17-06-2022, 04:41 PM
तो मैंने मजे लेते हुए बोला- आप ही बना लो मुझे अपना बॉयफ्रेंड.
भाभी जोर से हंसते हुए बोलीं- शरारती कहीं के.
मैंने कहा- आपकी कोई रिश्तेदार नहीं है, जो बिल्कुल आपकी तरह हो दिखने में!
मोना भाभी बोलीं- हां है तो एक.
भाभी ने मुझे मोबाइल में उसकी फोटो दिखाई.
मैं बोला- अच्छी है, पर आपके जैसी नहीं है.
भाभी बोलीं- अच्छा जी … ऐसा क्या है मुझमें?
मैं- ऐसे कैसे बता दूं … आप बुरा मान जाओगी तो!
मोना भाभी बोलीं- नहीं मानूंगी … आप बोलो न!
मैंने कहा- कभी शीशे में देखा है अपने आपको … इतनी सुंदर और गोरी हो, आपके गाल इतने गुलाबी है.
बस ये कहते हुए मैंने भाभी के गालों को छू लिया.
और अभी वो कुछ कहतीं कि मैंने आगे बोला- इतने गोल गोल गाल किसे नसीब होते हैं भाभी जी. ये आपके मुलायम होंठ इतने मस्त लगते हैं, आंखें इतनी प्यारी कि कोई भी डूब जाए इनमें … आपका फिगर इतना सेक्सी है कि कौन न मर जाए देख कर!
मैं इस तरह से भाभी की तारीफ भी कर रहा था और उनके जिस्म के उन हिस्सों को पहली बार स्पर्श भी कर रहा था जिन्हें छूने की ख्वाहिश मेरे मन में न जाने कबसे थी.
उधर भाभी शर्मा भी रही थीं और मेरी तरफ बड़ी गौर से देख भी रही थीं.
भाभी ने अपने हाथ में नाखून काटने वाली नेलकटर ले रखी थी.
उसे हाथ में लेकर खेलते हुए बोलीं- तुम तो सब जगह नजर रखते हो. मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी.
मैंने कहा- भाभी, ऐसी बात नहीं है. आपने पूछा तो मैंने बता दिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, आप ही बन जाओ.
भाभी बोलीं- अच्छा जी. तो ये आपके मन का चोर है.
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है. मगर काजू किशमिश को पाने के लिए किस का जी नहीं मचलेगा.
इतने में भाभी के हाथ से नाखून कटनी नीचे गिर गई … और भाभी जैसे ही उसे उठाने को हुईं … तो उनका पल्लू नीचे गिर गया.
आह … जिस सीन को में बहुत दिन से देखने के लिए आतुर था, वो आज सामने दिख रहा था.
भाभी के गहरे गले वाले ब्लाउज में से इतने गोरे गोरे चुचे मुझे मानो पागल करने लगे थे.
मैंने ध्यान से इस झलक को देखा.
भाभी ने पीले रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी.
इतने में भाभी अपने पल्लू को जैसे ही सम्भालने लगीं, तो उनकी तिरछी नजर मुझ पर पड़ी और वो जल्दी से उठ गईं.
भाभी मेरी आंखों को पढ़ते हुए बोलीं- शर्म नहीं आती!
मैंने कहा- सॉरी भाभी, अब आप जैसी सुंदरी को कोई भी देखेगा तो अपने आपको तो भूल ही जाएगा न.
भाभी कुछ नहीं बोलीं … बस मुस्कुरा कर रह गईं.
न जाने मुझे ऐसा लगा कि भाभी को भी मेरा उनके दूध देखना अच्छा लगा था.
मैंने कहा- भाभी एक बात पूछूँ, आप तो बुरा नहीं मानेंगी?
भाभी बोलीं- नहीं, बोलो.
मैंने कहा- आप सच सच बताओगी न?
मोना भाभी बोलीं- ओके बोलो.
मैं- आपका बॉयफ्रेंड था क्या शादी से पहले?
भाभी थोड़ा सोचने के बाद बोलीं- किसी को बताओगे तो नहीं ना?
मैं बोला- क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है?
भाभी बोलीं- पूरा भरोसा है … हां था एक.
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
भाभी ने सब बताया कि उनकी फ्रेंडशिप ज्यादा नहीं चली, बस 2 महीने ही चली थी. उनको ये सब ठीक नहीं लगा था तो उन्होंने सब खत्म कर दिया.
मैंने कहा- क्यों?
भाभी बोलीं- देखो मेरी फ्रेंड है, उसने भी बहुत छुपाने की कोशिश की थी, पर हुआ नहीं. पर मैं नहीं चाहती थी कि घर में पता चले और घर में डांट पड़े.
