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Misc. Erotica पारस्परिक हस्त मैथुन
#46
उसके ऐसा करने से मेरी उत्तेजना में वृद्धि होने लगी और मेरे शरीर में कम्पन की लहरें उठने लगी तब वह अपने अंगूठे से मेरे भगांकुर को भी सहलाने लगा।

सिद्धार्थ के इस दोहरे आक्रमण से मेरी उत्तेजना में कई गुना बढ़ोतरी होने लगी और मेरे शरीर के अंगों में एक प्रकार की गुदगुदी एवम् कम्पन होने लगा था।
मैंने उस पर काबू पाने के लिए सिद्धार्थ के लिंग को और भी अधिक कस कर पकड़ लिया तथा हिलाने की गति को भी बहुत तेज़ कर दिया।
इस क्रिया को अभी छह-सात मिनट ही हुए थे की शरीर की इस गुदगुदी एवम् कम्पन के कारण मेरे मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थे और मेरा शरीर कुलबुलाने लगा।
मेरी सिसकारियाँ सुन कर और शरीर के कुलबुलाने को महसूस कर के सिद्धार्थ की उत्तेजना भी चरम-सीमा पर पहुँच गई और उसके मुख से भी आवाजें निकलने लगी।
तभी मेरे उदर के नीचे वाली माँस-पेशियाँ खिंचने लगी और योनि के अन्दर सिकुडन महसूस होने लगी तथा मेरी टांगें अकड़ने लगी थी।
मुझे अपने आप को संतुलन में रखने में कठनाई अनुभव होने लगी और मैं सिद्धार्थ से और भी कस कर चिपक गई तथा उसके लिंग को अधिक तीव्रता से हिलाने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पारस्परिक हस्त मैथुन - by neerathemall - 15-06-2022, 05:43 PM



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