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Adultery चचेरे भाई की दिलकश बीवी
#9
कुछ समय तक वो मेरे ऊपर लेटी ही रही जब तक कि मेरा लिंग उसकी योनि से बाहर नहीं आ गया। हम दोनों के साथ हमारे दोनों महारथी भी घमासान युद्ध करके थक चुके थे।

मैंने रेनू के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। 10 मिनट के बाद वो बेड से उठी और कपड़े से अपनी योनि और मेरी जाँघें साफ कीं.

इस समय वो पूर्ण नग्नावस्था में थी. उसके इस मादक रूप को देखने के लिए में इतने वर्ष तरसा था। उसके शरीर का एक-एक कटाव लाजवाब था।

“अब तो चाय पीओगे या कुछ और?” उसने तंज कसते हुए पूछा.
“फ़िलहाल चाय ले आओ और भी बहुत कुछ पीना है.” मैंने उसके चूचक को दाँतों से काटते हुए बोला।

अब आगे की भाभी की चूत की कहानी:

वो किचन की ओर मुड़ी. हे ईश्वर … क्या नज़ारा था … उसके दोनों माँसल नितंबों का आपस में घर्षण देखकर बेजान से पड़े लिंग में फिर करण्ट सा दौड़ गया।

उसका गदराया हुआ जिस्म बिना कपड़ों के कहर बरपा रहा था. साक्षात रतिदेवी के रूप में थी रेनू!
मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं फिर किचन में चला गया और उसको पीछे से दबोच लिया.

मेरा लिंग उसके माँसल नितंबों की दरारों के बीच में फंस कर कसमसा रहा था।
“चाय तो बना लेने दो?”. उसने मुझे रोकने की कोशिश की.

मैंने कुछ नहीं सुना और घुटनों के बल बैठ गया और उसके नितंबों को चूमने लगा और एक हाथ से उसकी योनि को सहलाने लगा।

उसकी योनि फिर से गीली हो गयी थी.
अपनी दो उंगलियां योनिछिद्र के अंदर डाल कर मैं घुमाने लगा.

जैसे ही उंगलियां योनि की दीवारों से टकरातीं रेनू चिहुंक उठती। फिर से चाय और रेनू का जिस्म, दोनों उफान पर थे।

फिर मैंने अपने होंठों को उसकी योनि की पंखुड़ियों के ऊपर रखा. उसने मेरा सिर कस कर पकड़ लिया और योनि के अंदर दबाने लगी. मैंने धीरे-धीरे उसकी भगनासा को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया.

उसकी योनि ने रस छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने एक उंगली योनिरस में गीली करके उसके गुदाद्वार में धीरे से घुसा दी. अब रेनू के लिए एक साथ योनि मुखमैथुन और गुदामैथुन सहन करना मुश्किल हो रहा था।

फिर मैंने उसकी गुदा में दो उंगलियां घुसा दीं. उसकी हल्की सी चीख़ निकल गयी. वो चाय छानने लगी और मैं उसे गुदामैथुन का आनंद देता रहा. उसके गोल-गोल माँसल नितंब लिंग को गुदाद्वार में प्रवेश की चुनौती दे रहे थे।

उसने गाउन पहन कर अपनी बेटी को चाय-बिस्कुट और कुछ चॉकलेट देकर फिर से दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया।
बेडरूम में आकर उसने गाउन उतार दिया. हम दोनों ने नग्नावस्था में चाय नाश्ता किया और उसने एक हसरत भरी नजरों से मेरे मुरझाये हुए लिंग को देखा।

चाय नाश्ता करने के बाद वो आकर मेरे पास लेट गयी और हम दोनों पुरानी बातें करने लगे.
इस दौरान उसके हाथ मेरे लिंग को सहलाते रहे।

मैंने उसको उल्टा लिटा कर उसकी पीठ, क़मर और नितंबों की शिलाओं को सहलाते हुए होंठों से बहुत प्यार किया।

वो पलट गई और अपने चूचक को मेरे मुँह में दे दिया. मैंने उसके चूचक से दूध निकालने का बहुत प्रयास किया और दोनों हाथों से उसके पूर्णविकसित स्तनों का मर्दन किया.

धीरे से उसके पेट को चूमते हुए उसकी योनि पर होंठ रख दिये. शायद उसको भी मेरा योनि चूसना बहुत पसंद आ रहा था. मैंने उसकी योनि की दोनों दीवारों को थोड़ा सा खोला अंदर की ओर, योनि गुलाबी रंग की होती जा रही थी।

हल्के काले बाल उसकी योनि को और कामुक बना रहे थे.
मैंने दो उंगलियां उसकी योनि में डाल कर घर्षण शुरू किया और होंठों से उसकी योनि को चाटना जारी रखा।

रेनू के लिए अब खुद को संभालना मुश्किल हो गया था. वो अपने नितंबों को उछालने लगी थी।
उसने ना जाने कितनी बार योनिरस छोड़ा और मैं सारा योनिरस पीता गया.

वो बुरी तरह से हांफने लगी थी.
उसने मेरे लिंग को पकड़ कर मर्दन शुरू कर दिया. वो अब लिंग को योनि में समा लेना चाहती थी।

“ये तैयार क्यों नहीं हो रहा है?” वो लिंग को योनि पर रगड़ती हुई कामुक आवाज में बोली।
मैंने उसे मुखमैथुन करने को बोला. वो कुछ झिझकी मगर फिर तुरंत लिंग को मुँह में ले लिया।

वो धीरे-धीरे मुझे मदहोश कर रही थी. मेरा लिंग पूरा खडा हो चुका था. कभी दाँतों से काटती तो कभी पूरा लिंग गले तक ले जाती. कभी अण्डकोषों को मुँह में भर कर चूसती और लिंगमुंड को जीभ से धीरे-धीरे सहलाती।

उसके मुखमैथुन ने मुझे कामवासना के स्वर्ग में पहुंचा दिया. मुझे लगने लगा कि कहीं मेरा संयम इसके मुँह में ही न टूट जाये।
“अरे कहीं मेरा वीर्य तुम्हारे मुँह में ना निकल जाए.” मैंने उसको सचेत करते हुए कहा.

वो मेरे लिंगमुंड को दांतों से काटते हुए बोली- मेरा तो सारा योनिरस ना जाने कितनी बार पी लिया और अपना एक बार भी नहीं पिलाओगे? मुझे तुम्हारे वीर्य का स्वाद लेना है।

फिर मैंने उसे थोड़ी सी पोजीशन बदलने को कहा।
अब मेरा मुँह उसकी योनि पर था और उसके मुँह में मेरा लिंग. वो कभी मुँह में ही पूरा लिंग दबा लेती, मानो अंदर से वीर्य खीचना चाहती हो और इधर मेरी जीभ उसको नितंब उछालने पर विवश कर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: चचेरे भाई की दिलकश बीवी - by neerathemall - 17-06-2022, 04:35 PM



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