17-06-2022, 05:44 PM
मैं- क्या हुआ भाभी!
भाभी- अरे, आज मेरे स्तनों में दूध नहीं है. आज वेदांत सारा दूध पी गया और बाकी दूध की मैंने खीर बनायी, जो अभी तुमने खायी है.
मैं आश्चर्य से बोला- वो खीर आपके दूध की थी भाभी?
भाभी- हां देवर जी.
मैं- तभी मैं सोचूं कि इतनी मीठी खीर कैसे बनी, पर भाभी आज तो मुझे नींद ही नहीं आएगी. मेरी आदत बिना आपका दूध पिए सोने की नहीं है.
भाभी- तो अब मैं क्या कर सकती हूँ. अच्छा होता कि तुम्हें एक और भाभी मिल जाती … तो मैं तुम्हें उनका दूध पिला देती.
भाभी की चालाकी मैं समझ चुका था. वो मुझे बंगालिन भाभी का दूध पीने के लिए तैयार कर रही थीं.
मैं- भाभी, अगर मुझे दूसरी भाभी भी होती ना … तो भी मैं सिर्फ आपका दूध पी लेता और बस आपको हो चोदता.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- अच्छा देवर जी … इतना प्यार करते हो मुझे!
मैं- हां भाभी … मैं भैया से भी ज्यादा आपको प्यार करता हूँ.
यह सुनकर भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मुझे 5 मिनट तक लम्बा किस किया.
फिर भाभी बोलीं- अगर तू मुझे इतना प्यार करता है … तो तू मेरी बात मानेगा!
मैं- मैंने कभी आपकी बात टाली है … जो अब टालूंगा … आप बस बोल दो, मैं कर दूंगा.
भाभी- तो सुन मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और मैं तुम्हें दूध के लिए ऐसा तरसते हुई नहीं देख सकती. आज मेरे स्तन में दूध नहीं है … पर मैं अपने देवर को ऐसे बिना दूध पिए नहीं सोने दूँगी.
मैं- पर भाभी दूध कहां से लाओगी आप! मुझे तो स्तनों को चूस कर ताजा दूध पीना पसंद है.
भाभी- तुम चिंता मत करो … मैं तुम्हें दूध दिला कर रहूंगी.
मैं- वो कैसे भाभी?
भाभी- मेरी तरह ही मेरी सहेली को भी अब ज्यादा दूध के कारण दर्द हो रहा है. तुम आज उसका दूध पी लेना.
मैं- नहीं भाभी, मुझे आपका ही दूध पसंद है. मैं किसी और का दूध नहीं पिऊंगा … फिर दूध पीने के बाद मेरा लंड बेकाबू हो जाता है. मैं नहीं चाहता कि मैं अपनी प्यारी भाभी के अलावा किसी और को चोदूं … प्लीज भाभी.
भाभी- ठीक है. तू सिर्फ उसका दूध पी लेना और मुझे उसके सामने ही चोद देना.
मैं- पर भाभी!
भाभी- अब मैं और कुछ नहीं सुनना चाहती … तू वही करेगा, जो मैं कह रही हूँ.
मैं- ठीक है भाभी … अगर आप यही चाहती हैं तो यही सही.
भाभी- चल अब मुझे किस कर.
कुछ पल किस करने के बाद मैं भाभी की चुत चाटने की कोशिश करने ही जा रहा था कि तभी भाभी ने रोक लिया.
मैंने उनकी आंखों में देखा तो भाभी ने कहा- पहले दूध तो पी ले मेरी सहेली का …. फिर उसी के सामने मुझे चोद लेना.
मैं लंड हिलाता हुआ बोला- तो जल्दी बुलाओ भाभी उस दुधारू को … मुझे आपको जल्दी चोदना है.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- चोदू कहीं का … मेरा देवर कितना उतावला हो गया है.
फिर भाभी ने किसी को कॉल किया और कहा- आ जाओ, मेरा देवर तैयार है. और हां याद रखना तुम्हें उसे बस दूध पिलाना है, चुत चुदवाने के बारे में सोचना भी मत!
उधर से शायद हामी भरी गई और फोन कट गया.
मैं- वाह भाभी आप मेरा कितना ख्याल रखती हो … आई लव यू भाभी.
भाभी- अब मेरी सहेली आती ही होगी … तुम तैयार रहना.
