18-06-2022, 04:07 PM
गिल साहब अपने पैरों पर खड़े हुए और अपने बलबान हाथों से कामना के मोठे मोठे पैरों को उठा के अपनी मजबूत कंधों के ऊपर रख दिये। अब असली चीज़ का वक़्त आ चूका है। उन्होंने समय बर्बाद ना करते हुये अपनी सख्त हो चुके विपुल लंड को एक जोरदार झटके से उसकी टपकती हुई चूत में पूरा का पूरा धकेल दिया। जैसे ही उनकी प्रभाबशाली लिंग को अपनी स्वागत करती हुई योनी में प्रवेश करते हुये महसूस कि, वह फ़ौरन वापस अपने होश में आ गई। उसे लगा कि उसकी मख़मली चूत अपनी सीमा तक खिंच के फूल चुकी है। उसने पहले कभी इतना भरा हुआ महसूस नहीं किया। गिल साहब के प्रबल लंड की क्षमता से कामना इतनी अभिभूत हो गई की उसे लगा की वह अब फिर कभी भी खाली नहीं होना चाहेगी। मगर उसे उनकी ताकतवर लंड का पूरी तरह से सराहना करने का मौका नहीं मिला। तब तक उन्होंने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगे। वह फिर से गला फाड़ कर चिल्लाने लगी।
"हे भगवान! में फिर से मर ना जाऊ! ऊ माँ! इतना सुख! में और नहीं बर्दाश्त कर सकती! ओह! ओह! मुझे आप बास पागल बनाकर ही छोड़ोगे! आह! आह! चोदो, मुझे और चोदो! ऊ माँ! चोद चोद कर मुझे मार ही डालो! आह! ओह! आह! आप को भगवान की सौगंध, अब मात रुकना! आह! आह! ओह! ओह! चोद चोद कर मेरी चूत एकदम फाड़ डालो!"
उसकी बढ़ावा पा कर उनके भी छाती चौरे हो गये और उनकी चोदने की गति अपने आप तेज हो गई। उन्होंने भी खुश हो कर बोले, "वाओ डार्लिंग! हम तो तुमको फुलझरी समझ रहे थे, पर तुम तो एटम बम निकली! तुम्हारी चूत तो तुम्हारी मुँह से भी गरम निकली! इतना टाइट चूत हमने कभी नहीं चोदा! क्या तुम्हारे पतिदेव तुम्हे चोद भी नहीं रहा हे? चिंता मात करो, आज ही चोद चोद के हम तुम्हारी चुत को थोड़ा ढीला कर देंगे! क्या मस्त चूत हे! हमारे लंड को पूरा कसके जकड़ रखा हे! बहुत बढ़िया! बिलकुल मजा आ गया!"
उन्होंने जोर जोर से उसे चोदकर काममादकता की शिखर पर लेके चले गये। उसकी विशालकाय लंड से चुदवाकर उसकी भरा हुआ बदन कामलिप्सा की आग में पूरी तरह जल कर राख़ हो गयी। अपनी भयानक हवस में अंधी हो कर उनके साथ नाजायज संभोग करके उसे परमानन्द प्राप्त हुआ। चरमसुख की लुफ्त उठाते उठाते वह बिलकुल बावली हो गई। आवेश में उसकी कामातुर चूत से लगातार रस बहेने लग गये। उसकी बहती रस ने उनकी प्रकांड लंड को भी पूरा भिगोके रख दिया। कामना की गरम चूत में हल चलाते चलाते गिल साहब भी अपने वीर्यक्षालन के करीब आ चुके थे। उन्होंने अपनी पराक्रमी लंड को उसकी व्यभिचारी चूत में पांच-छेह कड़कदार तरीके से धकेल कर झरझर करके बरश परे।
इतना भारीभरकम संभोगक्रिया के बाद दोनों अवैध प्रेमी ही अपने पसीने से नाहा गये। दोनों ही थक चुके थे। अतिरिक्त वीर्यक्षालन ने कामना की भारी बदन को कुछ ज्यादा ही थका दी थी। जब उसकी जलती हुई चूत के गहराई में गिल साहब ने अपने गरमा गरम वीर्य छोड़े, तब फिर वह और नहीं सह सकी और अपने होश खो बैठी। उनका भी हालत कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था। इतने देर से अपने भीमकाय लंड को लगातार उनकी मिलनसार चूत में बलवान पूर्वक धकेलके उनका भी दम निकल गया। उनकी पराक्रमी लंड ने अपनी कठोरता खो दी। परन्तु, वो फिर भी उसकी टपकती चूत के अंदर ही रहे गया। उन्होंने उसको बहार नहीं निकला। उन्होंने उसके पैरों को अपने कंधे से उतरा। उसकी दोनों टंगे बिस्तर के किनारे से लटकने लगे। महाबीर गिल ज्यादा देर अपने पैरों पर खड़ा नहीं रह पाये और थोड़े आराम करने के लिये कामना के थकी हुई गीली शरीर के ऊपर गिर पड़े। उनकी चौड़े छाती उसके बड़े बड़े स्तनों पर जा के टिक गया। उसने भी उनको नहीं धकेला। अपनी भरे बदन के ऊपर ख़ुशी से जगह दे दी। दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे और अपने थकन दूर करने के लिए लम्बी सांसे भरते चले गये।
