15-06-2022, 06:02 PM
टूट कर बिखरे हुए बर्फ के गोले में से आज़ाद होते ही मैंने भाग कर तालाब की ओर गई तो देखा कि वह बर्फ का टुकड़ा तालाब के पानी पर तैर रहा था और सैम उसमें फंसा हुआ था।
मैं झट से तालाब में कूद गई और तैरते हुए उस बर्फ के गोले के पास पहुंच कर उसे धकेलते हुए किनारे की ओर ले आई।
किनारे के पास पहुँचते ही वहाँ पड़ी एक लकड़ी की मदद से मेरे द्वारा उस बर्फ के गोले को तोड़ते ही सैम उसमें से बाहर निकल कर पानी में गिर गया।
कठोर मेहनत के बाद हम दोनों को उस तालाब के बर्फीले ठन्डे पानी में से तैर कर बाहर निकलने में नौ से दस मिनट लग गए।
तालाब में से बाहर निकलने के बाद हम दोनों ठंड के मारे कांप रहे थी जब मैंने देख की सैम के होंठ, गाल और हाथ उस बर्फीली ठंड के कारण नीले पड़ने लगे थे।
तभी मुझे वहाँ से लगभग पचास मीटर दूर पेड़ों के झुण्ड में स्कीइंग रिसॉर्ट्स द्वारा बनाई गई एक पुरानी सी लकड़ी के लठ्ठों से बनी झोंपड़ी दिखाई दी जिसे वहाँ के लोग टिम्बर शैक कहते हैं।
सैम के नीले पड़ते शरीर को देखते ही मैंने तुरंत उसे बाजू से पकड़ा और उसे घसीटते हुए भाग कर उस टिम्बर शैक की ओर ले गई।
टिम्बर शैक पर पहुँचते ही मैंने दरवाज़े को धक्का दे कर खोला और शैक के अंदर जा कर उसे बंद कर किया तब जा कर हमें बर्फ तथा बर्फीली ठंडी हवा से राहत मिली।
हमने अन्दर जा कर देखा की उस टिम्बर शैक में स्कीइंग रिसॉर्ट्स की ओर से स्कीइंग करने वालों के आराम के लिए सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करा रखी थीं।
उस टिम्बर शैक में एक बैड रखा था जिस पर एक गद्दा था तथा उसके ऊपर एक कम्बल बिछा हुआ था और बिस्तर के एक ओर दो कम्बल एवम् दो तकिये भी रखे हुए थे।
क्योंकि हम दोनों बुरी तरह गीले थे इसलिए मैंने सैम के सभी कपड़े उतारने में मदद करी और उसे एक कम्बल लपेट कर बैड पर लिटा दिया।
उसके बाद मैंने भी सभी कपड़े उतार दिए कर अपने शरीर को दूसरे कम्बल में लपेट लिया और हमारे उतारे हुए गीले कपड़े सूखने के लिए वहाँ रखी दो कुर्सियों पर फैला दिए।
कुछ देर के बाद जब टिम्बर शैक में अँधेरा होने लगा तब मैंने कोने में बनी एक छोटी सी शैल्फ पर पड़ी मोमबत्तियों में से एक मोमबत्ती जला कर रोशनी करी।
टिम्बर शैक के अंदर मोमबत्ती की रोशनी होते ही मेरी नज़र सैम पर पड़ी तो मैं बेचैन हो उठी क्योंकि वह कम्बल में भी ठंड के मारे बहुत बुरी तरह कांप रहा था।
क्योंकि तीन वर्ष पहले हिम-स्खलन के हादसे में मैं अपने पति को सदा के लिए खो चुकी थी इसलिए उसके नीले पड़ते हुए कांपते शरीर को देख कर मेरे मन में एक भय उजागर हो गया।
मैं अब किसी भी परिस्थिति में उसी प्रकार के हादसे में अपने बेटे को भी खोने के भय से विचलित हो उठी। मेरे अंदर की माँ ने पुत्र मोह के कारण बदहवास हालत में तुरंत अपने शरीर पर लिपटे हुए कम्बल को उतार कर उसके ऊपर डाल दिया।
जब दूसरा कम्बल ओढ़ाने के बाद भी मुझे सैम की हालत में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया तब मैं उसके पास बैठ कर मेरे हाथों और पांव को अपने हाथों से रगड़ कर गर्म करने लगी।
क्योंकि मैं बहुत देर से बिना वस्त्रों के बैठी थी इसलिए अपने शरीर में निरंतर हो रही कंपकंपी की लहरें को महसूस किया।
तभी मेरे मस्तिष्क में विचार आया कि अगर मैं सैम के साथ उसके कम्बल में लेट जाऊं तो संभवतः हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा मिल कर उसे कुछ आराम दे दे।
