15-06-2022, 05:55 PM
ससे पहले कि मैं कुछ कह पाती उसने बहुत ही फुर्ती से मेरे उस हाथ की उँगलियों को जिस पर उसका वीर्य लगा था मेरे मुँह में ठूंस दीं और कहा- ज़रा आप मेरे वीर्य-रस को चख कर बताइये कि इसका स्वाद कैसा है?
सब कुछ इतनी जल्दी से हुआ कि मेरे न चाहते हुए भी उसका रस मेरे मुँह के अन्दर लग गया जिससे मुझे उबकाई आ गई।![[Image: 56177302_267_3cbf.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/203/56177302/56177302_267_3cbf.jpg)
मैंने तुरंत उस रस को थूकते हुए उससे कहा- सिद्धार्थ, यह पहला अवसर है कि मैंने किसी पुरुष को वीर्य स्खलित करते हुए देखा है। जब मुझे वीर्य के स्वाद के बारे में पता ही नहीं तो मैं तुम्हारे वीर्य के बारे में कैसे कुछ बता सकती हूँ।![[Image: 56177302_284_33ef.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/203/56177302/56177302_284_33ef.jpg)
मेरी बात सुन कर सिद्धार्थ बोला- दीदी, इस क्रिया में मेरी सहायता करने के लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ। सच बताऊँ तो आज मेरे जीवन का सब से आनंदमयी हस्त-मैथुन हुआ है। आज तक मेरा इतना वीर्य नहीं निकला जितना आज निकला है।
फिर मेरे स्तनों पर हाथ रखते हुए कहा- क्या मैं आपको संतुष्ट कर सका या नहीं, यह तो बता सकती हैं?
मैंने उसके हाथों को अपने शरीर से अलग करते हुए मैंने कहा- सिद्धार्थ, मैंने तुम्हारे अनुरोध पर तुम्हारी क्रिया में सहायता की है अपनी संतुष्टि के लिए नहीं और यह बात अब यहीं पर समाप्त होती है।
सब कुछ इतनी जल्दी से हुआ कि मेरे न चाहते हुए भी उसका रस मेरे मुँह के अन्दर लग गया जिससे मुझे उबकाई आ गई।
![[Image: 56177302_267_3cbf.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/203/56177302/56177302_267_3cbf.jpg)
मैंने तुरंत उस रस को थूकते हुए उससे कहा- सिद्धार्थ, यह पहला अवसर है कि मैंने किसी पुरुष को वीर्य स्खलित करते हुए देखा है। जब मुझे वीर्य के स्वाद के बारे में पता ही नहीं तो मैं तुम्हारे वीर्य के बारे में कैसे कुछ बता सकती हूँ।
![[Image: 56177302_284_33ef.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/7/203/56177302/56177302_284_33ef.jpg)
मेरी बात सुन कर सिद्धार्थ बोला- दीदी, इस क्रिया में मेरी सहायता करने के लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ। सच बताऊँ तो आज मेरे जीवन का सब से आनंदमयी हस्त-मैथुन हुआ है। आज तक मेरा इतना वीर्य नहीं निकला जितना आज निकला है।
फिर मेरे स्तनों पर हाथ रखते हुए कहा- क्या मैं आपको संतुष्ट कर सका या नहीं, यह तो बता सकती हैं?
मैंने उसके हाथों को अपने शरीर से अलग करते हुए मैंने कहा- सिद्धार्थ, मैंने तुम्हारे अनुरोध पर तुम्हारी क्रिया में सहायता की है अपनी संतुष्टि के लिए नहीं और यह बात अब यहीं पर समाप्त होती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
