17-06-2022, 05:53 PM
मैं भाभी का नम्बर सेव करते हुए सोच रहा था कि अभी शुरूआत में दोस्ती के नाम पर भाभी से एक लिपकिस मिल जाता, तो मजा ही आ जाता. पर मैंने जल्दी करना सही नहीं समझा.
मेरे मन में बस अब ये ही लगा था कि कैसे स्नेहा भाभी अकेले में मिलें और मैं उनकी खूब चुदाई करूं.
मेरी निगाहें अब भाभी की तरफ ही लग गई थीं. मैंने देखा कि वो अपने पति के साथ जा रही थीं और उनकी नजरें अभी भी मेरे ऊपर टिकी थीं. उनका पति भी अच्छा खासा स्मार्ट और मुझसे लंबा भी था. मुझे थोड़ी निराशा सी हुई कि शायद भाभी ने मुझे चूतिया न बनाया हो.
फिर कुछ टाइम बाद मैं भी अपने घर चला गया. अब बस मुझे स्नेहा भाभी का सेक्सी फिगर और उनकी टाईट साड़ी ही नजर आ रही थी. जिस लाल रंग की कसी हुई साड़ी में उनके मस्त उठे हुए चूतड़ और तने हुए चुचे मुझे झझकोर रहे थे. मुझे उनकी नंगी पीठ बार बार याद आ रही थी.
फिर मुझसे रहा नहीं गया और उसी टाइम मैंने लगातार 2 बारी मुठ मार कर खुद को शांत किया. मुठ मारने के बाद मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.
सुबह उठा, तो देखा कि व्हाट्सएप पर भाभी का हैलो का मैसेज आया हुआ था.
मैंने भी उनको रिप्लाई किया- हैलो भाभी जी … कैसी हो आप?
थोड़ी देर बाद भाभी का मैसेज आया- मैं ठीक हूँ … आप बताओ आप कैसे हो?
मैंने कहा- आपकी दुआ से मैं भी अच्छा हूँ.
भाभी ने एक हंसने का स्माइली भेजा.
मैंने पूछा- भाभी अभी आप क्या कर रही हो?
स्नेहा- वही … घर का काम.
मैं- वैसे आपके घर में कौन कौन है?
स्नेहा भाभी- मेरे घर में … मैं, मेरे पति और मेरी एक ननद है.
मैं- अच्छा जी … और सास ससुर या कोई देवर नहीं है आपका?
स्नेहा भाभी- देवर है, पर वो यहां नहीं है. मेरे सास ससुर गांव में रहते हैं.
मैं- आप लोग दिल्ली में कहां रहते हो?
स्नेहा भाभी ने अपना पता बताया कि यहां रहती हूं.
भाभी से उनके घर का पता जाना तो मैं खुश हो गया. स्नेहा भाभी का घर मेरे घर से यही कोई 15 किलोमीटर दूर ही था.
मैं- भाभी जी, आपकी शादी हुए ज्यादा टाइम तो नहीं हुआ होगा.
स्नेहा भाभी- हां मेरी शादी हुए अभी 8 महीने ही हुए हैं.
मैंने ‘हम्म..’ लिखा.
इतने में स्नेहा भाभी बोलीं- आप क्या करते हो?
मैंने कहा- मेरी अभी तो स्टडी चल रही है जी.
स्नेहा भाभी- क्या कर रहे हो स्टडी में?
मैं- बी.ए.
स्नेहा भाभी- तुम्हारी कोई जीएफ तो होगी ही?
मैं- हां भाभी थी, मगर उससे मिले बहुत टाइम हो गया है. वो मुझे पसंद नहीं आई थी.
स्नेहा भाभी बोलीं- आपको कैसी लड़की पसंद है?
मैं- मुझे तो बिल्कुल आपके जैसी चाहिए.
भाभी- हम्म.
मैं मजे लेने के लिए बोला- अगर आपकी शादी नहीं हुई होती, तो पक्का आपके पीछे पड़ जाता.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … वो क्यों?
मैंने कहा- इतनी सुंदर हॉट सेक्सी गर्लफ्रेंड सामने हो, तो कोई पागल ही होगा … जो आपके पीछे ना पड़े.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … मेरे पीछे पड़ कर क्या करोगे?
