17-06-2022, 02:15 PM
वो मचल उठी।
मैंने उसका कमजोरी भाम्प की, उसका यौन-बिन्दु मालूम चल गया मुझे!
दो-तीन बार वहाँ चूमा तो प्रिया गर्म होने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके सपाट चिकने पेट पर फेरना चालू किया, उसकी साड़ी का पल्लू सरका कर नीचे गिरा दिया, ब्लाऊज़ में उसकी जवानी देख मेरा लौड़ा और ज्यादा मचलने लगा।
वो भी मानो प्यासी थी! मेरे हाथ ने जब उसके पेट को छुआ तो वो पूरी गर्म हो गई।
मैंने हाथ उसके पेटीकोट में घुसा दिया।
इस पर वो बोली- यह सब मत करो! यह उठ गए तो बवाल मच जाएगा।
‘यह अब नहीं उठने वाला! ऐसा कर कि दरवाज़ा खुला रखना, मैं जरा घर को ताला लगा कर और इसका जो बाईक मेरे घर खड़ा है, उसको भी ले लाता हूँ!’
‘नहीं नहीं! उसको मत लाना, रात है, उसकी आवाज़ से कहीं कोई जग गया तो?’
‘चल ठीक है!’
मैंने अपने घर जाकर एक पटियाला-पैग खींचा और मुँह में हरी इलाईची रख कर ताला-वाला लगा कर आया, घर से मैंने रास्ता देख लिया कि सब साफ़ है, मैं उसके घर में घुस गया।
आज मुझे भाभी चोदनी थी।
जब मैं गया तो देखा वो फ्रेश होकर नाईटी पहन कर मेरे सामने खड़ी थी, महीन सी सी-थ्रू नाईटी के अन्दर उसकी लाल पेंटी, लाल ब्रा साफ़ दिख रही थी। मुझे लड़की के अक्सर लाल, काले अंडर-गारमेंट बहुत आग लगाते हैं!
‘क्या देख रहे हो? कहाँ खो गए?’
‘कहीं नहीं! तेरे रूप का नज़ारा देख रहा हूँ! मदहोश कर देने वाली भाभी की जवानी देख रहा हूँ!’
‘इस कमबख्त ने तो…! इतनी कीमती चीज़ को ऐसे जाया कर रहा है…’
मैंने उसको बाँहों में समेटा, उठाया, सीधा गेस्ट रूम में लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया, दरवाज़े की चिटकनी लगाई और उसके बगल में लेट गया। मैंने उसे बड़ी बत्ती बंद करके हल्की रोशनी वाला बल्ब जलाने को कहा।
उसने लाल बल्ब जला दिया ट्यूबलाइट बंद करके! और इतराते हुए चल कर मेरे पास आई।
मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी और उसकी लाल ब्रा में हाथ घुसा दिया!
क्या माल था दोस्तो! मेरा लौड़ा फूंके मारने लगा! मुलायम सच में रुई जैसी!
‘आप मुझे बहुत पसंद हो! जिस दिन से मेरी नज़र आपसे टकरा गई, उसी दिन से मैं सोचने लगी कि काश मुझे ऐसा मर्द-पति मिला होता!’
‘मैं हूँ ना! आज से उदासी रफू-चक्कर कर दे!’
मैंने उसकी ब्रा की हुक खोल दी और अलग कर दिया। मैंने एक-एक कर दोनों चुचूक चूसे! गुलाबी से कोमल से चुचूक थे! कभी उसका पूरा मम्मा मुँह में ले लेता और हिला हिला उसकी आग भड़काता।
मेरा दूसरा हाथ अब उसकी पेंटी में था, लाल पेंटी में उसकी मक्खन जैसी जाँघें थी, उसकी फुद्दी गीली हो चुकी थी।
‘तेरी फुद्दी गीली क्यूँ है?’
‘आपकी वजह से!’
मैंने उसकी पेंटी भी सरका कर उतार दी, उसने भी मेरा लोअर खोल दिया, मेरा लौड़ा पकड़ लिया- हाय! कितना बड़ा है!
‘क्यूँ? कभी इतना बड़ा मिला नहीं?’
बोली- कसम से! कभी नहीं!
‘इसके इलावा तुमने और किसी का नहीं लिया?’
वो चुप रही।
मैं जान गया कि वो औरों से भी चुद चुकी थी।
मुझे क्या था, मैंने कहा- मेरा चूस!
