17-06-2022, 05:47 PM
जब हम लोग रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वहां पर काफी भीड़ थी। मैं भाभी के पीछे रिज़र्वेशन के लिए लाइन में खड़ा हुआ था. लोगों की धक्का मुक्की हो रही थी और इसलिए हर एक आदमी दूसरे से बिल्कुल सटा हुआ था। मेरा लंड बार-बार भाभी के मोटे-मोटे नितम्बों से रगड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी थी।
हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था फिर भी मैं भाभी के पीछे बिल्कुल चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और जोर से उनके चूतड़ों से रगड़ खाने लगा।
ऐसा लग रहा था कि भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता चल गया था लेकिन उन्होंने सब कुछ जानने के बाद भी कोशिश नहीं की। भीड़ के कारण सिर्फ भाभी को ही रिजर्वेशन मिला। मुझे रिजर्वेशन नहीं मिल पाया. इसलिये हम दोनों को एक ही सीट पर बैठना था।
हम दोनों ट्रेन में जाकर बैठ गये. रात को जब सोने का टाइम हुआ तो भाभी ने कहा कि मैं अपनी टांगें भाभी की तरफ कर लूं. मैंने अपनी टांगें भाभी की तरफ कर ली और भाभी ने अपनी टांगें मेरी तरफ कर लीं. इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गये.
बीच रात को मेरी आंख खुली तो ट्रेन की नाइट लाइट की हल्की-हल्की रोशनी में देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही थी। भाभी की साड़ी उनकी जांघों तक सरक गयी थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टांगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा।
उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं. मैं मन ही मन सोचने लगा था कि साड़ी अगर थोड़ी और ऊपर उठ जाये तो भाभी की चूत के दर्शन ही हो जायें।
मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया. भाभी की साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ 2 इंच ही नीचे थी लेकिन कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था कि 2 इंच ऊपर जो कालिमा सी नज़र आ रही थी वो काले रंग की कच्छी थी या भाभी की झाटें थीं।
मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की तो भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया. मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी. फिर मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा।
भाभी के मायके पहुंचने के बाद भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की। दस दिन वहाँ पर रुकने के बाद हम वापस लौट आये. वापस लौटते समय मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका ही नहीं मिला।
घर पहुंचने के बाद जब भैया ने भाभी को देखा तो बहुत खुश हो गये. मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है। उस रात को मैंने पहले की तरह भाभी के दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया. भैया कुछ ज्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ सुनाई दे रही थी।
“कंचन मेरी जान, तुमने तो मुझे बहुत सताया, देखो न, हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिये कैसे तड़प रहा है। अब तो इसका मिलन अपनी चूत से करवा दो।”
“हाय राम! आज तो ये कुछ ज्यादा ही बड़ा दिख रहा है। ओह हो … ठहरिये भी, साड़ी तो उतारने दो मुझे।”
“ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान … पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने का मजा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता है।”
“झूठ! अगर ऐसी बात है तो आप महीने में दो-तीन बार ही …”
” दो-तीन बार ही क्या?”
” ओह हो, मेरे मुंह से, गन्दी बात क्यों बुलवाना चाहते हो?”
” बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?”
“अच्छा बाबा, बोलती हूँ, महीने में दो-तीन बार ही चोदते हो। बस?”
“कंचन, तुम्हारे मुंह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड, अब और इंतजार नहीं कर सकता। थोड़ा अपनी टांगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है मेरी जान।”
“मुझे भी आपका बहुत … आह्ह मर गई … ओह्ह, उफ्फ … उई माँ, बहुत अच्छा लग रहा है। थोड़ा धीरे, हाँ अब ठीक है। थोड़ा जोर से …”
अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज के साथ फच-फच जैसी आवाज भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका। बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड वहीं पर खड़े हुए ही झड़ गया. पता नहीं क्या हो गया था कि इतनी उत्तेजना हो गई थी कि मेरा पानी वहीं पर निकल गया. मैं जल्दी से बिस्तर पर आकर लेट गया.
