17-06-2022, 04:42 PM
होली वाले दिन मैं पहले तो अपने दोस्तों से मिला और उनको विश किया.
फिर जल्दी से घर वापस आ गया और गुलाल, रंग आदि सब लेकर भाभी जी के घर की तरफ चल पड़ा.
गली के और भी लड़के भाभी को रंग लगाने को मचल रहे थे.
मैंने देखा कि भाभी उनसे बारी बारी से हल्का सा टीका लगवा लेतीं … बस उससे ज्यादा कुछ नहीं.
पहले तो मुझे भी लगा कि एक टीका लगाने से क्या होगा.
मगर मैं गलत था. भाभी मेरा ही इंतजार कर रही थीं कि मैं कब आऊंगा.
मैं कुछ सोच कर वापस अपने घर में आ गया.
थोड़ी देर में मैं घर के बाहर आया, तो देखा कि सूरज भईया बाइक पर बैठकर कहीं जा रहे थे.
ये मेरे लिए अच्छा मौका था.
मैं भाभी के घर में गया, तो अंकल आंटी पकौड़े बना रहे थे.
मैंने दोनों को विश किया और पूछा- भाभी कहां हैं?
आंटी बोलीं- ऊपर गई है, अभी नीचे ही थी और बोल रही थी कि सब आ गए … बस यश ही नहीं आया.
मैं ये सुनकर खुश हो गया कि चलो भाभी को मेरा इंतजार है. मैं आंटी से कुछ पकौड़े लेकर ऊपर गया.
भाभी अपने रूम में थीं. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो गुस्से से दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गईं.
मैंने कहा- भाभी पकौड़े खाओगी?
भाभी बोलीं- तुम्हीं खाओ पकौड़े … मुझे बात नहीं करनी तुमसे.
मैंने कहा- अच्छा जी, इतना गुस्सा?
अब मैंने अपने हाथों में गुलाल लिया और उनके दोनों गालों को कसके रगड़ना चालू कर दिया.
मैंने गालों पर गुलाल लगाने के बाद भाभी के पीछे से उनको कसके पकड़ लिया.
भाभी कुछ समझ ही नहीं पाईं.
मैंने फिर से भाभी के गालों को रगड़ना शुरू कर दिया.
भाभी पीछे की तरफ हो रही थीं, जिससे भाभी की मस्त गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी.
मुझे मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि आज मजाक मजाक में ही मैं इनकी चुदाई कर दूंगा.
भाभी की गांड से रगड़ कर मेरा लंड भी अब टाइट हो रहा था.
मैंने भाभी को छोड़ा नहीं.
भाभी बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो मुझे.
मैंने भी बोला- होली है जी, होली है … बुरा ना मानो होली है.
मैंने अब अपने हाथों को धीरे धीरे गुलाल उनकी गर्दन पर लगाना शुरू कर दिया, जिससे भाभी को अच्छा लगने लगा.
उनका मुझसे छूटने के मन अब कम होने लगा था और मेरे लंड की रगड़ उनको अपनी गांड अच्छी लगने लगी थी.
इसलिए जो विरोध वो पहले कर रही थीं, वैसा विरोध अब नहीं कर रही थीं. बस ऊपरी मन से बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो ना … किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- होली है भाभी, कोई दिक्कत नहीं होगी.
जिस तरह से भाभी बोल रही थीं, मुझे भी लगा कि भाभी का भी मन है.
मैंने अपने हाथ भाभी की गर्दन से नीचे ले जाते हुए मोना भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही हल्का सहलाना शुरू ही किया था कि किसी की ऊपर आने की आवाज आ गई.
हम दोनों जल्दी से अलग हो गए.
मैंने देखा तो सूरज भईया थे.
मैं मन ही मन में कुढ़ रहा था कि सूरज भईया को अभी ही आना था, कुछ देर बाद आ जाते तो मेरा काम हो जाता.
भईया आते ही बोले- अरे यश तुम … हैप्पी होली.
फिर सूरज भईया भाभी को देख कर बोले- अरे वाह लगता है दोनों देवर भाभी होली के मजे ले रहे हैं.
मैं मन में बोला कि मजे ले तो रहा था मगर मजे लेने कहां दिया आपने.
फिर मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुझसे अपनी नजरें चुरा रही थीं.
मैंने भी थोड़ी देर बात की और भैया को गुलाल लगा कर वापस अपने दोस्तों के पास होली खेलने चला गया.
होली खत्म होने के बाद भाभी और मेरी बातें भी कम होने लगी थीं.
