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Adultery मायके का जायका
#62
ऊषा भाभी अपनी झूठ पकरी जाती देख,अपनी माथे को नीची कर पैर के नाखून से जमीन कुरेदने लगी।उधर रमेश भैया भी शर झुकाए घचाघच ऊषाभाभी कि मांमी कि गांड में अपना लौरा पेले जा रहे थे।ऊईइईई माईईईरी फा्फठ गईईईईल.ऊषाभाभी कि मामी चिल्ला रही थी और महंथ बार बार बोले जा रहा था,बहानचोद आपन सासे के गांड फारत नइखे साला हमरी बुरमरौनी चाचीओ के गांड फारत बा।
तभी मंगल माथुर से बोला,सर,डेढ बाज गईल तीन बजे रिपोर्ट करे के बा।यह सुनकर सहसा सभी हरबरा गए और माथुर,महंथ नामक आदमी ईधर ऊधर नजर दौराने के बाद बोला ओ माथुर साहेब ईहां त कौनो दूसर जगहे ना लऊकाता,कहीं त ईकट्ठे एही गद्दीए पर सबनी के बाजा बजा दि हमनी के काहे जे अब टाईम नईखे।कौनो बात नही है महंथ जी,बस कमपिटिशन ना करल जाई एक अश्लिल ठहाके के साथ माथुर बोला।कुछ हि मिनटो में फर्श पर बिछे गद्दे को सिधा कर कुछ पुआल बाहर से मंगवाया गया और ऊसपर उषाभाभी के मामी कि सारी बिछाकर एक बरी गद्दी बना दि गई।
ईधर हमलोग अर्थात ऊषाभाभी, सीमा और मैं सभी एक दूसरे को देख कर अनजाने भय से सिमटी जा रही थी हालांकि डर सिर्फ अनजान होने का हि था और अकुलाहट सिर्फ इतनी थी कि जो होनी है हो ले और यहाँ से जल्द निकल ली जाए।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 16-06-2022, 04:47 PM



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