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Misc. Erotica पाँच सहेलियाँ
पाँचो सहेलियों ने रितेश और जॉनी के साथ घूमने का प्लान बनाया। प्लान सुबह से शाम तक घूमने का था और रात को डिनर करके घर वापस। शनिवार सुबह सुबह 6 बजे सभी सात लोग कार से एक साथ निकल गए। लगभग 2 घंटे के सफर के बाद ये लोग एक छोटी सी पहाड़ी के पास पहुंचे। पहाड़ी के पीछे एक झरना था, सभी लोगो का मन था झरने के पास नहाने का। सब लोग उस पहाड़ी पर मस्ती करते हुए आगे बड़ने लगे। झरने से कुछ दूर ही थे की नेहा की नजर झरने में नहा रहे एक कपल पर गई। लड़का लड़की एक दूसरे की बांहों में थे। नेहा ने सबको इशारे से बताया और चुप रहने को कहा। रानू ने सबको छुप कर आगे का नजारा देखने को कहा। दिया और रितेश एक बड़े से झाड़ के पीछे छुप गए, ईशा और जॉनी पास में पड़े हुए बड़े से पत्थर के पीछे चले गए, आशा नेहा और रानू थोड़ा आगे बड़े और झाड़ियों के पीछे ज़मीन पर लेट गए। वो लड़का और लड़की अपनी मस्ती में मस्त थे, उन्हे पता ही नही था की कोई उन्हें देख भी रहा है। 2 मिनट बाद लड़की पानी से बाहर आई। लड़का इशारे से लड़की को वापस पानी में बुला रहा था, लड़की ने भी इशारे से मना कर दिया। लड़का पानी से बाहर आया और उसने लड़की को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन को चूम लिया। लड़की ने खुद को लड़के से छुड़ाया और लड़के से बात करने लगी। दूरी ज्यादा होने से लड़का लड़की की बात कोई भी सुन नही पा रहे थे। लड़का लड़की के होंठ को चूमने लगा, लड़की ने उसे दूर किया और इधर उधर देखने लगी। लड़के ने लड़की को कमर से पकड़ के अपने से चिपका लिया और एक बार फिर अपने होंठ लड़की के होंठ पर रख दिए। लड़के ने लड़की को कस के पकड़ रखा था, लड़की ने कोशिश की छुड़ाने की पर वो छुड़वा नही पाई। लड़का लड़की के होंठो को चूमे जा रहा था। लड़की ने अब अपनी पकड़ ढीली कर ली थी। लड़की के हाथ लड़के के सर पर आ गए थे। लड़के ने लड़की के होंठो को चूमना बंद किया। लड़की ने अपने होंठ लड़के के होंठ पर रख दिए और दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे। लड़के का हाथ लड़की के बूब्स पर था और कपड़ो के उपर से ही लड़की के बूब्स मसलने लगा। लड़की को उत्तेजना बड़ने लगी थी। लड़की ने खुद अपना टॉप निकाल दिया और लड़के के मुंह को अपने बूब्स पर रख दिया। ये देख के रितेश और जॉनी दोनो के लंड कड़क हो गए थे। रितेश दिया के बदन को सहलाने लगा था। जॉनी ने अपना हाथ ईशा के बूब्स पर रखा। दिया ने रितेश का हाथ झटके से हटा दिया और उसे बोला की सबके सामने नहीं। ईशा जॉनी को घूरने लगी और उसे भी कुछ करने का मना किया। झाड़ियों के पीछे लेटी हुई लड़कियों की चुत भी गीली होने लगी थी। लड़के ने ब्रा के अंदर हाथ डाल कर लड़की के बूब्स को मसला, दोनो मजे ले रहे थे। लड़के ने फिर ब्रा निकाल दी। अब लड़का लड़की के बूब्स को चुमने लगा। लड़की ने लड़के को नीचे लेटने को कहा। लड़का लड़की दोनो जमीन पर लेट गए। लड़का लड़की की चुचियों को चूसने लगा। लड़की मदमस्त हो गई थी। लड़की ने लड़के के पजामे के ऊपर बने लंड के उभार को अपनी मुट्ठी में ले लिया। लड़का खुद के कपड़े उतारने लगा, खुद को नंगा करने के बाद लड़की को भी नंगा किया। लड़का लड़की को इस तरह से प्यार करते देख रितेश और जॉनी दोनो भी चुदाई के मूड में आ गए थे। पर सब लोगो के सामने कैसे करते। लड़की ने लड़के को साइड में किया और उल्टी होकर उसके लंड को चूसने लगी और लड़का लड़की की चुत चाटने लगा। जॉनी से रहा नही गया उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

ईशा: (धीमी आवाज में, गुस्से से) पागल हो क्या, तुम्हे मना किया समझ नही आता क्या?
