17-06-2022, 04:34 PM
मैंने धीरे से रेनू की गर्दन के पीछे और नग्न क़मर को चूमा तो उसके माँसल नितंबों में एक कंपन सा हुआ और उसके मुंह से एक सीत्कार सी निकली।
जब वो दोनों हाथों से वक्षस्थल को छुपा रही थी तो मैंने चुपके से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
जब तक वो पेटीकोट पकड़ती वो उसके पैरों में गिर चुका था।
पहली बार उसके नितंबों को इतने करीब से देखकर मेरी हालत खराब हो रही थी. उसके माँसल नितंब मेरी कामुक कल्पनाओं से भी कामुक थे।
मैंने धीरे से उसके नितम्बों को दोनों हाथों से छुआ.
मुझे अहसास हुआ कि उसके नितंब कितने कोमल और माँसल हैं। उसके नितंबों को आहिस्ता-आहिस्ता दबाना और सहलाना शुरू किया तो रेनू की मादक आहें बेडरूम को संगीतमय बनाने लगीं।
उसने वासना के वशीभूत होकर अपने वक्षस्थल को अपने ही हाथों से दबाना शुरू कर दिया.
मैंने पीछे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और धीरे से उसके अतिविकसित स्तनों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया।
अब तक उसके दोनों स्तनों के बीच कत्थई रंग के चूचक तन कर खड़े हो गए थे, मानो दो कबूतर उड़ने को तैयार हों।
अब वो सिर्फ पैंटी में थी. वो एक हाथ से चूचों को छुपाने की कोशिश कर रही थी और दूसरे हाथ से योनि द्वार की रक्षा कर रही थी।
मैंने उसके एक चूचक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसका शरीर नृत्य सा करने लगा। वो मदहोशी की हालत में आँखों को बंद करके अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को सहला रही थी.
फिर मैंने दूसरे चूचक को भी न्याय देते हुए मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को दबाने लगा।
शायद वो काफी समय से प्यार से वंचित थी. अब वो कुछ हिंसक सी होने लगी थी. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर काफी देर तक चूसा।
अब उसके हाथ भी अमर्यादित होने लगे थे. वो शायद सुख के साधन को ढूँढने लगे थे।
इसी बीच मैंने उसके हर खुले अंग पर अपने होंठों से स्पर्श किया.
फिर उसकी गुलाबी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
शायद अभी भी कुछ शर्म की बची हुई दीवार गिरनी बाकी थी.
मैंने अपने हाथ को उसके सम्पूर्ण योनि प्रदेश पर रख दिया और आहिस्ता से दबाना शुरू किया तो वो सिहर सी उठी और मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया.
इसी बीच मैंने उसकी पूरी पैंटी उतार दी। सामने नग्न हल्के काले बालों से ढकी हुई अत्यंत उभरी हुई सी योनि थी। ईश्वर ने उस रतिरूपा का हर अंग फुरसत से बनाया था.
उसकी योनि को देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि वो कई वर्ष से विवाहिता स्त्री है. उसकी योनि अभी भी कमसिन थी। शायद मेरे चचेरे भाई के लिंग ने उसकी योनि को वह प्यार नहीं दिया था जिसकी वो हकदार थी.
मैंने एक हाथ से उसकी योनि को स्पर्श किया और उंगली से उसके योनि द्वार पर दस्तक दी.
एक उंगली से योनि की दोनों दरारों को खोला तो उंगलियों में कुछ चिपचिपाहट सी महसूस हुई. शायद वो योनिरस था।
कब मेरे होंठ उसके योनिद्वार से चिपक गए पता ही नहीं चला. मेरी इस हरकत ने उसे बेड पर लेटने को मजबूर कर दिया और वो दोनों टांगें खोल कर लेट गयी.
मुझे उसकी योनि की खुशबू मदहोश कर रही थी.
जब वो दोनों हाथों से वक्षस्थल को छुपा रही थी तो मैंने चुपके से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
जब तक वो पेटीकोट पकड़ती वो उसके पैरों में गिर चुका था।
पहली बार उसके नितंबों को इतने करीब से देखकर मेरी हालत खराब हो रही थी. उसके माँसल नितंब मेरी कामुक कल्पनाओं से भी कामुक थे।
मैंने धीरे से उसके नितम्बों को दोनों हाथों से छुआ.
मुझे अहसास हुआ कि उसके नितंब कितने कोमल और माँसल हैं। उसके नितंबों को आहिस्ता-आहिस्ता दबाना और सहलाना शुरू किया तो रेनू की मादक आहें बेडरूम को संगीतमय बनाने लगीं।
उसने वासना के वशीभूत होकर अपने वक्षस्थल को अपने ही हाथों से दबाना शुरू कर दिया.
मैंने पीछे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और धीरे से उसके अतिविकसित स्तनों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया।
अब तक उसके दोनों स्तनों के बीच कत्थई रंग के चूचक तन कर खड़े हो गए थे, मानो दो कबूतर उड़ने को तैयार हों।
अब वो सिर्फ पैंटी में थी. वो एक हाथ से चूचों को छुपाने की कोशिश कर रही थी और दूसरे हाथ से योनि द्वार की रक्षा कर रही थी।
मैंने उसके एक चूचक को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसका शरीर नृत्य सा करने लगा। वो मदहोशी की हालत में आँखों को बंद करके अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को सहला रही थी.
फिर मैंने दूसरे चूचक को भी न्याय देते हुए मुँह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को दबाने लगा।
शायद वो काफी समय से प्यार से वंचित थी. अब वो कुछ हिंसक सी होने लगी थी. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर काफी देर तक चूसा।
अब उसके हाथ भी अमर्यादित होने लगे थे. वो शायद सुख के साधन को ढूँढने लगे थे।
इसी बीच मैंने उसके हर खुले अंग पर अपने होंठों से स्पर्श किया.
फिर उसकी गुलाबी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
शायद अभी भी कुछ शर्म की बची हुई दीवार गिरनी बाकी थी.
मैंने अपने हाथ को उसके सम्पूर्ण योनि प्रदेश पर रख दिया और आहिस्ता से दबाना शुरू किया तो वो सिहर सी उठी और मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया.
इसी बीच मैंने उसकी पूरी पैंटी उतार दी। सामने नग्न हल्के काले बालों से ढकी हुई अत्यंत उभरी हुई सी योनि थी। ईश्वर ने उस रतिरूपा का हर अंग फुरसत से बनाया था.
उसकी योनि को देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि वो कई वर्ष से विवाहिता स्त्री है. उसकी योनि अभी भी कमसिन थी। शायद मेरे चचेरे भाई के लिंग ने उसकी योनि को वह प्यार नहीं दिया था जिसकी वो हकदार थी.
मैंने एक हाथ से उसकी योनि को स्पर्श किया और उंगली से उसके योनि द्वार पर दस्तक दी.
एक उंगली से योनि की दोनों दरारों को खोला तो उंगलियों में कुछ चिपचिपाहट सी महसूस हुई. शायद वो योनिरस था।
कब मेरे होंठ उसके योनिद्वार से चिपक गए पता ही नहीं चला. मेरी इस हरकत ने उसे बेड पर लेटने को मजबूर कर दिया और वो दोनों टांगें खोल कर लेट गयी.
मुझे उसकी योनि की खुशबू मदहोश कर रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.