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Incest बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
#2
मेरी बहन तीस वर्ष की है और मेरे बत्तीस वर्षीय जीजा जी तथा सात वर्षीय बेटे के साथ पिछले दस वर्ष से फ़िनलैंड में रह रही है।
मेरे जीजा जी फ़िनलैंड की एक आई टी कंपनी में कार्य करते है तथा उन्होंने वहाँ के लेप्पावारा शहर में एक फ्लैट खरीद कर उसमें परिवार सहित रहते हैं।

जिस पाँच मंजिला इमारत में उनका फ्लैट है, उसमें कुल पचास फ्लैट हैं और उसकी दूसरी मंजिल पर जीजा जी का फ्लैट है। उस इमारत में तो कई देशों के निवासी रहते हैं लेकिन दूसरी और तीसरी मंजिल में अधिकतर भारतीय मूल के परिवार रहते हैं।

दूसरी मंजिल में रहने वाले उन भारतीय मूल के परिवारों में मेरी बहन की उनके बगल के फ्लैट में रहने वाली श्वेतलाना अहोनेन से प्रगाढ़ मित्रता है।
मेरी बहन और वह अकसर एक दूसरे के घर आती जाती रहती हैं और मेरे वहाँ पहुँचने पर श्वेतलाना ने मेरी बहुत आवभगत की भी और कुछ ही दिनों में मेरे साथ भी गूढ़ मित्रता बना ली।

वह अधिकतर सुबह ग्यारह बजे तक अपने घर का काम समाप्त करके मेरी बहन के घर आ जाती थी और पूरा दिन हमारे साथ ही रहती थी। यदि किसी कारणवश जिस दिन वह हमारे घर नहीं आ पाती थी उस दिन वह मुझे अपने घर बुला लेती थी और मैं अकसर पूरा दिन उसके घर ही रहती थी।

छह माह की अवधि में श्वेतलाना ने मुझे फ़िनलैंड के इतिहास एवम् वहाँ की संस्कृति के बारे में बताया तथा वहाँ रहने वाले नागरिकों के रहन-सहन बारे से भी अवगत कराया।
श्वेतलाना द्वारा बताई गई बातों में से एक रोचक बात जो मुझे तब पता चली थी वह मैं आप सब से साझा करना चाहूंगी।

एक दिन सुबह ग्यारह बजे जब मैं श्वेतलाना के घर गई तब उस समय वह बिल्कुल नंगे शरीर अपने घर का काम कर रही थी।
उसे ऐसी हालत में देख कर मुझे घर के अंदर जाने में थोड़ा संकोच एवम् हिचकिचाहट हुई लेकिन असमंजस तब हुआ जब उसने बिना किसी शर्म अथवा झिझक के हँसते हुए मुझे अपने आलिंगन में लेकर मेरा स्वागत किया था।

मैंने घर के अन्दर जा कर श्वेतलाना से कहा- मुझे लगता है कि जब मैंने घंटी बजाई थी तब शायद आप नहाने जा रही थी। आप जाकर नहा आइये, मैं तब तक बैठक में बैठ कर इंतज़ार करती हूँ।
मेरी बात सुन कर वह हँसते हुए कहा- नहीं मैं नहाने नहीं जा रही थी, बल्कि मैं तो नहा कर बाथरूम में से बाहर निकली ही थी जब घंटी बजी थी। मुझे पता था कि तुम आने वाली हो इसीलिए मैंने अपनी जन्म-पोशाक में ही तुम्हारे स्वागत के लिए दरवाज़ा खोल दिया।

लगभग अगले आधा घंटा वह उसी तरह नंगी मेरे लिए चाय बना कर लाई और फिर मेरे पास बैठ कर बातें करती रही।
जब मैंने उससे पूछा- क्या आप घर पर इसी तरह पूरी नंगी ही रहती हैं?
उसने उत्तर दिया- हाँ, यहाँ पर सभी नहाने के बाद कम से कम आधे घंटे तक ऐसे ही नंगे रहते हैं।

मेरी जिज्ञासा बढ़ गई और मैंने पूछ लिया- अगर घर पर कोई पुरुष हो क्या तब भी ऐसे ही रहती हो?
मेरी बात सुन कर श्वेतलाना बोली- जब पति जीवित थे तब उनके सामने मैं तो ऐसे ही घूमती रहती थी। पुत्र के सामने पहले तो ब्रा और पैंटी पहन कर रहती थी लेकिन पिछले चार वर्ष से ऐसे ही घूमती रहती हूँ।

मैंने पूछा- अगर बाहर का कोई पुरुष घर पर होता है, तब आप क्या पहनती हो?
श्वेतलाना ने उत्तर दिया- जब बाहर का कोई पुरुष घर में होता है तब मैं ब्रा और पैंटी के ऊपर स्नान-गाउन पहन लेती हूँ।

कुछ क्षण के लिया चुप रही और फिर मैंने पूछा- पिछले चार वर्ष से अपने पुत्र के सामने भी पूर्ण नंगी रहने से क्या आप को कोई संकोच या लज्जा नहीं आती?
श्वेतलाना ने तुरंत उत्तर दिया- नहीं, मुझे कोई संकोच या लज्जा नहीं आती और इसके पीछे क्या कारण है वह मैं तुम्हें फिर कभी बताऊंगी।