जॉनी: तुम्हे कुछ नही करना कोई बात नही, पर मुझे तो मुठ मार लेने दो। तुम ही बताओ ऐसे चुदाई को देखते हुए कैसे खुद को रोक कर रखूं।
ईशा: (आग तो ईशा के अंदर भी लगी थी, पर सबके सामने वो चुदवाना नही चाहती थी) मुठ मारने में मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं। (ईशा ने जॉनी का लंड पकड़ लिया और धीरे धीरे हिलाने लगी)
लड़के ने अपने लंड पर कंडोम लगाया और लड़की की चुत में लंड घुसाया। धीरे धीरे झटके देने लगा। लड़के ने अपना एक हाथ लड़की के मुंह पर रख दिया था, जिससे उसकी आवाज किसी को सुनाई ना दे। लड़के ने अपनी गति को तेज किया। दोनो जल्दी से चुदाई खत्म करना चाहते थे क्योंकि किसी के भी आने का डर था। ईशा ने भी जॉनी के लंड को हिलानेबकी गति बड़ा ली थी। लड़का लड़की झड़ चुके थे। ईशा ने तुरंत जॉनी का लंड हिलाना बंद किया और उसके लंड को खुद ने जॉनी के कपड़ो के अंदर कर दिया।
जॉनी: मैं अभी झड़ा नहीं हूं। थोड़ा और करो ना।
ईशा: कोई भी आ सकता है, अभी रिस्क ज्यादा है।
जॉनी कुछ नही बोला, उसे पता था ईशा अभी मानने वाली नही है। लड़का लड़की ने तुरंत से अपने कपड़े पहने और पानी के किनारे पर जा कर बैठ गए। आशा, रानू, नेहा उठी और वो भी पानी की और चल दी। इन तीनों की चुत भी गीली हो गई थी। तीनों लड़कियों को देख रितेश, दिया, जॉनी और ईशा भी अपनी जगह से निकल कर आगे आ गए। सबको आता देख लड़का लड़की वहा से उठ के जाने लगे। लड़की की नजर रितेश और जॉनी के कपड़ो में बने लंड के उभार पर गई, जल्दी से आगे बड़ गई। तीनों लड़कियों को भी इस बात का अहसास हो गया था की रितेश और जॉनी के लंड अभी भी कड़क है।
नेहा: मुझे तो गर्मी लग रही, मैं तो नहाने जा रही।
रानू: इतने हॉट शो के बाद नहाना तो बनता ही है।
सभी लोग पानी में जाकर नहाने लगे। पानी और मौसम ने उनके अंदर की आग को शांत करने के बजाय थोड़ा और भड़का दिया था। अपने अंदर जल रही कामाग्नि को शांत करने के लिए सब आपस में मस्ती करने लगे थे। रितेश सबकी नजर से बच कर दिया को छूने की कोशिश करता। मन तो दिया का भी हो रहा था की खुल के चुदाई का आनंद ले, पर सबके सामने कैसे करे ? जॉनी और ईशा भी इशारों इशारों में चुदाई की बाते कर रहे थे। तीनों लड़कियों ने उन्हें इशारे करते हुए देख लिया था। तीनों लड़किया पानी से निकल कर कपड़े बदलने चली गई। बड़े से पत्थर के पीछे जाकर कपड़े बदलने लगी जिस से कोई उन्हें देख ना पाए। जहा वो लोग कपड़े बदल रहे थे, वहा 3–4 इस्तमाल किए हुए कंडोम थे। जब भी वो लोग चुदाई से अपना दिमाग हटाने की सोच रहे थे, उन्हे कुछ न कुछ चुदाई से संबंधित मिल रहा था। सब लोग कपड़े बदल कर तैयार हो गए। 