20-06-2022, 12:10 AM
(This post was last modified: 20-06-2022, 11:49 AM by Hot_Guy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Part 33
काज़ी अब सोनाली के आगे उल्टा होकर खड़ा हो गया और उससे बोला : चल अब अपने होंठों से मेरे नितंबों को चूमना शुरू कर
यह कहने के साथ काज़ी ने अपने नितंबों को सोनाली के चेहरे से सटा दिया
ज़फर : जल्दी शुरू हो जा और काज़ी साहब को खुश करना शुरू कर। उसके बाद तुझे हैम लोगों से भी अपनी पाकीज़गी करानी है। हमारे पास टाइम कम है इसलिए फटाफट शुरू हो जा
सोनाली अपने होंठों को काज़ी के नितंबों पर रगड़ रगड़ कर उन्हें चूमने लगी।
असलम सोनाली के पीछे आकर उससे सटकर खड़ा होते हुए बोला : अब अपनी जीभ निकालकर उससे काज़ी साहब के नितम्बो को ठीक से चाटना शुरू कर। काज़ी साहब को पूरी तरह खुश कर। उन्हें जब तक भरपूर मज़ा नही आएगा, तेरी पाकीज़गी की रस्म पूरी नही होगी
सोनाली अब अपनी जीभ से काज़ी के दोनों नितंबों को चाट चाट कर उसकी मौज़ करा रही थी।
ज़फर : अपनी जीभ को दोनों नितंबों के बीच मे घुसाकर ठीक से चाट रंडी।
सोनाली जब तक काज़ी के नितंबों की चूमा चाटी कर रही थी, असलम और ज़फर अपनी टाँगों को उसकी पीठ पर रगड़ रगड़ कर उसके नंगे बदन के साथ खिलवाड़ करने में लग गए ।
सोनाली की चूमा चाटी से जब काज़ी का मन भर गया तो उसने कहा : अब असलम तुम इसकी पाकीज़गी करो
असलम ने अपने लण्ड को हाथ मे पकड़ा और पेशाब की तेज पिचकारी सोनाली की पीठ और गर्दन पर छोड़नी शुरू कर दी। असलम की पेशाब से सोनाली का बदन पीछे से पूरी तरह भीग गया
पेशाब से सोनाली के बदन के पिछले हिस्से को भिगोने के बाद असलम सोनाली के सामने आकर खड़ा हो गया और उससे बोला : मेरी जांघों को अपने होंठों से चूमना शुरू कर।
सोनाली ने असलम की जांघों को चूमना शुरू कर दिया। असलम की जांघों पर बाल ही बाल थे और उसके लण्ड के नीचे अंडकोषों के पास भी बालों के गुच्छे बने हुए थे जिनमें बहुत बदबू आ रही थी
ज़फर यह सब देख रहा था। वह सोनाली से बोला : जीभ से चाट चाट कर असलम की मौज़ करा। तेरी जीभ हर तरफ घूमनी चाहिए।
सोनाली की जीभ असलम की जांघों और उसके अंदरूनी हिस्सों में चूमा चाटी में लगी हुई थी। जिस जगह पर सोनाली अपनी जीभ फिराने में हिचकिचा रही थी, असलम उसके चेहरे को पकड़कर उससे जबरन वहां चटवा रहा था।
असलम ने जब सोनाली से जी भरकर मौज़ ले ली तो उसे छोड़ते हुए कहा : अब ज़फर तेरी पाकीज़गी करेंगे
ज़फर बिना किसी देरी के सोनाली के सामने आकर खड़ा हो गया और अपने लण्ड से पेशाब की धारा को उसके बदन पर इस तरह छोड़ने लगा मानो वह उसे नहला रहा हो। सोनाली के मम्मे, पेट और जाँघे सब ज़फर की पेशाब से भीग गयी थीं।
काज़ी और असलम ज़फर और सोनाली की इस पाकीज़गी को एकटक देख रहे थे।
ज़फर ने अपने लण्ड के निचले भाग को सोनाली के चेहरे पर रखकर उसे रगड़ना शुरू कर दिया। सोनाली के चेहरे को उसने अपने दोनों हाथों में पकड़ा हुआ था और उसे वह अपनी मर्ज़ी के हिसाब से अपनी जांघों पर रगड़वा कर मज़े ले रहा था।
ज़फर अचानक सोनाली से बोला : अपनी जीभ निकालकर चाटना शुरू कर
सोनाली की जीभ से वह अपने लण्ड, लण्ड के निचले भाग, अंडकोषों और जांघों के अंदरूनी भागों को चटवाने लगा। ज़फर ने अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा खोला और उससे बोला : अपनी जीभ को बीच मे घुसाकर चाटना शुरू कर अब।
जब सोनाली की चूमा चाटी से ज़फर की भी पूरी तसल्ली हो गई तो उसने उसे छोड़ दिया
काज़ी : अब शावर के नीचे खड़ी हो जा। हम सब मिलकर तेरे बदन को साफ करके उसे एकदम पाकीज़ा कर देंगे। ऐसा स्नान तूने आज से पहले कभी नही किया होगा।
