15-06-2022, 05:06 PM
(15-06-2022, 05:05 PM)neerathemall Wrote:
फिर भी मैंने उसकी बात सुन कर और बिना कोई उत्तर दिए उसके लिंग को पकड़ लिया तो पाया कि वह एक लोहे की रॉड की तरह सख्त था।
मैंने अहिस्ता से सिद्धार्थ के लिंग को सहलाना शुरू किया लेकिन इस क्रिया को करने के बारे में अधिक पता नहीं होने के कारण उसका लिंग बार बार मेरे हाथ से फिसल जाता था।
यह देख कर सिद्धार्थ बोला- दीदी, आप यह कैसे कर रही हैं? मुझे लगता है कि आप मेरा हस्त-मैथुन करना नहीं चाहती है।
मैंने उत्तर में कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, लेकिन मुझे किसी पुरुष का हस्त-मैथुन करना नहीं आता है। मैंने आज पहली बार किसी का लिंग पकड़ा है और उसका हस्त-मैथुन कर रही हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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