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Adultery प्यारी भाभी
#4
लड़कियों को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेखबर हूँ. जो भी लड़की मेरे लंड को देखती थी, वो देखती ही रह जाती थी। धीरे-धीरे फिर मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि शादीशुदा औरतों को लम्बे और मोटे का लंड का महत्व ज्यादा पता होता था.

ऐसे ही एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई- रामू ज़रा, बाहर कपड़े सूख रहे हैं, उन्हें अंदर ले आओ, बारिश आने वाली है।
“अच्छा भाभी!” कहकर मैं कपड़े लेने बाहर चला गया.

घने बादल छाये हुए थे। जब एकदम से तेज हवा चलने लगी तो भाभी भी मेरी हेल्प करने के लिए आ गई। बाहर बंधी रस्सी के ऊपर से जब मैं कपड़े उतार रहा था तो मैंने देखा कि भाभी की ब्रा और कच्छी भी टंगी हुई थी। मैंने भाभी की ब्रा को उतार कर उसका साइज पढ़ लिया. भाभी का साइज 38 था।

उसके बाद मैंने भाभी की कच्छी को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो कच्छी करीब-करीब पारदर्शी थी और इतनी छोटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो। भाभी की कच्छी का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छोटी सी कच्छी भाभी के विशाल नितम्बों और चूत को कैसे ढकती होगी?

मुझे लग रहा था कि शायद यह कच्छी भैया को रिझाने के लिए ही पहनती होगी भाभी। मैंने उस छोटी सी कच्छी को वहीं पर सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुछ खुशबू मैं भी ले सकूं.

तभी भाभी ऊपर आ गई और उन्होंने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया और बोली- क्या सूंघ रहे हो रामू? और ये तुम्हारे हाथ में क्या है?
मेरी चोरी पकड़ी गई थी. मैंने बहाना बनाते हुए कहा- देखो न भाभी, ये छोटी सी कच्छी पता नहीं किसकी है? यहां कैसे आ गई ये?

भाभी मेरे हाथ में अपनी कच्छी देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली- लाओ इधर दो।
“किसकी है भाभी?” मैंने अनजान बनते हुए पूछा।
“तुम्हें क्या मतलब है ये किसकी है? तुम अपना काम करो।” भाभी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोला।

“बता दो न, अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लौटा दूँ?”
“जी नहीं, रहने दो, लेकिन ये बताओ कि तुम इसको सूंघ कर क्या कर रहे थे?”
“अरे भाभी, मैं तो इसको पहनने वाली की खुशबू सूंघ रहा था। बड़ी ही मादक खुशबू थी। बता दो न किसकी है?”

ये सुनकर भाभी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अन्दर भाग गयी.

फिर उस रात जब वो मुझे पढ़ाने के लिए आई तो मैंने देखा कि उन्होंने एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे साफ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वो ही गुलाबी रंग की कच्छी पहन रखी थी।
झुकने की वजह से कच्छी की रूप रेखा साफ नज़र आ रही थी।

मेरा अंदाजा सही था। कच्छी इतनी छोटी थी कि भाभी के भारी नितम्बों के बीच की दरार में घुस जा रही थी। मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी। फिर मुझसे भी रहा न गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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प्यारी भाभी - by neerathemall - 17-06-2022, 05:47 PM
RE: प्यारी भाभी - by neerathemall - 17-06-2022, 05:48 PM



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