20-06-2022, 12:03 PM
हुआ कुछ यूं कि दीदी बहुत गुस्सा करती थीं, इसके लिए उनको एक पंडित के पास ले जाकर पूजा करवानी थी.
मम्मी को कुछ काम था इसलिए मम्मी उनके साथ बाराबंकी नहीं जा सकती थीं.
इसलिए ये तय हुआ कि मैं, दीदी और पापा जाएंगे.
अब आप लोगों को ये बता दूं कि मम्मी का मुझे भेजने के पीछे केवल एक कारण था कि पापा दीदी के साथ कुछ ऐसा वैसा न करें.
क्योंकि मम्मी पापा की हरकतों से वाकिफ़ हैं.
हमारे पापा सौतेले हैं. हमारे सगे पापा के असमय देहावसान के बाद मम्मी की दूसरी शादी पापा के एक चचेरे भाई से हो गयी थी जो बिगड़े हुए थे.
लेकिन मम्मी को ये नहीं पता कि मैं कुछ उनको बताऊंगा ही नहीं.
मम्मी को मुझ पर बहुत विश्वास था. मैं छोटा था, लेकिन पापा मुझे पैसे दे देते और बोलते कि मम्मी को मत बताना.
पैसे पाने और घूमने की वजह से मैं मम्मी को कुछ नहीं बताता था लेकिन देखता सब था … और मुझे पता भी था कि क्या हो रहा है.
इससे पहले दीदी को गर्म करके हम लोग (मैं और छोटा भाई) चोद देते थे.
दीदी नानुकुर करतीं तब भी हम दोनों उन्हें चूत में दो मिनट उंगली कर देते और चूत जब गीली हो जाती, तो समझो काम हो गया.
इसके बाद दीदी खुद लंड के ऊपर चढ़ कर हम लोगों के लंड को बारी बारी से चूत के अन्दर ले लेती थीं और चुदाई शुरू हो जाती.
इसलिए मैं कह रहा हूँ कि मेरी दीदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं, उनको चोदना बहुत आसान है.
तो कहानी कुछ ऐसी है कि हम लोगों को एक पूजा करवानी थी और उधर ही रुकना भी था.
पापा के एक दोस्त के यहां रुकना तय हुआ था.
हम लोग सब तय करके अपनी कार से बाराबंकी के लिए निकल गए.
एक घंटे में बाराबंकी पहुंच गए.
पापा ने उधर दोस्त के घर न रुक कर एक होटल में दो सिंगल बेड वाला रूम ले लिया और हम लोगों से बोले- मुझे कुछ काम है. मैं अभी आऊंगा, तब चलेंगे. तुम दोनों को जो खाना हो, मंगवा कर खा लेना.
पापा चले गए.
उन्हें आते आते रात हो गयी.
जब वो आए, तब मुझे बाहर ले कर गए और बोले- रात में उठना मत. ये लो सौ रुपए रख लो.
उन्होंने मुझे सौ रूपए दे दिए.
फिर सब लोग नीचे रेस्तरां में गए.
उधर चिली पनीर और नॉन आदि खाया और रूम में चले आए.
उसके बाद पापा बोले- आज पंडित जी हैं नहीं … इसलिए पूजा कल होगी.
उस टाइम घर पर केवल एक ही फ़ोन था, वो पापा के पास था. उसी से बात की जा सकती थी. मम्मी से बात घर जाकर ही हो सकती थी.
मैं और पापा एक बेड पर और दीदी अलग बेड पर थीं. कमरे की लाइट जल रही थी और सब सोने लगे.
पापा को तो आज दीदी की चुदाई करनी थी, वो भी ढंग से … इसी लिए होटल में रुके थे, जिससे कोई डर न रहे.
मुझे तो पापा झांट बराबर भी नहीं समझते थे. वो जानते थे कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा इसलिए मुझे ही सब जगह दीदी के साथ ले जाते थे.