मैं ही जानबूझ कर भाभी को देखता और नजरअंदाज कर देता था. बस चुपके से उनको देख लेता था.
एक हफ्ते से हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस कोई काम होता तो मैं वो करके वापस आ जाता था.
एक रात मैं मोबाइल में गेम खेल रहा था. उस समय कोई एक बज रहे होंगे.
मुझे मोबाइल में गेम खेलना और मूवी देखने बहुत पसंद है. रात में मैं बहुत देर तक जागता हूँ.
अब हुआ ये कि भाभी को मैं व्हाट्सएप पर ऑनलाइन दिख रहा होऊंगा क्योंकि नेट ऑन ही रहता है.
तभी एक मैसेज आया.
मैंने देखा तो मोना भाभी का मैसेज था. उसमें लिखा था- हैल्लो यश … क्या बात है तुम आजकल मुझसे ठीक से बातें नहीं कर रहे हो!
मैंने उनको मैसेज किया- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. बस कुछ काम है तो टाइम नहीं मिलता.
मोना भाभी बोलीं- अच्छा जी, पहले भी तो काम होता था … तब तो तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम होता था. अब क्यों नहीं है?
मैं कुछ नहीं बोला.
उनका दूसरा मैसेज आया- वो बात भूल जाओ, जो होली पर हुई थी. कोई बात नहीं है.
मैं यही तो सुनना चाहता था कि वो खुद बोलें कि कोई बात नहीं. मतलब अब मैं उनसे बात कर सकता था, पर मुझे देखना था कि होली वाले दिन जो भी हुआ था, उसका भाभी पर क्या असर हुआ था.
कुछ देर बात करने के बाद भाभी ने बताया कि मम्मी पापा कुछ दिन के लिए गांव जा रहे हैं. तुम दोपहर में आ जाया करना, नहीं तो मैं बोर हो जाउंगी.
मैंने कहा- ठीक है, आ जाऊंगा.
फिर भाभी बोलीं- मैं सोने जा रही हूँ … कल बात करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर मैं सोचने लगा कि अब तो मौका भी है. बस कैसे ना कैसे करके पूरी तरह से पक्का करना होगा.
ये ही सोचते सोचते ही मैं कब सो गया, पता नहीं चला.
सुबह उठा, तो आंटी अंकल आए मेरे घर हुए थे.
फिर जल्दी से घर वापस आ गया और गुलाल, रंग आदि सब लेकर भाभी जी के घर की तरफ चल पड़ा.
गली के और भी लड़के भाभी को रंग लगाने को मचल रहे थे.
मैंने देखा कि भाभी उनसे बारी बारी से हल्का सा टीका लगवा लेतीं … बस उससे ज्यादा कुछ नहीं.
पहले तो मुझे भी लगा कि एक टीका लगाने से क्या होगा.
मगर मैं गलत था. भाभी मेरा ही इंतजार कर रही थीं कि मैं कब आऊंगा.
मैं कुछ सोच कर वापस अपने घर में आ गया.
थोड़ी देर में मैं घर के बाहर आया, तो देखा कि सूरज भईया बाइक पर बैठकर कहीं जा रहे थे.
ये मेरे लिए अच्छा मौका था.
मैं भाभी के घर में गया, तो अंकल आंटी पकौड़े बना रहे थे.
मैंने दोनों को विश किया और पूछा- भाभी कहां हैं?
आंटी बोलीं- ऊपर गई है, अभी नीचे ही थी और बोल रही थी कि सब आ गए … बस यश ही नहीं आया.
मैं ये सुनकर खुश हो गया कि चलो भाभी को मेरा इंतजार है. मैं आंटी से कुछ पकौड़े लेकर ऊपर गया.
भाभी अपने रूम में थीं. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो गुस्से से दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गईं.
मैंने कहा- भाभी पकौड़े खाओगी?
भाभी बोलीं- तुम्हीं खाओ पकौड़े … मुझे बात नहीं करनी तुमसे.
मैंने कहा- अच्छा जी, इतना गुस्सा?
अब मैंने अपने हाथों में गुलाल लिया और उनके दोनों गालों को कसके रगड़ना चालू कर दिया.
मैंने गालों पर गुलाल लगाने के बाद भाभी के पीछे से उनको कसके पकड़ लिया.
भाभी कुछ समझ ही नहीं पाईं.
मैंने फिर से भाभी के गालों को रगड़ना शुरू कर दिया.
भाभी पीछे की तरफ हो रही थीं, जिससे भाभी की मस्त गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी.
मुझे मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि आज मजाक मजाक में ही मैं इनकी चुदाई कर दूंगा.
भाभी की गांड से रगड़ कर मेरा लंड भी अब टाइट हो रहा था.
मैंने भाभी को छोड़ा नहीं.
भाभी बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो मुझे.
मैंने भी बोला- होली है जी, होली है … बुरा ना मानो होली है.
मैंने अब अपने हाथों को धीरे धीरे गुलाल उनकी गर्दन पर लगाना शुरू कर दिया, जिससे भाभी को अच्छा लगने लगा.
उनका मुझसे छूटने के मन अब कम होने लगा था और मेरे लंड की रगड़ उनको अपनी गांड अच्छी लगने लगी थी.
इसलिए जो विरोध वो पहले कर रही थीं, वैसा विरोध अब नहीं कर रही थीं. बस ऊपरी मन से बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो ना … किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- होली है भाभी, कोई दिक्कत नहीं होगी.
जिस तरह से भाभी बोल रही थीं, मुझे भी लगा कि भाभी का भी मन है.
मैंने अपने हाथ भाभी की गर्दन से नीचे ले जाते हुए मोना भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही हल्का सहलाना शुरू ही किया था कि किसी की ऊपर आने की आवाज आ गई.
हम दोनों जल्दी से अलग हो गए.
मैंने देखा तो सूरज भईया थे.
मैं मन ही मन में कुढ़ रहा था कि सूरज भईया को अभी ही आना था, कुछ देर बाद आ जाते तो मेरा काम हो जाता.
भईया आते ही बोले- अरे यश तुम … हैप्पी होली.
फिर सूरज भईया भाभी को देख कर बोले- अरे वाह लगता है दोनों देवर भाभी होली के मजे ले रहे हैं.
मैं मन में बोला कि मजे ले तो रहा था मगर मजे लेने कहां दिया आपने.
फिर मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुझसे अपनी नजरें चुरा रही थीं.
मैंने भी थोड़ी देर बात की और भैया को गुलाल लगा कर वापस अपने दोस्तों के पास होली खेलने चला गया.
होली खत्म होने के बाद भाभी और मेरी बातें भी कम होने लगी थीं.
मैं ही जानबूझ कर भाभी को देखता और नजरअंदाज कर देता था. बस चुपके से उनको देख लेता था.
एक हफ्ते से हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस कोई काम होता तो मैं वो करके वापस आ जाता था.
एक रात मैं मोबाइल में गेम खेल रहा था. उस समय कोई एक बज रहे होंगे.
मुझे मोबाइल में गेम खेलना और मूवी देखने बहुत पसंद है. रात में मैं बहुत देर तक जागता हूँ.
अब हुआ ये कि भाभी को मैं व्हाट्सएप पर ऑनलाइन दिख रहा होऊंगा क्योंकि नेट ऑन ही रहता है.
तभी एक मैसेज आया.
मैंने देखा तो मोना भाभी का मैसेज था. उसमें लिखा था- हैल्लो यश … क्या बात है तुम आजकल मुझसे ठीक से बातें नहीं कर रहे हो!
मैंने उनको मैसेज किया- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. बस कुछ काम है तो टाइम नहीं मिलता.
मोना भाभी बोलीं- अच्छा जी, पहले भी तो काम होता था … तब तो तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम होता था. अब क्यों नहीं है?
मैं कुछ नहीं बोला.
उनका दूसरा मैसेज आया- वो बात भूल जाओ, जो होली पर हुई थी. कोई बात नहीं है.
मैं यही तो सुनना चाहता था कि वो खुद बोलें कि कोई बात नहीं. मतलब अब मैं उनसे बात कर सकता था, पर मुझे देखना था कि होली वाले दिन जो भी हुआ था, उसका भाभी पर क्या असर हुआ था.
कुछ देर बात करने के बाद भाभी ने बताया कि मम्मी पापा कुछ दिन के लिए गांव जा रहे हैं. तुम दोपहर में आ जाया करना, नहीं तो मैं बोर हो जाउंगी.
मैंने कहा- ठीक है, आ जाऊंगा.
फिर भाभी बोलीं- मैं सोने जा रही हूँ … कल बात करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर मैं सोचने लगा कि अब तो मौका भी है. बस कैसे ना कैसे करके पूरी तरह से पक्का करना होगा.
ये ही सोचते सोचते ही मैं कब सो गया, पता नहीं चला.
सुबह उठा, तो आंटी अंकल आए मेरे घर हुए थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.