17-06-2022, 05:34 PM
फिर मैंने बंगालन भाभी की तरफ देखा, तो वो मुस्कुराकर चली गईं … पर जाते जाते मेरी भाभी को आंख मार कर गईं.
मेरी भाभी ने भी उन्हें मुस्कुरा कर देखा और आंख दबा कर उनका शुक्रिया अदा किया.
मैंने उन दोनों की इस कारगुजारी को अनदेखा करते हुए अपनी भाभी से कहा- भाभी मुझे माफ कर दो, अब मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा.
भाभी- ठीक है … वो सब छोड़ … पहले दूध तो पी.
ऐसा बोलकर उन्होंने अपना टॉप निकाला और ऊपर से पूरी नंगी हो गईं, यहां तक कि भाभी ने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के भरे हुए मम्मे देख कर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मेरा खड़ा लंड भाभी ने भी देख लिया.
भाभी नशीली आंखों से मुझे देखती हुई बोलीं- आ जा रोहित … पी ले मेरा दूध.
ऐसा बोलकर वो बेड पर बैठ गईं और मेरा सर अपनी जांघ पर रख कर अपना एक चुचा मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही मैंने भाभी की चूची को चूसा … उसमें से दूध की धार निकलकर मेरे मुँह में आने लगी.
ओह माय गॉड … भाभी का दूध बहुत मीठा था. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने जोर जोर से भाभी के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसना चालू कर दिया.
ये देख कर भाभी को बड़ा आराम पड़ गया और वो अपने उस चुचे को दबाती हुई मुझे दूध पिलाने लगे.
कोई दो मिनट बाद मैंने भाभी का मम्मा अपने हाथ से पकड़ा और दबा दबा आकर दूध चूसने लगा.
भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- क्यों देवर जी … अब क्या हुआ … अब तो मेरे मम्मे को छोड़ नहीं रहे हो.
मैं- भाभी अगर मुझे पहले पता होता कि आपका दूध इतना मीठा है … तो रोज ही आपका दूध पी लेता.
भाभी- हां रोज पी लेना मेरा दूध … मैं कहां भागी जा रही हूँ.
मैं- हां भाभी मुझे आपका दूध अब रोज पीना है.
मैंने दूसरे हाथ से भाभी का दूसरा चूचा दबाना चालू कर दिया. उसमें से दूध की धार निकल कर कपड़ों पर गिरने लगी.
भाभी- अरे ये क्या कर रहे हो देवर जी! दूध से मेरी लैगी खराब हो रही है.
मैंने दूध मसलते हुए कहा- भाभी अब आप कुछ नहीं बोलोगी, मुझे मेरे मन की कर लेने दो.
भाभी- ठीक है, जल्दी से दोनों का दूध पी लो.
मैं मस्ती से अपनी भाभी की चूचियों का दूध पीने लगा. साथ ही मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को मसल भी रहा था.
भाभी की चूचियों का दूध पीते पीते अब अब मेरा लंड इतना तन गया था कि मानो कोई बड़ा लोहे का औजार हो.
भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं- देवर जी आपका तो लंड बड़ा हो गया है … अब इसका क्या करोगे!
मैं- भाभी सब आपके दूध चूसने का नतीजा है. आपके दूध में बहुत ताकत है. अब आपको ही इसे शान्त करना होगा.
भाभी- ठीक है … पर किसी को बताना मत!
मैं- ठीक है भाभी … अब आपका एक का दूध निकलना बंद हो गया है.
भाभी- ओके अब दूसरा भी खाली कर दो.
मैं- ठीक है … अब तो मैं रोज यही खाना खाऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है … दूध पी कर ही भूख मिटा लेना.
करीब 15 मिनट में मैं भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी गया.
मैं- भाभी, इतना दूध तो मैंने अपनी मां का भी नहीं पिया होगा. सच में आपका दूध बहुत मीठा है. मैं रोज पियूंगा.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां पी लेना … आज तुमने मेरा दूध पीकर मुझे काफी राहत दिला दी है.
मैं- भाभी, मुझे आपके साथ सेक्स भी करना है.
भाभी- क्या, अपनी भाभी को चोदोगे?
मैं- हां भाभी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, मुझे आपसे प्यार है.
भाभी- अच्छा देवर जी … अब ये पाप नहीं है क्या!
मैं- नहीं भाभी, बस अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
भाभी- ठीक है … पर जब मैं कहूँ तब तुम्हें मेरा दूध पीना होगा.
मैं- वो तो मैं पी ही लूंगा, पर मुझे अभी आपकी चुत का पानी पीना है.
भाभी- वो सब अभी नहीं, रात को कर लेना, अब तुम ऑफिस जाओ.
