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मेरा प्यारा देवर
#3
और बाहर भाग गया।
मैं उसको हर रोज ऐसे ही सताती रहती जिसका कुछ असर भी दिखने लगा क्योंकि उसने चोरी चोरी मुझे देखना शुरू कर दिया, मैं जब भी उसकी ओर अचानक देखती तो वो मेरी गाण्ड या मेरी छाती की तरफ नजरें टिकाये देख रहा होता और मुझे देख कर नजर दूसरी ओर कर लेता। मैं भी जानबूझ कर उसको खाना खिलाते समय अपनी छाती झुक झुक कर दिखाती, कई बार तो बैठे बैठे ही उसकी पैंट में तम्बू बन जाता और मुझसे छिपाने की कोशिश करता।
मैं तो उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसवाने के लिए बेक़रार थी, अगर सास-ससुर घर पर ना होते तो अब तक मैंने ही उसका देह शोषण कर दिया होता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मेरा प्यारा देवर - by neerathemall - 17-06-2022, 03:59 PM



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