15-06-2022, 06:02 PM
तभी सैम ने आँखें खोली लेकिन उसके होंठ मेरे होंठों में होने के कारण बोल नहीं सका और मुझे प्रश्न-भरी दृष्टि से देखने लगा था।
क्योंकि सैम कर शरीर अभी भी ठंडा था इसलिए मैंने उस क्रिया को आगे बढ़ाते हुए अपने हाथ से उसके लिंग को अपनी योनि के मुख पर रख कर धक्का लगा दिया।
धक्का लगते ही उसका आधा लोहे जैसा कठोर लिंग मेरी योनि में बहुत तेज़ रगड़ लगाता हुआ अंदर घुस गया।
क्योंकि तीन वर्षों के बाद किसी पुरुष का लिंग मेरी योनि में जा रहा था इसलिए उस तेज़ रगड़ से मुझे बहुत तीव्र पीड़ा हुई। मैंने उस पीड़ा की कोई परवाह नहीं करी और एक तेज़ धक्का लगा कर सैम का बाकी का पूरा लिंग अपनी योनि के अंदर ले लिया।
सैम के पूर्ण लिंग के मेरी योनि में प्रवेश करते ही मेरे मुंह से एक चीख और सैम के मुख से एक आह.. निकल गई।
शायद मेरे साथ सैम को भी लिंग पर तेज़ रगड़ लगने से कुछ असुविधा और पीड़ा हुई होगी जिस कारण हम दोनों के मुंह से चीख तथा आह.. निकली थी।
मैंने लगभग तीन-चार मिनट तक उस पीड़ा के कम होने की प्रतीक्षा करी और जैसे ही अपने को थोड़ा सहज महसूस किया तब मैं उचक उचक कर सैम के लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी।
मेरे ऐसा करने से सैम के शरीर का रक्त प्रवाह भी बढ़ गया तथा उसकी उत्तेजना में भी बढ़ोतरी हो गई और मैंने उसके लिंग-मुंड की मोटाई में वृद्धि भी महसूस की।
हमें यौन संसर्ग करते हुए दस मिनट ही हुए थे जा मेरी योनि में हल्की सी सिकुड़न हुई और उसके साथ ही उसमें से एक छोटी किश्त योनि रस की निकली।
उस योनि रस के कारण मेरी योनि में हुए स्नेहन से सैम का लिंग बहुत ही आराम से उसके अंदर बाहर होने लगा था।
तभी सैम ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर करवट ली और मुझे नीचे लिटा कर खुद मेरे ऊपर चढ़ कर अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा।
यह सब इतना अचानक हुआ कि मुझे पता भी नहीं चला कि सैम का शरीर पूर्ण गर्म हो गया था और वह बहुत उत्तेजित भी हो चुका था।
मेरी उत्तेजना में भी बहुत वृद्धि हो चुकी थी इसलिए मैंने भी उस क्रिया पर रोक नहीं लगाई अथवा उसका आनन्द लेने लगी।
सैम ने बीस मिनट तक मेरे साथ पहले तो धीमी, फिर तीव्र और अंत में बहुत तीव्र गति से संसर्ग किया जिस कारण मेरी योनि में से तीन बार रस का स्खलन हुआ।
तीन वर्षों के बाद किए जाने वाले इस संभोग का परमानन्द लेने के लिए मैंने सैम के हर धक्के का स्वागत अपने कूल्हे उठा कर किया।
जब भी सैम का लिंग मेरी योनि के अंदर गर्भाशय की दीवार से टकराता तब मेरे रोम रोम में खलबली मच जाती और मेरी योनि संकुचित हो कर उसके लिंग को जकड़ लेती।
उस समय मुझे सैम का शरीर बहुत गर्म लग रहा था और मैं बिल्कुल आश्वस्त थी की मैंने उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया था।
लगभग दस मिनट तक हम दोनों ने अत्यंत तीव्र संसर्ग किया और जब सैम का लिंग-मुंड फूलने लगा तब उसने पूछा- मम्मी, मेरा वीर्य रस निकलने वाला है। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूं या फिर आप के अंदर ही स्खलित कर दूँ?