सोनाली शावर के नीचे जाकर खड़ी हो गई। ज़फर से शावर चालू कर दिया।
शेष अगले भाग में
काज़ी अब सोनाली के आगे उल्टा होकर खड़ा हो गया और उससे बोला : चल अब अपने होंठों से मेरे नितंबों को चूमना शुरू कर
यह कहने के साथ काज़ी ने अपने नितंबों को सोनाली के चेहरे से सटा दिया
ज़फर : जल्दी शुरू हो जा और काज़ी साहब को खुश करना शुरू कर। उसके बाद तुझे हैम लोगों से भी अपनी पाकीज़गी करानी है। हमारे पास टाइम कम है इसलिए फटाफट शुरू हो जा
सोनाली अपने होंठों को काज़ी के नितंबों पर रगड़ रगड़ कर उन्हें चूमने लगी।
असलम सोनाली के पीछे आकर उससे सटकर खड़ा होते हुए बोला : अब अपनी जीभ निकालकर उससे काज़ी साहब के नितम्बो को ठीक से चाटना शुरू कर। काज़ी साहब को पूरी तरह खुश कर। उन्हें जब तक भरपूर मज़ा नही आएगा, तेरी पाकीज़गी की रस्म पूरी नही होगी
सोनाली अब अपनी जीभ से काज़ी के दोनों नितंबों को चाट चाट कर उसकी मौज़ करा रही थी।
ज़फर : अपनी जीभ को दोनों नितंबों के बीच मे घुसाकर ठीक से चाट रंडी।
सोनाली जब तक काज़ी के नितंबों की चूमा चाटी कर रही थी, असलम और ज़फर अपनी टाँगों को उसकी पीठ पर रगड़ रगड़ कर उसके नंगे बदन के साथ खिलवाड़ करने में लग गए ।
सोनाली की चूमा चाटी से जब काज़ी का मन भर गया तो उसने कहा : अब असलम तुम इसकी पाकीज़गी करो
असलम ने अपने लण्ड को हाथ मे पकड़ा और पेशाब की तेज पिचकारी सोनाली की पीठ और गर्दन पर छोड़नी शुरू कर दी। असलम की पेशाब से सोनाली का बदन पीछे से पूरी तरह भीग गया
पेशाब से सोनाली के बदन के पिछले हिस्से को भिगोने के बाद असलम सोनाली के सामने आकर खड़ा हो गया और उससे बोला : मेरी जांघों को अपने होंठों से चूमना शुरू कर।
सोनाली ने असलम की जांघों को चूमना शुरू कर दिया। असलम की जांघों पर बाल ही बाल थे और उसके लण्ड के नीचे अंडकोषों के पास भी बालों के गुच्छे बने हुए थे जिनमें बहुत बदबू आ रही थी
ज़फर यह सब देख रहा था। वह सोनाली से बोला : जीभ से चाट चाट कर असलम की मौज़ करा। तेरी जीभ हर तरफ घूमनी चाहिए।
सोनाली की जीभ असलम की जांघों और उसके अंदरूनी हिस्सों में चूमा चाटी में लगी हुई थी। जिस जगह पर सोनाली अपनी जीभ फिराने में हिचकिचा रही थी, असलम उसके चेहरे को पकड़कर उससे जबरन वहां चटवा रहा था।
असलम ने जब सोनाली से जी भरकर मौज़ ले ली तो उसे छोड़ते हुए कहा : अब ज़फर तेरी पाकीज़गी करेंगे
ज़फर बिना किसी देरी के सोनाली के सामने आकर खड़ा हो गया और अपने लण्ड से पेशाब की धारा को उसके बदन पर इस तरह छोड़ने लगा मानो वह उसे नहला रहा हो। सोनाली के मम्मे, पेट और जाँघे सब ज़फर की पेशाब से भीग गयी थीं।
काज़ी और असलम ज़फर और सोनाली की इस पाकीज़गी को एकटक देख रहे थे।
ज़फर ने अपने लण्ड के निचले भाग को सोनाली के चेहरे पर रखकर उसे रगड़ना शुरू कर दिया। सोनाली के चेहरे को उसने अपने दोनों हाथों में पकड़ा हुआ था और उसे वह अपनी मर्ज़ी के हिसाब से अपनी जांघों पर रगड़वा कर मज़े ले रहा था।
ज़फर अचानक सोनाली से बोला : अपनी जीभ निकालकर चाटना शुरू कर
सोनाली की जीभ से वह अपने लण्ड, लण्ड के निचले भाग, अंडकोषों और जांघों के अंदरूनी भागों को चटवाने लगा। ज़फर ने अपनी दोनों टाँगों को थोड़ा खोला और उससे बोला : अपनी जीभ को बीच मे घुसाकर चाटना शुरू कर अब।
जब सोनाली की चूमा चाटी से ज़फर की भी पूरी तसल्ली हो गई तो उसने उसे छोड़ दिया
काज़ी : अब शावर के नीचे खड़ी हो जा। हम सब मिलकर तेरे बदन को साफ करके उसे एकदम पाकीज़ा कर देंगे। ऐसा स्नान तूने आज से पहले कभी नही किया होगा।
सोनाली शावर के नीचे जाकर खड़ी हो गई। ज़फर से शावर चालू कर दिया।
शेष अगले भाग में
to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा