18-06-2022, 02:41 PM
अजय ने इतना कहते हुए उनकी नर्म मुलायम गांड को ज़ोर से दबा दिया..अपनी उंगलियाँ धंसा दी उस केक के अंदर...
और जवाब में रजनी ने एक जोरदार साँस ली और अपनी आँखे बंद करते हुए अपना सिर पीछे किया और अजय के कंधे पर टीका दिया...और साथ ही साथ अपना हाथ पीछे लेजाकर अजय के गीले टावल के उपर से ही उसके जोश से भरे लंड को पकड़ कर भींच दिया...
अब सिसकने की बारी अजय की थी....ऐसा लगा अजय को जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी...इतनी शक्तिशाली पकड़ थी उसकी सास की,उसके लंड के उपर..
दोनो एक दूसरे से लिपटे सिसकारियाँ मार रहे थे...जैसे किचन में कुक्कर की सीटियाँ बज रही हो ठीक वैसे ही...
रजनी के हाथ इतनी तेज़ी से उसके लंड को मसल रहे थे की उसके टावल की गाँठ खुल गयी और वो नीचे गिर गया...उसके टावल के नीचे गिरने का एहसास रजनी को भी हुआ और ये भी पता चल गया उसको की अब अजय उसके पीछे मादरजात नंगा खड़ा है...उसका खुद का दामाद..उसके साथ ...उसकी ही बेटी के घर पर...नंगा लिपटा खड़ा था उसके साथ....इस एहसास ने तो उसके अंदर ऐसी उत्तेजना भर दी की वो अपने पंजों पर खड़ी होकर अपनी नर्म गांड उसके लंड पर रगड़ने लगी...वो पलटना चाहती थी पर अजय ने उसकी दोनो छातियों पर दबाव डालकर उसे जड़वत सा कर दिया...उसे अपनी तरफ घूमने ही नही दिया...
रजनी : "उम्म्म्म अजय...छोड़ो ना प्लीज़...देखने तो दो...दिन की रोशनी में ..कैसा लगता है ये....''
अजय : "नही मेरी प्यारी सासू माँ ...ऐसे नही...इतनी जल्दी नही मिलवाने वाला मैं आपको अपने दोस्त से...इसे तो पहले उसके साथ मिलवाना है, जिसका ये दीवाना है...''
इतना कहते हुए अजय नीचे झुका और उसने रजनी की साड़ी और पेटीकोट एकसाथ पकड़कर उपर उठाना शुरू कर दिया...रजनी का दिल तो धक्क से रह गया...
''नाआआ.....अजय....मत करो ना.....ऐसे क्यो कर रहे हो....''
वो अपने काँपते हुए हाथों से अपनी साड़ी को उपर होने से रोकती रह गयी...पर अजय नही माना...और धीरे-2 करते हुए उसकी टाँगे...और फिर मोटी ताजी जांघे अजय की आँखो के सामने उजागर हो गयी....ऐसा सेक्सी सीन अजय ने आज तक नही देखा था...अपनी सास की थरथरती हुई सफेद जांघे देखकर उसके लंड ने धमाल मचाना शुरू कर दिया...और जैसे ही थोड़ा और उपर किया साड़ी को तो अजय के सामने उसके उभरे हुए तरबूज जैसी गांड चमकने लगी...और उसने अभी भी अंदर पेंटी नही पहनी हुई थी..अंदर से नंगी थी वो..
अजय ने सिसकारी मारते हुए अपने दोनो हाथों मे उसकी नंगी गांड को भर लिया और ज़ोर से दबा दिया...जैसे आता गूंध रहा हो वो ,रजनी भी सिसक उठी और अजय भी,ऐसा करते हुए दोनो के चेहरे किसी सियार की तरह उपर की तरफ उठ गये और दोनो ने अपने-2 मुँह से लंबी सिसकारी मारकर पूरी किचन में आग सी लगा दी..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह......ओह....अजय.........म्*म्म्मममममम''
और रजनी की सिसकारी ख़त्म होने से पहले ही अजय थोड़ा सा आगे हुआ और उसने अपना खड़ा हुआ लंड अपनी सास की नंगी गांड के साथ चिपका दिया....और पलक झपकते ही वो लंड उसकी भरी हुई गांड की दरारों में फँस कर विलीन सा हो गया...
रजनी तो बदहवास सी हो गयी....क्योंकि अजय का लंड उसकी गांड के छेद के बिल्कुल करीब दस्तक दे रहा था...उसने अपनी टांगे किसी घोड़ी की तरह फेला कर चौड़ी कर ली ताकि अजय और अंदर घुस कर अपने लंड को सही जगह पर पहुँचा दे...