क्योंकि मैं एक बार फिर से अपनी योनि में गर्म वीर्य की बौछार से मिलने वाले आनंद एवम् संतुष्टि को अनुभव करना चाहती थी इसलिए मैंने कहा- सैम, तुम अपना वीर्य रस मेरी योनि के अंदर ही स्खलित करना ताकि मुझे तीन वर्षों की अवधि के बाद एक बार फिर से उस आनन्द, सुख एवम् संतुष्टि की अनुभूति हो।
मेरा कहा सुन कर सैम ने अत्यंत तीव्रता से सात-आठ धक्के लगाए जिससे मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर पहुँच गई और मेरी टांगें अकड़ गई, शरीर ऐंठ गया तथा योनि में अत्यंत तीव्र संकुचन हुआ।
उस संकुचन के कारण सैम के लिंग पर प्रगाढ़ रगड़ लगी और उसका लिंग-मुंड मेरी योनि में ही फूल गया तभी मेरे मुख से बहुत ऊँचे स्वर में सिसकारी एवम् सैम के मुख से चिंघाड़ निकली।
उस सिसकारी एवम् चिंघाड़ के साथ मेरी योनि ने गर्म रस का फव्वारा चला दिया और सैम के लिंग ने उस फव्वारे पर अपने वीर्य रस की बौछार कर दी।
तीस से चालीस सेकंड के बाद जब दोनों के गर्म रस का फव्वारा तथा बौछार बंद हुआ तब मैंने अपनी योनि के अंदर पैदा हुई ऊष्मा को अनुभव किया।
उस अनुभव से मुझे वही यौन सुख, आनंद एवम् संतुष्टि प्राप्त हुई जो मैंने अपने विवाहित जीवन के अठारह वर्ष तक अपने पति से प्राप्त करी थी।
उसके बाद सैम निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गया और मैं उसे अपने आगोश में ले कर चूमने लगी।
लगभग पाँच मिनट तक वैसे ही लेटे रहने के बाद जब सैम मेरे ऊपर से हटा तब मैंने उसे अपने बगल में लिटा कर अपने साथ चिपका लिया।
कुछ देर बाद एक दूसरे के होंठों को चूमते चूसते हुए हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा ने हमें नींद के आगोश में धकेल दिया।
जब सुबह छह बजे मेरी नींद खुली और मैंने अपने को सैम के बाहुपाश में पाया तथा उसका पूर्ण नग्न शरीर मेरे पूर्ण नग्न शरीर से चिपका हुआ था।
मुझे रात में इतनी गहरी निद्रा आई थी की जागने के उपरान्त कुछ देर के लिए मैं विस्मय से इधर उधर देखती रही।
तभी मुझे बारह घंटे पहले की घटना का स्मरण हो आया और वह सभी दृश्य एक चलचित्र की तरह मेरी आँखों के सामने से गुजर गए।
जीवित सैम को अपने आगोश में सोते हुए देख कर मैंने ममता वश उसे चूमते हुए अपनी बाजुओं में कस कर भींच लिया।
मेरे ऐसा करने से सैम की निद्रा भंग हो गई और उसने मुझे कस कर अपने बाहुपाश में ले कर मेरे गलों को चूमने के बाद उठ कर बैठ गया।
सैम के बैठते ही मेरे नग्न शरीर के ऊपर से कम्बल हट गया जिसे देखते ही उसने हड़बड़ा कर कम्बल मेरे ऊपर डाल कर बैड से नीचे उतर गया।
क्योंकि सैम कर शरीर अभी भी ठंडा था इसलिए मैंने उस क्रिया को आगे बढ़ाते हुए अपने हाथ से उसके लिंग को अपनी योनि के मुख पर रख कर धक्का लगा दिया।
धक्का लगते ही उसका आधा लोहे जैसा कठोर लिंग मेरी योनि में बहुत तेज़ रगड़ लगाता हुआ अंदर घुस गया।
क्योंकि तीन वर्षों के बाद किसी पुरुष का लिंग मेरी योनि में जा रहा था इसलिए उस तेज़ रगड़ से मुझे बहुत तीव्र पीड़ा हुई। मैंने उस पीड़ा की कोई परवाह नहीं करी और एक तेज़ धक्का लगा कर सैम का बाकी का पूरा लिंग अपनी योनि के अंदर ले लिया।
सैम के पूर्ण लिंग के मेरी योनि में प्रवेश करते ही मेरे मुंह से एक चीख और सैम के मुख से एक आह.. निकल गई।
शायद मेरे साथ सैम को भी लिंग पर तेज़ रगड़ लगने से कुछ असुविधा और पीड़ा हुई होगी जिस कारण हम दोनों के मुंह से चीख तथा आह.. निकली थी।
मैंने लगभग तीन-चार मिनट तक उस पीड़ा के कम होने की प्रतीक्षा करी और जैसे ही अपने को थोड़ा सहज महसूस किया तब मैं उचक उचक कर सैम के लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी।
मेरे ऐसा करने से सैम के शरीर का रक्त प्रवाह भी बढ़ गया तथा उसकी उत्तेजना में भी बढ़ोतरी हो गई और मैंने उसके लिंग-मुंड की मोटाई में वृद्धि भी महसूस की।
हमें यौन संसर्ग करते हुए दस मिनट ही हुए थे जा मेरी योनि में हल्की सी सिकुड़न हुई और उसके साथ ही उसमें से एक छोटी किश्त योनि रस की निकली।
उस योनि रस के कारण मेरी योनि में हुए स्नेहन से सैम का लिंग बहुत ही आराम से उसके अंदर बाहर होने लगा था।