मैं- जो सब करते हैं.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … चलो कभी आपसे भी ठीक से बात होगी … बाय … अभी मुझे कुछ काम है, तो जब मैं मैसेज करूं … तभी आप करना ओके!
इतना बोल कर भाभी ऑफलाइन हो गईं.
ऐसे ही एक महीना बीत गया. अब हम दोनों बड़े अच्छे से खुल गए थे. अब हम दोनों सेक्स की बातें भी कर लेते थे.
एक दिन भाभी ने मुझसे कहा था- यार मेरी तुम्हारी उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं है … तुम मुझे भाभी मत कहा करो.
मैंने हंस कर पूछा- तो क्या स्नेहा डार्लिंग कहने लगूं?
भाभी बोलीं- अभी स्नेहा तक ही रखो.
मैं समझ गया कि भाभी जब लंड ले लेंगी, तब से डार्लिंग या जानू कहलवाना पसंद करेंगी.
फिर मैंने एक दिन मैंने स्नेहा भाभी से बोला- यार अब कितना इन्तजार करवाओगी?
भाभी बोलीं- किस बात का इन्तजार है.
मैंने कहा- मुझे आम चूसना है … और मुझे आम मिल नहीं रहे हैं.
भाभी ने मैसेज में हंस कर दिखा दिया.
फिर इसी तरह की सेक्स की बातें करने के बाद और मेरे बहुत बार बोलने पर भाभी मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गईं.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरे पास एक प्लान है, पर रूम तुमको ही देखना होगा और वो सेफ होना चाहिए ओके.
मैंने कहा- यार कमरे की चिंता तुम छोड़ दो … मैं सब इंतजाम कर लूंगा.
भाभी- और सुनो … मैंने अपने घर पर ये बोला है कि मेरे फ्रेंड की शादी है और मैं रात को वहीं रुकूँगी. अब तुमको देखना है कि रात में कहां चलना है ओके!
मैंने पूछा- क्या वाकयी आपके किसी फ्रेंड की शादी है?
भाभी- हां यार … पहले तो मैं अपनी फ्रेंड की शादी में ही जाऊंगी, फिर वहां से तुम मुझे लेने आ जाना ओके.
मैंने कहा- ठीक है.
शादी वाले दिन का मुझे इन्तजार था. उस दिन रात के 10 बज रहे थे. स्नेहा भाभी का कॉल आया- कहां हो? मुझे लेने आ जाओ.
मैं स्नेहा भाभी को लेने चला गया.
जैसे ही मैं उनकी सहेली के घर पहुंचा, तो मैंने भाभी को कॉल किया.
थोड़ी ही देर में स्नेहा भाभी बाहर आ गईं. आह … क्या लग रही थीं … मानो सामने कोई क़यामत हो. स्नेहा भाभी ने उन दिन नीले रंग का गाउन टाइप सूट पहना हुआ था. मैं तो उनको बस देखता ही रह गया.
इतने में स्नेहा भाभी मेरे करीब आईं और बोलीं- चलो … क्या देख रहे हो?
मैं तो बस उनको ऊपर से नीचे तक देखने में ही लगा हुआ था.
स्नेहा भाभी बोलीं- अब चलोगे भी या यही आँखों से ही अपना इन्तजार पूरा कर लोगे? अब जल्दी से चलो … यहां किसी ने देख लिया, तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
मैं बाइक लाया था. वो बाइक पर पीछे बैठ गईं. जैसे ही भाभी मुझसे चिपक कर बैठीं … मेरा लंड सलामी देने लगा. मैंने भी देर ना करते हुए बाइक को स्पीड दे दी.
कुछ ही देर में मैंने रूम के पास बाइक लाकर खड़ी कर दी. ये रूम ऐसी जगह पर था कि कोई पूछने या देखने वाला ही नहीं था. ये मेरे दोस्त का घर था. वहां कोई रहता ही नहीं था. आस पास के घर भी थोड़ी दूर दूर थे, तो किसी बात की दिक्कत नहीं थी.
अब हम दोनों बाइक से उतर गए और मैंने ताला खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए.
मैं बोला- स्नेहा, कुण्डी लगा देना.
स्नेहा ने जैसे ही लॉक लगाया, मैंने उनको पीछे से ही पकड़ लिया. अगले ही पल मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पर टिक गए थे और मैं भाभी की गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा.