कुछ पल बाद मैं बोला- भाभी आप इतनी सुंदर हो, लड़के तो बहुत पीछे पड़ते ही होंगे.
भाभी बोलीं- हां बहुत … पर मैं घर के डर से किसी से बात नहीं करती थी.
अब मुझे लगा कि भाभी अब मुझसे अपनी कुछ पर्सनल बातें करने लगी हैं … तो कुछ चांस बन सकता है.
अभी भी मैं मैंने जल्दी नहीं की. मुझे देर होना मंजूर था, पर मोना भाभी की चुदाई हर हाल में करनी थी.
इसी तरह कुछ समय बीत गया और इस दौरान मैंने महसूस किया कि भाभी मेरे और भी करीब आ रही थीं. कभी कभी भाभी का मूड ठीक नहीं होता था, तो वो मुझे बुला लिया करती थीं.
एक दिन बातों बातों में मुझे पता चला कि जो पहले उनका बॉयफ्रेंड था, उससे उनकी दोस्ती इसलिए खत्म हुई थी कि वो उनके साथ जबरदस्ती सेक्स करने की कोशिश करने लगा था.
भाभी को वो बात पसंद नहीं थी तो उन्होंने उससे सब खत्म कर दिया.
मुझे ये भी समझ आ रहा था कि ये भाभी दूसरी भाभियों से थोड़ी अलग हैं. इनके साथ कोई सही मौका देख कर ही काम करना पड़ेगा.
भाभी अब मुझसे खुल कर बातें करती थीं, तो अब मैं उनके साथ सेक्स की हल्की फुल्की बातें भी कर लिया करता था.
कभी भाभी बहुत रोमांटिक मूड में दिखती थीं, तो कभी सती सावित्री सी दिखने लगती थीं.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि करूं तो क्या करूं. कैसे पता चले कि भाभी तैयार हो गई हैं या नहीं.
फिर कुछ दिन में होली आने वाली थी.
मैंने भाभी से पहले ही कहा था कि होली तो आप मेरे साथ ही खेलना.
भाभी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा कर रह गईं.
मैं सोचने लगा कि भाभी की मुस्कान तो हरी झंडी दे रही है मगर किस हद तक वो मेरे साथ खुलती हैं ये अभी मुझे समझ नहीं आ रहा था.
भाभी जोर से हंसते हुए बोलीं- शरारती कहीं के.
मैंने कहा- आपकी कोई रिश्तेदार नहीं है, जो बिल्कुल आपकी तरह हो दिखने में!
मोना भाभी बोलीं- हां है तो एक.
भाभी ने मुझे मोबाइल में उसकी फोटो दिखाई.
मैं बोला- अच्छी है, पर आपके जैसी नहीं है.
भाभी बोलीं- अच्छा जी … ऐसा क्या है मुझमें?
मैं- ऐसे कैसे बता दूं … आप बुरा मान जाओगी तो!
मोना भाभी बोलीं- नहीं मानूंगी … आप बोलो न!
मैंने कहा- कभी शीशे में देखा है अपने आपको … इतनी सुंदर और गोरी हो, आपके गाल इतने गुलाबी है.
बस ये कहते हुए मैंने भाभी के गालों को छू लिया.
और अभी वो कुछ कहतीं कि मैंने आगे बोला- इतने गोल गोल गाल किसे नसीब होते हैं भाभी जी. ये आपके मुलायम होंठ इतने मस्त लगते हैं, आंखें इतनी प्यारी कि कोई भी डूब जाए इनमें … आपका फिगर इतना सेक्सी है कि कौन न मर जाए देख कर!
मैं इस तरह से भाभी की तारीफ भी कर रहा था और उनके जिस्म के उन हिस्सों को पहली बार स्पर्श भी कर रहा था जिन्हें छूने की ख्वाहिश मेरे मन में न जाने कबसे थी.
उधर भाभी शर्मा भी रही थीं और मेरी तरफ बड़ी गौर से देख भी रही थीं.
भाभी ने अपने हाथ में नाखून काटने वाली नेलकटर ले रखी थी.
उसे हाथ में लेकर खेलते हुए बोलीं- तुम तो सब जगह नजर रखते हो. मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी.
मैंने कहा- भाभी, ऐसी बात नहीं है. आपने पूछा तो मैंने बता दिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, आप ही बन जाओ.
भाभी बोलीं- अच्छा जी. तो ये आपके मन का चोर है.
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है. मगर काजू किशमिश को पाने के लिए किस का जी नहीं मचलेगा.
