17-06-2022, 05:50 PM
मैंने चुपके से जाकर भाभी की कच्छी को उठा लिया और उसको सूंघने लगा. भाभी की चूत की मनमोहक खुशबू इतनी मादक थी कि मैं वहीं पर झड़ गया. मैंने भाभी की कच्छी को अपने पास ही रख लिया. फिर सोचा कि भाभी की चूत देखने की तमन्ना तब पूरी हो जायेगी जब भाभी बाहर निकलेगी.
लेकिन मेरी किस्मत ने फिर भी मेरा साथ नहीं दिया. मैंने छुप कर देखा तो भाभी ने एक काले रंग की ब्रा और कच्छी पहनी हुई थी. फिर भाभी की नजर नीचे पड़ी हुई ब्रा पर गई लेकिन वहां पर कच्छी नहीं थी. मैं वहां से भाग गया क्योंकि शायद भाभी को शक हो गया था कि मेरे अलावा ये काम कोई नहीं कर सकता है.
भाभी नाइटी पहन कर मेरे कमरे में आई. मैं बेड पर ऐसे लेटने का नाटक कर रहा था जैसे कि मैं गहरी नींद में हूं.
भाभी मुझे हिलाते हुए बोली- रामू, तू अंदर कैसे आया?
मैंने आंखें मलने का नाटक करते हुए कहा- क्या करूं भाभी, आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया था. घर का दरवाजा बंद था. बहुत खटखटाने पर जब दरवाजा नहीं खुला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते से अंदर आ गया.
भाभी बोली- तू कितनी देर से अंदर है?
मैंने कहा- यही कोई एक घंटे से।
अब तो भाभी को शक हो गया कि कहीं शायद मैंने उनको नंगी तो नहीं देख लिया हो. उनकी कच्छी भी गायब थी.
भाभी ने पूछा- तूने मेरे कमरे से मेरी कोई चीज़ तो नहीं उठाई?
मैंने कहा- अरे हां भाभी, जब मैं आया तो मैंने देखा था कि कुछ कपड़े जमीन पर पड़े हुए थे. मैंने उनको उठा कर रख लिया था.
ये सुन कर भाभी का चेहरा सुर्ख लाल हो गया.
वो बोली- वापस कर मेरे कपड़े।
मैंने तकिये के नीचे से भाभी की कच्छी निकालते हुए कहा- भाभी, ये तो अब मैं वापस नहीं दूंगा।
भाभी बोली- क्यों, अब तू औरतों की कच्छी पहनेगा क्या?
“नहीं भाभी” मैंने कच्छी को सूंघते हुए कहा. इसकी मादक खुशबू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है।
वो बोली- अरे पगला है क्या? ये तो मैंने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे इसको!
मैंने कहा- नहीं भाभी, धोने से तो इसमें से आपकी महक निकल जायेगी. मैं इसको ऐसे ही रखना चाहता हूँ.
“धत् पागल … अच्छा ये बता कि तू घर में कितनी देर से है?”
भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैंने उसे नंगी तो नहीं देख लिया है.
मैंने भाभी की मंशा जान कर कहा- भाभी, मुझे पता है कि आप ऐसा क्यों पूछ रही हो। लेकिन इसमें मेरी गलती बिल्कुल भी नहीं है. जब मैं आया तो आप शीशे के सामने नंगी खड़ी हुई थी. आपका नंगा बदन बहुत ही सुन्दर लग रहा था. पतली कमर, भारी नितम्ब और गरदाई हुई जांघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रह्मचारी की नीयत भी डगमगा जाये.
मेरी बात सुन कर भाभी शर्म से लाल हो उठी। वो बोली- तुझे शर्म नहीं आती। मुझे तो ऐसा लगता है कि शायद तेरी नीयत भी खराब हो गई है.
मैंने कहा- आपको नंगी देख कर किसकी नीयत खराब नहीं होगी भाभी?
वो बोली- हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी। इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गई।
भाभी से इस तरह की सेक्सी बातें करने और उनकी कच्छी को उनके सामने ही सूंघने के बाद मेरे अंदर की प्यास बहुत ज्यादा बढ़ गई और मेरा लंड तन गया. फिर मुझसे रहा न गया और मैं भाभी के पीछे ही उनके रूम में चला गया.
वो अलमारी में कपड़े ठीक कर रही थी. मैंने अचानक से जाकर भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी बोली- क्या कर रहा है रामू? छोड़ दे मुझे।
लेकिन मैंने अपना खड़ा हुआ लंड भाभी के मोटे चूतड़ों पर सटा दिया. भाभी की गांड पर लंड को सटा कर मैं उनकी गांड पर लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा. भाभी के भीगे बालों की खुशबू मेरी हवस को और ज्यादा बढ़ा रही थी.