अब आधे घंटे बाद पापा उठे और दीदी के बेड पर चले गए और उनके बगल में लेट गए.
मम्मी को कुछ काम था इसलिए मम्मी उनके साथ बाराबंकी नहीं जा सकती थीं.
इसलिए ये तय हुआ कि मैं, दीदी और पापा जाएंगे.
अब आप लोगों को ये बता दूं कि मम्मी का मुझे भेजने के पीछे केवल एक कारण था कि पापा दीदी के साथ कुछ ऐसा वैसा न करें.
क्योंकि मम्मी पापा की हरकतों से वाकिफ़ हैं.
हमारे पापा सौतेले हैं. हमारे सगे पापा के असमय देहावसान के बाद मम्मी की दूसरी शादी पापा के एक चचेरे भाई से हो गयी थी जो बिगड़े हुए थे.
लेकिन मम्मी को ये नहीं पता कि मैं कुछ उनको बताऊंगा ही नहीं.
मम्मी को मुझ पर बहुत विश्वास था. मैं छोटा था, लेकिन पापा मुझे पैसे दे देते और बोलते कि मम्मी को मत बताना.
पैसे पाने और घूमने की वजह से मैं मम्मी को कुछ नहीं बताता था लेकिन देखता सब था … और मुझे पता भी था कि क्या हो रहा है.
इससे पहले दीदी को गर्म करके हम लोग (मैं और छोटा भाई) चोद देते थे.
दीदी नानुकुर करतीं तब भी हम दोनों उन्हें चूत में दो मिनट उंगली कर देते और चूत जब गीली हो जाती, तो समझो काम हो गया.
इसके बाद दीदी खुद लंड के ऊपर चढ़ कर हम लोगों के लंड को बारी बारी से चूत के अन्दर ले लेती थीं और चुदाई शुरू हो जाती.
इसलिए मैं कह रहा हूँ कि मेरी दीदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं, उनको चोदना बहुत आसान है.
तो कहानी कुछ ऐसी है कि हम लोगों को एक पूजा करवानी थी और उधर ही रुकना भी था.
पापा के एक दोस्त के यहां रुकना तय हुआ था.
हम लोग सब तय करके अपनी कार से बाराबंकी के लिए निकल गए.
एक घंटे में बाराबंकी पहुंच गए.
पापा ने उधर दोस्त के घर न रुक कर एक होटल में दो सिंगल बेड वाला रूम ले लिया और हम लोगों से बोले- मुझे कुछ काम है. मैं अभी आऊंगा, तब चलेंगे. तुम दोनों को जो खाना हो, मंगवा कर खा लेना.
पापा चले गए.
उन्हें आते आते रात हो गयी.
जब वो आए, तब मुझे बाहर ले कर गए और बोले- रात में उठना मत. ये लो सौ रुपए रख लो.
उन्होंने मुझे सौ रूपए दे दिए.
फिर सब लोग नीचे रेस्तरां में गए.
उधर चिली पनीर और नॉन आदि खाया और रूम में चले आए.
उसके बाद पापा बोले- आज पंडित जी हैं नहीं … इसलिए पूजा कल होगी.
उस टाइम घर पर केवल एक ही फ़ोन था, वो पापा के पास था. उसी से बात की जा सकती थी. मम्मी से बात घर जाकर ही हो सकती थी.
मैं और पापा एक बेड पर और दीदी अलग बेड पर थीं. कमरे की लाइट जल रही थी और सब सोने लगे.
पापा को तो आज दीदी की चुदाई करनी थी, वो भी ढंग से … इसी लिए होटल में रुके थे, जिससे कोई डर न रहे.
मुझे तो पापा झांट बराबर भी नहीं समझते थे. वो जानते थे कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा इसलिए मुझे ही सब जगह दीदी के साथ ले जाते थे.
अब आधे घंटे बाद पापा उठे और दीदी के बेड पर चले गए और उनके बगल में लेट गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.