17-06-2022, 04:43 PM
वो मुझे और घर में बोले- कुछ काम है, तो आज ही गांव जाना पड़ रहा है. मोना को और सूरज को देखना … और यश, अपनी भाभी का कोई सामान वगैरह लाना हो, तो ला देना.
मैंने कहा- ठीक है.
इतना बोलने के बाद वो सब चले गए. अब करीब 11 बजे होंगे, मैं ऊपर छत पर खड़ा था. इतने में भाभी की कॉल आई.
वो पूछने लगीं- यश कहां हो?
मैंने कहा- अभी तो छत पर हूँ.
फिर भाभी बोलीं- घर पर आना, कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है … अभी आता हूं.
पांच मिनट बाद मैं भाभी के घर के बाहर गेट पर खड़ा था.
मैंने दरवाजे की घंटी बजाई तो भाभी की आवाज आई- गेट खुला है … आ जाओ और आते हुए कुंडी लगा देना.
मैं अन्दर आ गया और मेन गेट की कुंडी लगा दी.
मैंने आवाज दी- भाभी?
भाभी बोलीं- ऊपर आ जाओ … ऊपर हूँ मैं!
मैं जैसे ही ऊपर आया, भाभी रूम में नहीं थीं. मैंने फिर से आवाज लगाई- भाभी कहां हो?
तो बाथरूम से आवाज आई- तुम वहीं बैठो … में अभी आती हूँ नहा कर.
थोड़ी देर में भाभी ने फिर से आवाज लगाई- यश!
मैंने बोला- हां जी भाभी जी!
मोना भाभी बोलीं- यश जरा बेड पर मेरा पेटीकोट और ब्लाउज़ रखा है … दे दोगे मुझे!
मैंने कहा- ठीक है … लाता हूँ.
भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला लेकिन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ किया हुआ था और भाभी को कपड़े देने लगा.
इतने में भाभी बोलीं- वाह जी, अब बड़ा शरीफ बन रहे हो. तुम पीछे मुड़ सकते हो … अभी मैंने कुछ कपड़े पहने हुए हैं.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा. मैं सोच रहा था कि अभी भाभी ने पता नहीं क्या पहना होगा.
उन्होंने पानी से भीगा हुआ पेटीकोट अपने जिस्म पर कसा हुआ था. उसे ऊपर अपने मम्मों तक करके पहना हुआ था. नीचे उनकी गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं.
अभी भी मेरे हाथों में उनके कपड़े थे. एक तरफ से उन्होंने पकड़े हुए थे और दूसरी तरफ से मैंने.
इतने में भाभी बोलीं- क्या हुआ … अभी भी नाराज हो?
मैं बोला- आपसे कोई कैसे नाराज हो सकता है.
मोना भाभी बोलीं- रहने दो … एक हफ्ते से बात तो कर नहीं रहे हो.
फिर मैंने बोला- आप तो नहा ली अकेले अकेले.
भाभी बोलीं- अकेले ही तो नहाते हैं.
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है. दो लोग एक साथ भी नहा सकते हैं.
इस बार मोना भाभी मजाक में ही बोली होंगी- अच्छा जी … तो अन्दर आ जाओ.
मैंने कहा- देख लो, आ गया तो दिक्कत न हो जाए आपको!
मोना भाभी बोलीं- आओ तो सही.
अब हो ये रहा था कि मोना भाभी के कपड़े जो मैंने और भाभी ने पकड़ रखे थे वो कभी भाभी खींच रही थीं, तो कभी मैं अपनी तरफ खींचता.
इतनी देर में मुझसे कपड़े हाथ से छूट गए और भाभी जल्दी से दरवाजे को बंद करने लगीं. मैंने भी जोर देते हुए दरवाजे को धक्का लगाया, तो दरवाजा खुल गया.
मैंने भी इस मौके को जाने नहीं दिया. मैंने जल्दी से अन्दर आकर दरवाजे को बंद कर दिया.
भाभी मजाक करते हुए अपने दोनों हाथों से मुझे रोकने लगीं.
मैंने भी एक हाथ से भाभी को पीछे किया और शॉवर को चालू कर दिया.
भाभी बोलने लगीं- ये क्या कर रहे हो … गीले हो जाओगे.
मैंने कहा- गीला ही तो होना है.
ये कह के मैंने भाभी के दोनों हाथों को दीवार से लगा दिया.
इतने में भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जो उस दिन नहीं हुआ था … वो आज करूंगा.
इतना बोलते ही मैं मोना भाभी की गर्दन पर जोर जोर से किस करने लगा.
भाभी अचानक से इस चीज़ को होने से रोक नहीं पाईं. वो बोलने लगीं- यश प्लीज़ रुको तो रुको भी यार.
मैंने उनको दोनों हाथों को जोर से पकड़ रखा था. अगले ही पल मैंने मोना भाभी का मुँह दीवार की तरफ कर दिया. भाभी अभी भी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं.
मैं एक हाथ से उनके चुचों को दबा रहा था तो दूसरे हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था.
मोना भाभी मुझसे छूटने की कोशिश भी ऐसे कर रही थीं, जैसे उनके मन भी मुझसे छूटने का मन न हो.
वो मुझसे मजे लेने के मूड में दिख रही थीं. वो छूटने का ऊपर से दिखावा भर कर रही थीं और बोल रही थीं- यश छोड़ो मुझे … ये क्या कर रहे हो यार.
मैं भाभी की चूत को और जोर जोर से सहला रहा था, जिससे भाभी शांत हो रही थीं और गर्म हो रही थीं.
भाभी दबी जुबान से अब भी बोल रही थीं- यश … तुम रुको तो … एक मिनट रुको तो.
मैंने उनकी एक न सुनी. मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उनकी गांड पर कसके दबाने लगा और पीछे से ही उनकी गर्दन, पीठ पर चूमने लगा.
मोना भाभी का विरोध एकदम कम हो गया था.
मैंने कुछ देर ऐसे ही किया. फिर भाभी को सीधा करके उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया.
मैं भाभी को जोर जोर से चूसने लगा.
अभी भी भाभी दिखावा करने के लिए आराम आराम से बोल रही थीं- यश कोई देख लेगा.
मैंने कहा- आज कोई नहीं है देखने वाला. भाभी आज मुझे मत रोको.
आज पहली बार मैंने मोना भाभी के होंठों का रस पीना शुरू किया था. इतने मुलायम, इतने रसीले होंठ थे भाभी के कि बस मन किए जा रहा था कि भाभी के होंठों का सारा रस पी जाऊं.
फिर मैंने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करके उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा.
एक साथ दो काम हो रहे थे. कमर को सहलाना और उनकी गर्दन पर जोर जोर से किस किये जा रहा था.
मोना भाभी गर्म होने लगी थीं और अब उनके मुँह से मादक सिस्कारियां निकल रही थीं- अअह … उहह!
भाभी ने जो पेटीकोट पहना था, वो उन्होंने अपने मम्मों के ऊपर चढ़ा कर पहना हुआ था. जिससे उनके चुचे भी ढके हुए थे और पैंटी भी.
मैंने नीचे से उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके चुचों को सहलाने लगा. कभी कभी में भाभी के रसीले मम्मों को दबा भी रहा था.
अब मोना भाभी ने भी विरोध करना बंद कर दिया था. वो मादक आवाजों में ‘आह्ह्ह ऊओह्ह ..’ कर रही थीं.
अगले ही पल में मैंने मोना भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया.
हम दोनों ही गीले हो गए थे.
मैंने देखा कि उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
मैंने कहा- ठीक है.
इतना बोलने के बाद वो सब चले गए. अब करीब 11 बजे होंगे, मैं ऊपर छत पर खड़ा था. इतने में भाभी की कॉल आई.
वो पूछने लगीं- यश कहां हो?
मैंने कहा- अभी तो छत पर हूँ.
फिर भाभी बोलीं- घर पर आना, कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है … अभी आता हूं.
पांच मिनट बाद मैं भाभी के घर के बाहर गेट पर खड़ा था.
मैंने दरवाजे की घंटी बजाई तो भाभी की आवाज आई- गेट खुला है … आ जाओ और आते हुए कुंडी लगा देना.
मैं अन्दर आ गया और मेन गेट की कुंडी लगा दी.
मैंने आवाज दी- भाभी?
भाभी बोलीं- ऊपर आ जाओ … ऊपर हूँ मैं!
मैं जैसे ही ऊपर आया, भाभी रूम में नहीं थीं. मैंने फिर से आवाज लगाई- भाभी कहां हो?
तो बाथरूम से आवाज आई- तुम वहीं बैठो … में अभी आती हूँ नहा कर.
थोड़ी देर में भाभी ने फिर से आवाज लगाई- यश!
मैंने बोला- हां जी भाभी जी!
मोना भाभी बोलीं- यश जरा बेड पर मेरा पेटीकोट और ब्लाउज़ रखा है … दे दोगे मुझे!
मैंने कहा- ठीक है … लाता हूँ.
भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला लेकिन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ किया हुआ था और भाभी को कपड़े देने लगा.
इतने में भाभी बोलीं- वाह जी, अब बड़ा शरीफ बन रहे हो. तुम पीछे मुड़ सकते हो … अभी मैंने कुछ कपड़े पहने हुए हैं.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा. मैं सोच रहा था कि अभी भाभी ने पता नहीं क्या पहना होगा.
उन्होंने पानी से भीगा हुआ पेटीकोट अपने जिस्म पर कसा हुआ था. उसे ऊपर अपने मम्मों तक करके पहना हुआ था. नीचे उनकी गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं.
अभी भी मेरे हाथों में उनके कपड़े थे. एक तरफ से उन्होंने पकड़े हुए थे और दूसरी तरफ से मैंने.
इतने में भाभी बोलीं- क्या हुआ … अभी भी नाराज हो?