तब मेरे अन्दर ममता जाग उठी और खुद का शरीर ठंडा होने के बावजूद मैं अपने अंश के शरीर को गर्मी देने की चेष्टा में मैं सैम के कम्बल में घुस कर उसके शरीर के साथ लिपट गई।
रात के सात बज चुके थे और पन्द्रह मिनट तक साथ लेटे रहने के बावजूद भी दो कम्बलों एवम् हम दोनों की शारीरिक गर्मी से भी उसकी कंपकंपी तथा ठंड लगनी बंद नहीं हुई।
अचेत सैम के ठंडे एवम् कांपते शरीर को गर्म करने के लिए उसे अपने बाहुपाश में ले कर कस कर चिपक गई।
लगभग पन्द्रह मिनट तक चिपक कर लेटे रहने ले बावजूद भी जब सैम की हालत में सुधार नजर नहीं आया और उसके अंग नीले पड़ने लगे तब मैं बहुत डर गई।
उस भयग्रस्त अवस्था में मैं मातृत्व के आवेग में आ कर मैंने सैम को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़ कर लेट गई।
मैंने अपने दोनों स्तन सैम के चौड़े सीने में गड़ा दिए और अपना पेट एवम् जाँघों उसके पेट एवम् जाँघों के साथ चिपका दिये थे तथा मैं अपनी गर्म साँसे उसके चेहरे पर छोड़ने लगी।
ऐसा करने पश्चात मैं अपने हाथों से सैम के शरीर के विभिन्न अंगों को रगड़ कर गर्म करने की चेष्टा कर रही थी तभी अकस्मात मेरी उँगलियाँ उसके लिंग को छू गई।
सैम के लिंग का स्पर्श होते ही मेरे मस्तिष्क में एक असंगत एवम् अनैतिक विचार आया कि अगर मैं उसके लिंग को सहलाना एवम् मसलना शुरू कर दूँ तो शायद उसके शरीर में गर्मी आने लगे।
मेरे मातृ-बोध ने मुझे अपने बेटे को अकाल मृत्यु से बचाने की अभिलाषा के लिए उस असंगत एवम् अनैतिक विचार को कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मैंने तुरंत हम दोनों के शरीर के बीच में अपने हाथ डाल कर उस समय दोनों की जाँघों के बीच में स्थित सैम के लिंग पर रख दिया।
सैम के लिंग पर हाथ रखने के कुछ क्षणों बाद मेरा हाथ स्वाभाविक रूप से उसे सहलाने लगा और देखते ही देखते मैं उसे पकड़ कर हिलाने भी लगी।
मेरी धारणा थी कि यौन क्रिया में पूर्व संसर्ग करने से जब लिंग और योनि को उत्तेजित करते है तब स्त्री एवम् पुरुष की रक्त धमनियों में प्रवाह बढ़ जाता है जिस कारण शरीर में ऊष्मा भी उत्पन्न होती है।
पाँच मिनट तक लिंग को हिलाने के बाद जब वह अचेत ही रहा तब मैं बहुत अधीर हो उठी और बिना समय गवाएं पलटी हो कर सैम पर लेट गई।
फिर मैंने सैम के मुख पर अपनी योनि रख कर उसे गर्मी देने के लिए रगड़ने लगी और उसके अचेत लिंग को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी।
मेरी धारणा के अनुसार शीघ्र ही सैम के लिंग में चेतना के लक्षण महसूस होने लगे क्योंकि मेरे मुंह में उसके आकार में वृद्धि होने लगी थी। पिछले डेढ़ घंटे के तनाव के बाद यह सकारात्मक लक्षण महसूस करके मैं हर्ष से उत्साहित हो कर अधिक तीव्रता से सैम के लिंग का चूषण करने लगी।
मेरे इस तीव्र लिंग चूसन क्रिया से दो-तीन मिनटों में ही सैम का लिंग कठोर होने लगा था जिस कारण वह मेरे मुंह में नहीं समा रहा था।
कुछ ही क्षणों बाद मुझे सैम के सिर को हिलते हुए महसूस किया जिसका कारण शायद मेरे जघन-स्थल के बालों का उसके नाक में घुस जाना होगा।
सैम की चेतना को लौटते देख कर मैं तुरंत सीधी हो कर उसके ऊपर लेट गई और उसके आठ इंच लम्बे तथा ढाई इंच मोटे कठोर लिंग को अपनी जाँघों के बीच में दबा लिया। मैंने अपने होंठ में सैम के होंठों को दबा कर उन्हें चूसने लगी तथा अपने कूल्हों को ऊपर नीचे हिला कर उसके लिंग को अपनी योनि के होंठों के पास रगड़ने लगी।
मेरे मस्तिष्क में घूम रहे विचारों तथा मेरी इस क्रिया के कारण मेरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज़ होने लगा और उत्तेजना की लहरें उठने लगी।
