Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 3 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
#4
मेरे पति फ़िनलैंड के नागरिक थे और पच्चीस वर्ष पूर्व एक खेल-कूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भारत आये थे।
उनसे मेरी मुलाकात उसी प्रतियोगिता के दौरान हुई थी और पहली नज़र में हमें आपस में प्यार हो गया था।
प्रतियोगिता समाप्ति के बाद जब वह अपने देश वापिस जाने के दो माह के बाद ही भारत लौट आये तब हम दोनों ने परिवारों की सहमति से उसी वर्ष विवाह भी कर लिया।

हमारी शादी के बाद तीन वर्ष तक हम भारत में रहे और शादी के एक वर्ष बाद ही मैंने सैम को जन्म दिया था। शादी को तीन वर्षों के बाद मेरे पति मुझे और हमारे दो वर्षीय सैम को लेकर फ़िनलैंड आ गए तथा उन्होंने मेरा नामकरण भी श्वेतलाना अहोनेन करके सदा के लिए यही पर बस गए।

क्योंकि मेरे पति फ़िनलैंड के नागरिक थे इसलिए मुझे एवम् हमारे पुत्र को भी यहाँ की नागरिकता मिलने में कोई अड़चन नहीं हुई तथा एक वर्ष के बाद हम दोनों भी फ़िनलैंड के नागरिक बन गए।

भारत में तीन वर्ष और फ़िनलैंड में पन्द्रह वर्ष हम सबने बहुत ही सुखी विवाहित जीवन व्यतीत किया लेकिन शायद नियति को यह मंजूर नहीं था।
फ़िनलैंड में स्थानांतरित होने के बाद मेरे पति और मुझे स्कीइंग का शौक हो गया और हम हर वर्ष सर्दियों में उत्तरी फ़िनलैंड के लैपलैंड प्रदेश की प्रसिद्ध स्कीइंग रिसॉर्ट्स लेवी में जाते थे। तीन चार वर्षों में ही हमने सैम को भी स्कीइंग सिखा दी और फिर हमारा पूरा परिवार हर वर्ष लैपलैंड की विभिन्न स्कीइंग रिसॉर्ट्स में स्कीइंग करने जाने लगे थे।

क्योंकि हम सभी स्कीइंग में निपुण थे इसलिए कई बार तो हम लोग वहाँ के दुर्गम एवम् खतरनाक स्कीइंग रिसॉर्ट्स पर भी स्कीइंग करने के लिए जाने लगे।
सात वर्ष पहले की सर्दियों में लैपलैंड की य्ल्लास स्कीइंग रिसॉर्ट् पर हमने तीन दिन तक वहाँ की अनेक स्कीइंग ट्रैक्स पर स्कीइंग की।

चौथे दिन दोपहर को मेरे पति ने वहाँ की एक खतरनाक स्कीइंग ट्रैक पर स्कीइंग करने का सुझाव दिया जिसे मैंने और सैम ने ठुकरा दिया तब वे अकेले ही स्कीइंग करने चले गए।
जब वह शाम तक वापिस नहीं लौटे तब मैं और सैम ने उस स्कीइंग ट्रैक के सहायता केंद्र से सम्पर्क किया तो पता चला कि उस ट्रैक पर हिम-स्खलन हो गया था तथा वहाँ फंसे लोगों को निकाला जा रहा था।

हम दोनों तुरंत उस सहायता सम्पर्क केंद्र पर पहुंचे और स्कीइंग ट्रैक से निकाले गए लोगों में जब मेरे पति नहीं मिले तब हमने उनकी तलाश शुरू कर दी।
लगभग रात के ग्यारह बजे हमें ट्रैक के किनारे एक टूटी हुई स्की दिखाई दी और उससे कुछ दूर बर्फ में दबे एक मानव शरीर के अंग दिखाई दिए।

सहायता केंद्र के लोगों ने तुरंत कारवाई करी और उस शरीर को जब बर्फ में से निकला गया तब मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई क्योंकि वह शरीर मेरे पति का ही था।
उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने पहली जांच के बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम के बाद बताया कि तीव्र गति से पेड़ से टकराने से उनकी छाती एवम् माथे पर लगी चोट के कारण उनका निधन हुआ था।