10 बज चुके थे, सब लोग वहा से निकले और नाश्ता पानी करने एक जगह रुके। जहा सब लोग नाश्ता पानी कर रहे थे,  वही पास में एक कुत्ता और कुत्तीया की चुदाई चल रही थी। सुबह की चुदाई की यादें धीरे धीरे सभी लोग भुलाने की कोशिश कर रहे थे, मगर इस कुत्ते और कुत्तीया की चुदाई ने फिर से उनकी यादें ताजा कर दी। रितेश और जॉनी दूसरी ओर आ गए, तभी उनकी नज़र एक औरत पर पड़ी जो मूतने के लिए पास वाले खेत के साइड में बैठी थी और उसकी मोटी गांड़ देख कर रितेश और जॉनी के लंड में हलचल होने लगी। जैसे तैसे दोनो ने अपने आपको संभाला और सब लोग नाश्ता कर के वहा से निकले। आगे वो पास ही के गांव में गए जहा हॉट बाजार लगता था। लड़कियों को तो शॉपिंग का जुनून रहता ही है। सभी लड़कियां खरीदारी में लग गई। रितेश और जॉनी बोर होने लगे थे। दोनो ने सभी लड़कियों से कहा की जब तुम लोगो की शॉपिंग खत्म नहीं हो जाती हम इसी दुकान पर है, तुम सब लोट कर यही आ जाना। लड़कियां फिर से शॉपिंग में लग गई। रितेश और जॉनी जिस दुकान के पास रुके थे उस दुकान पर एक गांव की महिला खरीदी करने आई, जब वो सामान लेने झुकी तो उसके ब्लाउज में से उसके बूब्स दिख रहे थे। जॉनी और रितेश दोनो की नजर उस औरत के बड़े बड़े बूब्स पर गई। थोड़ी देर में एक औरत और आई, वो भी सामान देखने के लिए नीचे झुकी। जब वो नीचे झुकी तो उसकी गांड़ ऊपर हो गई थी। उस औरत की स्थिति देख कर तो एक पल के लिए ऐसा ही लगा जैसे वो इन दोनो को गांड़ मारने का न्योता दे रही हो। दोनो औरते आपस में बात कर रही थी, जिस से ये समझ आ गया की दोनो साथ में है। जॉनी और रितेश को अगर मौका मिलता तो दोनो इस औरत के बूब्स को वही मसल देते और दूसरी औरत की गांड़ मार लेते। उत्तेजना के मारे रितेश और जॉनी के पसीने छूट गए थे। दोनों औरते उस दुकान से आगे बढ़ गई। रितेश और जॉनी ने चैन की साँस ली। दोनो चाहते तो नही थे की ये नजारा बंद हो, पर अपनी उत्तेजना को रोकने के लिए जरूरी था। रितेश और जॉनी की नजरे अभी भी उन औरतों पर ही थी, दोनो औरते 3 दुकान आगे ही थी। बाजार में कुछ मनचले लडको का झुंड भी आया हुआ था। उनमें से एक लड़के ने उस औरत की गांड़ पर हाथ फेरा जिसकी गांड़ के दृश्य ने रितेश और जॉनी को उत्तेजना को बढ़ाया था। जॉनी और रितेश ने उन लडको को उस औरत के साथ अश्लील हरकत करते हुए देख लिया था। उस औरत ने जब पीछे मुड कर देखा तो 7–8 लड़के दो अलग अलग झुंड में दिखे। वो औरत समझ गई की ये सब एक साथ के है और इनमे से किसी ने मेरे साथ अश्लील हरकत की है। उस औरत के चेहरे पर परेशानी साफ देखी जा सकती थी, क्योंकि उसे पता था की ये लड़के फिर से हरकत करेंगें। जॉनी और रितेश दोनो उस औरत के पास पहुंच गए थे। दोनो ने इस औरत को इशारा किया की वो आराम से सामान खरीदे, हम दोनो यही खड़े है। उस औरत को सुकून मिला और सामान खरीदने लग गई। रितेश और जॉनी वही खड़े रहे। जब उन दोनो औरतों  की खरीदारी पूरी हुए तो रितेश और जॉनी भीड़ वाले हिस्से से बाहर लेकर आए। दोनो औरतों ने धन्यवाद कहा और अपना परिचय दिया। मेरा नाम सुनीता (जिसके बूब्स बड़े थे) और इसका नाम बबिता (जिसकी गांड़ को देख के उत्तेजित हुए थे)। उन दोनो औरतों की उम्र लगभग 38–40 के लगभग थी। दोनो औरते जा चुकी थी और तब तक सभी सहेलियां आ गई थी। जब ये सब लोग बाजार से बाहर निकले तो उन्हे उन लडको का झुंड बाहर दिखा। वो झुंड रितेश, जॉनी और लड़कियों के करीब आया और घूरने लगे। तभी पीछे से किसी के चिल्लाने की आवाज आई और जब लडको ने पीछे मुड कर देखा तो सब घबराकर भाग गए। वो आदमी पास के गांव के जमींदार परिवार से था। उस आदमी के साथ सुनीता और बबिता भी थी।
