Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मेरी तंग पजामी
#10
मेरा एन आर आई बुड्ढा आशिक थोड़े दिनों में ही वापिस अमेरिका जाने वाला था इसलिए उसने मुझे फिर आखरी बार मिलने के लिए कहा।
अब तक मुझे भी उसके लौड़े की जरूरत महसूस हो रही थी इसलिए मैं अपने ससुराल में मायके जाने का बहाना बना कर जालन्धर अपने आशिक के पास चली गई।
उसके बाद मुझे अपने मायके भी जाना था जो जालन्धर के पास ही था तो वहाँ से मुझे कोई परेशानी भी नहीं थी जाने की।

मैंने उस दिन उसी की दी हुई साड़ी पहनी थी और खूब सैक्सी लग रही थी।
वो बस स्टैंड पर गाड़ी लेकर आया और घर जाते समय गाड़ी में ही मेरी जांघ पर हाथ घुमाने लगा।
मैं भी मौका देख कर पैन्ट के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाने लगी।

बंगले में पहुँचते ही उसने मुझे गोद में उठा लिया और अन्दर ले गया। उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक दिया और खुद बीयर पीने लगा।

फिर उसने मुझे कहा- कोमल, तुम भी बीयर का स्वाद लेकर देखो, इसमें कोई नशा नहीं है।
पहले तो मैंने मना कर दिया मगर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैंने थोड़ी सी बीयर ले ली।

हम दोनों सोफे पर बैठे थे और उसने वहीं पर मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया। मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने फिर एक जाम बनाया और उसमें थोड़ी सी शराब भी मिला दी। मैंने भी सोचा कि थोड़ी सी है, इससे क्या होगा, और मैंने पूरा जाम ख़त्म कर दिया।

हम दोनों आपस में लिपटे हुए थे। वो कभी मेरी चूचियों को मसल रहा था और कभी मेरी गाण्ड पर हाथ फेर रहा था। मेरी साड़ी का पल्लू भी नीचे गिर गया था और मेरे ब्लाउज में से दिख रहे गोल गोल उभारों पर अपनी जीभ रगड़ रगड़ कर चाट रहा था।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

उसका लण्ड एकदम सख्त हो चुका था।
मैं सोफे पर ही घोड़ी बन गई और उसके लण्ड की तरफ अपना मुँह करके उसकी पैन्ट खोल दी।
उसने भी अपने चूतड़ उठा कर अपनी पैन्ट उतार दी। उसके कच्छे में उसका लण्ड पूरा तना हुआ था।
मैंने उसका लण्ड बाहर निकाला और अपने हाथों में ले लिया।

वो भी मेरे लम्बे बालों में हाथ घुमाने लगा। मैंने उसके लण्ड को चूमा और फिर अपने नर्म-नर्म होंठ उस पर रख दिए। मानो जैसे मैंने किसी गरम लोहे के लठ्ठ को मुँह में ले लिया हो। मैं उसका लण्ड पूरा मुँह में ले रही थी। लप-लप की आवाजें मेरे मुँह से निकल कर से कमरे में गूंज रहीं थी।

वह भी मेरे सर को ऊपर से दबा दबा कर और अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में ठूँस रहा था। उसके मुँह से भी आह आह की आवाजें निकल रही थी।

वो बोला- चूस ले रानी! और चूस! बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- क्यों नहीं राजा! आज मैं रस पीने और पिलाने ही तो आई हूँ।

फिर उसने मेरे बालों को मेरे चेहरे पर बिखेर दिया और मुझे बाहर कुछ भी नहीं दिख रहा था। सिर्फ मेरे सामने उसका लण्ड था।
एक तरफ उसका पेट और दूसरी तरफ मेरे काले घने बाल थे। मैं उसका लण्ड लगातार चूसे जा रही थी।

फिर उसने मेरी पीठ पर से मेरा ब्लाउज खोल दिया और दूर फेंक दिया। फिर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिसके खुलते ही मेरे दो बड़े बड़े कबूतर उसकी टांग पर जा गिरे और उसने भी अपना हाथ मेरे दोनों कबूतरों पर रख दिए।
वो मेरी और सीधा हो कर बैठ गया और मेरे चूचों को जोर जोर से मसलना चालू कर दिया।

उसका हाथ कभी मेरे स्तनों पर, कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरी गाण्ड पर चल रहा था।
फिर उसने मेरी साड़ी उतार कर मेरा पेटीकोट खोल दिया।

मैंने भी एक हाथ से उसको निकाल दिया और एक तरफ फ़ेंक दिया। अब मेरे बदन पर एक पेंटी ही बची थी उसने उसको भी उतार दिया। मगर मेरी पेंटी उतारते समय वो जरा सा भी आगे नहीं हुआ। मैं हैरान थी कि उसने मेरी पेंटी मेरी गाण्ड से बिना हिले कैसे नीचे कर दी।

अभी मैं सोच ही रही थी की मेरी पेंटी जो अभी जांघों पर थी, में दो ऊँगलियाँ घुसी और मेरी पेंटी और नीचे जाने लगी और मेरे घुटनों पर आकर रुक गई। मुझे लगा कि जैसे किसी और ने मेरी पेंटी उतारी हो।

मैंने झटके से सर को उठाया और पीछे मूड़ कर देखा तो मैं हैरान रह गई। वहाँ पर एक और बुड्ढा कच्छे और बनियान में खड़ा था।

मैंने फिर अपने आशिक की तरफ देखा तो वो बोला- जाने मन… सॉरी, मैंने तुम्हें अपने इस दोस्त के बारे में बताया नहीं। दरअसल यह कल से मेरे घर में है और आज जब सुबह तूने मुझे बताया कि तुम मुझसे मिलने आ रही हो तो मैंने इसे भेजने की कोशिश की मगर शायद इसने हमारी बातें सुन ली थी इसलिए यह मुझसे बोला कि एक बार इसे भी चूत दिला दूँ, काफी अरसे से चूत नहीं मारी।

मुझे इस पर तरस आ गया।

उसने कहा- जान, मैं तुम्हें रास्ते में ही इसके बारे में बताने वाला था मगर डर गया कि कहीं तुम रूठ कर वापिस न चली जाओ, इसलिए घर आकर सोचा कि पहले मैं तुमसे मज़े कर लूँ फिर इसके बारे में बताऊँगा, मगर यह साला अभी आ गया।

मैं अभी कुछ बोली नहीं थी कि वो दूसरा बुड्ढा बोल पड़ा- यार क्या करता? इसकी मस्त गाण्ड देख कर मुझसे रहा नहीं गया।

वो दोनों अब मेरे मुँह की तरफ देख रहे थे कि मैं क्या जवाब देती हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी तंग पजामी - by neerathemall - 17-06-2022, 04:08 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)