इतने में भाभी के हाथ से नाखून कटनी नीचे गिर गई … और भाभी जैसे ही उसे उठाने को हुईं … तो उनका पल्लू नीचे गिर गया.
आह … जिस सीन को में बहुत दिन से देखने के लिए आतुर था, वो आज सामने दिख रहा था.
भाभी के गहरे गले वाले ब्लाउज में से इतने गोरे गोरे चुचे मुझे मानो पागल करने लगे थे.
मैंने ध्यान से इस झलक को देखा.
भाभी ने पीले रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी.
इतने में भाभी अपने पल्लू को जैसे ही सम्भालने लगीं, तो उनकी तिरछी नजर मुझ पर पड़ी और वो जल्दी से उठ गईं.
भाभी मेरी आंखों को पढ़ते हुए बोलीं- शर्म नहीं आती!
मैंने कहा- सॉरी भाभी, अब आप जैसी सुंदरी को कोई भी देखेगा तो अपने आपको तो भूल ही जाएगा न.
भाभी कुछ नहीं बोलीं … बस मुस्कुरा कर रह गईं.
न जाने मुझे ऐसा लगा कि भाभी को भी मेरा उनके दूध देखना अच्छा लगा था.
मैंने कहा- भाभी एक बात पूछूँ, आप तो बुरा नहीं मानेंगी?
भाभी बोलीं- नहीं, बोलो.
मैंने कहा- आप सच सच बताओगी न?
मोना भाभी बोलीं- ओके बोलो.
मैं- आपका बॉयफ्रेंड था क्या शादी से पहले?
भाभी थोड़ा सोचने के बाद बोलीं- किसी को बताओगे तो नहीं ना?
मैं बोला- क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है?
भाभी बोलीं- पूरा भरोसा है … हां था एक.
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
भाभी ने सब बताया कि उनकी फ्रेंडशिप ज्यादा नहीं चली, बस 2 महीने ही चली थी. उनको ये सब ठीक नहीं लगा था तो उन्होंने सब खत्म कर दिया.
मैंने कहा- क्यों?
भाभी बोलीं- देखो मेरी फ्रेंड है, उसने भी बहुत छुपाने की कोशिश की थी, पर हुआ नहीं. पर मैं नहीं चाहती थी कि घर में पता चले और घर में डांट पड़े.
कुछ पल बाद मैं बोला- भाभी आप इतनी सुंदर हो, लड़के तो बहुत पीछे पड़ते ही होंगे.
भाभी बोलीं- हां बहुत … पर मैं घर के डर से किसी से बात नहीं करती थी.
अब मुझे लगा कि भाभी अब मुझसे अपनी कुछ पर्सनल बातें करने लगी हैं … तो कुछ चांस बन सकता है.
अभी भी मैं मैंने जल्दी नहीं की. मुझे देर होना मंजूर था, पर मोना भाभी की चुदाई हर हाल में करनी थी.
इसी तरह कुछ समय बीत गया और इस दौरान मैंने महसूस किया कि भाभी मेरे और भी करीब आ रही थीं. कभी कभी भाभी का मूड ठीक नहीं होता था, तो वो मुझे बुला लिया करती थीं.
एक दिन बातों बातों में मुझे पता चला कि जो पहले उनका बॉयफ्रेंड था, उससे उनकी दोस्ती इसलिए खत्म हुई थी कि वो उनके साथ जबरदस्ती सेक्स करने की कोशिश करने लगा था.
भाभी को वो बात पसंद नहीं थी तो उन्होंने उससे सब खत्म कर दिया.
मुझे ये भी समझ आ रहा था कि ये भाभी दूसरी भाभियों से थोड़ी अलग हैं. इनके साथ कोई सही मौका देख कर ही काम करना पड़ेगा.
भाभी अब मुझसे खुल कर बातें करती थीं, तो अब मैं उनके साथ सेक्स की हल्की फुल्की बातें भी कर लिया करता था.
कभी भाभी बहुत रोमांटिक मूड में दिखती थीं, तो कभी सती सावित्री सी दिखने लगती थीं.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि करूं तो क्या करूं. कैसे पता चले कि भाभी तैयार हो गई हैं या नहीं.
फिर कुछ दिन में होली आने वाली थी.
मैंने भाभी से पहले ही कहा था कि होली तो आप मेरे साथ ही खेलना.
भाभी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा कर रह गईं.
मैं सोचने लगा कि भाभी की मुस्कान तो हरी झंडी दे रही है मगर किस हद तक वो मेरे साथ खुलती हैं ये अभी मुझे समझ नहीं आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.