अपनी बेटी के घर पर उसकी किचन में अपने दामाद से चुदने के ख़याल से ही उसकी चूत मे से पानी टपकने लगा....पर अगले ही पल उसके जहन में प्राची का चेहरा नज़र आने लगा...उसे लगा की प्राची बाहर छुपकर उनका ये खेल देख रही है....
उसने झट से अजय को पीछे धक्का दिया...और अपनी साड़ी नीचे गिरा दी....और अजय के नंगे लंड की तरफ बिना देखे वो बोलती हुई बाहर निकल गयी : "नही अजय....ये सही मौका नही है...यहाँ नही....ऐसे नही....''
और वो सीधा प्राची के कमरे में पहुँच गयी...जो अभी तक खर्राटे मारकर सो रही थी.उसने उसे जाकर उठा दिया...और नहाने के लिए बोली..
पीछे बेचारा अजय अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रह गया...पूरा का पूरा नंगा...उसकी तो समझ में नही आया की एकदम से उसकी सास को हुआ क्या है...पर ये बात तो वो भी समझता था की जो वो करने जा रहा था उसमे कितना रिस्क था...पूरी चुदाई या गांड मराई तो इस वक़्त संभव ही नही थी...शायद इसलिए उसकी सास ने ऐसा किया....पर एक बात तो तो समझ चुका था की ऐसे मौके अब अक्सर आते रहेंगे...और हर बार उसके खड़े लंड पर धोखा नही होगा...
ऑफीस के लिए तैयार होकर वो चला गया...प्राची ने सिर्फ़ आज के लिए और छुट्टी ले रखी थी...इसलिए वो उसके साथ नहीं गयी, अजय सीधा अपनी कार में जाकर बैठा और उसने रिया को फोन किया..एक मिनट में ही रिया नीचे आ गयी और दोनो चल दिए.
आज सुबह की बातें याद करते-2 अजय गाड़ी चला रहा था...और इसलिए उसने इस बात पर भी ध्यान नही दिया की आज रिया कुछ ख़ास ही तरह से तैयार होकर आई है उसके लिए..अब उसका कोई बाय्फ्रेंड तो था नही,सिर्फ़ एक अजय ही था जो उसकी बात-बेबात तारीफ करता रहता था..और लड़कियो को यही बात सबसे ज़्यादा किसी की तरफ आकर्षित करती है की कोई तो है जो उनकी सुंदरता और कपड़ो की तारीफ करता है...ऐसे में उस इंसान के लिए कुछ ख़ास तरीके से तैयार होने में बुराई ही क्या है.
और जैसा रिया ने अपने जीजू के बारे में नोट किया था, वो अक्सर उसकी छातियों की तरफ ही देखते रहते थे (वैसे हर ठरकी की नज़र लड़की की छातियों पर ही रहती है) इसलिए उसने आज एक ऐसी कुर्ती पहनी हुई थी जिसके साथ उसने चुन्नी भी नही ली थी...वैसे भी उसकी छातियाँ काफ़ी छोटी थी...पर इतनी भी नही की उन्हे नरअंदाज किया जा सके...ख़ासकर अजय की नज़रों से...वो तो चुन्नी के नीचे की चीज़ों को भी नज़रों से चोद कर रख देता था...
अजय को अपनी ही मस्ती में कार चलाते हुए देखकर रिया ने ही बात शुरू की
रिया : "जीजू, क्या बात है, आज आप कुछ खोए-2 से लग रहे है...ध्यान कहाँ है आपका ..''
अजय : "मेरा...अरे ...कहीं तो नही....क्यो ....''
रिया : "जीजू....आपने तो मेरी तरफ देखा भी नही ...जब से कार में बैठी हू आपका ध्यान तो सिर्फ़ सड़क की तरफ है...और ना जाने क्या सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहे हो आप ....''
अजय को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...वो समझ गया को रिया अपने आप को इग्नोर फील कर रही है...उसने तुरंत उसकी तरफ देखा...उसके चाँद से दमकते चेहरे को देखने के बाद जब उसकी नज़र फिसल कर उसकी छातियों की तरफ गयी तो उसे पता चला की वो कितना बड़ा उल्लू का पट्ठा है...ऐसे सीन को छोड़कर वो ख़यालो में अपनी सास के मुम्मों के बारे में सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहा था...और उपर से रिया की बातों से साफ़ जाहिर था की वो उसी के लिए बिना चुन्नी की कुरती पहन कर आई है...ताकि वो उसके बदन को अच्छी तरह से निहार सके.
