15-06-2022, 05:37 PM
जब मुझे एहसास हुआ की वह मेरे भगांकुर को ढूंढने में असमर्थ हो रहा है तब मैंने अपनी टाँगे थोड़ी चौड़ी कर दी जिससे सिद्धार्थ को कुछ सुविधा हो जाए।
मेरी जाँघों के बीच में जगह मिलते ही उसकी ऊँगली मेरी योनि के होंठों को भेदती हुई सीधा मेरे भगांकुर तक पहुँच कर उसे सहलाने लगी थी।
सिद्धार्थ के शरीर से चिपट कर उसके लिंग को हिलाने और उस द्वारा मेरे भगांकुर को सहलाने से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी तथा मैंने अपनी चुचूकों को सख्त होते हुए महसूस किया।
उधर सिद्धार्थ का लिंग-मुंड उसकी त्वचा से बाहर आ गया और फूलने लगा था क्योंकि उसका व्यास उसके लिंग से अधिक हो गया था।
हम दोनों को चुपचाप एक दूसरे को हिलाते अथवा सहलाते हुए पांच मिनट हो गए थे तभी सिद्धार्थ ने अपनी उस ऊँगली को भगांकुर से हटा कर मेरी योनि के अन्दर डाल दी और मेरे जी-स्पॉट को कुरेदने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.