अगले दिन वहाँ के पारिवारिक रीति रिवाजों के अनुसार अपने पति के पार्थिव शरीर को य्ल्लास के कब्रिस्तान में ही दफना कर वापिस घर आये और तब से मैं एक विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही हूँ।
मुझे और मेरे पुत्र सैम को फ़िनलैंड सरकार की ओर से देश के कानून एवम् नियमों अनुसार जीवन बसर के लिए सभी सहायता एवम् सुविधाएं प्रदान की गई हैं जो भारत में स्वप्न में भी प्राप्त नहीं हो सकती।

हमें रहने के लिए यहाँ की सरकार से एक घर मिला है और सैम को कॉलेज तक की पढ़ाई के लिए सौ प्रतिशत छात्रवृति तथा मुझे व्यक्तिगत एवम् घर खर्च आदि के लिए हर माह दो हज़ार यूरो का अनुदान मिलता है।

दो वर्ष पहले सैम ने बाईस वर्ष की आयु में ही अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर ली है। फ़िनलैंड में अधिकतर युवक अठारह वर्ष की आयु के होते ही अपने माता पिता का घर छोड़ कर अलग रहने लगते हैं लेकिन सैम ने ऐसा नहीं किया।
उसकी परवरिश पश्चिमी संस्कारों में होने के बावजूद भी वह मेरे से मिले भारतीय संस्कारों के कारण पिछले सात वर्षों से मेरे साथ ही रह रहा है।

मैं और सैम पिछले सात वर्षों से पति की मृत्यु की पुण्य तिथि के दिन य्ल्लास जाते हैं और उनकी कब्र पर फूल चढ़ाते एवम् मोमबत्ती जलाते हैं तथा दुर्घटना स्थल पर उन्हें मौन श्रधांजलि देते आ रहे हैं।

पति की तीसरी पुण्य तिथि पर भी हम उनकी कब्र पर उन्हें श्रधांजलि देने के बाद सदा की तरह उस स्थान की ओर चल पड़े जहाँ उनकी दुर्घटना हुई थी।
लगभग पैंतालीस मिनट की स्कीइंग के बाद हम वहाँ पहुंचे जहाँ से मेरे पति का शरीर मिला था और हमने कुछ समय के लिए उस स्थान पर मौन रह कर प्रार्थना करी।
उसके बाद हमने कुछ देर के लिए वहाँ एक पेड़ के नीचे बैठ कर उनकी पुरानी बातों को याद किया और फिर वापिस चल पड़े।

क्योंकि हम जंगल के रास्ते से पेड़ों के बीच में पैदल चल रहे थे इसलिए घने पेड़ों की छाया में हमें पता ही नहीं चला कब आसमान पर बादल छा गए और अचानक बर्फ गिरने लगी। बर्फ के गिरने तथा तेज़ी से अँधेरा होते देख कर हम फिर से स्कीइंग ट्रैक पर आकर तेज़ी से चलने लगे।

तभी अकस्मात् सामने पहाड़ी की ओर में हिम-स्खलन हुआ और स्कीइंग ट्रैक की ढलान पर बर्फ का एक बहुत बड़ा गोला हमारी ओर तीव्र गति से बढ़ने लगा था।
जब तक की हम उस हिम-स्खलन से बचने के लिए पेड़ों की ओट लेते तब तक उसने हम दोनों को अपने आगोश में ले कर नीचे की ओर लुढ़कने लगा।
उस बर्फ गोले के अंदर लिपटे हम दोनों लगभग आधा किलोमीटर तक लुडकते हुए उस ढलान के अंत के करीब पहुँचने वाले थे तभी वह टूट कर दो हिस्सों में बंट गया।
एक हिस्सा जिसमें मैं थी वह कुछ दूर आगे जा कर दो पेड़ों से टकरा कर बिखर गया और दूसरा हिस्सा जिस में सैम था ढलान के अंत में एक तालाब में जा गिरा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास - by neerathemall - 15-06-2022, 06:02 PM



Users browsing this thread: 3 Guest(s)