और जवाब में रजनी ने एक जोरदार साँस ली और अपनी आँखे बंद करते हुए अपना सिर पीछे किया और अजय के कंधे पर टीका दिया...और साथ ही साथ अपना हाथ पीछे लेजाकर अजय के गीले टावल के उपर से ही उसके जोश से भरे लंड को पकड़ कर भींच दिया...
अब सिसकने की बारी अजय की थी....ऐसा लगा अजय को जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी...इतनी शक्तिशाली पकड़ थी उसकी सास की,उसके लंड के उपर..
दोनो एक दूसरे से लिपटे सिसकारियाँ मार रहे थे...जैसे किचन में कुक्कर की सीटियाँ बज रही हो ठीक वैसे ही...
रजनी के हाथ इतनी तेज़ी से उसके लंड को मसल रहे थे की उसके टावल की गाँठ खुल गयी और वो नीचे गिर गया...उसके टावल के नीचे गिरने का एहसास रजनी को भी हुआ और ये भी पता चल गया उसको की अब अजय उसके पीछे मादरजात नंगा खड़ा है...उसका खुद का दामाद..उसके साथ ...उसकी ही बेटी के घर पर...नंगा लिपटा खड़ा था उसके साथ....इस एहसास ने तो उसके अंदर ऐसी उत्तेजना भर दी की वो अपने पंजों पर खड़ी होकर अपनी नर्म गांड उसके लंड पर रगड़ने लगी...वो पलटना चाहती थी पर अजय ने उसकी दोनो छातियों पर दबाव डालकर उसे जड़वत सा कर दिया...उसे अपनी तरफ घूमने ही नही दिया...
रजनी : "उम्म्म्म अजय...छोड़ो ना प्लीज़...देखने तो दो...दिन की रोशनी में ..कैसा लगता है ये....''
अजय : "नही मेरी प्यारी सासू माँ ...ऐसे नही...इतनी जल्दी नही मिलवाने वाला मैं आपको अपने दोस्त से...इसे तो पहले उसके साथ मिलवाना है, जिसका ये दीवाना है...''
इतना कहते हुए अजय नीचे झुका और उसने रजनी की साड़ी और पेटीकोट एकसाथ पकड़कर उपर उठाना शुरू कर दिया...रजनी का दिल तो धक्क से रह गया...
''नाआआ.....अजय....मत करो ना.....ऐसे क्यो कर रहे हो....''
वो अपने काँपते हुए हाथों से अपनी साड़ी को उपर होने से रोकती रह गयी...पर अजय नही माना...और धीरे-2 करते हुए उसकी टाँगे...और फिर मोटी ताजी जांघे अजय की आँखो के सामने उजागर हो गयी....ऐसा सेक्सी सीन अजय ने आज तक नही देखा था...अपनी सास की थरथरती हुई सफेद जांघे देखकर उसके लंड ने धमाल मचाना शुरू कर दिया...और जैसे ही थोड़ा और उपर किया साड़ी को तो अजय के सामने उसके उभरे हुए तरबूज जैसी गांड चमकने लगी...और उसने अभी भी अंदर पेंटी नही पहनी हुई थी..अंदर से नंगी थी वो..
अजय ने सिसकारी मारते हुए अपने दोनो हाथों मे उसकी नंगी गांड को भर लिया और ज़ोर से दबा दिया...जैसे आता गूंध रहा हो वो ,रजनी भी सिसक उठी और अजय भी,ऐसा करते हुए दोनो के चेहरे किसी सियार की तरह उपर की तरफ उठ गये और दोनो ने अपने-2 मुँह से लंबी सिसकारी मारकर पूरी किचन में आग सी लगा दी..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह......ओह....अजय.........म्*म्म्मममममम''
और रजनी की सिसकारी ख़त्म होने से पहले ही अजय थोड़ा सा आगे हुआ और उसने अपना खड़ा हुआ लंड अपनी सास की नंगी गांड के साथ चिपका दिया....और पलक झपकते ही वो लंड उसकी भरी हुई गांड की दरारों में फँस कर विलीन सा हो गया...
रजनी तो बदहवास सी हो गयी....क्योंकि अजय का लंड उसकी गांड के छेद के बिल्कुल करीब दस्तक दे रहा था...उसने अपनी टांगे किसी घोड़ी की तरह फेला कर चौड़ी कर ली ताकि अजय और अंदर घुस कर अपने लंड को सही जगह पर पहुँचा दे...
