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Adultery भाभी को प्यार से चोदा
#4
मैं स्नेहा भाभी को चूमने लगा. भाभी ने भी मुझे नहीं रोका और वो भी मेरे हाथों के स्पर्श का मजा लेने लगीं. भाभी से बात करते हुए मैं एक हाथ उनके चूतड़ों पर फेरते हुए भाभी की गांड को सहलाने लगा. पर स्नेहा का मुँह अभी भी दरवाजे की तरफ ओर था और उनकी पीठ मेरी तरफ थी.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी के कुरते को कंधे से नीचे की तरफ सरका दिया, जिससे स्नेहा भाभी की गोरी पीठ दिखने लगी. उसी के साथ में मैं अपने लंड को भाभी की गांड से बाहर से ही रगड़ रहा था.

स्नेहा भाभी भी मस्त होना चालू हो गई थीं. मैं उनको चूमता ही जा रहा था. कभी मैं उनकी पीठ को चूमता, तो कभी उनकी गर्दन को.
भाभी सेक्स से भरी आहें भरते हुए बोलीं- गर्दन पर आराम से करो … निशान पड़ जाएगा.

पर मैं कहां सुनने वाला था. मुझे तो ऐसा लग रहा था … जैसे आज मुझे पहली बार कोई भाभी चोदने के लिए मिली हो. मैं बस भाभी से लगा हुआ था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को हल्का सा आगे की तरफ झुका दिया, जिससे उनकी गांड पीछे से ऊपर हो गई और मैंने पीछे से उनका सूट उठा दिया. भाभी की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूसने ओर चाटने लगा.

ये सब करना स्नेहा भाभी को भी और मस्त कर रहा था. इधर मैं भी भाभी की चूत को पहली बार देखने के लिए बेताब था. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी की सलवार नीचे को सरका दिया. भाभी ने अन्दर नीले रंग की ही पैंटी पहनी हुई थी.

पहले तो मैंने भाभी की पैंटी में ही हाथ डाल कर उनकी चूत के दाने को मसला. दाने पर मेरी उंगलियों की हरकत महसूस करते ही स्नेहा भाभी ने मस्ती भरी आवाजें निकालना शुरू कर दी थीं. भाभी खड़ी थीं, तो मैं उनके लम्बे कुरते के अन्दर हाथ डाल कर चुत का मजा ले रहा था.

भाभी की गर्म सिसकारियों की आवाज से मुझसे रहा नहीं गया. मैंने भी देर न करते हुए उनकी पैंटी को बाहर निकाल दिया. आह भाभी की चूत एकदम साफ और गुलाबी रंगत लिए हुए थी. भाभी की चुत देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे अभी तक भाभी की चुत ने लंड का स्वाद ही नहीं चखा हो.

मैं देर न करते हुए जल्दी से नीचे हो गया और भाभी की चूत पर अपना मुँह रख कर जोर जोर से चुत चूसने और चाटने लगा. इससे स्नेहा भाभी की आवाज और भी ज्यादा तेज निकलने लगी थी. वो अब थोड़ी जोर से सिसकारियां भर रही थीं.

चूंकि भाभी की चुत भी गर्म हो चली थी, इसलिए मुझे उनकी चुत के टपकते पानी का स्वाद मिलने लगा था. भाभी की चूत से नमकीन पानी निकल रहा था. मैं बस आंखें बंद किए भाभी की चुत चाटने में लगा रहा.

कुछ देर ऐसे ही मैं कभी भाभी की चूत के दाने को चूसता, तो कभी चूत के अन्दर जीभ डाल कर चूसता. भाभी भी मस्ती भरी आहें भर रही थीं. उनकी सांसें अब कुछ ज्यादा ही भारी होने लगी थीं.

फिर मैंने उनको पकड़ कर घुमा दिया. भाभी का मुखड़ा अब मेरे मुँह के सामने था. हम दोनों एक दूसरे की आंखों में वासना से देख रहे थे.

भाभी से भी रहा नहीं गया. उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों के हवाले कर दिया. मैं उनके होंठों का रसीला रसपान करने लगा. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. मैंने भाभी के होंठों को कभी काट लेता, तो कभी जोर जोर से चूसने लगता.

स्नेहा भाभी भी मेरा पूरा साथ दिए जा रही थीं. कम से कम वो लिपकिस हमने 5 से 7 मिनट तक किया होगा. जब मुझसे रहा नहीं जाता, तो मैं भाभी के होंठों को काट लेता.

कुछ ही देर में भाभी भी पूरी गर्म हो गई थीं और खुल कर मेरा साथ दे रही थीं. मैंने एक हाथ को स्नेहा भाभी के चूचों पर रखा और दूसरे हाथ से उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा. मैं भाभी के कुरते के अन्दर से ही हाथ डाला और उनके पेट को सहलाने लगा.

मैंने जैसे ही स्नेहा भाभी के कुरते को निकाला, तो देखा कि स्नेहा ने नीले रंग की ही ब्रा पहन रखी थी.

स्नेहा भाभी ने भी थोड़ी मस्त हो कर मेरी शर्ट भी उतार दी और जीन्स को भी निकाल दिया. अब बस मैं अंडरवियर में रहा गया था. स्नेहा भाभी नीचे बैठ कर मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थीं. मैं भी स्नेहा भाभी के चूचों से मजे लिए जा रहा था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया. मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उनके चूचों को सहलाने लगा. मैं भाभी के एक दूध को होंठों से दबा कर चूसने लगा. दूध चुसवाते ही भाभी की कामुक सिसकारियाँ शुरू हो गईं. मैं थोड़ी जोर तक भाभी के एक चुचे को दबाता रहा … और दूसरे आम को मुँह में लेकर चूसता रहा.

इस दौरान स्नेहा भाभी की मदमस्त आवाजें मेरे कान में गूंजती रही थी- आऊऊ … ओह्ह्ह … उम्मम्म … यस यश बेबी … आह ऐसे ही चूसो … आआहह.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाभी को प्यार से चोदा - by neerathemall - 17-06-2022, 05:53 PM



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