17-06-2022, 04:09 PM
मगर मैंने जो शराब पी थी उसका नशा मुझ पर चढ़ने लगा था और फिर अगर मैं उस वक्त मना भी करती तो फिर भी वो दोनों मुझे नहीं छोड़ते और मुझे जबरदस्ती ही चोद लेते।
मैंने उस दूसरे बूढ़े की ओर देखा। उसकी सेहत भी कोई खास नहीं लग रही थी। मैंने सोचा कि इसका लण्ड या तो खड़ा ही नहीं होगा या फिर दो मिनट से ज्यादा नहीं टिकेगा।
इसलिए मैंने कहा- कोई बात नहीं, मुझे तुम दोनों इकट्ठे ही मजा दो। मैं तुम दोनों को आज खुश कर दूंगी।
वैसे भी अगर मैं उनकी बात नहीं मानती तो मेरी चूत भी प्यासी रह जाती जो मुझे कभी गंवारा नहीं था।
मेरी बात सुनते ही वो दोनों फिर से मुझ पर टूट पड़े। एक ने मेरे वक्ष को और दूसरा मेरी पेंटी उतार कर (जो अभी तक घुटनों पर ही थी) मेरी गाण्ड को सहलाने लगा।
मैं भी अपना काम चालू रखते हुए फिर से लण्ड को सहलाने लगी। हमारी बातचीत में लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था जो फिर से जोश में आ रहा था।
थोड़ी ही देर में मुझे दोनों लण्ड पूरे तने हुए महसूस होने लगे। एक मेरी जांघों पर और दूसरा मेरे मुँह में था।
अब मुझे दूसरे बूढ़े का लण्ड देखने की इच्छा होने लगी। जिसे मैंने सोचा था कि खड़ा ही नहीं होगा। तभी पहले वाले लण्ड में हलचल होने लगी और वो बुड्ढा जल्दी जल्दी मेरे मुँह को चोदने लगा।
मैं भी जोर जोर से उसके लण्ड को अपने हाथों और मुँह में लेने लगी। फिर उसका भरपूर माल मेरे मुँह में था। मैं उसको चाट गई।
उधर दूसरा बुड्ढा जो मेरी चूत और गाण्ड को चाट रहा था, ने भी अपनी जुबान का कमाल दिखाया और मेरी चूत में से पानी निकल गया। मेरी चूत में से निकल रहे पानी को वो चाट रहा था।
इससे मुझे कुछ थकावट महसूस हुई और मैं सोफे पर ठीक से बैठ गई।
एक लण्ड तो ढीला हो गया था मगर दूसरे में अभी दम था। वो बुड्ढा अपना नंगा लण्ड मेरे मुँह के सामने ले कर खड़ा हो गया। उसका लण्ड मैं सोच रही थी कि ज्यादा बड़ा नहीं होगा मगर सात इन्च का लण्ड देख कर मैं हैरान रह गई। बूढ़े की सेहत कमजोर थी मगर उसके लण्ड की नहीं।
मैंने अभी उसका लण्ड हाथ में पकड़ा ही था कि मेरे सामने एक और जाम लेकर वो पहले वाला बुड्ढा खड़ा था।
मैंने भी बिना सोचे समझे जाम हाथ में ले लिया। मैं जानती थी कि इसमें भी शराब है। मगर पता नहीं मुझे नशा हो रहा था।
मैंने उस बूढ़े का लण्ड जाम में डुबो दिया और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी। मैं बार बार ऐसे कर रही थी और बूढ़े का लण्ड और भी बड़ा होता लग रहा था। फिर मैंने एक ही घूंट में पूरा जाम ख़त्म कर दिया।
बूढ़े ने मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा, वो शायद मुझे बेडरूम में उठा कर ले जाना चाहता था। उसने मुझे अपनी बाँहों में उठा तो लिया मगर उसे चलने में परेशानी हो रही थी। तभी पहले वाला बुड्ढा भी आ गया और बोला- यार, संभल के! बहुत कोमल माल है, कहीं गिर ना जाए।
फिर उन दोनों ने मिलकर मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया, बेडरूम में ले गये और मुझे बैड पर लिटा दिया।
मैंने दोनों लण्डों की तरफ देखा। एक लण्ड अभी भी ढीला था और दूसरा अभी पूरा कड़क।
दूसरे बूढ़े ने मेरा सर पकड़ा और अपनी तरफ कर लिया। मेरा पूरा बदन बेड पर था मगर मेरा सर बैड से नीचे गिर रहा था मगर मेरा मुँह ऊपर की तरफ था। मेरे मुँह के ऊपर बूढ़े का लण्ड तना हुआ था।
मुझे पता था कि अब क्या करना है।
बूढ़े ने अपना लण्ड मेरे चेहरे पर घुमाते हुए मेरे होंठों पर रख दिया। मैं भी अपने होंठों से उसको चूमने लगी और अपने होंठ खोल दिया। बुड्ढा भी समझदार था।
उसने एक हाथ से मेरे सर को सहारा दिया और अपना लण्ड मेरे होंठों में ऐसे घुसा दिया और फिर अन्दर-बाहर करने लगा जैसे किसी गोल खुली हुई चूत में लण्ड घुसाते हैं।
फिर उसने मेरे सर को छोड़ कर मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया। मेरा सर लटक रहा था और उस पर बूढ़े के लण्ड के धक्के, उसके दोनों हाथ मेरे उरोजों को मसल रहे थे।
