16-06-2022, 03:39 PM
‘अरे बेटी तुम्हारी चूत.’ पापा ने चूत को दबाया. पापा के हाथ से चूत दबाये जाने पर मैं सनसना गई. मैं मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी.
तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला. वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया. तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले- हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?
मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई. मैं घबराकर अनजान बनती बोली- कैसा मजा पापा?’
‘बेटी यहाँ कोई आया था?’
‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था.’
‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’
‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद.’ मैं बहाना बनाती बोली.
‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है. लो तौलिया से साफ़ कर लो.’
पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले.
पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नहीं चलने दी. मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं.
‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, तब जन्नत जैसा मजा मिलता है.’
‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है.’ मैं बेशर्म हो बोली.
‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ.’
‘बेटी किसी को बताना नहीं.’
‘नहीं पापा बहुत मजा है, किसी को नहीं पता चलेगा.’
More Story: ब्लॅकमेल करके चोदा दोस्त की बहन को
पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही.
कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली- ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो.’
अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे. पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये. पापा का खड़ा लंड मोटा होकर मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा.
लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी.
मैं पापा के केले को पकड़कर बोली- शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा.’
‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तो मजा आता है.’
‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है.’
‘कोई बात नहीं बेटी. देखना पूरा जाएगा.’
‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी.’
‘अरे बेटी नहीं फटेगी. एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी.’
‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा.’
मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं. मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे.
अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे.
तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला. वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया. तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले- हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?
मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई. मैं घबराकर अनजान बनती बोली- कैसा मजा पापा?’
‘बेटी यहाँ कोई आया था?’
‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था.’
‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’
‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद.’ मैं बहाना बनाती बोली.
‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है. लो तौलिया से साफ़ कर लो.’
पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले.
पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नहीं चलने दी. मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं.
‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, तब जन्नत जैसा मजा मिलता है.’
‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है.’ मैं बेशर्म हो बोली.
‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ.’
‘बेटी किसी को बताना नहीं.’
‘नहीं पापा बहुत मजा है, किसी को नहीं पता चलेगा.’
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पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही.
कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली- ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो.’
अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे. पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये. पापा का खड़ा लंड मोटा होकर मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा.
लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी.
मैं पापा के केले को पकड़कर बोली- शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा.’
‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तो मजा आता है.’
‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है.’
‘कोई बात नहीं बेटी. देखना पूरा जाएगा.’
‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी.’
‘अरे बेटी नहीं फटेगी. एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी.’
‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा.’
मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं. मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे.
अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![thanks thanks](https://xossipy.com/images/smilies/thanks.gif)