जॉनी: जी शुक्रिया। ये लोग तो आप को देख कर ही भाग गए।
बबिता: अगले तीन दिन तक घर से निकलेंगे भी नही। छोटे मालिक का खौफ जो है। ये कुंवर बलवीर सिंह जी है।
सुनीता: मालिक इन दोनो लडको ने ही हमारी मदद की थी।
बलवीर: आप लोगो से मिलकर अच्छा लगा। आप लोग हमारे साथ हमारी हवेली चलिए, खाना हमारे साथ खाइए।
सब लोगो ने मना किया, पर बलवीर सिंह ने उनकी एक न सुनी और सबको अपनी हवेली पर लेकर आ गए। दोपहर के 1 बज चुके थे। बहुत ही बड़ी हवेली थी, सभी लड़कियां एक बहुत ही आलीशान रूम में रुकी। इस रूम में प्राइवेट पूल भी था। जॉनी और रितेश बलवीर के साथ हवेली के दूसरे हिस्से में थे।
दिया: इतना आलीशान पूल है, नहाना तो बनता है।
ईशा: मन तो मेरा भी हो रहा है, पर कपड़े कहा है, हम जो एक्स्ट्रा ड्रेस लाए थे वो तो सुबह झरने पर काम आ गई।
दिया: मैं तो नंगी जा रही हूं। यही कपड़े काम आ जाएंगे। इतना अच्छा मौका छोड़ना नहीं चाहती।
दिया की बात सुनकर बाकी लड़कियां भी तैयार हो गई। उन्होंने सुनीता और बबिता को बोला की तुम ध्यान रखना की रितेश और जॉनी अंदर ना आप जाए। सभी लड़किया नंगी होकर पूल में नहाने चली गई। बबिता जो सामन लेकर आई थी वो रखने गई, सुनीता वही रुकी हुई थी। लगभग आधे घंटे बाद सब लड़किया बाहर निकली और जल्दी से तैयार हो गई। तब तक रितेश और जॉनी भी आ गए थे। सबको भूख लगने लगी थी। रितेश को एक अर्जेंट कॉल आ गया था, वो वही रुक गया था। सुनीता बाकी सबको लेकर खाना खाने के लिए ले गई। बबिता ने सामन रखने के बाद, खाने की तैयारी में काम करने वालो की मदद कर रही थी। लगभग तैयारी पूरी होने के बाद बबिता सब लड़कियों को बुलाने के लिए आई, पर तब तक सुनीता उन लड़कियों को लेकर जा चुकी थी। इधर जब रितेश की बात पूरी हुए तो उसने भी उस आलिशान पूल को देखा और नहाने का सोचा। रितेश ने अपने कपड़े उतारे और खुद को नंगा किया। रितेश पूल में जाता उसके पहले ही बबिता का अंदर आना हुआ और उसने रितेश को नंगा देखा। रितेश और बबिता का मुंह एक दूसरे को देख कर खुला रह गया। बबिता तुरंत कमरे से बाहर आ गई। रितेश ने कपड़े पहने और खाना खाने के लिए चला गया। सब लोगो ने अच्छे से खाना खाया। बलवीर सिंह ने सबको आराम करने को कहा। इस आलिशान हवेली में कौन नही रुकना चाहेगा, सब लोग थक भी गए थे तो आराम करने रुक गए। रितेश को नींद नहीं आ रही थी, वो रूम से बाहर आया। रितेश ने सोचा की पूल में नहा लेता हूं। उसने दिया को बताया की वोह पूल में नहा जा रहा है। रितेश ने बबिता को जाते देखा, उसकी गांड़ देख कर उसे सुबह की याद आ गई और उसका लंड खड़ा होने लगा। वो बबिता के