मैंने उस दूसरे बूढ़े की ओर देखा। उसकी सेहत भी कोई खास नहीं लग रही थी। मैंने सोचा कि इसका लण्ड या तो खड़ा ही नहीं होगा या फिर दो मिनट से ज्यादा नहीं टिकेगा।
इसलिए मैंने कहा- कोई बात नहीं, मुझे तुम दोनों इकट्ठे ही मजा दो। मैं तुम दोनों को आज खुश कर दूंगी।
वैसे भी अगर मैं उनकी बात नहीं मानती तो मेरी चूत भी प्यासी रह जाती जो मुझे कभी गंवारा नहीं था।
मेरी बात सुनते ही वो दोनों फिर से मुझ पर टूट पड़े। एक ने मेरे वक्ष को और दूसरा मेरी पेंटी उतार कर (जो अभी तक घुटनों पर ही थी) मेरी गाण्ड को सहलाने लगा।
मैं भी अपना काम चालू रखते हुए फिर से लण्ड को सहलाने लगी। हमारी बातचीत में लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था जो फिर से जोश में आ रहा था।
थोड़ी ही देर में मुझे दोनों लण्ड पूरे तने हुए महसूस होने लगे। एक मेरी जांघों पर और दूसरा मेरे मुँह में था।
अब मुझे दूसरे बूढ़े का लण्ड देखने की इच्छा होने लगी। जिसे मैंने सोचा था कि खड़ा ही नहीं होगा। तभी पहले वाले लण्ड में हलचल होने लगी और वो बुड्ढा जल्दी जल्दी मेरे मुँह को चोदने लगा।
मैं भी जोर जोर से उसके लण्ड को अपने हाथों और मुँह में लेने लगी। फिर उसका भरपूर माल मेरे मुँह में था। मैं उसको चाट गई।
उधर दूसरा बुड्ढा जो मेरी चूत और गाण्ड को चाट रहा था, ने भी अपनी जुबान का कमाल दिखाया और मेरी चूत में से पानी निकल गया। मेरी चूत में से निकल रहे पानी को वो चाट रहा था।
इससे मुझे कुछ थकावट महसूस हुई और मैं सोफे पर ठीक से बैठ गई।
एक लण्ड तो ढीला हो गया था मगर दूसरे में अभी दम था। वो बुड्ढा अपना नंगा लण्ड मेरे मुँह के सामने ले कर खड़ा हो गया। उसका लण्ड मैं सोच रही थी कि ज्यादा बड़ा नहीं होगा मगर सात इन्च का लण्ड देख कर मैं हैरान रह गई। बूढ़े की सेहत कमजोर थी मगर उसके लण्ड की नहीं।
मैंने अभी उसका लण्ड हाथ में पकड़ा ही था कि मेरे सामने एक और जाम लेकर वो पहले वाला बुड्ढा खड़ा था।
मैंने भी बिना सोचे समझे जाम हाथ में ले लिया। मैं जानती थी कि इसमें भी शराब है। मगर पता नहीं मुझे नशा हो रहा था।
मैंने उस बूढ़े का लण्ड जाम में डुबो दिया और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी। मैं बार बार ऐसे कर रही थी और बूढ़े का लण्ड और भी बड़ा होता लग रहा था। फिर मैंने एक ही घूंट में पूरा जाम ख़त्म कर दिया।
बूढ़े ने मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा, वो शायद मुझे बेडरूम में उठा कर ले जाना चाहता था। उसने मुझे अपनी बाँहों में उठा तो लिया मगर उसे चलने में परेशानी हो रही थी। तभी पहले वाला बुड्ढा भी आ गया और बोला- यार, संभल के! बहुत कोमल माल है, कहीं गिर ना जाए।
फिर उन दोनों ने मिलकर मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया, बेडरूम में ले गये और मुझे बैड पर लिटा दिया।
मैंने दोनों लण्डों की तरफ देखा। एक लण्ड अभी भी ढीला था और दूसरा अभी पूरा कड़क।
दूसरे बूढ़े ने मेरा सर पकड़ा और अपनी तरफ कर लिया। मेरा पूरा बदन बेड पर था मगर मेरा सर बैड से नीचे गिर रहा था मगर मेरा मुँह ऊपर की तरफ था। मेरे मुँह के ऊपर बूढ़े का लण्ड तना हुआ था।
मुझे पता था कि अब क्या करना है।
बूढ़े ने अपना लण्ड मेरे चेहरे पर घुमाते हुए मेरे होंठों पर रख दिया। मैं भी अपने होंठों से उसको चूमने लगी और अपने होंठ खोल दिया। बुड्ढा भी समझदार था।
उसने एक हाथ से मेरे सर को सहारा दिया और अपना लण्ड मेरे होंठों में ऐसे घुसा दिया और फिर अन्दर-बाहर करने लगा जैसे किसी गोल खुली हुई चूत में लण्ड घुसाते हैं।
फिर उसने मेरे सर को छोड़ कर मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया। मेरा सर लटक रहा था और उस पर बूढ़े के लण्ड के धक्के, उसके दोनों हाथ मेरे उरोजों को मसल रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.