17-06-2022, 05:47 PM
भैया की शादी को दो साल हो चुके हैं। मेरी भाभी की उम्र 24 साल है. मेरी भाभी कंचन बहुत ही सुन्दर है। मैं उनकी बहुत इज्जत भी करता हूँ. वो भी मुझे बहुत प्यार करती हैं. हमारी दोस्ती काफी अच्छी है और अक्सर हम दोनों एक दूसरे से हंसी मजाक करते रहते हैं.
इतना ही नहीं … भाभी पढ़ाई में भी मेरी सहायता करती हैं। मैं उनसे मैथ्स पढ़ता हूँ.
एक दिन की बात है जब भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे का समय हो रहा था। इतने में भैया ने आवाज दी- कंचन और कितनी देर लगेगी? जल्दी आओ न!
भाभी भी मेरे पास से जाना नहीं चाहती थी लेकिन भैया के बुलाने पर उनको जाना पड़ा।
भाभी उठते हुए बोली- बाकी पढ़ाई कल करेंगे क्योंकि तुम्हारे भैया आज ज्यादा ही उतावले लग रहे हैँ.
इतना कह कर भाभी वहाँ से चली गई. मुझे भाभी की बात कुछ ज्यादा समझ में नहीं आई। मैं काफी देर तक सोचता रहा कि भाभी को ऐसी क्या जल्दी थी, फिर अचानक ही मेरे दिमाग की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात कि उतावली हो रही थी। यह सोच कर रही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।
इससे पहले भाभी को मेरे दिल में लेकर कोई भी बुरे विचार नहीं आये थे लेकिन भाभी के मुंह से उतावलेपन की बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे लगा कि भाभी के मुंह से हड़बड़ी में निकल गया होगा ऐसे ही। मगर फिर जब भाभी के कमरे की लाइट बन्द हो गई तो मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैंने भी फटाक से उठ कर अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे से कान लगाकर खड़ा हो गया.
अंदर से फुसफुसाने की आवाज आ रही थी. मगर कुछ-कुछ शब्द साफ भी सुनाई दे रहे थे।
“क्यों जी? आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?”
” मेरी जान … इतने दिन से तुमने दी नहीं मुझे, इतना जुल्म क्यों करती हो मुझ पर?”
“चलिए भी, मैंने कब रोका है आपको? आपको ही फुरसत नहीं मिलती है। रामू का कल एग्जाम है इसलिए उसको पढ़ाना जरूरी था।”
“तो श्रीमती जी, अगर आपकी इजाजत हो तो चुदाई का उद्घाटन करूं?”
“हे राम! कैसे बेशर्मी से कह रहे हो, आपको शर्म नहीं आती है क्या?”
“इसमें शर्म की क्या बात है? मैं अपनी ही बीवी को चोद रहा हूँ तो फिर उसमें शर्म की क्या बात है?”
“तुम बड़े खराब हो … आह्ह … आई … अम्म … आराम से करो, आह्ह्ह … धीरे करो न राजा, अभी तो सारी रात बाकी है!”
भैया और भाभी का ये कामुक संवाद सुनने के बाद मैं दरवाजे पर खड़ा न रह सका। मेरे पूरे कपड़े पसीने से भीग चुके थे। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटने के बाद मुझे नींद नहीं आई. सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा. एक पल के लिए भी आंख न लगी. जिंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड इस तरह से खड़ा हो गया था।
सुबह हुई तो भैया ऑफिस चले गये थे। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था. जबकि भाभी को पता भी नहीं था कि मैंने चुपके से भाभी की सेक्सी चुदाई की बातें सुन ली हैं. वो इस बात से बिल्कुल ही बेखबर थीं। मैंने देखा कि भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी जाकर किचन में खड़ा हो गया. उस दिन मैं भाभी के जिस्म को बड़े ही गौर से देख रहा था. बड़ा ही गोरा, भरा हुआ और गरदाया जिस्म था भाभी का।
उनके बाल काले और लम्बे थे जो घुटने तक लटक रहे थे। बड़ी-बड़ी आंखें थी भाभी की. गोल-गोल आम के जैसी चूचियां जिनका साइज़ 38 से कम न होगा. पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े व भारी नितम्ब।
यह नजारा देख कर एक बार फिर से मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई थी। इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, आज मेरा एग्जाम है और आप को तो जैसे कोई चिंता ही नहीं थी मेरी. आप बिना पढ़ाई करवाये ही सोने के लिए चली गई रात को?
“कैसी बातें करता है रामू? तेरी चिन्ता नहीं करूंगी तो किसकी करूंगी फिर?”
“झूठ मत बोलो, अगर चिन्ता थी तो गयी क्यों?”
“तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।”
“भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था? मैंने बड़े ही भोल ही स्वर में पूछा।
भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गई थी और तिरछी नजर से देखते हुए बोली- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है … मुझे लगता है अब तेरी शादी कर देनी चाहिए। बता दे, अगर कोई लड़की पसंद है तो?
“भाभी सच कहूँ तो मुझे आप ही बहुत अच्छी लगती हो।”
“चल नालायक, भाग यहां से, जाकर अपना एग्जाम दे।”
मैं एग्जाम देने चला तो गया लेकिन एग्जाम क्या देता, सारा दिन भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैंने उस दिन पहली बार भाभी से इस तरह की बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज नहीं हुई। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी। मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था।
भाभी मुझे रोज देर रात तक पढ़ाती थी। मुझे ऐसा महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो-तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर भाभी के बारे में सोचने लगा था कि भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाये तो मैं भाभी को दिन में तीन दफा चोदूं.
दिवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा था क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी।
इतना ही नहीं … भाभी पढ़ाई में भी मेरी सहायता करती हैं। मैं उनसे मैथ्स पढ़ता हूँ.
एक दिन की बात है जब भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे। रात के दस बजे का समय हो रहा था। इतने में भैया ने आवाज दी- कंचन और कितनी देर लगेगी? जल्दी आओ न!
भाभी भी मेरे पास से जाना नहीं चाहती थी लेकिन भैया के बुलाने पर उनको जाना पड़ा।
भाभी उठते हुए बोली- बाकी पढ़ाई कल करेंगे क्योंकि तुम्हारे भैया आज ज्यादा ही उतावले लग रहे हैँ.
इतना कह कर भाभी वहाँ से चली गई. मुझे भाभी की बात कुछ ज्यादा समझ में नहीं आई। मैं काफी देर तक सोचता रहा कि भाभी को ऐसी क्या जल्दी थी, फिर अचानक ही मेरे दिमाग की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात कि उतावली हो रही थी। यह सोच कर रही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी।
इससे पहले भाभी को मेरे दिल में लेकर कोई भी बुरे विचार नहीं आये थे लेकिन भाभी के मुंह से उतावलेपन की बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था। मुझे लगा कि भाभी के मुंह से हड़बड़ी में निकल गया होगा ऐसे ही। मगर फिर जब भाभी के कमरे की लाइट बन्द हो गई तो मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैंने भी फटाक से उठ कर अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे से कान लगाकर खड़ा हो गया.
अंदर से फुसफुसाने की आवाज आ रही थी. मगर कुछ-कुछ शब्द साफ भी सुनाई दे रहे थे।
“क्यों जी? आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?”
” मेरी जान … इतने दिन से तुमने दी नहीं मुझे, इतना जुल्म क्यों करती हो मुझ पर?”
“चलिए भी, मैंने कब रोका है आपको? आपको ही फुरसत नहीं मिलती है। रामू का कल एग्जाम है इसलिए उसको पढ़ाना जरूरी था।”
“तो श्रीमती जी, अगर आपकी इजाजत हो तो चुदाई का उद्घाटन करूं?”
“हे राम! कैसे बेशर्मी से कह रहे हो, आपको शर्म नहीं आती है क्या?”
“इसमें शर्म की क्या बात है? मैं अपनी ही बीवी को चोद रहा हूँ तो फिर उसमें शर्म की क्या बात है?”
“तुम बड़े खराब हो … आह्ह … आई … अम्म … आराम से करो, आह्ह्ह … धीरे करो न राजा, अभी तो सारी रात बाकी है!”
भैया और भाभी का ये कामुक संवाद सुनने के बाद मैं दरवाजे पर खड़ा न रह सका। मेरे पूरे कपड़े पसीने से भीग चुके थे। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर लेट गया। लेटने के बाद मुझे नींद नहीं आई. सारी रात भाभी के बारे में ही सोचता रहा. एक पल के लिए भी आंख न लगी. जिंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड इस तरह से खड़ा हो गया था।
सुबह हुई तो भैया ऑफिस चले गये थे। मैं भाभी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था. जबकि भाभी को पता भी नहीं था कि मैंने चुपके से भाभी की सेक्सी चुदाई की बातें सुन ली हैं. वो इस बात से बिल्कुल ही बेखबर थीं। मैंने देखा कि भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी जाकर किचन में खड़ा हो गया. उस दिन मैं भाभी के जिस्म को बड़े ही गौर से देख रहा था. बड़ा ही गोरा, भरा हुआ और गरदाया जिस्म था भाभी का।
उनके बाल काले और लम्बे थे जो घुटने तक लटक रहे थे। बड़ी-बड़ी आंखें थी भाभी की. गोल-गोल आम के जैसी चूचियां जिनका साइज़ 38 से कम न होगा. पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े व भारी नितम्ब।
यह नजारा देख कर एक बार फिर से मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई थी। इस बार मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, आज मेरा एग्जाम है और आप को तो जैसे कोई चिंता ही नहीं थी मेरी. आप बिना पढ़ाई करवाये ही सोने के लिए चली गई रात को?
“कैसी बातें करता है रामू? तेरी चिन्ता नहीं करूंगी तो किसकी करूंगी फिर?”
“झूठ मत बोलो, अगर चिन्ता थी तो गयी क्यों?”
“तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था।”
“भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था? मैंने बड़े ही भोल ही स्वर में पूछा।
भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गई थी और तिरछी नजर से देखते हुए बोली- धत्त बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है … मुझे लगता है अब तेरी शादी कर देनी चाहिए। बता दे, अगर कोई लड़की पसंद है तो?
“भाभी सच कहूँ तो मुझे आप ही बहुत अच्छी लगती हो।”
“चल नालायक, भाग यहां से, जाकर अपना एग्जाम दे।”
मैं एग्जाम देने चला तो गया लेकिन एग्जाम क्या देता, सारा दिन भाभी के बारे में ही सोचता रहा। मैंने उस दिन पहली बार भाभी से इस तरह की बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज नहीं हुई। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी। मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था।
भाभी मुझे रोज देर रात तक पढ़ाती थी। मुझे ऐसा महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो-तीन बार ही चोदते थे। मैं अक्सर भाभी के बारे में सोचने लगा था कि भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाये तो मैं भाभी को दिन में तीन दफा चोदूं.
दिवाली के लिए भाभी को मायके जाना था। भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सौंपा था क्योंकि भैया को छुट्टी नहीं मिल सकी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.