17-06-2022, 02:22 PM
(This post was last modified: 17-06-2022, 02:22 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
“क्या साब आप भी ना !”
उसके जाने के बाद मैंने पम्मो का नंबर लगाया, उसकी सुरीली आवाज़ में हेलो सुन मेरा दिल धक्-धक् करने लगा- पम्मो जी, आप कैसी हो?
“आप कौन बोल रहे हैं?”
“आपका दीवाना ! तेरी जवान जवानी का रोगग्रस्त रोगी हूँ जिसको देख रोज़ होंठ काट निकल जाती हो हमें छलनी करके !”
“ओह समझ गई ! मेरा नंबर किधर से मिला?”
“बस हम जिस चीज़ के पीछे जाते हैं, उसको तह तक खोद देतें हैं !”
“बी डी ओ साब ! आप भी ना ?”
“रानी, ऐसे मत सार ! बहुत तकलीफ में हूँ ! मेरे पास आकर इलाज़ कर दे !”
“मैं बदनाम हो जाऊँगी?”
“कभी नहीं ! मेरा भी रुतबा है, स्टेटस है !”
“लेकिन कैसे?”
“तू तैयार होकर हनुमान मंदिर के पीछे एक चाय की दुकान है, दस बजे आ जा !”
“ठीक है !”
मैं बहुत खुश था, वो सही समय से पहले ही आ गई।
थोड़ी देर बैठ कर चाय पी और उसको अपनी कार में बिठा लिया जिसके शीशे काले हैं, मैं जब घर से निकला था, गेट खुला रखा था, सीधी कार अंदर !
पहले उतरा, गेट लॉक किया, मौका देख उसको जल्दी से अंदर घुसवा मैंने सभी दरवाज़े बंद कर दिए।
“बहुत तड़पाया है तुमने !”
“सच बताना, नंबर?”
“हाँ, कमलेश से लिया है !”
“ओह !”
मैंने उसको बाँहों में लिया- तुम बहुत सेक्सी हो पम्मो ! तुम करती क्या हो?
“कुछ नहीं ! घरेलू औरत हूँ, पति गुज़र गया था, दो बच्चों के साथ आपकी पिछली गली में माँ पापा के साथ रहती हूँ !”
“ओह !”
मैंने एक एक कर उसके कपड़े उतारे ! क्या सॉलिड माल थी !
मैं तो मर मिटा ! उसकी छाती दूध से सफ़ेद ! मक्खन से भी कोमल !
जब उसने मेरा लौड़ा देखा तो देखती रह गई- इतना बड़ा है आपका?
“क्यूँ? डर गई क्या?”
“ना तो ! मैं क्यूँ डरूँ? यह तो मजा देगा ! ज़ालिम कहाँ छुपा था यह?”
“पति को क्या हुआ था?”
“उसने आत्महत्या की थी !”
मैंने उसकी सलवार उतारी, उसकी चूत देख बावला हो गया !
उसने मेरे लौड़े को खुद मुँह में लेकर चुप्पे लगाये, खुद खेलने लगी। वो बहुत चुदक्कड़ लगी मुझे !
मैंने भी उसका कोई अंग नहीं छोड़ा और आखिर में मैं उसके अंदर समा गया।
क्या औरत थी? उसकी गहराई में मेरा शेर मजे करने लगा !
पूरा दिन मैंने पम्मो को ठोका !
जब अलग हुए बोली- इसीलिए अपने होंठ काटती थी, आपका लौड़ा लेना था !
“यह तो तेरा है आज से !”
“रात को दरवाज़ा खुला होगा, आ जाना !”
उसके जाने के बाद मैंने पम्मो का नंबर लगाया, उसकी सुरीली आवाज़ में हेलो सुन मेरा दिल धक्-धक् करने लगा- पम्मो जी, आप कैसी हो?
“आप कौन बोल रहे हैं?”
“आपका दीवाना ! तेरी जवान जवानी का रोगग्रस्त रोगी हूँ जिसको देख रोज़ होंठ काट निकल जाती हो हमें छलनी करके !”
“ओह समझ गई ! मेरा नंबर किधर से मिला?”
“बस हम जिस चीज़ के पीछे जाते हैं, उसको तह तक खोद देतें हैं !”
“बी डी ओ साब ! आप भी ना ?”
“रानी, ऐसे मत सार ! बहुत तकलीफ में हूँ ! मेरे पास आकर इलाज़ कर दे !”
“मैं बदनाम हो जाऊँगी?”
“कभी नहीं ! मेरा भी रुतबा है, स्टेटस है !”
“लेकिन कैसे?”
“तू तैयार होकर हनुमान मंदिर के पीछे एक चाय की दुकान है, दस बजे आ जा !”
“ठीक है !”
मैं बहुत खुश था, वो सही समय से पहले ही आ गई।
थोड़ी देर बैठ कर चाय पी और उसको अपनी कार में बिठा लिया जिसके शीशे काले हैं, मैं जब घर से निकला था, गेट खुला रखा था, सीधी कार अंदर !
पहले उतरा, गेट लॉक किया, मौका देख उसको जल्दी से अंदर घुसवा मैंने सभी दरवाज़े बंद कर दिए।
“बहुत तड़पाया है तुमने !”
“सच बताना, नंबर?”
“हाँ, कमलेश से लिया है !”
“ओह !”
मैंने उसको बाँहों में लिया- तुम बहुत सेक्सी हो पम्मो ! तुम करती क्या हो?
“कुछ नहीं ! घरेलू औरत हूँ, पति गुज़र गया था, दो बच्चों के साथ आपकी पिछली गली में माँ पापा के साथ रहती हूँ !”
“ओह !”
मैंने एक एक कर उसके कपड़े उतारे ! क्या सॉलिड माल थी !
मैं तो मर मिटा ! उसकी छाती दूध से सफ़ेद ! मक्खन से भी कोमल !
जब उसने मेरा लौड़ा देखा तो देखती रह गई- इतना बड़ा है आपका?
“क्यूँ? डर गई क्या?”
“ना तो ! मैं क्यूँ डरूँ? यह तो मजा देगा ! ज़ालिम कहाँ छुपा था यह?”
“पति को क्या हुआ था?”
“उसने आत्महत्या की थी !”
मैंने उसकी सलवार उतारी, उसकी चूत देख बावला हो गया !
उसने मेरे लौड़े को खुद मुँह में लेकर चुप्पे लगाये, खुद खेलने लगी। वो बहुत चुदक्कड़ लगी मुझे !
मैंने भी उसका कोई अंग नहीं छोड़ा और आखिर में मैं उसके अंदर समा गया।
क्या औरत थी? उसकी गहराई में मेरा शेर मजे करने लगा !
पूरा दिन मैंने पम्मो को ठोका !
जब अलग हुए बोली- इसीलिए अपने होंठ काटती थी, आपका लौड़ा लेना था !
“यह तो तेरा है आज से !”
“रात को दरवाज़ा खुला होगा, आ जाना !”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