फिर मैंने भाभी की गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. भाभी की नाइटी बहुत ही सेक्सी थी और मखमली थी. जिसके कारण मेरा बदन उनके बदन की गर्माहट को महसूस कर सकता था.
दो-तीन मिनट तक भाभी मुझे हटाने का नाटक करती रही लेकिन जब मेरा लंड बार-बार भाभी की गांड से रगड़ता रहा तो भाभी गर्म हो गई. मैंने भाभी के चूचों को नाइटी के ऊपर से ही दबा दिया. भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.
अगले दो मिनट में मैंने भाभी को बेड पर ले जाकर पूरी नंगी कर दिया था लेकिन अभी पैंटी को नहीं हटाया था. मैं आराम से भाभी की चूत को देखना चाहता था. फिर मैंने भाभी की काली कच्छी को धीरे से खींच दिया तो भाभी के घने झाटों वाली चूत नंगी हो गई जो गीली सी लग रही थी.
मैं भाभी के ऊपर टूट पड़ा और अपने लंड को बाहर निकाल कर भाभी के चूचों को पीते हुए उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
भाभी कामुक हो उठी और उसने मेरे होंठों को चूस लिया. फिर मैंने भाभी की चूत पर लंड को सेट किया और उसकी चूत में अपना मूसल लंड घुसा दिया तो भाभी चीख पड़ी- आह्ह रामू … फाड़ दी तूने मेरी चूत, आह्ह्ह। बाहर निकाल अपने सांड जैसे लंड को।
लेकिन मैंने भाभी की चूत से लंड नहीं निकाला और पूरा लंड भाभी की चूत में उतार कर उसकी चुदाई करने लगा. कुछ देर कराहने के बाद भाभी को भी मजा आने लगा.
मैंने भाभी की चूत को तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया. भाभी मेरी चुदाई से गर्म होकर पांच मिनट में ही झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने भी दो-तीन धक्के लगाये और भाभी की चूत के झाटों के ऊपर अपना माल गिरा दिया.
हम दोनों हांफने लगे। फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे रहे। मैंने भाभी की चूत को चाट लिया. जिस पर मेरा माल भी लगा हुआ था. उस दिन मैंने भाभी को दो बार और चोदा.
फिर रात को मैंने दरवाजे से कान लगा कर सुना तो भाभी भैया से कह रही थी- आज बहुत दर्द हो रहा है. आपने कल जोर से चोद दी।
उस दिन भाभी ने अपनी चूत नहीं चुदवाई।
लेकिन मेरी किस्मत ने फिर भी मेरा साथ नहीं दिया. मैंने छुप कर देखा तो भाभी ने एक काले रंग की ब्रा और कच्छी पहनी हुई थी. फिर भाभी की नजर नीचे पड़ी हुई ब्रा पर गई लेकिन वहां पर कच्छी नहीं थी. मैं वहां से भाग गया क्योंकि शायद भाभी को शक हो गया था कि मेरे अलावा ये काम कोई नहीं कर सकता है.
भाभी नाइटी पहन कर मेरे कमरे में आई. मैं बेड पर ऐसे लेटने का नाटक कर रहा था जैसे कि मैं गहरी नींद में हूं.
भाभी मुझे हिलाते हुए बोली- रामू, तू अंदर कैसे आया?
मैंने आंखें मलने का नाटक करते हुए कहा- क्या करूं भाभी, आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया था. घर का दरवाजा बंद था. बहुत खटखटाने पर जब दरवाजा नहीं खुला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते से अंदर आ गया.
भाभी बोली- तू कितनी देर से अंदर है?
मैंने कहा- यही कोई एक घंटे से।
अब तो भाभी को शक हो गया कि कहीं शायद मैंने उनको नंगी तो नहीं देख लिया हो. उनकी कच्छी भी गायब थी.
भाभी ने पूछा- तूने मेरे कमरे से मेरी कोई चीज़ तो नहीं उठाई?
मैंने कहा- अरे हां भाभी, जब मैं आया तो मैंने देखा था कि कुछ कपड़े जमीन पर पड़े हुए थे. मैंने उनको उठा कर रख लिया था.
ये सुन कर भाभी का चेहरा सुर्ख लाल हो गया.
वो बोली- वापस कर मेरे कपड़े।
मैंने तकिये के नीचे से भाभी की कच्छी निकालते हुए कहा- भाभी, ये तो अब मैं वापस नहीं दूंगा।
भाभी बोली- क्यों, अब तू औरतों की कच्छी पहनेगा क्या?
“नहीं भाभी” मैंने कच्छी को सूंघते हुए कहा. इसकी मादक खुशबू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है।
वो बोली- अरे पगला है क्या? ये तो मैंने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे इसको!
