17-06-2022, 09:24 PM
अब मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। तभी शाम में मुझे शिल्पी का कॉल आया की वों और मनीष कुछ दिनो के लिए ननिहाल जा रहे है। मंजू मुझे खाने देने के कारण नहीं जा पा रही है और रमेश उन दोनों को ननिहाल छोड़ने सुबह जाएगा।
मैं समझ गया की मंजू क्यूँ नहीं जा रही है और मैंने खुश हो गया। अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गया और चुपचाप छत से देखने लगा की ये लोग कब जाते है। मैंने देखा की सुबह लगभग 7:30 बजे मनीष और शिल्पी को लेकर रमेश रिक्शा से बस स्टैंड की ओर निकल पड़ा। अब mai मंजू का इंतज़ार कर रहा था। लगभग 10 मिनट हो गए मंजू की कोई कॉल नहीं आई। मुझे इंतजार बहुत लम्बा लग रहा था तभी फोन की घंटी बजी ओर देखा की मंजू की कॉल है। मैंने ऐसा शो किया जैसे मुझे कुछ मालुम ही ना हो और मैंने हेलो बोल कर पूछा की शिल्पी और मनीष आज ट्यूशन के लिए नहीं आए। मंजू ने जवाब दिया की आज वे दोनों नहीं जा पाए और मुझे नाश्ते के लिए नीचे बुलाया।
मै समझ रहा था और इसलिए अच्छे से तैयार हो कर नीचे गया। नीचे गया तो मुझे घर में कोई नहीं था और दुकान भी बंद था। मैंने अनजान बन कर पूछा तो मंजू ने बोला की रमेश बच्चों को ननिहाल छोड़ने गया है मुरादाबाद और शाम तक वापिस आ जाएगा। मै समझ गया की मेरे पास शाम तक का टाइम है। तभी रमेश ने मंजू को फोन किया की बस मिल गई और मै अब निश्चिंत हो गया।
इसके बाद मै मंजू के पास गया और बिना कुछ बोले उसको गले लगा लिया। मंजू ने भी मेरा पूरा साथ दिया और कस कर मेरे गले लग गई। मंजू को कस कर मुझे गले लगाने से उसके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे। मैंने उसको अलग किया और सोफे पर बैठ कर मंजू को गोद में बिठा लिया। मंजू ने ब्लू कलर की पतली साडी पहन रखी थी और मेरा दिल उस साड़ी को उतारने को बेताब था। मंजू को गोद में बिठा कर मैंने उसके चेहरे से बालो को हटाते हुए उसके माथे पर किस किया। वों मेरे लिए पूरी समर्पित नजर आ रही थी और मै भी उसको अपनी रखैल बनाना चाहता था
मंजू को मै अपनी गोद में बिठा कर उसके साथ बातें कर रहा था साथ ही धीरे धीरे उसके शरीर के सभी अंगों पर ऊँगली भी फेर रहा था। आज मेरे पास पूरा वक्त था मंजू को अपना बना लेने का और मजा तो तब आता है जब लड़की या औरत अपनी इच्छा की चरमसीमा पर पहुँच कर आपको अपनी ओर खींचे। मंजू भी एक समझदार खिलाड़ी की तरह इसका पूरा मजा ले रही थी। बाते करते करते मैंने उसके साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया। मंजू के ब्लाउज जो काफी डीप गले का था उसमे मुझे उसके क्लीवेज साफ साफ नजर आ रहे थे। फिर मैंने उसके ब्लाउज के पहले दो बटन खोले और उसको अपने गोद में रख कर वहाँ पर हल्का हल्का दबाया। फिर मैंने उसके ब्लाउज को उससे आजाद कर दिया। अब वों ऊपर सिर्फ ब्रा में थी। उसके बूब्स फुल साइज के थे जो ब्रा में साफ साफ बाहर की ओर दिख रहा था। मैंने उसके पेट पर ऊँगली फेरी जिससे उसकी आँह निकल गई। पेट पर कभी ऊँगली फेरता कभी जीभ से चाट लेता इस तरह करते करते मैंने उसकी साड़ी की गाँठ खोल दीऔर अगले ही क्षण मंजू की साड़ी जमीन पर थी।