उसकी बात सुन कर मैंने बात बदलते हुए पूछा- आप कह रही हैं कि नहाने के बाद सभी कम से कम आधे घंटे तक ऐसे ही नंगे रहते हैं, ऐसा क्यों? क्या घर के सभी पुरुष भी इस तरह नंगे रहते हैं?
मेरे प्रश्नों के उत्तर में श्वेतलाना ने कहा- फ़िनलैंड का मौसम बहुत ठंडा रहता है जिस कारण हमारा पूरा शरीर दिन रात गर्म कपड़ों में लिपटा रहता है और शरीर को ताज़ी हवा नहीं लगती। अपने शरीर की त्वचा में आई ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए यहाँ के डॉक्टर सभी महिलाओं एवम् पुरुषों को नहाने के बाद आधे घंटे के लिए ताज़ी वायु लगवाने के लिए नंगे रहने की सलाह देते हैं।
श्वेतलाना का तर्क-पूर्ण उत्तर सुन कर मैंने कहा- क्या आप बता सकती हैं कि ऐसा करने से आपके शरीर एवम् त्वचा को क्या लाभ हुआ है?
उत्तर में श्वेतलाना ने खड़ी होकर कहा- क्या तुम मेरे शरीर एवम् त्वचा को ध्यान से देख कर मेरी सही आयु बता सकती हो?
इतना कह कर श्वेतलाना मेरे सामने धीरे से घूम कर मुझे अपना शरीर दिखने लगी तथा मैं गौर से उसके आकर्षक शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारती रही।

श्वेतलाना का छरहरा लेकिन स्वस्थ शरीर एकदम श्वेत वर्ण का था, कद लगभग पाँच फुट सात इंच था, चेहरा अंडाकार था, सिर पर घने काले लम्बे बाल थे जो उसके नितम्बों तक पहुँचते थे।
उसका माथा चौड़ा था, आँखें हरे रंग की थी, उन आँखों के ऊपर की भौंह एक हल्की पतली लकीर की तरह थी।
उसके गुलाबी गाल हल्के फूले हुए थे तथा जब वह हंसती थी तो उन गलों में डिंपल पड़ते थे जो उसकी हंसी और सुन्दरता में चार नहीं बल्कि आठ चाँद लगा देते थे।
जब उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ खुलते थे तब उनके अंदर से उसके सफ़ेद मोतियों जैसे दांतों की माला जैसे कमरे में उजाला कर देती थी।
श्वेतलाना की सुराहीदार एवम् लम्बी गर्दन उसके चेहरे के वैभव को दुगना कर रही थी और उसके चौड़े एवम् सुडौल कंधे उसके प्रभावशील व्यक्तित्व को उभारते थे। उसका हृष्ट-पुष्ट वक्ष बाहर को उभरा हुआ था और उसके दृढ़ एवम् ठोस स्तन बहुत नर्म थे जिनका नाप लगभग छतीस इंच होगा तथा उन पर अंगूर जितनी आकार की गहरी भूरी रंग की चूचुक थी।

श्वेतलाना की छब्बीस इंच की बल खाती पतली कमर थी और सपाट पेट के मध्य में छोटी सी नाभि को देखते ही उसके चूमने की इच्छा जागृत होने लगती थी. उस नाभि के ठीक नीचे का जघन-स्थल बिल्कुल बाल रहित था और उसके तल पर डबल रोटी की तरह फूली हुई योनि के बंद होंठों से बनी लकीर बहुत कामुक लग रही थी।
उसकी बलशाली एवम् सुडौल जांघें तथा लम्बी टांगें और उसके छोटे छोटे पाँव उसके एक सफल एथलीट होने की गवाही दे रही थी।

पाँच-छह मिनट तक उसके पूरे शरीर को अच्छे से देखने के बाद मैं बोली- आपके हृष्ट-पुष्ट शरीर एवम् त्वचा को देख कर मैं तो सिर्फ अंदाज़ा लगा सकती हूँ कि आपकी आयु लगभग पैंतीस वर्ष के आस-पास ही होगी।

मेरी बात सुन कर श्वेतलाना बहुत जोर से हंसी और कहा- ऐसे प्रशंसनीय शब्द कहने के लिए बहुत धन्यवाद। लेकिन मेरी आयु के बारे में तुम्हारा अनुमान बिल्कुल गलत है। मैं तुम्हें एक बार फिर सोचने का मौका देती हूँ तथा एक संकेत भी देती हूँ कि अगर मैं पैंतीस वर्ष की हूँ तो क्या मैंने सैम को ग्यारह वर्ष की आयु में जन्म दिया था?

श्वेतलाना की बात सुनते ही मुझे अपने उत्तर पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और क्षमा मांगते हुए मैंने कहा- अगर मैं अब गलत नहीं हूँ तो आपकी आयु लगभग पैंतालीस वर्ष की होगी। लेकिन आपके शरीर और त्वचा को देख कर तो मैं आप को पैंतीस का ही मानती हूँ।
उत्तर में श्वेतलाना ने कहा- हाँ, तुमने ठीक कहा की मेरी आयु पैंतालीस वर्ष है। नहाने के बाद आधे घंटे तक नंगी रह कर अपने पूर्ण शरीर एवम् त्वचा को ताज़ी वायु लगवाने से ही मुझे यह लाभ मिला है।
इसी प्रकार श्वेतलाना हर मुलाकात में अपने बारे में तथा अपने जीवन की रहस्यमय घटनाओं से भी अवगत कराया।

श्वेतलाना द्वारा उसके जीवन के बताये गए अनेक रहस्यों में से एक घटना ऐसी है जिसे उसकी सहमति से मैं उसी के शब्दों में अनुवाद कर के आप सब के साथ साझा कर रही हूँ।
***
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास - by neerathemall - 15-06-2022, 06:01 PM



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