मैं- ठीक है आने दो … साली का दूध निचोड़ कर पिऊंगा
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अरे मेरे देवर … आप तो बड़े चुदक्कड़ हो.
तभी दरवाजे की घंटी बजी और मैंने बंगालिन भाभी को सामने देखा.
मैं नंगा ही था और लंड सहला रहा था.
बंगालिन भाभी- अरे वाह भाभी के देवर … आज अपनी इस भाभी को भी ऐसे ही मजे देना.
मैं- नहीं भाभी, मैं सिर्फ आपका दूध पिऊंगा … वो भी इसलिए क्योंकि मेरी भाभी ने कहा है.
बंगालिन भाभी- काश मुझे ऐसा देवर मिलता.
भाभी- चलो रोहित अब जल्दी से शुरू हो जाओ.
ऐसा कहकर भाभी सामने वाली चेयर पर बैठ गईं और हम दोनों को निहारने लगीं.
मैं बंगालिन भाभी से बोला- भाभी, अपने बूब्स बाहर निकालो.
ऐसा सुनने के बाद बंगालिन भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब हम तीनों ही नंगे थे. मैंने बंगालिन भाभी के मम्मों को दबाना शुरू किया और अपने होंठों में एक निप्पल दबा लिया.
कुछ देर बाद उनकी चुचि से दूध की धार मेरे मुँह पर आ गयी. बंगालिन भाभी के मुँह से सीत्कार निकलने लगी और वो मेरे सर पर हाथ फेरती हुई मुझे अपना दूध पिलाने लगीं.
मैं भी एक छोटे बच्चे की तरह धीरे धीरे उनके आम चुसकने लगा. वो अब मस्त सिस्करियां ले रही थीं.
ये सब देख कर मेरी भाभी बोलीं- क्यों कैसा लगा मेरा देवर!
बंगालिन भाभी- मर जाऊं ऐसे देवर पर … बड़ा मजा दे रहा है.
कुछ ही देर में मैंने बंगालिन भाभी का एक स्तन पूरा निचोड़ लिया. अब दूसरा दूध अपने मुँह में दबा लिया. करीब दस मिनट के बाद मैंने बंगालिन भाभी के दोनों दूध पूरे पी लिए.
इसी दौरान उनकी चुत गीली हो गयी थी … तो मैंने उंगली डाल कर चुत का सारा पानी भी निकाल दिया था. अब वो पूरी तरह से ढीली हो गयी थीं, थक गयी थीं.
अब वो सिर्फ मेरी और मेरे भाभी की चुदाई देखना चाहती थीं.
इधर मेरी सगी भाभी भी बेड पर आ गयी थीं; हमारे दृश्य देखकर भाभी की चुत भी गीली हो गयी थी.
मैंने पहले अपनी भाभी की चुत में ही जीभ डाल दी और उनकी चुत में अन्दर तक फिराता रहा. भाभी की चुत का रस में लगातार चूस रहा था.
करीब दस मिनट के बाद भाभी झड़ गईं. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
भाभी अब मुझे अपने एक मम्मे को मेरे मुँह में डाल दिया और चूची चुसवाने लगीं. मैंने भाभी के दोनों आम चूसे … तो उसमें फिर से दूध आ गया था.
मैंने पूरी मस्ती से अपनी भाभी के मम्मे करीब 15 मिनट तक चूसे और भाभी का दूध पी लिया.
फिर मैंने भाभी को लिटा आकार उनकी चुत में लंड पेला और धकापेल चुदाई करना चालू कर दी.
ये देख कर बंगालिन भाभी अपने दूध मसलती हुई बोलीं- काश मेरा कोई देवर होता तो मैं भी इतनी मस्त चुदाई का मजा ले लेती. रोहित तुम बहुत मस्त चोदू इन्सान हो. तुम मुझे अगली बार चोद देना.
बंगालिन भाभी के जाने के बाद मैंने उस रात अपनी सगी भाभी से 3 बार चुदाई का मजा लिया.
हर बार मेरी सगी भाभी ने मेरा वीर्य अपनी चुत में ही ले लिया और बोलीं- मुझे तेरे जैसा बेटा चाहिए, इतना ही ताकतवर … तेरे भाई में इतना दम नहीं है. रोहित आज से तुम मेरे दूसरे पति हो.
हम दोनों चुदाई के बाद ऐसे ही नंगे सो गए. मैं भाभी की चुत में लंड डालकर सो गया था. ऐसे सोने में अपना ही मजा है.