मैंने कहा- नहीं भाभी, धोने से तो इसमें से आपकी महक निकल जायेगी. मैं इसको ऐसे ही रखना चाहता हूँ.
“धत् पागल … अच्छा ये बता कि तू घर में कितनी देर से है?”
भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैंने उसे नंगी तो नहीं देख लिया है.
मैंने भाभी की मंशा जान कर कहा- भाभी, मुझे पता है कि आप ऐसा क्यों पूछ रही हो। लेकिन इसमें मेरी गलती बिल्कुल भी नहीं है. जब मैं आया तो आप शीशे के सामने नंगी खड़ी हुई थी. आपका नंगा बदन बहुत ही सुन्दर लग रहा था. पतली कमर, भारी नितम्ब और गरदाई हुई जांघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रह्मचारी की नीयत भी डगमगा जाये.
मेरी बात सुन कर भाभी शर्म से लाल हो उठी। वो बोली- तुझे शर्म नहीं आती। मुझे तो ऐसा लगता है कि शायद तेरी नीयत भी खराब हो गई है.
मैंने कहा- आपको नंगी देख कर किसकी नीयत खराब नहीं होगी भाभी?
वो बोली- हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी। इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गई।
भाभी से इस तरह की सेक्सी बातें करने और उनकी कच्छी को उनके सामने ही सूंघने के बाद मेरे अंदर की प्यास बहुत ज्यादा बढ़ गई और मेरा लंड तन गया. फिर मुझसे रहा न गया और मैं भाभी के पीछे ही उनके रूम में चला गया.
वो अलमारी में कपड़े ठीक कर रही थी. मैंने अचानक से जाकर भाभी को पीछे से पकड़ लिया.
भाभी बोली- क्या कर रहा है रामू? छोड़ दे मुझे।
लेकिन मैंने अपना खड़ा हुआ लंड भाभी के मोटे चूतड़ों पर सटा दिया. भाभी की गांड पर लंड को सटा कर मैं उनकी गांड पर लंड को ऊपर नीचे रगड़ने लगा. भाभी के भीगे बालों की खुशबू मेरी हवस को और ज्यादा बढ़ा रही थी.
फिर मैंने भाभी की गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. भाभी की नाइटी बहुत ही सेक्सी थी और मखमली थी. जिसके कारण मेरा बदन उनके बदन की गर्माहट को महसूस कर सकता था.
दो-तीन मिनट तक भाभी मुझे हटाने का नाटक करती रही लेकिन जब मेरा लंड बार-बार भाभी की गांड से रगड़ता रहा तो भाभी गर्म हो गई. मैंने भाभी के चूचों को नाइटी के ऊपर से ही दबा दिया. भाभी के मुंह से सिसकारी निकल गई.
अगले दो मिनट में मैंने भाभी को बेड पर ले जाकर पूरी नंगी कर दिया था लेकिन अभी पैंटी को नहीं हटाया था. मैं आराम से भाभी की चूत को देखना चाहता था. फिर मैंने भाभी की काली कच्छी को धीरे से खींच दिया तो भाभी के घने झाटों वाली चूत नंगी हो गई जो गीली सी लग रही थी.
मैं भाभी के ऊपर टूट पड़ा और अपने लंड को बाहर निकाल कर भाभी के चूचों को पीते हुए उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने लगा.
भाभी कामुक हो उठी और उसने मेरे होंठों को चूस लिया. फिर मैंने भाभी की चूत पर लंड को सेट किया और उसकी चूत में अपना मूसल लंड घुसा दिया तो भाभी चीख पड़ी- आह्ह रामू … फाड़ दी तूने मेरी चूत, आह्ह्ह। बाहर निकाल अपने सांड जैसे लंड को।
लेकिन मैंने भाभी की चूत से लंड नहीं निकाला और पूरा लंड भाभी की चूत में उतार कर उसकी चुदाई करने लगा. कुछ देर कराहने के बाद भाभी को भी मजा आने लगा.
मैंने भाभी की चूत को तेजी के साथ चोदना शुरू कर दिया. भाभी मेरी चुदाई से गर्म होकर पांच मिनट में ही झड़ गई. उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने भी दो-तीन धक्के लगाये और भाभी की चूत के झाटों के ऊपर अपना माल गिरा दिया.
हम दोनों हांफने लगे। फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे रहे। मैंने भाभी की चूत को चाट लिया. जिस पर मेरा माल भी लगा हुआ था. उस दिन मैंने भाभी को दो बार और चोदा.
फिर रात को मैंने दरवाजे से कान लगा कर सुना तो भाभी भैया से कह रही थी- आज बहुत दर्द हो रहा है. आपने कल जोर से चोद दी।
उस दिन भाभी ने अपनी चूत नहीं चुदवाई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.