थोड़ी देर के लिये थकान के मारे कामना की आँख लग गयी। कुछ समय के बाद उसने जब आंखे खुली, तब उसने गिल साहब की मुँह को अपने मम्मे के ऊपर पाया। उनकी थकन तब तक दूर हो चुकी थी और वह उसकी चूचिओं को बड़े ही बेसब्री से चूस रहे थे। अपनी चूचियाँ चूसाते हुये उसे बड़ा ही आनंद मिला। कामना ने फिर से अपनी आंखे बांध कर ली और आहिस्ते से कराहती रही। उसकी नरम मम्मे को चूसकर महाबीर गिल को भी बहुत मजा आया। उनके मजबूत शरीर में ऊर्जा वापस आ गया। मिनटों में उसकी गिली चूत के अंदर उनकी प्रकांड लंड फिर से खड़े हो गये। अपने दोनों मजबूत हाथों से दोनों ओर से उसकी फैली हुई नितंब पकड़ के एक बार फिर से उसे चोदना शुरू करने में उन्हें देर नहीं लगा। क्यूंकि उनके एकबार वीर्यस्खलन हो चूका था, इसलिए इस बार वह उसकी गर्म चूत को बड़े ही आराम से लम्बे लम्बे थाप मारते हुये धीमीगति से चोदना चालू किया। ऐसे मृदु मंद गति से चोदवाकर उसे अपार सुख प्राप्त हुआ। धीरे धीरे उसके लिये स्वर्ग का द्वार खुल गया। उसकी रसभरी चूत खुली हुई नल की माफिक फिर बहने लगी। उसने अपने दोनों टंगे उठाकर उनकी शक्तिशाली कमर को कैंची की तरह लपेट लिये। उसकी कराहरॉ में भी जान आ गयी।
"हे भगवान! यह बहुत ही बढ़िया हे ! आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो! आप कितने अच्छे हो! आपका लंड कितना बड़ा है! यह मुझे और चाहिए! मुझे और दो! आप मुझे और चोदो! मत रुको! सिर्फ चोदते जाओ!"
कामना की असभ्य स्तुति से महाबीर गिल बड़े प्रसन्न हुये। मगर, उन्होंने पलट के कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें अपनी ताकत बचाये रखना जरूरी था। उस संचित की गई बल ने उन्हें अधिक समय तक टिकने में बड़ी मदद की। इस बार धीमी गति की संभोग क्रिया बहुत ही लंबा चला। उन्होंने अपनी विशालकाय लंड से उसकी मखमली चूत की छोटे छेद को चोद चोद के उसमे गड्ढा खोद दिया। उन्होंने उसकी नाज़ुक चूत की ऐसी भद्दी हालत बना के छोड़ा की वह चाहे भी तो उसके पति की छोटे लिंग को अब फिर कभी सुख ना दे सकेगी। कामना को यह भयानक सच समझ में आ चुका था। फिर भी इससे उसे कोई फरक नहीं पारा। उसे जन्नत हासिल हो चुका है। उसकी दिल और दिमाग में अब उसकी बेकार पति के लिये कोई हमदर्दी बचा नहीं। जो मजा इस राक्षसी लंड से चोदवाकर उसे मिल रही है, ऐसी परमानन्द किसी छोटे लिंग कभी दे नहीं पायेगा।
यह घिनौना सच स्वीकार करते हुये वह चिल्ला चिल्ला के उन्हें ध्यन्यबाद दी, "हे भगवान! इतनी सुख! इतनी सुख मुझे रोहित कभी नहीं दे पाये! आप क्या कमाल के चोदते हो! में तोह स्वर्ग पहुंच गयी! आप सच में एक जादूगर हो! आप का विशाल लंड वाकई में जादू की छड़ी है! में तो सम्मोहित हो चुकी! आप मुझे रख लो! में अब रोहित के पास लौटना नहीं चाहती! वह बचें या मरे, मुझे उससे कोई लेनादेना नहीं! अब उसको तरक्की भी मत दो! सब काम में करू, और वह बैठे बैठे फल खाये! अब से ऐसा नहीं होगा! अब से में सिर्फ आपकी हूँ! अब मुझे रक्खो! हररोज ऐसी ही मुझे चोदो! जब मर्जी चोदो! जितना मर्जी चोदो! में हमेशा आपको दूंगी! कभी भी आपको निराश नहीं करूंगी! मुझे हररोज आपके साथ ऐसी ही मस्ती करना है! ऐसी सुख पाना है! में रोहित की बीवी बनके थक चुकी हूँ! आप चाहो तो मुझे अपना रखैल बना लो! मुझे कोई आपत्ति नहीं!"