पीछे गया। बबिता हवेली के पास बने एक कमरे में अंदर गई, बबिता भी आज के दोनो हादसो से थोड़ी बैचेन थी, जल्दबाजी में उसने कमरे का दरवाजा नही लगाया। बबिता को जो आज दिन में अपने पति की मदद करने खेत पर जाना था। उसने सोचा ये कपड़े गंदे हो जाएंगे, पुराने कपड़े पहन लेती हुं। बबिता ने अपने कपड़े उतारे वो सिर्फ ब्रा पैंटी में थी, तभी रितेश का अंदर आना हुआ। बबिता चिल्लाने वाली थी की रितेश ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
रितेश: मैं तो दिन वाली बात के लिए तुमसे माफी मांगने आया था, मुझे नही पता था की तुम यहां कपड़े बदल रही हो।
रितेश का हाथ अभी भी बबिता के मुंह पर ही था। बबिता ने आज पहली बार किसी गैर मर्द को नंगा देखा था और आज पहली बार किसी गैर मर्द के बाहों में थी वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में। रितेश का दूसरा हाथ अब बबिता की पीठ पर था। रितेश ने बबिता की आंखों में देखा।
रितेश: आप मुझे गलत मत समझिएगा, आप बहुत सेक्सी है। आप किसी से कुछ मत कहिएगा, मैं यहां से जा रहा हूं।
रितेश जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचा, उसने देखा सुनीता इधर ही आ रही है। वो दरवाजे के पीछे छुप गया। रितेश के चेहरे पर घबराहट देखी जा सकती थी।
रितेश: सुनीता इधर आ रही है। कुछ करो.. प्लीज.. आप के हाथ जोड़ता हूं।
बबिता भी नही चाहती थी की सुनीता उसे और रितेश को इस हाल में देखे। वो भी दरवाजे के पीछे हो गई। दरवाजे के पीछे से अपनी गर्दन बाहर निकल कर सुनीता से बात करने लगी। उसने जैसे तैसे सुनीता को वहा से रवाना किया। पर जब तक वो सुनीता से बात कर रही थी, उसने महसूस किया की उसकी गांड़ रितेश से चिपकी हुई है। रितेश का लंड भी कड़क हो चुका था, बबिता उसे आराम से महसूस कर पा रही थी। रितेश ना चाहते हुए भी अपने आप को रोक न पाया और हल्के हल्के से उसकी गांड़ पर अपना लंड रगड़ने लगा। रितेश ने कपड़े पहने थे इसलिए ज्यादा अच्छे से  वो बबिता की गांड़ पर अपना लंड नही रगड़ पा रहा था। सुनीता जैसे ही गई, बबिता ने दरवाजा बंद किया। रितेश ने बबिता को गले लगा कर शुक्रिया कहा, बबिता का ध्यान अभी भी रितेश के लंड पर ही था, जी अब उसकी चुत से टकरा रहा था।
रितेश: मुझे माफ करना, आपकी गांड़ ही इतनी सेक्सी है, मेरा मतलब है की आप है ही इतनी सुंदर की मैं अपने लंड को रोक ही नहीं पाया। आप जो सजा दो मुझे मंजूर है। (रितेश हाथ जोड़ते हुए घुटनों पर बैठ गया।)
बबिता का पति जब भी उसे चोदता था, उसके मूंह से हमेशा शराब की बदबू आती थी क्योंकि उसका पति चुदाई के पहले शराब ज़रूर पीता था। उसका पति अधिकतर उसे बिना गर्म किए ही चोदता था। उसे गर्म होकर चुदवाना पसंद था। बबिता रितेश के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मन ही मन खुश हुई और उसकी चुत ने भी बगवात करना शुरू कर दिया था। बबिता ने रितेश का हाथ पकड़ के उसे उठाया।