मैंने उसका कमजोरी भाम्प की, उसका यौन-बिन्दु मालूम चल गया मुझे!
दो-तीन बार वहाँ चूमा तो प्रिया गर्म होने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके सपाट चिकने पेट पर फेरना चालू किया, उसकी साड़ी का पल्लू सरका कर नीचे गिरा दिया, ब्लाऊज़ में उसकी जवानी देख मेरा लौड़ा और ज्यादा मचलने लगा।
वो भी मानो प्यासी थी! मेरे हाथ ने जब उसके पेट को छुआ तो वो पूरी गर्म हो गई।
मैंने हाथ उसके पेटीकोट में घुसा दिया।
इस पर वो बोली- यह सब मत करो! यह उठ गए तो बवाल मच जाएगा।
‘यह अब नहीं उठने वाला! ऐसा कर कि दरवाज़ा खुला रखना, मैं जरा घर को ताला लगा कर और इसका जो बाईक मेरे घर खड़ा है, उसको भी ले लाता हूँ!’
‘नहीं नहीं! उसको मत लाना, रात है, उसकी आवाज़ से कहीं कोई जग गया तो?’
‘चल ठीक है!’
मैंने अपने घर जाकर एक पटियाला-पैग खींचा और मुँह में हरी इलाईची रख कर ताला-वाला लगा कर आया, घर से मैंने रास्ता देख लिया कि सब साफ़ है, मैं उसके घर में घुस गया।
आज मुझे भाभी चोदनी थी।
जब मैं गया तो देखा वो फ्रेश होकर नाईटी पहन कर मेरे सामने खड़ी थी, महीन सी सी-थ्रू नाईटी के अन्दर उसकी लाल पेंटी, लाल ब्रा साफ़ दिख रही थी। मुझे लड़की के अक्सर लाल, काले अंडर-गारमेंट बहुत आग लगाते हैं!
‘क्या देख रहे हो? कहाँ खो गए?’
‘कहीं नहीं! तेरे रूप का नज़ारा देख रहा हूँ! मदहोश कर देने वाली भाभी की जवानी देख रहा हूँ!’
‘इस कमबख्त ने तो…! इतनी कीमती चीज़ को ऐसे जाया कर रहा है…’
मैंने उसको बाँहों में समेटा, उठाया, सीधा गेस्ट रूम में लेजाकर बिस्तर पर पटक दिया, दरवाज़े की चिटकनी लगाई और उसके बगल में लेट गया। मैंने उसे बड़ी बत्ती बंद करके हल्की रोशनी वाला बल्ब जलाने को कहा।
उसने लाल बल्ब जला दिया ट्यूबलाइट बंद करके! और इतराते हुए चल कर मेरे पास आई।
मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी और उसकी लाल ब्रा में हाथ घुसा दिया!
क्या माल था दोस्तो! मेरा लौड़ा फूंके मारने लगा! मुलायम सच में रुई जैसी!
‘आप मुझे बहुत पसंद हो! जिस दिन से मेरी नज़र आपसे टकरा गई, उसी दिन से मैं सोचने लगी कि काश मुझे ऐसा मर्द-पति मिला होता!’
‘मैं हूँ ना! आज से उदासी रफू-चक्कर कर दे!’
मैंने उसकी ब्रा की हुक खोल दी और अलग कर दिया। मैंने एक-एक कर दोनों चुचूक चूसे! गुलाबी से कोमल से चुचूक थे! कभी उसका पूरा मम्मा मुँह में ले लेता और हिला हिला उसकी आग भड़काता।
मेरा दूसरा हाथ अब उसकी पेंटी में था, लाल पेंटी में उसकी मक्खन जैसी जाँघें थी, उसकी फुद्दी गीली हो चुकी थी।
‘तेरी फुद्दी गीली क्यूँ है?’
‘आपकी वजह से!’
मैंने उसकी पेंटी भी सरका कर उतार दी, उसने भी मेरा लोअर खोल दिया, मेरा लौड़ा पकड़ लिया- हाय! कितना बड़ा है!
‘क्यूँ? कभी इतना बड़ा मिला नहीं?’
बोली- कसम से! कभी नहीं!
‘इसके इलावा तुमने और किसी का नहीं लिया?’
वो चुप रही।
मैं जान गया कि वो औरों से भी चुद चुकी थी।
मुझे क्या था, मैंने कहा- मेरा चूस!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.