"हे भगवान! में फिर से मर ना जाऊ! ऊ माँ! इतना सुख! में और नहीं बर्दाश्त कर सकती! ओह! ओह! मुझे आप बास पागल बनाकर ही छोड़ोगे! आह! आह! चोदो, मुझे और चोदो! ऊ माँ! चोद चोद कर मुझे मार ही डालो! आह! ओह! आह! आप को भगवान की सौगंध, अब मात रुकना! आह! आह! ओह! ओह! चोद चोद कर मेरी चूत एकदम फाड़ डालो!"
उसकी बढ़ावा पा कर उनके भी छाती चौरे हो गये और उनकी चोदने की गति अपने आप तेज हो गई। उन्होंने भी खुश हो कर बोले, "वाओ डार्लिंग! हम तो तुमको फुलझरी समझ रहे थे, पर तुम तो एटम बम निकली! तुम्हारी चूत तो तुम्हारी मुँह से भी गरम निकली! इतना टाइट चूत हमने कभी नहीं चोदा! क्या तुम्हारे पतिदेव तुम्हे चोद भी नहीं रहा हे? चिंता मात करो, आज ही चोद चोद के हम तुम्हारी चुत को थोड़ा ढीला कर देंगे! क्या मस्त चूत हे! हमारे लंड को पूरा कसके जकड़ रखा हे! बहुत बढ़िया! बिलकुल मजा आ गया!"
उन्होंने जोर जोर से उसे चोदकर काममादकता की शिखर पर लेके चले गये। उसकी विशालकाय लंड से चुदवाकर उसकी भरा हुआ बदन कामलिप्सा की आग में पूरी तरह जल कर राख़ हो गयी। अपनी भयानक हवस में अंधी हो कर उनके साथ नाजायज संभोग करके उसे परमानन्द प्राप्त हुआ। चरमसुख की लुफ्त उठाते उठाते वह बिलकुल बावली हो गई। आवेश में उसकी कामातुर चूत से लगातार रस बहेने लग गये। उसकी बहती रस ने उनकी प्रकांड लंड को भी पूरा भिगोके रख दिया। कामना की गरम चूत में हल चलाते चलाते गिल साहब भी अपने वीर्यक्षालन के करीब आ चुके थे। उन्होंने अपनी पराक्रमी लंड को उसकी व्यभिचारी चूत में पांच-छेह कड़कदार तरीके से धकेल कर झरझर करके बरश परे।
इतना भारीभरकम संभोगक्रिया के बाद दोनों अवैध प्रेमी ही अपने पसीने से नाहा गये। दोनों ही थक चुके थे। अतिरिक्त वीर्यक्षालन ने कामना की भारी बदन को कुछ ज्यादा ही थका दी थी। जब उसकी जलती हुई चूत के गहराई में गिल साहब ने अपने गरमा गरम वीर्य छोड़े, तब फिर वह और नहीं सह सकी और अपने होश खो बैठी। उनका भी हालत कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था। इतने देर से अपने भीमकाय लंड को लगातार उनकी मिलनसार चूत में बलवान पूर्वक धकेलके उनका भी दम निकल गया। उनकी पराक्रमी लंड ने अपनी कठोरता खो दी। परन्तु, वो फिर भी उसकी टपकती चूत के अंदर ही रहे गया। उन्होंने उसको बहार नहीं निकला। उन्होंने उसके पैरों को अपने कंधे से उतरा। उसकी दोनों टंगे बिस्तर के किनारे से लटकने लगे। महाबीर गिल ज्यादा देर अपने पैरों पर खड़ा नहीं रह पाये और थोड़े आराम करने के लिये कामना के थकी हुई गीली शरीर के ऊपर गिर पड़े। उनकी चौड़े छाती उसके बड़े बड़े स्तनों पर जा के टिक गया। उसने भी उनको नहीं धकेला। अपनी भरे बदन के ऊपर ख़ुशी से जगह दे दी। दोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे और अपने थकन दूर करने के लिए लम्बी सांसे भरते चले गये।
