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मेरा प्यारा देवर
#4
मैं उसको हर रोज ऐसे ही सताती रहती जिसका कुछ असर भी दिखने लगा क्योंकि उसने चोरी चोरी मुझे देखना शुरू कर दिया, मैं जब भी उसकी ओर अचानक देखती तो वो मेरी गाण्ड या मेरी छाती की तरफ नजरें टिकाये देख रहा होता और मुझे देख कर नजर दूसरी ओर कर लेता। मैं भी जानबूझ कर उसको खाना खिलाते समय अपनी छाती झुक झुक कर दिखाती, कई बार तो बैठे बैठे ही उसकी पैंट में तम्बू बन जाता और मुझसे छिपाने की कोशिश करता।

मैं तो उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसवाने के लिए बेक़रार थी, अगर सास-ससुर घर पर ना होते तो अब तक मैंने ही उसका दैहिक शोषण कर दिया होता।

मगर जल्दी मुझे ऐसा मौका मिल गया। एक दिन हमारे रिश्तेदारों में किसी की मौत हो गई और मेरे सास ससुर को वहाँ जाना पड़ गया।
मैंने आपने मन में ठान ली थी कि आज मैं विकास से चुद कर ही रहूंगी।

सास-ससुर के जाते ही विकास भी मुझसे बचने के लिए बहाने की तलाश में था, पहले तो वो काफी देर तक घर से बाहर रहा, एक घंटे बाद जब मैंने उसके मोबाइल पर फोन किया और खाना खाने के लिए घर बुलाया तब जाकर वो घर आया।

मैं अपना और उसका खाना अपने कमरे में ही ले गई और उसको अपने कमरे में बुला लिया, मगर वो अपना खाना उठा कर अपने कमरे की ओर चल दिया, मेरे लाख कहने के बाद भी वो नहीं रुका तब मैं भी अपना खाना उसके कमरे में ले गई और बिस्तर पर उसके साथ बैठ गई।

वो फिर भी मुझसे शरमा रहा था, मैंने अपना दुपट्टा भी अपनी छाती से हटा लिया मगर वो आज मुझसे बहुत शरमा रहा था, उसको भी पता था कि आज मैं उसको ज्यादा परेशान करूंगी।

मैंने उससे पूछा- विकास.. मैं तुम को अच्छी नहीं लगती क्या…?
तो वो बोला- नहीं भाभी, आप तो बहुत अच्छी हैं…
मैंने कहा- तो फिर तुम मुझसे हमेशा भागते क्यों रहते हो…?
वो बोला- भाभी, मैं कहाँ आपसे भागता हूँ?

मैंने कहा- फिर अभी क्यों मेरे कमरे से भाग आये थे, शायद मैं तुम को अच्छी नहीं लगती, तभी तो तुम मुझसे ठीक तरह से बात भी नहीं करते।
‘नहीं भाभी, अभी तो मैं बस यूँ ही अपने कमरे में आ गया था.. आप तो बहुत अच्छी हैं..’
मैंने कहा- झूठ मत बोलो ! मैं तुम को अच्छी नहीं लगती, तभी तो मेरे पास भी नहीं बैठते। अभी भी देखो कैसे दूर होकर बैठे हो? अगर मैं सच में तुम को अच्छी लगती हूँ तो मेरे पास आकर बैठो…

मेरी बात सुन कर वो थोड़ा सा मेरी ओर सरक गया।
यह देख कर मैं बिल्कुल उसके साथ जुड़ कर बैठ गई जिससे मेरी गाण्ड उसकी जांघ को और मेरी छाती के उभार उसकी बाजू को छूने लगे…

मैंने कहा- ऐसे बैठते हैं देवर भाभियों के पास… अब बोलो ऐसे ही बैठो करोगे या दूर दूर…?

वो बोला- भाभी, ऐसे ही बैठूँगा मगर मुझे मौसी गुस्सा तो नहीं होगी? क्योंकि लड़कियों के साथ ऐसे कोई नहीं बैठता।

मैंने कहा- अच्छा अगर तुम अपनी मौसी से डरते हो तो उनके सामने मत बैठना। मगर आज वो घर पर नहीं है इसलिए आज जो मैं तुम को कहूँगी वैसा ही करना।

उसने भी शरमाते हुए हाँ में सर हिला दिया…
अब हम खाना खा चुके थे, मैंने उसे कहा- अब मेरे कमरे में आ जाओ…
वो बोला- भाभी, आप जाओ, मैं आता हूँ।

उसकी बात सुन कर जब मैंने उसकी पैंट की ओर देखा तो मैं समझ गई कि यह अब उठने की हालत में नहीं है।
मैंने बर्तन उठाये और रसोई में छोड़ कर अपने कमरे में आ गई।

थोड़ी देर बाद ही विकास भी मेरे कमरे में आ गया और बिस्तर के पास पड़े स्टूल पर बैठ गया।
मैंने टीवी चालू किया और बिस्तर पर बैठ गई और विकास को भी बिस्तर पर आने के लिए कहा।

वो बोला- नहीं भाभी, मैं यहाँ ठीक हूँ।
मैंने कहा- अच्छा तो अपना वादा भूल गये कि तुम मेरे पास बैठोगे…?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरा प्यारा देवर - by neerathemall - 17-06-2022, 04:00 PM



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