मैं बोला- आपसे कोई कैसे नाराज हो सकता है.
मोना भाभी बोलीं- रहने दो … एक हफ्ते से बात तो कर नहीं रहे हो.
फिर मैंने बोला- आप तो नहा ली अकेले अकेले.
भाभी बोलीं- अकेले ही तो नहाते हैं.
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है. दो लोग एक साथ भी नहा सकते हैं.
इस बार मोना भाभी मजाक में ही बोली होंगी- अच्छा जी … तो अन्दर आ जाओ.
मैंने कहा- देख लो, आ गया तो दिक्कत न हो जाए आपको!
मोना भाभी बोलीं- आओ तो सही.
अब हो ये रहा था कि मोना भाभी के कपड़े जो मैंने और भाभी ने पकड़ रखे थे वो कभी भाभी खींच रही थीं, तो कभी मैं अपनी तरफ खींचता.
इतनी देर में मुझसे कपड़े हाथ से छूट गए और भाभी जल्दी से दरवाजे को बंद करने लगीं. मैंने भी जोर देते हुए दरवाजे को धक्का लगाया, तो दरवाजा खुल गया.
मैंने भी इस मौके को जाने नहीं दिया. मैंने जल्दी से अन्दर आकर दरवाजे को बंद कर दिया.
भाभी मजाक करते हुए अपने दोनों हाथों से मुझे रोकने लगीं.
मैंने भी एक हाथ से भाभी को पीछे किया और शॉवर को चालू कर दिया.
भाभी बोलने लगीं- ये क्या कर रहे हो … गीले हो जाओगे.
मैंने कहा- गीला ही तो होना है.
ये कह के मैंने भाभी के दोनों हाथों को दीवार से लगा दिया.
इतने में भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जो उस दिन नहीं हुआ था … वो आज करूंगा.
इतना बोलते ही मैं मोना भाभी की गर्दन पर जोर जोर से किस करने लगा.
भाभी अचानक से इस चीज़ को होने से रोक नहीं पाईं. वो बोलने लगीं- यश प्लीज़ रुको तो रुको भी यार.
मैंने उनको दोनों हाथों को जोर से पकड़ रखा था. अगले ही पल मैंने मोना भाभी का मुँह दीवार की तरफ कर दिया. भाभी अभी भी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं.
मैं एक हाथ से उनके चुचों को दबा रहा था तो दूसरे हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था.
मोना भाभी मुझसे छूटने की कोशिश भी ऐसे कर रही थीं, जैसे उनके मन भी मुझसे छूटने का मन न हो.
वो मुझसे मजे लेने के मूड में दिख रही थीं. वो छूटने का ऊपर से दिखावा भर कर रही थीं और बोल रही थीं- यश छोड़ो मुझे … ये क्या कर रहे हो यार.
मैं भाभी की चूत को और जोर जोर से सहला रहा था, जिससे भाभी शांत हो रही थीं और गर्म हो रही थीं.
भाभी दबी जुबान से अब भी बोल रही थीं- यश … तुम रुको तो … एक मिनट रुको तो.
मैंने उनकी एक न सुनी. मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उनकी गांड पर कसके दबाने लगा और पीछे से ही उनकी गर्दन, पीठ पर चूमने लगा.
मोना भाभी का विरोध एकदम कम हो गया था.
मैंने कुछ देर ऐसे ही किया. फिर भाभी को सीधा करके उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया.
मैं भाभी को जोर जोर से चूसने लगा.
अभी भी भाभी दिखावा करने के लिए आराम आराम से बोल रही थीं- यश कोई देख लेगा.
मैंने कहा- आज कोई नहीं है देखने वाला. भाभी आज मुझे मत रोको.
आज पहली बार मैंने मोना भाभी के होंठों का रस पीना शुरू किया था. इतने मुलायम, इतने रसीले होंठ थे भाभी के कि बस मन किए जा रहा था कि भाभी के होंठों का सारा रस पी जाऊं.
फिर मैंने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करके उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा.
एक साथ दो काम हो रहे थे. कमर को सहलाना और उनकी गर्दन पर जोर जोर से किस किये जा रहा था.
मोना भाभी गर्म होने लगी थीं और अब उनके मुँह से मादक सिस्कारियां निकल रही थीं- अअह … उहह!
भाभी ने जो पेटीकोट पहना था, वो उन्होंने अपने मम्मों के ऊपर चढ़ा कर पहना हुआ था. जिससे उनके चुचे भी ढके हुए थे और पैंटी भी.
मैंने नीचे से उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके चुचों को सहलाने लगा. कभी कभी में भाभी के रसीले मम्मों को दबा भी रहा था.
अब मोना भाभी ने भी विरोध करना बंद कर दिया था. वो मादक आवाजों में ‘आह्ह्ह ऊओह्ह ..’ कर रही थीं.
अगले ही पल में मैंने मोना भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया.
हम दोनों ही गीले हो गए थे.
मैंने देखा कि उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.