उसके बाद तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली-भांति परिचित था। मैंने इंग्लिश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म देख रखी थी और हिन्दी व इंग्लिश के कई गन्दे नॉवल भी पढ़े थे। मैं अब उन्हीं कल्पनाओं के सहारे भाभी को नंगी करने के बारे में सोचने लगा. मेरे मन में यही ख्याल आते रहते थे कि भाभी नंगी होने के बाद कैसी लगेगी।
जिस तरह भाभी के बाल लम्बे और घने थे वैसे ही काले, घने बाल भाभी की चूत पर भी होंगे। भैया मेरी भाभी को कौन-कौन सी मुद्राओं में चोदते होंगे? एकदम नंगी भाभी टांगें फैलाए हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
वैसे मैंने अभी तक आप लोगों को अपने बारे में तो बताया ही नहीं कि मैं एक लम्बा और तगड़ा लड़का हूं. मेरा कद करीब 6 फीट है। अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चैम्पियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत करता हूँ और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज है मेरा लंड। मेरा लंड ढीली अवस्था में भी आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है जैसे कोई हथौड़ा लटका हुआ हो। यदि मैं अंडरवियर न पहनूं तो पैंट के ऊपर से भी उसका आकार साफ दिखाई देता है। खड़ा होने के बाद तो उसकी लम्बाई करीब आठ इंच और मोटाई तीन इंच हो जाती है।
एक दोस्त ने मुझे बताया था कि इतना लम्बा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है। मैं अक्सर बरामदे में अपनी लुंगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूज़पेपर पढ़ने का नाटक करता था। जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती थी तो मैं अपनी टांगों को थोड़ा इस प्रकार से चौड़ा करता था कि उस लड़की को लुंगी के अंदर से झांकता हुआ लंड नजर आ जाये। मैं न्यूज़पेपर में छोटा सा छेद कर देता था। न्यूज़पेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था.
हालांकि मुझे कोई धक्का भी नहीं दे रहा था फिर भी मैं भाभी के पीछे बिल्कुल चिपक कर खड़ा था। मेरा लंड फनफना कर अंडरवियर से बाहर निकल कर भाभी के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी ने हल्के से अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और जोर से उनके चूतड़ों से रगड़ खाने लगा।
ऐसा लग रहा था कि भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता चल गया था लेकिन उन्होंने सब कुछ जानने के बाद भी कोशिश नहीं की। भीड़ के कारण सिर्फ भाभी को ही रिजर्वेशन मिला। मुझे रिजर्वेशन नहीं मिल पाया. इसलिये हम दोनों को एक ही सीट पर बैठना था।
हम दोनों ट्रेन में जाकर बैठ गये. रात को जब सोने का टाइम हुआ तो भाभी ने कहा कि मैं अपनी टांगें भाभी की तरफ कर लूं. मैंने अपनी टांगें भाभी की तरफ कर ली और भाभी ने अपनी टांगें मेरी तरफ कर लीं. इस प्रकार हम दोनों आसानी से लेट गये.
बीच रात को मेरी आंख खुली तो ट्रेन की नाइट लाइट की हल्की-हल्की रोशनी में देखा कि भाभी गहरी नींद में सो रही थी। भाभी की साड़ी उनकी जांघों तक सरक गयी थी। भाभी की गोरी-गोरी नंगी टांगें और मोटी मांसल जांघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा।
उनकी साड़ी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में से बाहर गिरने को हो रही थीं. मैं मन ही मन सोचने लगा था कि साड़ी अगर थोड़ी और ऊपर उठ जाये तो भाभी की चूत के दर्शन ही हो जायें।
मैंने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साड़ी को ऊपर सरकाना शुरू किया. भाभी की साड़ी अब भाभी की चूत से सिर्फ 2 इंच ही नीचे थी लेकिन कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नहीं समझ आ रहा था कि 2 इंच ऊपर जो कालिमा सी नज़र आ रही थी वो काले रंग की कच्छी थी या भाभी की झाटें थीं।
मैंने साड़ी को थोड़ा और ऊपर उठाने की जैसे ही कोशिश की तो भाभी ने करवट बदली और साड़ी को नीचे खींच लिया. मेरी सारी कोशिश बेकार हो गयी. फिर मैंने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा।
भाभी के मायके पहुंचने के बाद भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की। दस दिन वहाँ पर रुकने के बाद हम वापस लौट आये. वापस लौटते समय मुझे भाभी के साथ लेटने का मौका ही नहीं मिला।
घर पहुंचने के बाद जब भैया ने भाभी को देखा तो बहुत खुश हो गये. मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है। उस रात को मैंने पहले की तरह भाभी के दरवाजे से कान लगा कर खड़ा हो गया. भैया कुछ ज्यादा ही जोश में थे। अन्दर से आवाजें साफ सुनाई दे रही थी।
“कंचन मेरी जान, तुमने तो मुझे बहुत सताया, देखो न, हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिये कैसे तड़प रहा है। अब तो इसका मिलन अपनी चूत से करवा दो।”
“हाय राम! आज तो ये कुछ ज्यादा ही बड़ा दिख रहा है। ओह हो … ठहरिये भी, साड़ी तो उतारने दो मुझे।”
“ब्रा क्यों नहीं उतारी मेरी जान … पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने का मजा आता है। तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता है।”
“झूठ! अगर ऐसी बात है तो आप महीने में दो-तीन बार ही …”
” दो-तीन बार ही क्या?”
