18-06-2022, 04:08 PM
हसीन परपुरुषगामिनी की ऐसी अश्लील बिनती सुनके महाबीर गिल हवस में एकदम अंधे बान गये। चरम वासना की ताप से उनकी खून खोलने लगा। उनकी चोदने की गति अपने आप तेज हो गई। अपनी भीमकाय लंड से उसकी व्यभिचारी चूत को वह बेरहमी से चोदने लगे। भयंकर तरीके से चोद चोद कर उसकी मखमली चूत को बिलकुल फाड़ दिये।
चोदते चोदते उनके मुँह से गाली निकाल गया, "हां हां साली! क्यूँ नहीं?तुजे में जरूर अपना बना लूंगा! तेरी पति एक नपुंसक है! उसको तुज जैसी चिकनी चमेली की कोई कदर नहीं! तेरी सेक्सी बदन की सही कीमत सिर्फ हम दे सकते है! तू जो चाहेगी, वही होगा! हम तुजे पालेंगे! तुज जैसी गरम रंड को कौन पालना नहीं चाहेगा? ऐसी गर्म चूत में कौन अपनी लंड डालना नहीं चाहेगा? तेरी भरी जवानी का लुफ्त उठाना नहीं चाहेगा? सब कुछ हम करेंगे! चिंता मत कर! तुजे ऐसा मजा देंगे की तू अपनी उस निकम्मे पति को भूल जाएगी! चोद चोद के तेरी भरे बदन को और भी ज्यादा भरा कर देंगे! तेरी नामर्द पति के बदले तुझे ही हम अपना सहकारी रख लेंगे! फिर घर-ऑफिस जहां मौका मिला तुझे दिलखोलकर चोद देंगे! काल ही देखना हम सब फाइनल कर देंगे! मगर पहले आज रात मजे लेने दे! आज सारि रात तुझे में चोदूंगा! कमर कस ले! अभी सुभह होने में बहुत समय बाकि है! तुझे रातभर हमारी लंड की सेवा करनी है! तैयार रहना! हम चोद चोद के तेरी चूत की सारि गर्मी उतर देंगे!"
ऐसे जोरदार तरीके से चोदवाकर भी कामना को दर्द के बदले मजा मिला। वह गाला फाड़ के चीखने लगी, "हां हां! मुझे और चोदो! जितना मर्जी मुझे चोद डालो! चोद चोद के मुझे रंडी बना दो! सती सावित्री बन के बहुत देख ली! कुछ मजा नहीं आया! अब थोड़ा पतीता बनके भी देख लेते है! आप मुझे जैसे चाहे चोदो! चोद चोद के मुझे एकदम पागल बना दो! मेरी पूरी बदन में दर्द कर दो! इतना चोदो की में सुख से ही मर जाऊ!"
अपने खूबसूरत चरित्रहीन साथी की कामातुर अनुरोध की समादर करते हुए महाबीर गिल बिलकुल जंगली जानवर की तरह उसके साथ संभोग करने लगे। अपने तगड़े लंड को बल्पुर्बक उसकी बहती चूत की गहराईओं में धकेल धकेल कर उन्होंने उसे बड़े बेरहमी से चोदा। धीमी गति से शुरू हुई संभोग क्रिया अब तूफानी बन गया। वन्य उत्साह से दोनों ही बेकाबू हो गये। उसके पराक्रमी लंड को उसकी रससिक्त चूत के अंदर अपना खूब सरे बीज छोड़ने में ज्यादा देर ना लगा। उसने भी एक जबरदस्त रतिक्षण का अनुभव करते हुए गला फाड़ के चीख उठी और एकाएक बेहोश हो गयी।