बबिता: कोई बात नही, हो भी हुआ अनजाने में हुआ, आप इस बात को भूल जाओ। (बबिता की नजर रितेश के पैंट में बने उभार पर चली गई।) इसे शांत करके जाओ। बाहर किसी ने ऐसे देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी।
रितेश: इसे आप ही शांत कर सकती हो।
बबिता: (घूरते हुए) जबान संभाल कर। (पर बबिता ने महसूस किया की उसकी चुत इस बात से और ज्यादा गीली हो गई है)
रितेश बाहर जाने ही वाला था की दरवाजे के बाहर से सुनीता की आवाज आई। एक बार फिर रितेश दरवाजे के पीछे था और बबिता की गांड़ उसके लंड से चिपक रही थी। रितेश ने अपना लंड बाहर निकाल लिया। बबिता रितेश के लंड को अच्छे से महसूस कर पा रही थी। सुनीता जा चुकी थी, बबिता को अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो रहा था। दरवाजा बंद हो चुका था और रितेश का हाथ बबिता के बूब्स मसल रहा था। बबिता ने रितेश से बचने की नाकाम कोशिश की, धीरे धीरे उसका विरोध भी मंद होता गया। रितेश ने बबिता के होंठो को प्यार से चूमा। बबिता ने अपनी ब्रा निकाल फेकी। रितेश उसके बूब्स को प्यार से मसलता दबाता, चुचियों को चूसता। थोड़ी देर में बबिता और रितेश दोनो नंगे थे। रितेश ने बबिता की गांड़ में अपना लंड डाला, क्योंकि अभी उसके पास कंडोम नही था, जिस से वो बबिता की चुत को चोद सके। बबिता के पति ने पहले बबिता की गांड़ मार रखी थी, पर आज उसे गांड़ मरवाने में अलग ही मजा आ रहा था। रितेश बबिता की गांड़ पर अपनी हथेलियों से मारता और लगातार बबिता की गांड़ में लंड पेले जा रहा था। बबिता अपनी मादक सिसकरियों को रोक नही पा रही थी। रितेश भी अपनी पूरी ताकत से बबिता की गांड़ मारने में लगा हुआ था।
जब रितेश बबिता के पीछे आया था, उसके कुछ देर बाद जॉनी और ईशा भी कमरे से निकल चुके थे और दोनो उसी कमरे के पीछे थे जिसमे रितेश और बबिता थे। जॉनी और ईशा सिर्फ उन दोनो की बाते सुन पा रहे थे, उन्हे देख नही सकते थे। रितेश और बबिता की बातो ने ईशा और जॉनी को भी उत्तेजित कर दिया था। ईशा ने जॉनी के लंड को बाहर निकाला और मुंह में लेकर चूसने लगी। जॉनी ने ईशा की चुत में ऊंगली की और ईशा ने जॉनी के लंड को हिलाया। जॉनी और ईशा दोनो बबिता की सिसकरियों का आनंद ले रहे थे और उत्तेजित हो रहे थे। दोनो का चुदाई का मन तो बहुत कर रहा था। पर वहा खुले में नंगे होकर चुदाई करना संभव नहीं था, इसलिए दोनो ने एक दूसरे को हस्थमैथुन से ही स्खलित किया। रितेश भी बबिता की गांड़ में झड़ चुका था। 
जॉनी और ईशा जब कमरे से जा चुके थे, तो दिया ने सोचा की क्यों न रितेश के साथ एक बार पूल में मजे ले लो, रितेश भी खुश हो जायेगा। दिया पूल वाले रूम में गई। उस समय पूल में बलवीर सिंह था, दिया ने ये नही देखा की पूल में कौन है, उसने तो जल्दी से खुद को नंगा किया। दिया पूल में उतर गई और बलवीर को पीछे से हग किया। उसने जैसे ही बलवीर को देखा, उसे कुछ समझ ही नही आया। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी,
दिया: वो.....मैं... मु.... झे....
