16-06-2022, 03:38 PM
मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गई थी. पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को चोदते देख सकूँ. ऐसा मैंने ही कहा था.
फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनो सो गए.
अगले दिन मम्मी को जाना था. आज मम्मी जा रही थी. पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा.
मैं बड़ी ख़ुश थी.
पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई. मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी. मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते, तबतक अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उँगली से फैला लूँ.
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैंने चूत में उँगली पेलते हुए पूछा- कौन है?
‘मैं हूँ उमेश.’ उमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई. उमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था. वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था, पर मैं उसे लाइन नही दे रही थी.
वो रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी बस एक बार चखा दो.
आज अपनी चूत में उँगली पेल मैं बेताब हो गई थी. आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया.
मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है. आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी. उमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवाकर मजा लिया जाए. यही सोचकर दरवाजा खोल दिया.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला उमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला- हाय रानी बड़ा अच्छा मौका है.
मैं उसकी हरकत पर सनसना गई. उसने मेरी चूचियों को छोड़कर पलटकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए, मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं. हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा.
‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे.’
‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा. मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा.’
वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है.
मैं तो अपने पापा से चुदवाने के जुगाड़ में ही नंगी बैठी थी पर यह तो एक सुनहरा मौका मिला गया था. मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी.
जब उमेश मेरी चूचियों और गालों को मसलने लगा तो मैं पापा से पहले उमेश से मजा लेने को तैयार हो गई. उसकी छेड़छाड़ में मजा आ रहा था. मेरी चूत लण्ड खाने को बेताब हो गई थी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली- हाय उमेश, जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाएँ!
मैं पागल होती बोली.
तो उमेश मेरा इशारा पा कर मुझे बेड पर लिटा अपना पैंट उतारने लगा, नंगा हो बोला- रानी बड़ा मजा आएगा.’
‘तुम एकदम तैयार माल हो. देखो मेरा लण्ड छोटा है ना.’
उसने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखा तो मैं उसके 4 इंच के खड़े लण्ड को पकड़ मस्त हो गई. इसका तो पापा से आधा था.
मैं उसका लण्ड सहलाती बोली- हाय राम जो करना है जल्दी से कर लो.’
फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनो सो गए.
अगले दिन मम्मी को जाना था. आज मम्मी जा रही थी. पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा.
मैं बड़ी ख़ुश थी.
पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई. मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी. मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते, तबतक अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उँगली से फैला लूँ.
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैंने चूत में उँगली पेलते हुए पूछा- कौन है?
‘मैं हूँ उमेश.’ उमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई. उमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था. वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था, पर मैं उसे लाइन नही दे रही थी.
वो रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी बस एक बार चखा दो.
आज अपनी चूत में उँगली पेल मैं बेताब हो गई थी. आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया.
मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है. आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी. उमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवाकर मजा लिया जाए. यही सोचकर दरवाजा खोल दिया.
मैंने जैसे ही दरवाजा खोला उमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला- हाय रानी बड़ा अच्छा मौका है.
मैं उसकी हरकत पर सनसना गई. उसने मेरी चूचियों को छोड़कर पलटकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए, मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं. हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा.
‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे.’
‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा. मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा.’
वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है.
मैं तो अपने पापा से चुदवाने के जुगाड़ में ही नंगी बैठी थी पर यह तो एक सुनहरा मौका मिला गया था. मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी.
जब उमेश मेरी चूचियों और गालों को मसलने लगा तो मैं पापा से पहले उमेश से मजा लेने को तैयार हो गई. उसकी छेड़छाड़ में मजा आ रहा था. मेरी चूत लण्ड खाने को बेताब हो गई थी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली- हाय उमेश, जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाएँ!
मैं पागल होती बोली.
तो उमेश मेरा इशारा पा कर मुझे बेड पर लिटा अपना पैंट उतारने लगा, नंगा हो बोला- रानी बड़ा मजा आएगा.’
‘तुम एकदम तैयार माल हो. देखो मेरा लण्ड छोटा है ना.’
उसने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखा तो मैं उसके 4 इंच के खड़े लण्ड को पकड़ मस्त हो गई. इसका तो पापा से आधा था.
मैं उसका लण्ड सहलाती बोली- हाय राम जो करना है जल्दी से कर लो.’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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