मैं झट से तालाब में कूद गई और तैरते हुए उस बर्फ के गोले के पास पहुंच कर उसे धकेलते हुए किनारे की ओर ले आई।
किनारे के पास पहुँचते ही वहाँ पड़ी एक लकड़ी की मदद से मेरे द्वारा उस बर्फ के गोले को तोड़ते ही सैम उसमें से बाहर निकल कर पानी में गिर गया।
कठोर मेहनत के बाद हम दोनों को उस तालाब के बर्फीले ठन्डे पानी में से तैर कर बाहर निकलने में नौ से दस मिनट लग गए।
तालाब में से बाहर निकलने के बाद हम दोनों ठंड के मारे कांप रहे थी जब मैंने देख की सैम के होंठ, गाल और हाथ उस बर्फीली ठंड के कारण नीले पड़ने लगे थे।
तभी मुझे वहाँ से लगभग पचास मीटर दूर पेड़ों के झुण्ड में स्कीइंग रिसॉर्ट्स द्वारा बनाई गई एक पुरानी सी लकड़ी के लठ्ठों से बनी झोंपड़ी दिखाई दी जिसे वहाँ के लोग टिम्बर शैक कहते हैं।
सैम के नीले पड़ते शरीर को देखते ही मैंने तुरंत उसे बाजू से पकड़ा और उसे घसीटते हुए भाग कर उस टिम्बर शैक की ओर ले गई।
टिम्बर शैक पर पहुँचते ही मैंने दरवाज़े को धक्का दे कर खोला और शैक के अंदर जा कर उसे बंद कर किया तब जा कर हमें बर्फ तथा बर्फीली ठंडी हवा से राहत मिली।
हमने अन्दर जा कर देखा की उस टिम्बर शैक में स्कीइंग रिसॉर्ट्स की ओर से स्कीइंग करने वालों के आराम के लिए सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करा रखी थीं।
उस टिम्बर शैक में एक बैड रखा था जिस पर एक गद्दा था तथा उसके ऊपर एक कम्बल बिछा हुआ था और बिस्तर के एक ओर दो कम्बल एवम् दो तकिये भी रखे हुए थे।
क्योंकि हम दोनों बुरी तरह गीले थे इसलिए मैंने सैम के सभी कपड़े उतारने में मदद करी और उसे एक कम्बल लपेट कर बैड पर लिटा दिया।
उसके बाद मैंने भी सभी कपड़े उतार दिए कर अपने शरीर को दूसरे कम्बल में लपेट लिया और हमारे उतारे हुए गीले कपड़े सूखने के लिए वहाँ रखी दो कुर्सियों पर फैला दिए।
कुछ देर के बाद जब टिम्बर शैक में अँधेरा होने लगा तब मैंने कोने में बनी एक छोटी सी शैल्फ पर पड़ी मोमबत्तियों में से एक मोमबत्ती जला कर रोशनी करी।
टिम्बर शैक के अंदर मोमबत्ती की रोशनी होते ही मेरी नज़र सैम पर पड़ी तो मैं बेचैन हो उठी क्योंकि वह कम्बल में भी ठंड के मारे बहुत बुरी तरह कांप रहा था।
क्योंकि तीन वर्ष पहले हिम-स्खलन के हादसे में मैं अपने पति को सदा के लिए खो चुकी थी इसलिए उसके नीले पड़ते हुए कांपते शरीर को देख कर मेरे मन में एक भय उजागर हो गया।
मैं अब किसी भी परिस्थिति में उसी प्रकार के हादसे में अपने बेटे को भी खोने के भय से विचलित हो उठी। मेरे अंदर की माँ ने पुत्र मोह के कारण बदहवास हालत में तुरंत अपने शरीर पर लिपटे हुए कम्बल को उतार कर उसके ऊपर डाल दिया।
जब दूसरा कम्बल ओढ़ाने के बाद भी मुझे सैम की हालत में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया तब मैं उसके पास बैठ कर मेरे हाथों और पांव को अपने हाथों से रगड़ कर गर्म करने लगी।
क्योंकि मैं बहुत देर से बिना वस्त्रों के बैठी थी इसलिए अपने शरीर में निरंतर हो रही कंपकंपी की लहरें को महसूस किया।
तभी मेरे मस्तिष्क में विचार आया कि अगर मैं सैम के साथ उसके कम्बल में लेट जाऊं तो संभवतः हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा मिल कर उसे कुछ आराम दे दे।
तब मेरे अन्दर ममता जाग उठी और खुद का शरीर ठंडा होने के बावजूद मैं अपने अंश के शरीर को गर्मी देने की चेष्टा में मैं सैम के कम्बल में घुस कर उसके शरीर के साथ लिपट गई।
