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Adultery मैं तो शादीशुदा हूँ
#10
“होता है, कसक उठने लगती है !”

“कहाँ पर होती है? कहाँ उठती है?”

“हर अंग अंग में !”

मैंने करीब जाकर उसके दाहिने कंधे पर अपना मुँह रखते हुए हल्की सी चुम्मी उसके कान के नीचे ली।

वो हिलकर रह गई।

बाँहों में लेते हुए उसके सपाट से चिकने से पेट पर अपने हाथ ले गया।

जब मैंने उसको सहलाया, वो गर्म होने लगी- साब, क्या कर रहे हैं?

“प्यार कर रहा हूँ !”

“यह सही नहीं है ! मैं किसी की बीवी भी हूँ !”

“तो मैं किसी का पति भी हूँ रानी ! वैसे दिन में जब तू आती है, संवरती नहीं है ! इस वक़्त बिल्कुल अलग लग रही है !

“क्या करूँ? दिन में सँवरने लगी तो मेरे बच्चे भूखें मर जायेंगे, उनका पेट कौन पलेगा?”

“तेरा मर्द क्या करता है?”

“रिक्शा चलाता है, जो कमाता है वो दारु और जुए में उड़ा देता है।”

“कितने घरों में काम करती हो?”

“बहुत हैं साब !”

मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए एक हज़ार का नोट निकाला और उसकी ब्रा में घुसा दिया- रख ले इसको ! काम आएगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मैं तो शादीशुदा हूँ - by neerathemall - 17-06-2022, 02:19 PM



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