भाभी- अरे, आज मेरे स्तनों में दूध नहीं है. आज वेदांत सारा दूध पी गया और बाकी दूध की मैंने खीर बनायी, जो अभी तुमने खायी है.
मैं आश्चर्य से बोला- वो खीर आपके दूध की थी भाभी?
भाभी- हां देवर जी.
मैं- तभी मैं सोचूं कि इतनी मीठी खीर कैसे बनी, पर भाभी आज तो मुझे नींद ही नहीं आएगी. मेरी आदत बिना आपका दूध पिए सोने की नहीं है.
भाभी- तो अब मैं क्या कर सकती हूँ. अच्छा होता कि तुम्हें एक और भाभी मिल जाती … तो मैं तुम्हें उनका दूध पिला देती.
भाभी की चालाकी मैं समझ चुका था. वो मुझे बंगालिन भाभी का दूध पीने के लिए तैयार कर रही थीं.
मैं- भाभी, अगर मुझे दूसरी भाभी भी होती ना … तो भी मैं सिर्फ आपका दूध पी लेता और बस आपको हो चोदता.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- अच्छा देवर जी … इतना प्यार करते हो मुझे!
मैं- हां भाभी … मैं भैया से भी ज्यादा आपको प्यार करता हूँ.
यह सुनकर भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मुझे 5 मिनट तक लम्बा किस किया.
फिर भाभी बोलीं- अगर तू मुझे इतना प्यार करता है … तो तू मेरी बात मानेगा!
मैं- मैंने कभी आपकी बात टाली है … जो अब टालूंगा … आप बस बोल दो, मैं कर दूंगा.
भाभी- तो सुन मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और मैं तुम्हें दूध के लिए ऐसा तरसते हुई नहीं देख सकती. आज मेरे स्तन में दूध नहीं है … पर मैं अपने देवर को ऐसे बिना दूध पिए नहीं सोने दूँगी.
मैं- पर भाभी दूध कहां से लाओगी आप! मुझे तो स्तनों को चूस कर ताजा दूध पीना पसंद है.
भाभी- तुम चिंता मत करो … मैं तुम्हें दूध दिला कर रहूंगी.
मैं- वो कैसे भाभी?
भाभी- मेरी तरह ही मेरी सहेली को भी अब ज्यादा दूध के कारण दर्द हो रहा है. तुम आज उसका दूध पी लेना.
मैं- नहीं भाभी, मुझे आपका ही दूध पसंद है. मैं किसी और का दूध नहीं पिऊंगा … फिर दूध पीने के बाद मेरा लंड बेकाबू हो जाता है. मैं नहीं चाहता कि मैं अपनी प्यारी भाभी के अलावा किसी और को चोदूं … प्लीज भाभी.
भाभी- ठीक है. तू सिर्फ उसका दूध पी लेना और मुझे उसके सामने ही चोद देना.
मैं- पर भाभी!
भाभी- अब मैं और कुछ नहीं सुनना चाहती … तू वही करेगा, जो मैं कह रही हूँ.
मैं- ठीक है भाभी … अगर आप यही चाहती हैं तो यही सही.
भाभी- चल अब मुझे किस कर.
कुछ पल किस करने के बाद मैं भाभी की चुत चाटने की कोशिश करने ही जा रहा था कि तभी भाभी ने रोक लिया.
मैंने उनकी आंखों में देखा तो भाभी ने कहा- पहले दूध तो पी ले मेरी सहेली का …. फिर उसी के सामने मुझे चोद लेना.
मैं लंड हिलाता हुआ बोला- तो जल्दी बुलाओ भाभी उस दुधारू को … मुझे आपको जल्दी चोदना है.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- चोदू कहीं का … मेरा देवर कितना उतावला हो गया है.
फिर भाभी ने किसी को कॉल किया और कहा- आ जाओ, मेरा देवर तैयार है. और हां याद रखना तुम्हें उसे बस दूध पिलाना है, चुत चुदवाने के बारे में सोचना भी मत!
उधर से शायद हामी भरी गई और फोन कट गया.
मैं- वाह भाभी आप मेरा कितना ख्याल रखती हो … आई लव यू भाभी.
भाभी- अब मेरी सहेली आती ही होगी … तुम तैयार रहना.
मैं- ठीक है आने दो … साली का दूध निचोड़ कर पिऊंगा
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अरे मेरे देवर … आप तो बड़े चुदक्कड़ हो.