उसकी आखिरी रतिक्षण सचमुच में बदन को चकनाचूर कर देने वाला था। जब वे उस पर गरजती हुई गिरी, तब कामना की पूरा शरीर उसके प्रभाव में थरथर करके कांप उठी और उसके होश उड़ गये। उस दैत्यकाय लंड ने उसकी रसीले चूत की गहराइयों में कुछ ज्यादा ही वीर्य छोड़ दिये थे। वे उसके गर्भ तक पहुंच गया। अपनी गर्भ में गरमा गरम वीर्य को महसूस करके वह भी खुद को रोक ना पायी और उसके कामोत्तेजित चूत से हद से ज्यादा कामरस बह गया। अपरिमित रस छोड़ कर उसकी भारी शरीर इतनी बुरी तरह से थक चुकी थी की, थकान के मारे वह बेहोश हो गयी। थकाऊ यौन क्रिया की अपार सुख ने मिनटों में उसे गहरी नींद में डुबो दिया। करीब दो घंटे सोने के बाद उसकी आंखें खुली। पहले तो कामना को याद नहीं आ रहा था कि वह कहाँ है। उसने खुद को किसी के विशाल बेडरूम के अंदर एक बड़े से बिस्तर पर नंगी पायी। सिर्फ अपने जूते पहनी हुई थी और कुछ नहीं। उसकी सिर थोड़ा सा चकरा रहा है। आंखे भी थोड़ी भारी है। दर्द से पूरा बदन टूट रहा है। योनि छेद में हल्की सी जलन हो रही है। फिर अचानक सारी की सारी यादें बांध तोड़ने की तरह एकसाथ वापस आ गईं।
पहले तो वह अपने आप को बहुत दोषी महसूस की - अपने पति को धोखा देने का दोष, हर सीमा पार करने का दोष, एक सस्ते सड़कचाप वेश्या की तरह आचरण करने का दोष। फिर कुछ देर बाद उसे लगा की इसमें गलत क्या है?समाज की सख्त नियमों से वह खुद को इतने लंबे समय तक बांधे रखा है कि वह भूल गई थी कि मौज-मस्ती कैसे की जाती है। उसकी अपने परिवार ने उसे कभी भी पर्याप्त समर्थन नहीं दिये। जीवन में हारे हुये एक निकम्मे व्यक्ति से उसकी गांठ बांध दी गयी। वह कुछ नहीं कर पायी। वह डाइवोर्स के बारे में सोची तो उसे ही सभी ने समझा दिये। समाज में सबकी छबि बनाय रखने के लिए, उसे ही बलि की बकरे की तरह एक लंबे अरसे से भुगतना पर रहा है। कभी अपने पिताजी की सुनो तो कभी अपने पतिदेव की। खुद की सब चाहतों को उनकी इच्छाओं के लिये दबा दो। कॉलेज की तीन साल छोड़ के वह अपने जीवन को अपनी इच्छानुसार कभी जी ना पायी। बहुत हो चूका! अब और नहीं! उचित या अनुचित, अब जब उसकी शादी का मानदंड की अवमान हो चूका है, तो वह अब और अपने आप को बंदिशे में जकरना नहीं चाहती। इस बगुलाभगत समाज की तमाम पाबंदी को तोड़ कर अपने जिंदगी को खुल के जीना चाहती है। उसकी मन से अपराध बोध मिनटों में गायब हो गया।
कामना बिस्तर पर ज्यादा देर लेट ना सकी और उठ के बैठ गई। उसकी नज़र बगल में रखे एक मुड़े हुये नोट पर पड़ी। अंदर की लिखावट काफी सीधी और सरल था - "सॉरी डार्लिंग! तुम्हें अकेला छोड़ के जाना पर रहा है। घर में एक पार्टी चल रही। तुम्हें अकेला छोड़ने में जी तो नहीं चाह रहा, पर क्या करे अपने मेहमानों में भी तो थोड़ा शामिल होना पड़ेगा। हम मेजबान जो ठहरे। लेकिन, चिंता मत करें। हम जल्द ही तुम्हारे पास वापस आ जायेंगे। पार्टी लगभग खत्म होने को है। इस बीच, तुम चाहो तो थोड़ा पी भी सकते हो। तुम्हारे बिस्तर की बगल में साइड टेबल के ऊपर हमने बीयर की एक खुली बोतल रख दि है। तुम बेझिजक पीओ। कोई तुम्हे परेशान नहीं करेगा। तुम बस मजे से पीओ। देखना तुम्हारी बीयर खत्म हो ने से पहले ही हम तुम्हारे बाहों में होंगे।"
