16-06-2022, 03:30 PM
अमर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब कमला के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो कमला मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में कमला एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे अमर बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे कमला की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही कमला फ़िर से मस्त हो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.