मैं- ओके भाभी … आज रात को आप रेडी रहना मैं आपको चोदूंगा.
मेरी भाभी ने भी उन्हें मुस्कुरा कर देखा और आंख दबा कर उनका शुक्रिया अदा किया.
मैंने उन दोनों की इस कारगुजारी को अनदेखा करते हुए अपनी भाभी से कहा- भाभी मुझे माफ कर दो, अब मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा.
भाभी- ठीक है … वो सब छोड़ … पहले दूध तो पी.
ऐसा बोलकर उन्होंने अपना टॉप निकाला और ऊपर से पूरी नंगी हो गईं, यहां तक कि भाभी ने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के भरे हुए मम्मे देख कर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मेरा खड़ा लंड भाभी ने भी देख लिया.
भाभी नशीली आंखों से मुझे देखती हुई बोलीं- आ जा रोहित … पी ले मेरा दूध.
ऐसा बोलकर वो बेड पर बैठ गईं और मेरा सर अपनी जांघ पर रख कर अपना एक चुचा मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही मैंने भाभी की चूची को चूसा … उसमें से दूध की धार निकलकर मेरे मुँह में आने लगी.
ओह माय गॉड … भाभी का दूध बहुत मीठा था. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने जोर जोर से भाभी के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसना चालू कर दिया.
ये देख कर भाभी को बड़ा आराम पड़ गया और वो अपने उस चुचे को दबाती हुई मुझे दूध पिलाने लगे.
कोई दो मिनट बाद मैंने भाभी का मम्मा अपने हाथ से पकड़ा और दबा दबा आकर दूध चूसने लगा.
भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- क्यों देवर जी … अब क्या हुआ … अब तो मेरे मम्मे को छोड़ नहीं रहे हो.
मैं- भाभी अगर मुझे पहले पता होता कि आपका दूध इतना मीठा है … तो रोज ही आपका दूध पी लेता.
भाभी- हां रोज पी लेना मेरा दूध … मैं कहां भागी जा रही हूँ.
मैं- हां भाभी मुझे आपका दूध अब रोज पीना है.
मैंने दूसरे हाथ से भाभी का दूसरा चूचा दबाना चालू कर दिया. उसमें से दूध की धार निकल कर कपड़ों पर गिरने लगी.
भाभी- अरे ये क्या कर रहे हो देवर जी! दूध से मेरी लैगी खराब हो रही है.
मैंने दूध मसलते हुए कहा- भाभी अब आप कुछ नहीं बोलोगी, मुझे मेरे मन की कर लेने दो.
भाभी- ठीक है, जल्दी से दोनों का दूध पी लो.
मैं मस्ती से अपनी भाभी की चूचियों का दूध पीने लगा. साथ ही मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को मसल भी रहा था.
भाभी की चूचियों का दूध पीते पीते अब अब मेरा लंड इतना तन गया था कि मानो कोई बड़ा लोहे का औजार हो.
भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं- देवर जी आपका तो लंड बड़ा हो गया है … अब इसका क्या करोगे!
मैं- भाभी सब आपके दूध चूसने का नतीजा है. आपके दूध में बहुत ताकत है. अब आपको ही इसे शान्त करना होगा.
भाभी- ठीक है … पर किसी को बताना मत!
मैं- ठीक है भाभी … अब आपका एक का दूध निकलना बंद हो गया है.
भाभी- ओके अब दूसरा भी खाली कर दो.
मैं- ठीक है … अब तो मैं रोज यही खाना खाऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है … दूध पी कर ही भूख मिटा लेना.
करीब 15 मिनट में मैं भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी गया.
मैं- भाभी, इतना दूध तो मैंने अपनी मां का भी नहीं पिया होगा. सच में आपका दूध बहुत मीठा है. मैं रोज पियूंगा.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां पी लेना … आज तुमने मेरा दूध पीकर मुझे काफी राहत दिला दी है.
मैं- भाभी, मुझे आपके साथ सेक्स भी करना है.
भाभी- क्या, अपनी भाभी को चोदोगे?
मैं- हां भाभी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, मुझे आपसे प्यार है.
भाभी- अच्छा देवर जी … अब ये पाप नहीं है क्या!
मैं- नहीं भाभी, बस अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
भाभी- ठीक है … पर जब मैं कहूँ तब तुम्हें मेरा दूध पीना होगा.
मैं- वो तो मैं पी ही लूंगा, पर मुझे अभी आपकी चुत का पानी पीना है.
भाभी- वो सब अभी नहीं, रात को कर लेना, अब तुम ऑफिस जाओ.
मैं- ओके भाभी … आज रात को आप रेडी रहना मैं आपको चोदूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.