चोदते चोदते उनके मुँह से गाली निकाल गया, "हां हां साली! क्यूँ नहीं?तुजे में जरूर अपना बना लूंगा! तेरी पति एक नपुंसक है! उसको तुज जैसी चिकनी चमेली की कोई कदर नहीं! तेरी सेक्सी बदन की सही कीमत सिर्फ हम दे सकते है! तू जो चाहेगी, वही होगा! हम तुजे पालेंगे! तुज जैसी गरम रंड को कौन पालना नहीं चाहेगा? ऐसी गर्म चूत में कौन अपनी लंड डालना नहीं चाहेगा? तेरी भरी जवानी का लुफ्त उठाना नहीं चाहेगा? सब कुछ हम करेंगे! चिंता मत कर! तुजे ऐसा मजा देंगे की तू अपनी उस निकम्मे पति को भूल जाएगी! चोद चोद के तेरी भरे बदन को और भी ज्यादा भरा कर देंगे! तेरी नामर्द पति के बदले तुझे ही हम अपना सहकारी रख लेंगे! फिर घर-ऑफिस जहां मौका मिला तुझे दिलखोलकर चोद देंगे! काल ही देखना हम सब फाइनल कर देंगे! मगर पहले आज रात मजे लेने दे! आज सारि रात तुझे में चोदूंगा! कमर कस ले! अभी सुभह होने में बहुत समय बाकि है! तुझे रातभर हमारी लंड की सेवा करनी है! तैयार रहना! हम चोद चोद के तेरी चूत की सारि गर्मी उतर देंगे!"
ऐसे जोरदार तरीके से चोदवाकर भी कामना को दर्द के बदले मजा मिला। वह गाला फाड़ के चीखने लगी, "हां हां! मुझे और चोदो! जितना मर्जी मुझे चोद डालो! चोद चोद के मुझे रंडी बना दो! सती सावित्री बन के बहुत देख ली! कुछ मजा नहीं आया! अब थोड़ा पतीता बनके भी देख लेते है! आप मुझे जैसे चाहे चोदो! चोद चोद के मुझे एकदम पागल बना दो! मेरी पूरी बदन में दर्द कर दो! इतना चोदो की में सुख से ही मर जाऊ!"
अपने खूबसूरत चरित्रहीन साथी की कामातुर अनुरोध की समादर करते हुए महाबीर गिल बिलकुल जंगली जानवर की तरह उसके साथ संभोग करने लगे। अपने तगड़े लंड को बल्पुर्बक उसकी बहती चूत की गहराईओं में धकेल धकेल कर उन्होंने उसे बड़े बेरहमी से चोदा। धीमी गति से शुरू हुई संभोग क्रिया अब तूफानी बन गया। वन्य उत्साह से दोनों ही बेकाबू हो गये। उसके पराक्रमी लंड को उसकी रससिक्त चूत के अंदर अपना खूब सरे बीज छोड़ने में ज्यादा देर ना लगा। उसने भी एक जबरदस्त रतिक्षण का अनुभव करते हुए गला फाड़ के चीख उठी और एकाएक बेहोश हो गयी।
उसकी आखिरी रतिक्षण सचमुच में बदन को चकनाचूर कर देने वाला था। जब वे उस पर गरजती हुई गिरी, तब कामना की पूरा शरीर उसके प्रभाव में थरथर करके कांप उठी और उसके होश उड़ गये। उस दैत्यकाय लंड ने उसकी रसीले चूत की गहराइयों में कुछ ज्यादा ही वीर्य छोड़ दिये थे। वे उसके गर्भ तक पहुंच गया। अपनी गर्भ में गरमा गरम वीर्य को महसूस करके वह भी खुद को रोक ना पायी और उसके कामोत्तेजित चूत से हद से ज्यादा