अपनी बेटी के घर पर उसकी किचन में अपने दामाद से चुदने के ख़याल से ही उसकी चूत मे से पानी टपकने लगा....पर अगले ही पल उसके जहन में प्राची का चेहरा नज़र आने लगा...उसे लगा की प्राची बाहर छुपकर उनका ये खेल देख रही है....
उसने झट से अजय को पीछे धक्का दिया...और अपनी साड़ी नीचे गिरा दी....और अजय के नंगे लंड की तरफ बिना देखे वो बोलती हुई बाहर निकल गयी : "नही अजय....ये सही मौका नही है...यहाँ नही....ऐसे नही....''
और वो सीधा प्राची के कमरे में पहुँच गयी...जो अभी तक खर्राटे मारकर सो रही थी.उसने उसे जाकर उठा दिया...और नहाने के लिए बोली..
पीछे बेचारा अजय अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रह गया...पूरा का पूरा नंगा...उसकी तो समझ में नही आया की एकदम से उसकी सास को हुआ क्या है...पर ये बात तो वो भी समझता था की जो वो करने जा रहा था उसमे कितना रिस्क था...पूरी चुदाई या गांड मराई तो इस वक़्त संभव ही नही थी...शायद इसलिए उसकी सास ने ऐसा किया....पर एक बात तो तो समझ चुका था की ऐसे मौके अब अक्सर आते रहेंगे...और हर बार उसके खड़े लंड पर धोखा नही होगा...
ऑफीस के लिए तैयार होकर वो चला गया...प्राची ने सिर्फ़ आज के लिए और छुट्टी ले रखी थी...इसलिए वो उसके साथ नहीं गयी, अजय सीधा अपनी कार में जाकर बैठा और उसने रिया को फोन किया..एक मिनट में ही रिया नीचे आ गयी और दोनो चल दिए.
आज सुबह की बातें याद करते-2 अजय गाड़ी चला रहा था...और इसलिए उसने इस बात पर भी ध्यान नही दिया की आज रिया कुछ ख़ास ही तरह से तैयार होकर आई है उसके लिए..अब उसका कोई बाय्फ्रेंड तो था नही,सिर्फ़ एक अजय ही था जो उसकी बात-बेबात तारीफ करता रहता था..और लड़कियो को यही बात सबसे ज़्यादा किसी की तरफ आकर्षित करती है की कोई तो है जो उनकी सुंदरता और कपड़ो की तारीफ करता है...ऐसे में उस इंसान के लिए कुछ ख़ास तरीके से तैयार होने में बुराई ही क्या है.
और जैसा रिया ने अपने जीजू के बारे में नोट किया था, वो अक्सर उसकी छातियों की तरफ ही देखते रहते थे (वैसे हर ठरकी की नज़र लड़की की छातियों पर ही रहती है) इसलिए उसने आज एक ऐसी कुर्ती पहनी हुई थी जिसके साथ उसने चुन्नी भी नही ली थी...वैसे भी उसकी छातियाँ काफ़ी छोटी थी...पर इतनी भी नही की उन्हे नरअंदाज किया जा सके...ख़ासकर अजय की नज़रों से...वो तो चुन्नी के नीचे की चीज़ों को भी नज़रों से चोद कर रख देता था...
अजय को अपनी ही मस्ती में कार चलाते हुए देखकर रिया ने ही बात शुरू की
रिया : "जीजू, क्या बात है, आज आप कुछ खोए-2 से लग रहे है...ध्यान कहाँ है आपका ..''
अजय : "मेरा...अरे ...कहीं तो नही....क्यो ....''
रिया : "जीजू....आपने तो मेरी तरफ देखा भी नही ...जब से कार में बैठी हू आपका ध्यान तो सिर्फ़ सड़क की तरफ है...और ना जाने क्या सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहे हो आप ....''
अजय को अपनी ग़लती का एहसास हुआ...वो समझ गया को रिया अपने आप को इग्नोर फील कर रही है...उसने तुरंत उसकी तरफ देखा...उसके चाँद से दमकते चेहरे को देखने के बाद जब उसकी नज़र फिसल कर उसकी छातियों की तरफ गयी तो उसे पता चला की वो कितना बड़ा उल्लू का पट्ठा है...ऐसे सीन को छोड़कर वो ख़यालो में अपनी सास के मुम्मों के बारे में सोच-सोचकर मुस्कुराए जा रहा था...और उपर से रिया की बातों से साफ़ जाहिर था की वो उसी के लिए बिना चुन्नी की कुरती पहन कर आई है...ताकि वो उसके बदन को अच्छी तरह से निहार सके.