15-06-2022, 05:58 PM
इतना कह कर मैंने नल चला कर अपनी जाँघों और टांगों पर लगे सिद्धार्थ के वीर्य को साफ़ किया तथा अपनी योनि को अच्छे से धोकर कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर आ गई।
![[Image: 40559776_001_f5ee.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/265/40559776/40559776_001_f5ee.jpg)
![[Image: 40559776_008_1a2e.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/265/40559776/40559776_008_1a2e.jpg)
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अपने कमरे में पहुँच कर मैं बिस्तर पर लेटी बहुत देर तक सोचती रही और अपने से एक प्रश्न करती रही- क्या मैंने सिद्धार्थ के साथ पारस्परिक हस्त-मैथुन करके ठीक किया या गलती करी थी?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