थोड़ी देर के लिये थकान के मारे कामना की आँख लग गयी। कुछ समय के बाद उसने जब आंखे खुली, तब उसने गिल साहब की मुँह को अपने मम्मे के ऊपर पाया। उनकी थकन तब तक दूर हो चुकी थी और वह उसकी चूचिओं को बड़े ही बेसब्री से चूस रहे थे। अपनी चूचियाँ चूसाते हुये उसे बड़ा ही आनंद मिला। कामना ने फिर से अपनी आंखे बांध कर ली और आहिस्ते से कराहती रही। उसकी नरम मम्मे को चूसकर महाबीर गिल को भी बहुत मजा आया। उनके मजबूत शरीर में ऊर्जा वापस आ गया। मिनटों में उसकी गिली चूत के अंदर उनकी प्रकांड लंड फिर से खड़े हो गये। अपने दोनों मजबूत हाथों से दोनों ओर से उसकी फैली हुई नितंब पकड़ के एक बार फिर से उसे चोदना शुरू करने में उन्हें देर नहीं लगा। क्यूंकि उनके एकबार वीर्यस्खलन हो चूका था, इसलिए इस बार वह उसकी गर्म चूत को बड़े ही आराम से लम्बे लम्बे थाप मारते हुये धीमीगति से चोदना चालू किया। ऐसे मृदु मंद गति से चोदवाकर उसे अपार सुख प्राप्त हुआ। धीरे धीरे उसके लिये स्वर्ग का द्वार खुल गया। उसकी रसभरी चूत खुली हुई नल की माफिक फिर बहने लगी। उसने अपने दोनों टंगे उठाकर उनकी शक्तिशाली कमर को कैंची की तरह लपेट लिये। उसकी कराहरॉ में भी जान आ गयी।
"हे भगवान! यह बहुत ही बढ़िया हे ! आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो! आप कितने अच्छे हो! आपका लंड कितना बड़ा है! यह मुझे और चाहिए! मुझे और दो! आप मुझे और चोदो! मत रुको! सिर्फ चोदते जाओ!"
कामना की असभ्य स्तुति से महाबीर गिल बड़े प्रसन्न हुये। मगर, उन्होंने पलट के कोई जवाब नहीं दिया। उन्हें अपनी ताकत बचाये रखना जरूरी था। उस संचित की गई बल ने उन्हें अधिक समय तक टिकने में बड़ी मदद की। इस बार धीमी गति की संभोग क्रिया बहुत ही लंबा चला। उन्होंने अपनी विशालकाय लंड से उसकी मखमली चूत की छोटे छेद को चोद चोद के उसमे गड्ढा खोद दिया। उन्होंने उसकी नाज़ुक चूत की ऐसी भद्दी हालत बना के छोड़ा की वह चाहे भी तो उसके पति की छोटे लिंग को अब फिर कभी सुख ना दे सकेगी। कामना को यह भयानक सच समझ में आ चुका था। फिर भी इससे उसे कोई फरक नहीं पारा। उसे जन्नत हासिल हो चुका है। उसकी दिल और दिमाग में अब उसकी बेकार पति के लिये कोई हमदर्दी बचा नहीं। जो मजा इस राक्षसी लंड से चोदवाकर उसे मिल रही है, ऐसी परमानन्द किसी छोटे लिंग कभी दे नहीं पायेगा।
यह घिनौना सच स्वीकार करते हुये वह चिल्ला चिल्ला के उन्हें ध्यन्यबाद दी, "हे भगवान! इतनी सुख! इतनी सुख मुझे रोहित कभी नहीं दे पाये! आप क्या कमाल के चोदते हो! में तोह स्वर्ग पहुंच गयी! आप सच में एक जादूगर हो! आप का विशाल लंड वाकई में जादू की छड़ी है! में तो सम्मोहित हो चुकी! आप मुझे रख लो! में अब रोहित के पास लौटना नहीं चाहती! वह बचें या मरे, मुझे उससे कोई लेनादेना नहीं! अब उसको तरक्की भी मत दो! सब काम में करू, और वह बैठे बैठे फल खाये! अब से ऐसा नहीं होगा! अब से में सिर्फ आपकी हूँ! अब मुझे रक्खो! हररोज ऐसी ही मुझे चोदो! जब मर्जी चोदो! जितना मर्जी चोदो! में हमेशा आपको दूंगी! कभी भी आपको निराश नहीं करूंगी! मुझे हररोज आपके साथ ऐसी ही मस्ती करना है! ऐसी सुख पाना है! में रोहित की बीवी बनके थक चुकी हूँ! आप चाहो तो मुझे अपना रखैल बना लो! मुझे कोई आपत्ति नहीं!"