स्नेहा कसमसाते हुए बोली- उन्हह … इतनी भी जल्दी क्या है … आराम से कर लेना.
मैंने कहा- जान मुझे कब से इस पल का इन्तजार रहा था.
मेरे मन में बस अब ये ही लगा था कि कैसे स्नेहा भाभी अकेले में मिलें और मैं उनकी खूब चुदाई करूं.
मेरी निगाहें अब भाभी की तरफ ही लग गई थीं. मैंने देखा कि वो अपने पति के साथ जा रही थीं और उनकी नजरें अभी भी मेरे ऊपर टिकी थीं. उनका पति भी अच्छा खासा स्मार्ट और मुझसे लंबा भी था. मुझे थोड़ी निराशा सी हुई कि शायद भाभी ने मुझे चूतिया न बनाया हो.
फिर कुछ टाइम बाद मैं भी अपने घर चला गया. अब बस मुझे स्नेहा भाभी का सेक्सी फिगर और उनकी टाईट साड़ी ही नजर आ रही थी. जिस लाल रंग की कसी हुई साड़ी में उनके मस्त उठे हुए चूतड़ और तने हुए चुचे मुझे झझकोर रहे थे. मुझे उनकी नंगी पीठ बार बार याद आ रही थी.
फिर मुझसे रहा नहीं गया और उसी टाइम मैंने लगातार 2 बारी मुठ मार कर खुद को शांत किया. मुठ मारने के बाद मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.
सुबह उठा, तो देखा कि व्हाट्सएप पर भाभी का हैलो का मैसेज आया हुआ था.
मैंने भी उनको रिप्लाई किया- हैलो भाभी जी … कैसी हो आप?
थोड़ी देर बाद भाभी का मैसेज आया- मैं ठीक हूँ … आप बताओ आप कैसे हो?
मैंने कहा- आपकी दुआ से मैं भी अच्छा हूँ.
भाभी ने एक हंसने का स्माइली भेजा.
मैंने पूछा- भाभी अभी आप क्या कर रही हो?
स्नेहा- वही … घर का काम.
मैं- वैसे आपके घर में कौन कौन है?
स्नेहा भाभी- मेरे घर में … मैं, मेरे पति और मेरी एक ननद है.
मैं- अच्छा जी … और सास ससुर या कोई देवर नहीं है आपका?
स्नेहा भाभी- देवर है, पर वो यहां नहीं है. मेरे सास ससुर गांव में रहते हैं.
मैं- आप लोग दिल्ली में कहां रहते हो?
स्नेहा भाभी ने अपना पता बताया कि यहां रहती हूं.
भाभी से उनके घर का पता जाना तो मैं खुश हो गया. स्नेहा भाभी का घर मेरे घर से यही कोई 15 किलोमीटर दूर ही था.
मैं- भाभी जी, आपकी शादी हुए ज्यादा टाइम तो नहीं हुआ होगा.
स्नेहा भाभी- हां मेरी शादी हुए अभी 8 महीने ही हुए हैं.
मैंने ‘हम्म..’ लिखा.
इतने में स्नेहा भाभी बोलीं- आप क्या करते हो?
मैंने कहा- मेरी अभी तो स्टडी चल रही है जी.
स्नेहा भाभी- क्या कर रहे हो स्टडी में?
मैं- बी.ए.
स्नेहा भाभी- तुम्हारी कोई जीएफ तो होगी ही?
मैं- हां भाभी थी, मगर उससे मिले बहुत टाइम हो गया है. वो मुझे पसंद नहीं आई थी.
स्नेहा भाभी बोलीं- आपको कैसी लड़की पसंद है?
मैं- मुझे तो बिल्कुल आपके जैसी चाहिए.
भाभी- हम्म.
मैं मजे लेने के लिए बोला- अगर आपकी शादी नहीं हुई होती, तो पक्का आपके पीछे पड़ जाता.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … वो क्यों?
मैंने कहा- इतनी सुंदर हॉट सेक्सी गर्लफ्रेंड सामने हो, तो कोई पागल ही होगा … जो आपके पीछे ना पड़े.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … मेरे पीछे पड़ कर क्या करोगे?
मैं- जो सब करते हैं.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … चलो कभी आपसे भी ठीक से बात होगी … बाय … अभी मुझे कुछ काम है, तो जब मैं मैसेज करूं … तभी आप करना ओके!
