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मेरा प्यारा देवर
#7
वो अपनी टी-शर्ट उतारने को नहीं मान रहा था, तो मैंने उसकी टी-शर्ट अपने दोनों हाथों से ऊपर उठा दी।
वो टी-शर्ट को नीचे खींच रहा था और मैं ऊपर.. इसी बीच मैं अपने मम्मे कभी उसकी बाजू पर लगाती और कभी उसकी पीठ पर… और कभी उसके सर से लगाती…
जब वो नहीं माना तो मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और…

खुद उसके ऊपर लेट गई जिससे अब मेरे मम्मे उसकी छाती पर टकरा रहे थे और मैं लगातार उसकी टी-शर्ट ऊपर खींच रही थी। उसके गिरने के कारण उसका लौड़ा भी पैंट में उछल रहा था, जो मेरे पेट से कभी कभी रगड़ जाता, मगर विकास अपनी कमर को दूसरी ओर घुमा रहा था ताकि उसका लौड़ा मेरे बदन के साथ न लग सके…
आखिर में उसने हर मान ली और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी।

अब उसकी छाती जिस पर छोटे छोटे बाल थे मेरे मम्मों के नीचे थी.. मगर मैंने अभी उसको और गर्म करना चाहा ताकि मुझे उससे जबरदस्ती ना करना पड़े और वो खुद मुझे चोदने के लिए मान जाये।

मैं उसके ऊपर से उठी और रसोई में से आईसक्रीम एक ही कप में ले आई, मेरे आने तक वह बैठ चुका था.. मैं फिर से उसके साथ बैठ गई और खुद एक चम्मच खाकर कप उसके आगे कर दिया। उसने चम्मच उठाया और आईसक्रीम खाने लगा तो मैंने उसको अपना कंधा मारा जिससे उसकी आईस क्रीम उसके पेट पर गिर गई।
मैंने झट से उसके पेट से ऊँगली के साथ आईस क्रीम उठाई और उसी के मुँह की ओर कर दी। उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ आज क्या हो रहा है।

फिर उसने मेरी ऊँगली अपने मुँह में ली और चाट ली मगर मैं अपनी ऊँगली उसके मुँह से नहीं निकाल रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरी ऊँगली मुँह से बाहर निकाली।

अब मैंने जानबूझ कर एक बार आईसक्रीम अपनी छाती पर गिरा दी जो मेरे बड़े से गोल उभार पर टिक गई। मैंने एक हाथ में कप पकड़ा था और दूसरे में चम्मच।

मैंने विकास को कहा- विकास यह देखो, आईसक्रीम गिर गई इसे उठा कर मेरे मुँह में डाल दो।

यह देख कर तो विकास की हालत देखी नहीं जा रही थी, उसका लौड़ा अब उससे भी नहीं संभल रहा था…

उसने डरते हुए मेरे हाथ से चम्मच लेने की कोशिश की मगर मैंने कहा- … अरे विकास, हाथ से डाल दो। चम्मच से तो खुद भी डाल सकती थी।

यह सुन कर तो वो और चौक गया..

फिर उसका कांपता हुआ हाथ मेरे मम्मे की तरफ बढ़ा और एक ऊँगली से उसने आईसक्रीम उठाई और फिर मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसकी ऊँगली अपने दांतों के नीचे दबा ली और अपनी जुबान से चाटने लगी।

उसने खींच कर अपनी ऊँगली बाहर निकल ली तो मैंने कहा- क्यों देवर जी दर्द तो नहीं हुआ..?

उसने कहा- नहीं भाभी…
मैंने कहा- फिर इतना डर क्यों रहे हो…
उसने कांपते हुए होंठों से कहा- नहीं भाभी, डर कैसा…?
मैंने कहा- मुझे तो ऐसा ही लग रहा है…

फिर मैंने चम्मच फेंक दी और अपनी ऊँगली से उसको आईसक्रीम चटाने लगी…
वो डर भी रहा और शरमा भी रहा था और चुपचाप मेरी ऊँगली चाट रहा था..
मैंने कहा- अब मुझे भी खिलाओ…
तो उसने भी ऊँगली से मुझे आईसक्रीम खिलानी शुरू कर दी…

मैं हर बार उससे कोई ना कोई शरारत कर रही थी और वो और घबरा रहा था..
आखिर आईसक्रीम ख़त्म हो गई और हम ठीक से बैठ गये।

मैंने उसको कहा- विकास, मैं तुम को कैसी लगती हूँ?
उसने कहा- बहुत अच्छी !
तो मैंने पूछा- कितनी अच्छी?
उसने फिर कहा- बहुत अच्छी ! भाभी…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरा प्यारा देवर - by neerathemall - 17-06-2022, 04:02 PM



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