रात के सात बज चुके थे और पन्द्रह मिनट तक साथ लेटे रहने के बावजूद भी दो कम्बलों एवम् हम दोनों की शारीरिक गर्मी से भी उसकी कंपकंपी तथा ठंड लगनी बंद नहीं हुई।
अचेत सैम के ठंडे एवम् कांपते शरीर को गर्म करने के लिए उसे अपने बाहुपाश में ले कर कस कर चिपक गई।
लगभग पन्द्रह मिनट तक चिपक कर लेटे रहने ले बावजूद भी जब सैम की हालत में सुधार नजर नहीं आया और उसके अंग नीले पड़ने लगे तब मैं बहुत डर गई।
उस भयग्रस्त अवस्था में मैं मातृत्व के आवेग में आ कर मैंने सैम को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़ कर लेट गई।
मैंने अपने दोनों स्तन सैम के चौड़े सीने में गड़ा दिए और अपना पेट एवम् जाँघों उसके पेट एवम् जाँघों के साथ चिपका दिये थे तथा मैं अपनी गर्म साँसे उसके चेहरे पर छोड़ने लगी।
ऐसा करने पश्चात मैं अपने हाथों से सैम के शरीर के विभिन्न अंगों को रगड़ कर गर्म करने की चेष्टा कर रही थी तभी अकस्मात मेरी उँगलियाँ उसके लिंग को छू गई।
सैम के लिंग का स्पर्श होते ही मेरे मस्तिष्क में एक असंगत एवम् अनैतिक विचार आया कि अगर मैं उसके लिंग को सहलाना एवम् मसलना शुरू कर दूँ तो शायद उसके शरीर में गर्मी आने लगे।
मेरे मातृ-बोध ने मुझे अपने बेटे को अकाल मृत्यु से बचाने की अभिलाषा के लिए उस असंगत एवम् अनैतिक विचार को कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मैंने तुरंत हम दोनों के शरीर के बीच में अपने हाथ डाल कर उस समय दोनों की जाँघों के बीच में स्थित सैम के लिंग पर रख दिया।
सैम के लिंग पर हाथ रखने के कुछ क्षणों बाद मेरा हाथ स्वाभाविक रूप से उसे सहलाने लगा और देखते ही देखते मैं उसे पकड़ कर हिलाने भी लगी।
मेरी धारणा थी कि यौन क्रिया में पूर्व संसर्ग करने से जब लिंग और योनि को उत्तेजित करते है तब स्त्री एवम् पुरुष की रक्त धमनियों में प्रवाह बढ़ जाता है जिस कारण शरीर में ऊष्मा भी उत्पन्न होती है।
पाँच मिनट तक लिंग को हिलाने के बाद जब वह अचेत ही रहा तब मैं बहुत अधीर हो उठी और बिना समय गवाएं पलटी हो कर सैम पर लेट गई।
फिर मैंने सैम के मुख पर अपनी योनि रख कर उसे गर्मी देने के लिए रगड़ने लगी और उसके अचेत लिंग को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी।
मेरी धारणा के अनुसार शीघ्र ही सैम के लिंग में चेतना के लक्षण महसूस होने लगे क्योंकि मेरे मुंह में उसके आकार में वृद्धि होने लगी थी। पिछले डेढ़ घंटे के तनाव के बाद यह सकारात्मक लक्षण महसूस करके मैं हर्ष से उत्साहित हो कर अधिक तीव्रता से सैम के लिंग का चूषण करने लगी।
मेरे इस तीव्र लिंग चूसन क्रिया से दो-तीन मिनटों में ही सैम का लिंग कठोर होने लगा था जिस कारण वह मेरे मुंह में नहीं समा रहा था।
कुछ ही क्षणों बाद मुझे सैम के सिर को हिलते हुए महसूस किया जिसका कारण शायद मेरे जघन-स्थल के बालों का उसके नाक में घुस जाना होगा।
सैम की चेतना को लौटते देख कर मैं तुरंत सीधी हो कर उसके ऊपर लेट गई और उसके आठ इंच लम्बे तथा ढाई इंच मोटे कठोर लिंग को अपनी जाँघों के बीच में दबा लिया। मैंने अपने होंठ में सैम के होंठों को दबा कर उन्हें चूसने लगी तथा अपने कूल्हों को ऊपर नीचे हिला कर उसके लिंग को अपनी योनि के होंठों के पास रगड़ने लगी।
मेरे मस्तिष्क में घूम रहे विचारों तथा मेरी इस क्रिया के कारण मेरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज़ होने लगा और उत्तेजना की लहरें उठने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.