बलवीर: आप शांत हो जाइए।
दिया: (आंखो में आंसु आ गए थे) मुझसे गलती हो गई। 
दिया नंगी पूल से बाहर निकली, दौड़ कर बाहर जाने लगी। जैसे ही बलवीर ने दिया को दौड़ लगाते देखा बलवीर एक दम से पूल से बाहर आया। गीला होने के कारण दिया फिसल गई, पर बलवीर ने उसे ज़मीन पर गिरने से बचा लिया। बलवीर ने दिया को अपनी बांहों में उठाया। दिया ने आंखे खोली, वो बलवीर की बांहों में थी। अगर बलवीर उसे नही बचता तो उसे बहुत जोर से लगती। बलवीर ने उसे रूम में ले जाकर नीचे बैठाया और खुद अपने घुटने को मसलने लगा। जब बलवीर पूल से एकदम निकाला था तो उसका घुटना कॉर्नर से टकरा गया था। बलवीर को दर्द हो रहा था। दिया को अफसोस हो रहा था की उसकी वजह से बलवीर को चोट लग गई। दिया ने बलवीर को सहारा देकर उठाया और पलंग पर लेटाया। दिया बलवीर के घुटने की चोट को देख रही थी, तभी उसका ध्यान बलवीर के लंड पर गया जो एक दम कड़क हो चुका था। जब दिया ने बलवीर को सहारा देकर उठाया तब दिया के बूब्स बलवीर के शरीर से रगड़ रहे थे। इसी बात ने बलवीर के लंड को खड़ा कर दिया था।
बलवीर: (अपने लंड पर हाथ रखते हुए) आप चले जाइए, मैं किसी को बुला लूंगा। (बलवीर उठने की कोशिश करने लगा)
दिया: रुकिए, आपको कोई इसे देखे अच्छा नहीं लगेगा, मैं आपको टॉवेल दे देती हूं। आप वो पहन लीजिए।
दिया जैसे ही टॉवेल बलवीर को देने लगी, बाहर से आवाज आई.. छोटे मालिक... आवाज सुनकर दिया घबराई और बलवीर के उपर गिर गई। बलवीर ने अपने नौकर को अंदर आने से मना किया और कहा वो आवाज देकर तुम्हे बुला लेंगे। दिया बलवीर की बांहों में थी। दो नंगे बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। बलवीर का लंड दिया की चुत पर दस्तक दे रहा था। दिया अपने आप को बलवीर से अलग करने लगी, पर बलवीर ने दिया की गांड़ को जोर से पकड़ कर दिया को अपने से चिपका लिया। बलवीर का कड़क लंड दिया की चुत में फसने लगा था। चुत को जैसे ही लंड का स्पर्श मिला, चुत गीली  होने लगी और चूचियां कड़क होने लगी थी। बलवीर ने दिया को पलंग पर लिटा दिया और बलवीर दिया के ऊपर चढ़ गया। दिया ने अपनी एक चूची पर बलवीर की जीभ को घूमता पाया और दूसरी चूची को उसकी उंगलियों के बीच में पाया। दिया बलवीर को रोकना चाहती थी। दिया ने अपना हाथ से बलवीर को रोकना चाहा, पर बलवीर ने उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया। दिया ने जैसे तैसे बलवीर को अपने बूब्स और चुचियों से खेलने से रोका और अपना हाथ उसके लंड से हटाया। बलवीर झट से दिया की चुत को चाटने लगा, चुत पर हुए इस हमले ने दिया की कामवासना को बढ़ाया। दिया धीरे धीरे बलवीर के आगे समर्पण करने लगी। बलवीर ने दिया की चुत को बहुत अच्छे से चुदाई के लिए तैयार कर दिया था। अब दिया से भी नही रहा जा रहा था।
दिया: मेरी चुत में ऊंगली करो, मुझे शांत करो।
बलवीर: तेरी चुत की आग तो मैं अपने लंड से बुझाऊंगा।
दिया: नही, मैं तुम्हारा लंड अपनी चुत में नही ले सकती।
बलवीर: घबराओ मत, कंडोम लगा कर चोदूंगा तुझे।
बलवीर उस रूम में हमेशा कंडोम रखता था, क्योंकि वो उसकी अय्याशी का रूम था। बलवीर ने कंडोम लगाया और दिया की चुत में अपना लंड डाला।
दिया: आ... ह.... चो....दो...
बलवीर: मेरे लंड से अपनी चुत फड़वाएगी... (बलवीर दिया की चुत में लंड डाल कर रुक गया।)
दिया: हां.... फाड़ दो मेरी चुत... (दिया खुद अपनी चुत को हिलाने लगी।)
बलवीर ने दिया को चोदना शुरू किया, दिया ने बड़े मजे से बलवीर के साथ चुदाई की। दिया बलवीर से चुदाई के बाद अपनी सहेलियों के पास आ गई।
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पाँच सहेलियाँ - by Gpoint - 09-03-2021, 10:36 PM
RE: पाँच सहेलियाँ - by Bhavana_sonii - 11-03-2021, 01:24 AM
RE: पाँच सहेलियाँ - by Bhavana_sonii - 12-03-2021, 11:48 PM
RE: पाँच सहेलियाँ - by Gpoint - 15-06-2022, 05:53 PM



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