17-06-2022, 02:13 PM
उसने वापस घर आते मुझे फ़ोन किया, उसने अपना नाम प्रिया बताया, बोली- आपने नंबर क्यूँ फेंका?
‘एक जवान मर्द जवान औरत को क्यूँ नंबर देगा?’
‘लेकिन मैं तो शादीशुदा हूँ!’
‘वो तो मैं भी हूँ!’
अब हम फ़ोन पर बातें करने लगे, उसने बताया कि उसका पति बहुत दारु पीता है और उसको कभी कभी पीट भी देता है।
मोहल्ले का काम था हम दोनों ही कोई बचकानी हरक़त करने के मूड में नहीं थे, वो औरत थी, मैं एक ऑफिसर, इसलिए मैंने कोई तरकीब सोचनी चालू की।
एक दिन में गली में सैर कर रहा था अपने कुत्ते के साथ, उसके घर के सामने निकला, दो तीन चक्कर गली के लगाए, इतने में उसका घरवाला अपनी बाईक पर घर लौटा रहा था, उसने काफी पी रखी थी, वो जब मेरे पास को आया तो बोला- सत श्री अकाल भाजी!
मैंने उसको उसी लहजे में जवाब दिया। उस वक्त मैं नहीं जानता था कि वो ही प्रिया का घरवाला है।
वो बोला- आप बी.डी.ओ साब हैं?
हाँ! और आप?
‘हम तो भाई क्लर्क हैं! आप बड़े आदमी!’
‘नहीं, ऐसी बात थोड़ी होती है, इस ज़माने में सरकारी नौकरी कहाँ मिलती है?’
उसने काफी पी रखी थी, मुझे उसके बारे ज्यादा मालूम नहीं था, मैंने पूछा- आपका घर कहाँ है?
‘यही इसी गली में! वो आगे ट्रांसफार्मर के सामने वाला घर है!’
मेरा माथा ठनका ,वो घर तो प्रिया का है, खुद को कहा, सोचा- इसका मतलब यह उसका पति है!
‘आपने काफी पी रखी है, घर छोड़ देता हूँ!’
‘नहीं नहीं जी बस! वैसे कभी आना, पैग शैग लगायेंगे!’
‘ज़रूर-ज़रूर! मैं तो कभी भी कहो आ जाऊँगा ,आओ मैं तुम्हें पैग लगवाता हूँ, आज तुम मेरे घर के सामने हो!’
जोर देकर मैं उसको घर ले गया, नौकर ने दो ग्लास लगाये, एक एक मोटा पटियाला बना दिया- पकड़ो!
चीयर्स कर दोनों ने गटक लिए। वो पहले ही ज्यादा पिए था, दो तीन मिनट में हिलने लगा।
‘मैं घर छोड़ देता हूँ, बाईक यही लगा दे, मैं छोड़ दूंगा!’
उसको सहारा देकर उसके घर गया।
यह रास्ते में मिले, लगता ज्यादा पी ली है!
वो प्रिया थी- यह रोज़ का काम है, आओ आप!
मैं उसको लेकर उसके कमरे तक चला गया, उसको लिटा दिया, जूते उतार मैंने कंबल दिया।
‘धन्यवाद!’ प्रिया बोली।
‘कैसी बात करती हो भाभी? मैं बस डौगी को लेकर सैर कर रहा था कि ये दिख गए।’
‘बैठिये ना!’
‘नहीं चलता हूँ! बच्चे वो सो गए?’
‘सुबह कॉलेज जाना होता है ना!’
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया- भाभी जी, आप बहुत सुंदर हो, फ़ोन पर आवाज़ रोज़ सुनता हूँ, आज सामने हो!
‘एक जवान मर्द जवान औरत को क्यूँ नंबर देगा?’
‘लेकिन मैं तो शादीशुदा हूँ!’
‘वो तो मैं भी हूँ!’
अब हम फ़ोन पर बातें करने लगे, उसने बताया कि उसका पति बहुत दारु पीता है और उसको कभी कभी पीट भी देता है।
मोहल्ले का काम था हम दोनों ही कोई बचकानी हरक़त करने के मूड में नहीं थे, वो औरत थी, मैं एक ऑफिसर, इसलिए मैंने कोई तरकीब सोचनी चालू की।
एक दिन में गली में सैर कर रहा था अपने कुत्ते के साथ, उसके घर के सामने निकला, दो तीन चक्कर गली के लगाए, इतने में उसका घरवाला अपनी बाईक पर घर लौटा रहा था, उसने काफी पी रखी थी, वो जब मेरे पास को आया तो बोला- सत श्री अकाल भाजी!
मैंने उसको उसी लहजे में जवाब दिया। उस वक्त मैं नहीं जानता था कि वो ही प्रिया का घरवाला है।
वो बोला- आप बी.डी.ओ साब हैं?
हाँ! और आप?
‘हम तो भाई क्लर्क हैं! आप बड़े आदमी!’
‘नहीं, ऐसी बात थोड़ी होती है, इस ज़माने में सरकारी नौकरी कहाँ मिलती है?’
उसने काफी पी रखी थी, मुझे उसके बारे ज्यादा मालूम नहीं था, मैंने पूछा- आपका घर कहाँ है?
‘यही इसी गली में! वो आगे ट्रांसफार्मर के सामने वाला घर है!’
मेरा माथा ठनका ,वो घर तो प्रिया का है, खुद को कहा, सोचा- इसका मतलब यह उसका पति है!
‘आपने काफी पी रखी है, घर छोड़ देता हूँ!’
‘नहीं नहीं जी बस! वैसे कभी आना, पैग शैग लगायेंगे!’
‘ज़रूर-ज़रूर! मैं तो कभी भी कहो आ जाऊँगा ,आओ मैं तुम्हें पैग लगवाता हूँ, आज तुम मेरे घर के सामने हो!’
जोर देकर मैं उसको घर ले गया, नौकर ने दो ग्लास लगाये, एक एक मोटा पटियाला बना दिया- पकड़ो!
चीयर्स कर दोनों ने गटक लिए। वो पहले ही ज्यादा पिए था, दो तीन मिनट में हिलने लगा।
‘मैं घर छोड़ देता हूँ, बाईक यही लगा दे, मैं छोड़ दूंगा!’
उसको सहारा देकर उसके घर गया।
यह रास्ते में मिले, लगता ज्यादा पी ली है!
वो प्रिया थी- यह रोज़ का काम है, आओ आप!
मैं उसको लेकर उसके कमरे तक चला गया, उसको लिटा दिया, जूते उतार मैंने कंबल दिया।
‘धन्यवाद!’ प्रिया बोली।
‘कैसी बात करती हो भाभी? मैं बस डौगी को लेकर सैर कर रहा था कि ये दिख गए।’
‘बैठिये ना!’
‘नहीं चलता हूँ! बच्चे वो सो गए?’
‘सुबह कॉलेज जाना होता है ना!’
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया- भाभी जी, आप बहुत सुंदर हो, फ़ोन पर आवाज़ रोज़ सुनता हूँ, आज सामने हो!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.