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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#6
अब शिल्पी नीचे जा चुकी थी और मेरे दिमाग में ये चल रहा था की कैसे शिल्पी और मंजू को अपने जाल में रखते हुए दोनों से खूब मजे लू और रमेश और मनीष को अपने काबू में ताकि वे मेरे लिए कोई समस्या ना खड़ी कर दें। ये सोचते सोचते मेरे दिमाग में एक आईडिया आया और मैंने रमेश को फोन कर ऊपर बुलाया। मैंने तुरंत एक शॉर्ट्स टीशर्ट पहना और लेट गया। अन्यथा अब तक तो मैं नंगा ही लेटा था।

रमेश के साथ मैं पूरे रौब से बाते करने लगा था ताकि उससे कोई परेशानी ना हो। उसने ऊपर आते ही गेट पर नॉक किया और मैंने कहाँ आओ रमेश।

रमेश - क्या हुआ, अचानक बुलाया
मैं - हाँ रमेश, कल रात तुमने जो डिनर के लिए बुलाया था उसके लिए थैंक्स। काफी अच्छा डिनर बनाया था मंजू ने।

रमेश - जी धन्यवाद। आपको खाना अच्छा लगा। अब आप चाहो तो डेली के खाने के लिए मैं मंजू को बोलू।
मैं - खाना अच्छा था कोई शक नहीं।  लेकिन डेली खाने के लिए मैं तैयार हूँ लेकिन तुम मंजू से पूछ लो उसको कोई समस्या तो नहीं और हाँ पैसे मुझसे जरूर लेना होगा।

रमेश निहायती लालची और आलसी इंसान था वों यह सुनकर काफी खुश हुआ। मेरी तरफ चालाकी से हसते हुए वों बोला - पैसे आप जो मर्जी दें देना और मंजू तैयार है।

मैं- ठीक है। मैं अपनी सन्तुस्टि के लिए एक बार मंजू से पूछ लूंगा फिर तुम्हे बता दूँगा। और बताओ क्या चल रहा है।

रमेश - जी सब ठीक है।

फिर एक दो मिनट सामान्य बातें हुई और रमेश नीचे चला गया।

रमेश को मुझमे मेरे पैसे का लालच दिख रहा था और मुझे उसकी बीबी और बेटी में। दोनों अपनी चाल चल कर खुश थे।

अब मैं तैयार हो के ऑफिस जाने के लिए नीचे उतर रहा था तभी मेरा मन हुआ की मंजू से मिलता चलू। शिल्पी कॉलेज जा चुकी थी और मनीष स्कूल। रमेश बाहर दुकान में था और मैं मंजू से मिलने को उसके घर के अंदर।

घर में नॉक किया और मंजू ने दरवाजा खोला। मंजू मुझे देखते ही स्माइल देते हुए बोली राज जी आप।

मैं - हाँ कोई शक
मंजू - नहीं नहीं, बोलिये कैसे आना हुआ
मैं - कल के स्वादिस्ट डिनर के लिए थैंक यू बोलने आया हूँ
मंजू - सिर्फ थैंक यू
मैं - और बताओ क्या चाहिए
मंजू - आप सोचो, हर चीज मांगी नहीं जाती
मैं - अच्छा ठीक है, मैं सोचता हूँ।
मंजू - बैठो अभी चाय बना के लाती हूँ।

मंजू ने सेक्सी नाईटी पहन रखा था और ऐसा लग रहा था जैसे तुरंत नहा के आई हो। चाय बनाने के लिए वों अपनी गांड मटकाती हुई किचन की ओर गई और मैं उसकी गांड को ऐकटक निहार रहा था।

मंजू चाय बना के वापिस आई और हम दोनों ने हसते हुए चाय पीया  और फिर पूछा मुझे डेली खाना खिलाने वाली हो तुम। उसने हाँ में सिर हिलाया और मैं समझ गया की रमेश ने इसे सब समझा दिया है। मैं मन ही मन खुश हुआ और ऑफिस के लिए निकल पड़ा।

पूरे दिन ऑफिस की भाग दौर के साथ दिमाग में ये चल रहा था की अब आगे आगे क्या करना है।

शाम को मैं घर आया और सोच रहा था की आज डिनर के लिए क्या होता है तभी शिल्पी मुस्कुराते हुए मेरे फ्लैट में आई। आते ही शिल्पी को मैंने गले लगा के किस किया। शिल्पी ने बोला की मम्मी ने आपको फ्रेश हो के नीचे बुलाया है। मैंने पूछा क्यूँ तो शिल्पी बोली मुझे मालूम नहीं है। मैंने शिल्पी को रुकने के लिए बोला लेकिन वों रुकी नहीं और नीचे चली गई। मैं थोड़ी देर बाद फ्रेश होकर नीचे गया तो देखा ड्राइंग रूम में मंजू मेरा इंतज़ार कर रही है। मंजू ने अभी भी नाईटी पहनी हुई थी जिसमे उसके ऊपर से नीचे तक सभी अंग कहर बरपा रहे थे।

मंजू मुझे देखकर स्माइल करती हुई बैठने को बोली और मैं भी सोफे पर बैठ गया। फिर थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुई फिर मंजू मेरे लिए डिनर ले आई। मैंने कहाँ डिनर क्यू तो वों तुरंत बोली की क्यू मत करो अब तो डेली खिलाऊंगी।

मैंने इस बार स्माइल करते हुए, इधर उधर की बातें करते हुए डिनर को फिनिश किया और छत पर फ्लैट की ओर चला गया।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 17-06-2022, 08:08 PM



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