इतना बोल कर भाभी ऑफलाइन हो गईं.
ऐसे ही एक महीना बीत गया. अब हम दोनों बड़े अच्छे से खुल गए थे. अब हम दोनों सेक्स की बातें भी कर लेते थे.
एक दिन भाभी ने मुझसे कहा था- यार मेरी तुम्हारी उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं है … तुम मुझे भाभी मत कहा करो.
मैंने हंस कर पूछा- तो क्या स्नेहा डार्लिंग कहने लगूं?
भाभी बोलीं- अभी स्नेहा तक ही रखो.
मैं समझ गया कि भाभी जब लंड ले लेंगी, तब से डार्लिंग या जानू कहलवाना पसंद करेंगी.
फिर मैंने एक दिन मैंने स्नेहा भाभी से बोला- यार अब कितना इन्तजार करवाओगी?
भाभी बोलीं- किस बात का इन्तजार है.
मैंने कहा- मुझे आम चूसना है … और मुझे आम मिल नहीं रहे हैं.
भाभी ने मैसेज में हंस कर दिखा दिया.
फिर इसी तरह की सेक्स की बातें करने के बाद और मेरे बहुत बार बोलने पर भाभी मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गईं.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरे पास एक प्लान है, पर रूम तुमको ही देखना होगा और वो सेफ होना चाहिए ओके.
मैंने कहा- यार कमरे की चिंता तुम छोड़ दो … मैं सब इंतजाम कर लूंगा.
भाभी- और सुनो … मैंने अपने घर पर ये बोला है कि मेरे फ्रेंड की शादी है और मैं रात को वहीं रुकूँगी. अब तुमको देखना है कि रात में कहां चलना है ओके!
मैंने पूछा- क्या वाकयी आपके किसी फ्रेंड की शादी है?
भाभी- हां यार … पहले तो मैं अपनी फ्रेंड की शादी में ही जाऊंगी, फिर वहां से तुम मुझे लेने आ जाना ओके.
मैंने कहा- ठीक है.
शादी वाले दिन का मुझे इन्तजार था. उस दिन रात के 10 बज रहे थे. स्नेहा भाभी का कॉल आया- कहां हो? मुझे लेने आ जाओ.
मैं स्नेहा भाभी को लेने चला गया.
जैसे ही मैं उनकी सहेली के घर पहुंचा, तो मैंने भाभी को कॉल किया.
थोड़ी ही देर में स्नेहा भाभी बाहर आ गईं. आह … क्या लग रही थीं … मानो सामने कोई क़यामत हो. स्नेहा भाभी ने उन दिन नीले रंग का गाउन टाइप सूट पहना हुआ था. मैं तो उनको बस देखता ही रह गया.
इतने में स्नेहा भाभी मेरे करीब आईं और बोलीं- चलो … क्या देख रहे हो?
मैं तो बस उनको ऊपर से नीचे तक देखने में ही लगा हुआ था.
स्नेहा भाभी बोलीं- अब चलोगे भी या यही आँखों से ही अपना इन्तजार पूरा कर लोगे? अब जल्दी से चलो … यहां किसी ने देख लिया, तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
मैं बाइक लाया था. वो बाइक पर पीछे बैठ गईं. जैसे ही भाभी मुझसे चिपक कर बैठीं … मेरा लंड सलामी देने लगा. मैंने भी देर ना करते हुए बाइक को स्पीड दे दी.
कुछ ही देर में मैंने रूम के पास बाइक लाकर खड़ी कर दी. ये रूम ऐसी जगह पर था कि कोई पूछने या देखने वाला ही नहीं था. ये मेरे दोस्त का घर था. वहां कोई रहता ही नहीं था. आस पास के घर भी थोड़ी दूर दूर थे, तो किसी बात की दिक्कत नहीं थी.
अब हम दोनों बाइक से उतर गए और मैंने ताला खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए.
मैं बोला- स्नेहा, कुण्डी लगा देना.
स्नेहा ने जैसे ही लॉक लगाया, मैंने उनको पीछे से ही पकड़ लिया. अगले ही पल मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पर टिक गए थे और मैं भाभी की गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा.
स्नेहा कसमसाते हुए बोली- उन्हह … इतनी भी जल्दी क्या है … आराम से कर लेना.
मैंने कहा- जान मुझे कब से इस पल का इन्तजार रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