तभी दरवाजे की घंटी बजी और मैंने बंगालिन भाभी को सामने देखा.
मैं नंगा ही था और लंड सहला रहा था.
बंगालिन भाभी- अरे वाह भाभी के देवर … आज अपनी इस भाभी को भी ऐसे ही मजे देना.
मैं- नहीं भाभी, मैं सिर्फ आपका दूध पिऊंगा … वो भी इसलिए क्योंकि मेरी भाभी ने कहा है.
बंगालिन भाभी- काश मुझे ऐसा देवर मिलता.
भाभी- चलो रोहित अब जल्दी से शुरू हो जाओ.
ऐसा कहकर भाभी सामने वाली चेयर पर बैठ गईं और हम दोनों को निहारने लगीं.
मैं बंगालिन भाभी से बोला- भाभी, अपने बूब्स बाहर निकालो.
ऐसा सुनने के बाद बंगालिन भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब हम तीनों ही नंगे थे. मैंने बंगालिन भाभी के मम्मों को दबाना शुरू किया और अपने होंठों में एक निप्पल दबा लिया.
कुछ देर बाद उनकी चुचि से दूध की धार मेरे मुँह पर आ गयी. बंगालिन भाभी के मुँह से सीत्कार निकलने लगी और वो मेरे सर पर हाथ फेरती हुई मुझे अपना दूध पिलाने लगीं.
मैं भी एक छोटे बच्चे की तरह धीरे धीरे उनके आम चुसकने लगा. वो अब मस्त सिस्करियां ले रही थीं.
ये सब देख कर मेरी भाभी बोलीं- क्यों कैसा लगा मेरा देवर!
बंगालिन भाभी- मर जाऊं ऐसे देवर पर … बड़ा मजा दे रहा है.
कुछ ही देर में मैंने बंगालिन भाभी का एक स्तन पूरा निचोड़ लिया. अब दूसरा दूध अपने मुँह में दबा लिया. करीब दस मिनट के बाद मैंने बंगालिन भाभी के दोनों दूध पूरे पी लिए.
इसी दौरान उनकी चुत गीली हो गयी थी … तो मैंने उंगली डाल कर चुत का सारा पानी भी निकाल दिया था. अब वो पूरी तरह से ढीली हो गयी थीं, थक गयी थीं.
अब वो सिर्फ मेरी और मेरे भाभी की चुदाई देखना चाहती थीं.
इधर मेरी सगी भाभी भी बेड पर आ गयी थीं; हमारे दृश्य देखकर भाभी की चुत भी गीली हो गयी थी.
मैंने पहले अपनी भाभी की चुत में ही जीभ डाल दी और उनकी चुत में अन्दर तक फिराता रहा. भाभी की चुत का रस में लगातार चूस रहा था.
करीब दस मिनट के बाद भाभी झड़ गईं. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था.
भाभी अब मुझे अपने एक मम्मे को मेरे मुँह में डाल दिया और चूची चुसवाने लगीं. मैंने भाभी के दोनों आम चूसे … तो उसमें फिर से दूध आ गया था.
मैंने पूरी मस्ती से अपनी भाभी के मम्मे करीब 15 मिनट तक चूसे और भाभी का दूध पी लिया.
फिर मैंने भाभी को लिटा आकार उनकी चुत में लंड पेला और धकापेल चुदाई करना चालू कर दी.
ये देख कर बंगालिन भाभी अपने दूध मसलती हुई बोलीं- काश मेरा कोई देवर होता तो मैं भी इतनी मस्त चुदाई का मजा ले लेती. रोहित तुम बहुत मस्त चोदू इन्सान हो. तुम मुझे अगली बार चोद देना.
बंगालिन भाभी के जाने के बाद मैंने उस रात अपनी सगी भाभी से 3 बार चुदाई का मजा लिया.
हर बार मेरी सगी भाभी ने मेरा वीर्य अपनी चुत में ही ले लिया और बोलीं- मुझे तेरे जैसा बेटा चाहिए, इतना ही ताकतवर … तेरे भाई में इतना दम नहीं है. रोहित आज से तुम मेरे दूसरे पति हो.
हम दोनों चुदाई के बाद ऐसे ही नंगे सो गए. मैं भाभी की चुत में लंड डालकर सो गया था. ऐसे सोने में अपना ही मजा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.