तभी सैम ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर करवट ली और मुझे नीचे लिटा कर खुद मेरे ऊपर चढ़ कर अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा।
यह सब इतना अचानक हुआ कि मुझे पता भी नहीं चला कि सैम का शरीर पूर्ण गर्म हो गया था और वह बहुत उत्तेजित भी हो चुका था।
मेरी उत्तेजना में भी बहुत वृद्धि हो चुकी थी इसलिए मैंने भी उस क्रिया पर रोक नहीं लगाई अथवा उसका आनन्द लेने लगी।
सैम ने बीस मिनट तक मेरे साथ पहले तो धीमी, फिर तीव्र और अंत में बहुत तीव्र गति से संसर्ग किया जिस कारण मेरी योनि में से तीन बार रस का स्खलन हुआ।
तीन वर्षों के बाद किए जाने वाले इस संभोग का परमानन्द लेने के लिए मैंने सैम के हर धक्के का स्वागत अपने कूल्हे उठा कर किया।
जब भी सैम का लिंग मेरी योनि के अंदर गर्भाशय की दीवार से टकराता तब मेरे रोम रोम में खलबली मच जाती और मेरी योनि संकुचित हो कर उसके लिंग को जकड़ लेती।
उस समय मुझे सैम का शरीर बहुत गर्म लग रहा था और मैं बिल्कुल आश्वस्त थी की मैंने उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया था।
लगभग दस मिनट तक हम दोनों ने अत्यंत तीव्र संसर्ग किया और जब सैम का लिंग-मुंड फूलने लगा तब उसने पूछा- मम्मी, मेरा वीर्य रस निकलने वाला है। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूं या फिर आप के अंदर ही स्खलित कर दूँ?
क्योंकि मैं एक बार फिर से अपनी योनि में गर्म वीर्य की बौछार से मिलने वाले आनंद एवम् संतुष्टि को अनुभव करना चाहती थी इसलिए मैंने कहा- सैम, तुम अपना वीर्य रस मेरी योनि के अंदर ही स्खलित करना ताकि मुझे तीन वर्षों की अवधि के बाद एक बार फिर से उस आनन्द, सुख एवम् संतुष्टि की अनुभूति हो।
मेरा कहा सुन कर सैम ने अत्यंत तीव्रता से सात-आठ धक्के लगाए जिससे मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर पहुँच गई और मेरी टांगें अकड़ गई, शरीर ऐंठ गया तथा योनि में अत्यंत तीव्र संकुचन हुआ।
उस संकुचन के कारण सैम के लिंग पर प्रगाढ़ रगड़ लगी और उसका लिंग-मुंड मेरी योनि में ही फूल गया तभी मेरे मुख से बहुत ऊँचे स्वर में सिसकारी एवम् सैम के मुख से चिंघाड़ निकली।
उस सिसकारी एवम् चिंघाड़ के साथ मेरी योनि ने गर्म रस का फव्वारा चला दिया और सैम के लिंग ने उस फव्वारे पर अपने वीर्य रस की बौछार कर दी।
तीस से चालीस सेकंड के बाद जब दोनों के गर्म रस का फव्वारा तथा बौछार बंद हुआ तब मैंने अपनी योनि के अंदर पैदा हुई ऊष्मा को अनुभव किया।
उस अनुभव से मुझे वही यौन सुख, आनंद एवम् संतुष्टि प्राप्त हुई जो मैंने अपने विवाहित जीवन के अठारह वर्ष तक अपने पति से प्राप्त करी थी।
उसके बाद सैम निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गया और मैं उसे अपने आगोश में ले कर चूमने लगी।
लगभग पाँच मिनट तक वैसे ही लेटे रहने के बाद जब सैम मेरे ऊपर से हटा तब मैंने उसे अपने बगल में लिटा कर अपने साथ चिपका लिया।
कुछ देर बाद एक दूसरे के होंठों को चूमते चूसते हुए हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा ने हमें नींद के आगोश में धकेल दिया।
जब सुबह छह बजे मेरी नींद खुली और मैंने अपने को सैम के बाहुपाश में पाया तथा उसका पूर्ण नग्न शरीर मेरे पूर्ण नग्न शरीर से चिपका हुआ था।
मुझे रात में इतनी गहरी निद्रा आई थी की जागने के उपरान्त कुछ देर के लिए मैं विस्मय से इधर उधर देखती रही।
तभी मुझे बारह घंटे पहले की घटना का स्मरण हो आया और वह सभी दृश्य एक चलचित्र की तरह मेरी आँखों के सामने से गुजर गए।
जीवित सैम को अपने आगोश में सोते हुए देख कर मैंने ममता वश उसे चूमते हुए अपनी बाजुओं में कस कर भींच लिया।
मेरे ऐसा करने से सैम की निद्रा भंग हो गई और उसने मुझे कस कर अपने बाहुपाश में ले कर मेरे गलों को चूमने के बाद उठ कर बैठ गया।
सैम के बैठते ही मेरे नग्न शरीर के ऊपर से कम्बल हट गया जिसे देखते ही उसने हड़बड़ा कर कम्बल मेरे ऊपर डाल कर बैड से नीचे उतर गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.