कामरस बह गया। अपरिमित रस छोड़ कर उसकी भारी शरीर इतनी बुरी तरह से थक चुकी थी की, थकान के मारे वह बेहोश हो गयी। थकाऊ यौन क्रिया की अपार सुख ने मिनटों में उसे गहरी नींद में डुबो दिया। करीब दो घंटे सोने के बाद उसकी आंखें खुली। पहले तो कामना को याद नहीं आ रहा था कि वह कहाँ है। उसने खुद को किसी के विशाल बेडरूम के अंदर एक बड़े से बिस्तर पर नंगी पायी। सिर्फ अपने जूते पहनी हुई थी और कुछ नहीं। उसकी सिर थोड़ा सा चकरा रहा है। आंखे भी थोड़ी भारी है। दर्द से पूरा बदन टूट रहा है। योनि छेद में हल्की सी जलन हो रही है। फिर अचानक सारी की सारी यादें बांध तोड़ने की तरह एकसाथ वापस आ गईं।
पहले तो वह अपने आप को बहुत दोषी महसूस की - अपने पति को धोखा देने का दोष, हर सीमा पार करने का दोष, एक सस्ते सड़कचाप वेश्या की तरह आचरण करने का दोष। फिर कुछ देर बाद उसे लगा की इसमें गलत क्या है?समाज की सख्त नियमों से वह खुद को इतने लंबे समय तक बांधे रखा है कि वह भूल गई थी कि मौज-मस्ती कैसे की जाती है। उसकी अपने परिवार ने उसे कभी भी पर्याप्त समर्थन नहीं दिये। जीवन में हारे हुये एक निकम्मे व्यक्ति से उसकी गांठ बांध दी गयी। वह कुछ नहीं कर पायी। वह डाइवोर्स के बारे में सोची तो उसे ही सभी ने समझा दिये। समाज में सबकी छबि बनाय रखने के लिए, उसे ही बलि की बकरे की तरह एक लंबे अरसे से भुगतना पर रहा है। कभी अपने पिताजी की सुनो तो कभी अपने पतिदेव की। खुद की सब चाहतों को उनकी इच्छाओं के लिये दबा दो। कॉलेज की तीन साल छोड़ के वह अपने जीवन को अपनी इच्छानुसार कभी जी ना पायी। बहुत हो चूका! अब और नहीं! उचित या अनुचित, अब जब उसकी शादी का मानदंड की अवमान हो चूका है, तो वह अब और अपने आप को बंदिशे में जकरना नहीं चाहती। इस बगुलाभगत समाज की तमाम पाबंदी को तोड़ कर अपने जिंदगी को खुल के जीना चाहती है। उसकी मन से अपराध बोध मिनटों में गायब हो गया।
कामना बिस्तर पर ज्यादा देर लेट ना सकी और उठ के बैठ गई। उसकी नज़र बगल में रखे एक मुड़े हुये नोट पर पड़ी। अंदर की लिखावट काफी सीधी और सरल था - "सॉरी डार्लिंग! तुम्हें अकेला छोड़ के जाना पर रहा है। घर में एक पार्टी चल रही। तुम्हें अकेला छोड़ने में जी तो नहीं चाह रहा, पर क्या करे अपने मेहमानों में भी तो थोड़ा शामिल होना पड़ेगा। हम मेजबान जो ठहरे। लेकिन, चिंता मत करें। हम जल्द ही तुम्हारे पास वापस आ जायेंगे। पार्टी लगभग खत्म होने को है। इस बीच, तुम चाहो तो थोड़ा पी भी सकते हो। तुम्हारे बिस्तर की बगल में साइड टेबल के ऊपर हमने बीयर की एक खुली बोतल रख दि है। तुम बेझिजक पीओ। कोई तुम्हे परेशान नहीं करेगा। तुम बस मजे से पीओ। देखना तुम्हारी बीयर खत्म हो ने से पहले ही हम तुम्हारे बाहों में होंगे।"