मैं समझ गया की मंजू क्यूँ नहीं जा रही है और मैंने खुश हो गया। अगले दिन सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गया और चुपचाप छत से देखने लगा की ये लोग कब जाते है। मैंने देखा की सुबह लगभग 7:30 बजे मनीष और शिल्पी को लेकर रमेश रिक्शा से बस स्टैंड की ओर निकल पड़ा। अब mai मंजू का इंतज़ार कर रहा था। लगभग 10 मिनट हो गए मंजू की कोई कॉल नहीं आई। मुझे इंतजार बहुत लम्बा लग रहा था तभी फोन की घंटी बजी ओर देखा की मंजू की कॉल है। मैंने ऐसा शो किया जैसे मुझे कुछ मालुम ही ना हो और मैंने हेलो बोल कर पूछा की शिल्पी और मनीष आज ट्यूशन के लिए नहीं आए। मंजू ने जवाब दिया की आज वे दोनों नहीं जा पाए और मुझे नाश्ते के लिए नीचे बुलाया।
मै समझ रहा था और इसलिए अच्छे से तैयार हो कर नीचे गया। नीचे गया तो मुझे घर में कोई नहीं था और दुकान भी बंद था। मैंने अनजान बन कर पूछा तो मंजू ने बोला की रमेश बच्चों को ननिहाल छोड़ने गया है मुरादाबाद और शाम तक वापिस आ जाएगा। मै समझ गया की मेरे पास शाम तक का टाइम है। तभी रमेश ने मंजू को फोन किया की बस मिल गई और मै अब निश्चिंत हो गया।
इसके बाद मै मंजू के पास गया और बिना कुछ बोले उसको गले लगा लिया। मंजू ने भी मेरा पूरा साथ दिया और कस कर मेरे गले लग गई। मंजू को कस कर मुझे गले लगाने से उसके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे। मैंने उसको अलग किया और सोफे पर बैठ कर मंजू को गोद में बिठा लिया। मंजू ने ब्लू कलर की पतली साडी पहन रखी थी और मेरा दिल उस साड़ी को उतारने को बेताब था। मंजू को गोद में बिठा कर मैंने उसके चेहरे से बालो को हटाते हुए उसके माथे पर किस किया। वों मेरे लिए पूरी समर्पित नजर आ रही थी और मै भी उसको अपनी रखैल बनाना चाहता था
मंजू को मै अपनी गोद में बिठा कर उसके साथ बातें कर रहा था साथ ही धीरे धीरे उसके शरीर के सभी अंगों पर ऊँगली भी फेर रहा था। आज मेरे पास पूरा वक्त था मंजू को अपना बना लेने का और मजा तो तब आता है जब लड़की या औरत अपनी इच्छा की चरमसीमा पर पहुँच कर आपको अपनी ओर खींचे। मंजू भी एक समझदार खिलाड़ी की तरह इसका पूरा मजा ले रही थी। बाते करते करते मैंने उसके साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया। मंजू के ब्लाउज जो काफी डीप गले का था उसमे मुझे उसके क्लीवेज साफ साफ नजर आ रहे थे। फिर मैंने उसके ब्लाउज के पहले दो बटन खोले और उसको अपने गोद में रख कर वहाँ पर हल्का हल्का दबाया। फिर मैंने उसके ब्लाउज को उससे आजाद कर दिया। अब वों ऊपर सिर्फ ब्रा में थी। उसके बूब्स फुल साइज के थे जो ब्रा में साफ साफ बाहर की ओर दिख रहा था। मैंने उसके पेट पर ऊँगली फेरी जिससे उसकी आँह निकल गई। पेट पर कभी ऊँगली फेरता कभी जीभ से चाट लेता इस तरह करते करते मैंने उसकी साड़ी की गाँठ खोल दीऔर अगले ही क्षण मंजू की साड़ी जमीन पर थी।