” ओह हो, मेरे मुंह से, गन्दी बात क्यों बुलवाना चाहते हो?”
” बोलो ना मेरी जान, दो-तीन बार क्या?”
“अच्छा बाबा, बोलती हूँ, महीने में दो-तीन बार ही चोदते हो। बस?”
“कंचन, तुम्हारे मुंह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड, अब और इंतजार नहीं कर सकता। थोड़ा अपनी टांगें और चौड़ी करो। मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है मेरी जान।”
“मुझे भी आपका बहुत … आह्ह मर गई … ओह्ह, उफ्फ … उई माँ, बहुत अच्छा लग रहा है। थोड़ा धीरे, हाँ अब ठीक है। थोड़ा जोर से …”
अन्दर से भाभी के कराहने की आवाज के साथ फच-फच जैसी आवाज भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका। बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड वहीं पर खड़े हुए ही झड़ गया. पता नहीं क्या हो गया था कि इतनी उत्तेजना हो गई थी कि मेरा पानी वहीं पर निकल गया. मैं जल्दी से बिस्तर पर आकर लेट गया.
उसके बाद तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा। मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा था लेकिन चुदाई की कला से भली-भांति परिचित था। मैंने इंग्लिश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म देख रखी थी और हिन्दी व इंग्लिश के कई गन्दे नॉवल भी पढ़े थे। मैं अब उन्हीं कल्पनाओं के सहारे भाभी को नंगी करने के बारे में सोचने लगा. मेरे मन में यही ख्याल आते रहते थे कि भाभी नंगी होने के बाद कैसी लगेगी।
जिस तरह भाभी के बाल लम्बे और घने थे वैसे ही काले, घने बाल भाभी की चूत पर भी होंगे। भैया मेरी भाभी को कौन-कौन सी मुद्राओं में चोदते होंगे? एकदम नंगी भाभी टांगें फैलाए हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम-वासना दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
वैसे मैंने अभी तक आप लोगों को अपने बारे में तो बताया ही नहीं कि मैं एक लम्बा और तगड़ा लड़का हूं. मेरा कद करीब 6 फीट है। अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चैम्पियन हूँ. रोज़ दो घंटे कसरत करता हूँ और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज है मेरा लंड। मेरा लंड ढीली अवस्था में भी आठ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है जैसे कोई हथौड़ा लटका हुआ हो। यदि मैं अंडरवियर न पहनूं तो पैंट के ऊपर से भी उसका आकार साफ दिखाई देता है। खड़ा होने के बाद तो उसकी लम्बाई करीब आठ इंच और मोटाई तीन इंच हो जाती है।
एक दोस्त ने मुझे बताया था कि इतना लम्बा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है। मैं अक्सर बरामदे में अपनी लुंगी को घुटनों तक उठा कर बैठ जाता था और न्यूज़पेपर पढ़ने का नाटक करता था। जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती थी तो मैं अपनी टांगों को थोड़ा इस प्रकार से चौड़ा करता था कि उस लड़की को लुंगी के अंदर से झांकता हुआ लंड नजर आ जाये। मैं न्यूज़पेपर में छोटा सा छेद कर देता था। न्यूज़पेपर से अपना चेहरा छुपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.