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मुझे दीदी ना कहो
#5
“नहीं दीदी चिल्लाना नहीं … नहीं तो मर जाऊँगा …” वो जल्दी जल्दी मेरी चूत चोदने लगा पर मैंने अपने नखरे जारी रखे,”तो फिर हट जा … मेरे ऊपर से… आह्ह … मर गई मैं तो !” मैंने उसे बड़ी मस्त नजर से पीछे मुड़ कर देखा।

“बस हो गया दीदी … दो मिनट और …” वो हांफ़ता हुआ बोला।

“आह्ह … हट ना … क्या भीतर ही अपना माल निकाल देगा?” मुझे अब चुदने की लग रही थी। चूत बहुत ही गीली हो गई थी और पानी भी टपकाने लगी। इस बार वो सच में डर गया और रुक गया। मुझे नहीं मालूम था कि गाण्ड मारते मारते सच में हट जायेगा।

“अच्छा दीदी … पर किसी को बताना नहीं…” वो हांफ़ते हुये बोला।

अरे यह क्या … यह तो सच में पागल है … यह तो डर गया… ओह… कैसा आशिक है ये?

“अच्छा, चल पूरा कर ले … अब नहीं चिल्लाऊंगी…” मैंने उसे नरमाई से कहा। मैंने बात बनाने की कोशिश की- साला ! हरामजादा … भला ऐसे भी कोई चोदना छोड़ देता है … मेरी सारी मस्ती रह जाती ना !

उसने खुशी से उत्साहित होकर फिर से लण्ड पूरा घुसा दिया और चोदने लगा। आनन्द के मारे मेरी चूत से पानी और ही निकलने लगा। उसमे भी जोर की खुजली होने लगी … अचानक वो चिल्ला उठा और उसका लण्ड पूरा तले तक घुस पड़ा और उसका वीर्य निकलने को होने लगा। उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और अपने मुठ में भर लिया। फिर एक जोर से पिचकारी निकाल दी, उसका पूरा वीर्य मेरी पीठ पर फ़ैलता जा रहा था। कुछ ही समय में वो पूरा झड़ चुका था।

“दीदी, थेन्क्स, और सॉरी भी … मैंने ये सब कर दिया …” उसकी नजरें झुकी हुई थी।

पर अब मेरा क्या होगा ? मेरी चूत में तो साले ने आग भर दी थी। वो तो जाने को होने लगा, मैं तड़प सी उठी।

“रुक जाओ आलोक … दूध पी कर जाना !” मैंने उसे रोका। वो कपड़े पहन कर वही बैठ गया। मैं अन्दर से दूध गरम करके ले आई। उसने दूध पी लिया और जाने लगा।

“अभी यहीं बिस्तर पर लेट जाओ, थोड़ा आराम कर लो … फिर चले जाना !” मैंने उसे उलझाये रखने की कोशिश की। मैंने उसे वही लेटा दिया। उसकी नजरें शरम से झुकी हुई थी। इसके विपरीत मैं वासना की आग में जली जा रही थी। ऐसे कैसे मुझे छोड़ कर चला जायेगा। मेरी पनियाती चूत का क्या होगा।

“दीदी अब कपड़े तो पहन लूँ … ऐसे तो शरम आ रही है।” वो बनियान पहनता हुआ बोला।

“क्यूँ भैया … मेरी मारते समय शरम नहीं आई ?… मेरी तो बजा कर रख दी…” मैंने अपनी आँखें तरेरी।

“दीदी, ऐसा मत बोलो … वो तो बस हो गया !” वो और भी शरमा गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मुझे दीदी ना कहो - by neerathemall - 17-06-2022, 02:05 PM



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