
मैं फिर से अपनी दीदी की चुत चुदाई में लग गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.